औरगंजेब और अन्य मुगल शासक
औरंगजेब
औरंगजेब का जन्म 1618 ई. में उज्जैन के निकट ‘ दोहद ‘नामक स्थान पर मुमताज महल के गर्भ से हुआ था । लेकिन औरंगजेब का अधिकांश बचपन नूरजहाँ के पास बीता
पिता- शाहजहां, माता- मुमताज महल
औरंगजेब का विवाह फारस के राजघराने के शाहनवाज की पुत्री दिलरस बानो बेगम (राबिया- उद् -दोरानी )से हुआ था । औरंगजेब की पुत्री का नाम मेहरून्निसा था ।
औरंगजेब दक्षिण का सूबेदार दो बार नियुक्त हुआ था
पहली बार -1636 -1644 ई. ।
दूसरी बार -1652 -1657 ई. ।
वह गुजरात, मुल्तान व सिन्ध का गवर्नर भी रहा । औरंगजेब का पहला युद्ध ओरछा के जुझार सिंह के विरूद्ध हुआ था । औरंगजेब का राज्याभिषेक दो बार हुआ था
- सामूगढ़ के युद्ध के बाद 1658 में आगरा में
- दौराई के युद्ध के बाद 1659 में दिल्ली में।
औरंगजेब ने 1659 ई. में राज्याभिषेक के समय औरंगजेब ने ‘अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब बहादुर आलमगीर पादशाह गाजी ‘की उपाधि धारण की
औरंगजेब ने जहाँआरा को ‘साहिबत -उज् -जमानी ‘की उपाधि प्रदान की
औरंगजेब ने
1. दरबारी संगीत पर प्रतिबन्ध लगाया
2. संगीत विभाग व इतिहास विभाग को समाप्त किया।
3. औरंगजेब के काल मे संगीत पर सर्वाधिक फ़ारसी भाषा में पुस्तकें लिखी गई।
औरंगजेब ने 1679 ई. में पुनः जजिया कर तथा तीर्थ कर लगाया।
1699 ई. में औरंगजेब ने मराठों के साथ चल रहे युद्ध को धर्मयुद्ध की संज्ञा दी।
सिक्ख विद्रोह औरंगजेब के काल में एक मात्र विद्रोह था जो धार्मिक कारणों से हुआ। सिक्खो ने औरंगजेब के विरूद्ध सबसे अंत मे विद्रोह किया।
औरंगजेब को इस्लामिक कट्टरता के कारण जिन्दापीर और सादगी पूर्ण जीवन के कारण ‘शाह दरवेश’ कहा जाता था।
मिर्जा मुहम्मद काजिम औरंगजेब के समय प्रथम व अंतिम सरकारी इतिहासकार।
औरंगजेब_द्वारा औरंगाबाद में अपनी बेगम ‘राबिया दुर्रानी’ की स्मृति में निर्मित इसे बीबी का मकबरा व द्वितीय ताजमहल भी कहा जाता है।
औरंगज़ेब के शासन में मुग़ल साम्राज्य अपने विस्तार के चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। वो अपने समय का शायद सबसे धनी और शातिशाली व्यक्ति था जिसने अपने जीवनकाल में दक्षिण भारत में प्राप्त विजयों के जरिये मुग़ल साम्राज्य को साढ़े बारह लाख वर्ग मील में फैलाया और 15 करोड़ लोगों पर शासन किया जो की दुनिया की आबादी का 1/8 था।
औरंगज़ेब ने पूरे साम्राज्य पर फ़तवा-ए-आलमगीरी (शरियत या इस्लामी क़ानून पर आधारित) लागू किया और कुछ समय के लिए ग़ैर-मुस्लिमों पर अतिरिक्त कर भी लगाया। ग़ैर-मुसलमान जनता पर शरियत लागू करने वाला वो पहला मुसलमान शासक था।
मुग़ल शासनकाल में उनके शासन काल में उसके दरबारियों में सबसे ज्यादा हिन्दु थे। और सिखों के गुरु तेग़ बहादुर को दाराशिकोह के साथ मिलकर बग़ावत के जुर्म में मृत्युदंड दिया गया था।
मुहतसिब – औरंगजेब द्वारा इस्लाम के प्रचार के लिए नियुक्त अधिकारी।
विजयें
बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
गोलकुण्डा (1687):- यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।
औरंगजेब की दक्षिण नीति के परिणाम
- दक्षिण के शिया राज्यो का विनाश अनुचित।
- मुगलो की आर्थिक स्थिति का शोचनीय होना।
- कृषि, वाणिज्य-व्यापार औऱ उद्योगों को भारी क्षति।
- सेनिको और जमीदरो कि लूटपाट ।
- उतरी भारत मे अशान्ति अराजकता औऱ विद्रोह ।
- मुगल सेना में असंतोष कानून और शांति व्यवस्था का विहंग होना ।
- मुगल प्रतिष्ठा को गहरा आघात ।
- भारतीय संस्कृति और कला का हास् ।
- कृषको और साधारण जनता की विकट समस्या ।
- मुगल सम्राज्य के पतन के उत्तरदायी कारण।
ओरंगजेब द्वारा गोलकुंडा पर आक्रमण के कारण
- गोलकुंडा के सुल्तान बीजापुर की सहायता करते थे ।
- गोलकुंडा एक धन सम्पन्न राज्य था यहाँ हिरे जवाहरात की खाने थी।
मुगल दरबार मे दलबंदी के प्रमुख नेताओं एवं अमीरों के नाम।
- जुल्फिकार खा,।
- गाजीउद्दीन फिरोज।
- जंगचिंकूलीच खा,।
- मुनीम खा,।
ओरंगजेब के समय हुए प्रमुख विद्रोह
1. जाटो का विद्रोह
- ओरंगजेब वके खिलाफ पहला संघठित विद्रोह मथुरा-आगरा व दिल्ली के आस पास बसे जाटो ने किया। जाटो ने आर्थिक कारणों से विद्रोह किया।
- जाट विद्रोह की शुरुआत 1669 ई में मथुरा के पास तिलपत के जाट जमीदार गोकुला के नेतृत्व में हुई।
- जाट विद्रोह को सतनामियों ने भी समर्थन दिया।
- 1686 में जाटों ने पुनः विद्रोह कर दिया इस बार नेतृत्व की बागडोर राजाराम एवं रामचिरा ने सम्भाली राजाराम ने मुगल सेनापति युगीर खाँ की हत्या कर दी तथा 1688 ई0 में अकबर के मकबरे में लूटपाट की।
- मनूची ने लिखा है कि ’’राजाराम ने अकबर के मकबरे को खोदकर जला दिया’’।
- औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर नरेश विशन सिंह ने राजाराम को मार डाला।
2. सतनामी विद्रोह
- 1672 ई में नारनोल (हरियाणा) नामक स्थान पर वीरभान के नेतृत्व में सतनामी किसानों व मुगलों के बीच युद्ध हुआ।
- नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर) सतनामी बैराग्यों में से एक थे जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडिया भी कहा जाता था।
- सतनामी विद्रोह की शुरुआत एक सतनामी व मुगल सैनिक अधिकारी के बीच झगड़े के कारण हुई।1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
- सतनामी विद्रोह में राजपूत जमीदारों ने मुगलो का साथ दिया।
3. अफगान विद्रोह
- 1668 ई में भागू नामक एक युसुफजई सरदार ने मुहम्मद शाह नामक व्यक्ति को राजा घोषित कर स्वयं को उसका वजीर घोषित किया व अफगान विद्रोह की शुरुआत हुई।
4. बुंदेला विद्रोह
- मुगलो व बुंदेलों के बीच पहला संघर्ष मधुकर शाह के समय शुरू हुआ।
- बुंदेला शासक वीर सिंह ने जहाँगीर के कहने पर 1602 ई में अबुल फजल की हत्या कर दी।
5. शहजादा अकबर का विद्रोह
- अकबर औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब_ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया।
