क्रिया के जिस रुप से क्रिया प्रक्रिया का बोध होता है उसे क्रिया का पक्ष कहते हैं क्रिया के दो पक्ष होते हैं।
पहली दृष्टि से हम देखते हैं कि क्रिया प्रक्रिया आरंभ होने वाली है अथवा आरंभ हो चुकी है अथवा वर्तमान में चालू है या चालू हो चुकी है
दूसरे दृष्टि में क्रिया प्रक्रिया को एक इकाई के रूप में देखते हैं।
1. आरंभदयोतक पक्ष
इस पक्ष में क्रिया के आरंभ होने की स्थिति का बोध होता है आरंभदयोतक पक्ष कहलाता हैं।
उदाहरण
- अब राम खेलने लगा है।
- अब वर्षा होने लगी है।
- अब राम पड़ने लगा है।
2. सातपय बोधक पक्ष
इससे क्रिया की प्रक्रिया के चालू रहने का बोध होता है सातपय बोधक पक्ष कहलाता हैं।
उदाहरण
- सीता कितना अच्छा गा रही है।
- राम कितना अच्छा खेल रहा है।
- कृष्णा कितना अच्छा बांसुरी बजा रहा है।
3. प्रगतिदयोतक पक्ष
इससे क्रिया के निरंतर प्रगति का बोध होता है प्रगतिदयोतक पक्ष कहलाता हैै।
उदाहरण
- भीड़ बढ़ती ही जा रही है।
4. पूर्णता दयोतक पक्ष
इस क्रिया पक्ष में क्रिया के पूरी तरह समाप्त होने का बोध होता है पूर्णता दयोतक पक्ष कहलाता हैं।
उदाहरण
- वह अब तक काफी खेल चुका है।
5. नित्यता बोधक
इस पक्ष में क्रिया के नित्य अर्थात सदा बने रहने का बोध हो (न आदि ने अंत)नित्यता बोधक कहलाता हैं।
उदाहरण
- पृथ्वी गोल है।
- सूर्य पूर्व में निकलता है।
6. अभ्यास दयोतक पक्ष
यह प्रक्रिया के स्वभाव वश होने का सूचक है अभ्यास दयोतक पक्ष कहलाताा हे
उदाहरण
- वह दिन भर मेहनत करता था तब सफल हुआ।
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इस लेख के माध्यम से पक्ष किसे कहते हैं इसके भेद, उपभेद, और उदाहरण के बारे में जाना यह टॉपिक एग्जाम की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए इसे अच्छे से समझना है और याद करना है! पक्ष किसे कहते हैं
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