उत्तर वैदिक काल के अनुसार राजा की उपाधि
1 विराट
2 स्वराट
3 सम्राट
4 भोज
5 राजा
उत्तर वैदिक काल में राजा का पद वंशानुगत हो गया राजा के द्वारा उपाध्य ली जाने लगी जिसकी जानकारी ऐतरेय ब्राह्मण से मिलती है
रतनिन क्या होता है??
राजा की सहायता के लिए अधिकारियों की एक परिषद रतनीन कहलाती है
इसकी जानकारी शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से मिलती है
इनकी संख्या 12 होती है
1 पुरोहित
2 सेनानी
3 ग्रामीणी
4 स्पर्श
5 पुरप
6 अक्षवाप =यह द्रुत क्रीड़ा में राजा का साथ देता था
7 भाग धुग =यह कर(tax) एकत्रित करने वाला अधिकारी होता था
उत्तर वैदिक काल में राजा के लिए लिया जाने वाला शुल्क बलि या भाग् कहलाता था यह एक प्रकार का नियमित कर था
शतपथ ब्राह्मण के अनुसार केवल वैसे ही कर चुका आते थे इसलिए वैसे को अंस्यबली कृत कहा गया है
यह कर 1/6 भाग वसूल किया जाता था
उत्तर वैदिक काल क्या हें
यज्ञ =राजा के लिए चार प्रकार के यज्ञ बताए गए हैं जो निम्नलिखित हैं
1 राजसूय यज्ञ
यह राजा के राज्य अभिषेक के अवसर पर किया जाने वाला यज्ञ था इसलिए के दौरान रत्न इनके घर जाता था
2 अश्वमेघ यज्ञ
राजा के द्वारा एक असर छोड़ा जाता था यह अश्व जिस प्रदेश से गुजरता था वह क्षेत्र राजा का मान लिया जाता था
3 वाजपेई यज्ञ
यह रथ दौड़ से संबंधित था इसलिए के दौरान यह कामना की जाती थी कि राजा करत सबसे आगे रहे
4 अग्नीरोम यज्ञ
इस यज्ञ का आयोजन प्रजा के कल्याण के लिए किया जाता था
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उत्तर वैदिक काल का दूसरा भाग जरूर देखें और इसे पढ़ें और प्राचीन इतिहास का यह सबसे अच्छा भाग है इसमें से अधिकांश थे हर परीक्षा में 1 2 सवाल आते रहते हैं धन्यवाद