- मेवाड़ व मारवाड़ के दुर्गादास के सहयोग से शहजादा अकबर ने 1681 ई में अपने को बादशाह घोषित कर दिया तथा ओरंगजेब की सेना पर अजमेर के पास आक्रमण किया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया
6. सिक्ख विद्रोह
- सिक्खों ने ओरंगजेब के खिलाफ सबसे अंत मे विद्रोह किया।
- सिक्ख विद्रोह ओरंगजेब के काल का एक मात्र विद्रोह था जो धार्मिक कारणों से हुआ।
औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में 3 मार्च 1707 में हुई। इसे दौलताबाद में मुस्लिम फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र में दफना दिया गया इस समय उसके तीन पुत्र जीवित थे- मुअज्जम, आजम एवं कामबक्श
औरंगजेब के मृत्यु के समय मुअज्जम अफगानिस्तान में जमरुद नामक स्थान पर था। वह सीधा दिल्ली आया लाहौर के निकट उसने बहादुरशाह के नाम से अपने को बादशाह घोषित कर लिया।
आजम ने आगरा पर अधिकार करने के लिए जजाऊ के पास अपना शिविर लगाया फलस्वरूप जजाऊ का युद्ध हुआ।
जजाऊ का युद्ध (1707):- आगरा के पास स्थित इसी स्थान पर बहादुर शाह ने आजम को पराजित कर मार डाला।
बीजापुर का युद्ध (1709):- यह युद्ध बहादुरशाह और कामबक्श के बीच हुआ। इसमें भी बहादुर शाह की विजय हुई। इस प्रकार बहादुर शाह दिल्ली का शासक बना।
धार्मिक नीति
औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसने गद्दी पर बैठते ही कुरान के नियमों का पालने करते हुए 80 प्रकार के करों को समाप्त कर दिया।
इन करों में-
1. आबवाब-उपरिकर
2. पानडारी-चुंगीकर
3. राहदारी-परिवहन
कर शामिल थे।
उसने सिक्कों पर कलमा खुदवाना, नौरोज मनाना, भांग की खेती करना आदि पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। राज्याभिषेक के 11वें वर्ष झरोखा दर्शन, संगीत निषेध जबकि 12वें वर्ष तुलादान प्रथा बन्द कर दी।
1689 ई0 जजिया को पुनः लागू कर दिया। इसे लागू करने का विरोध मेवाड़ के शासक राज सिंह ने किया था। उसे कई मन्दिरों के तुड़वाने का आरोप लगाया जाता है जिसमे मथुरा का केशवराय मन्दिर और बनारस का विश्वनाथ मन्दिर प्रसिद्ध है। उसने लोगों के आचरण पर नजर रखने के लिए एक अधिकारी मुहतसिब की नियुक्ति की।
Mughal Empire-Aurangzeb important facts
- ओरंगजेब को जिन्दापीर क्यों कहा जाता है➡कट्टरता के कारण।
- मीना मस्जिद का निर्माण किसने करबाया➡ओरंगजेब।
- जागीरदारी समस्या बनी किसके समय➡बहादुर शाह प्रथम।
- किन मुगलो ने अपने सद्रो को हटाया➡अकबर, औरंगजेब।
- किस बादशाह ने अकबर के मकबरे के चित्रों को चूने से पुतबा दिया था➡औरंगजेब।
- किस शासक के काल मे चित्रकला महलो से निकलकर आम जनता की पहुँच में आ गई➡औरंगजेब।
- हनाफी फिक के सिद्धान्तों का चित्रण पहली बार हुआ➡औरंगजेब।
- एक नई तकनीकी सिहायी कलम का विकास किस मुगल शासक के काल मे हुआ➡औरंगजेब
- औरंगजेब सबसे कट्टर शासक था लेकिन सर्वाधिक हिन्दू सरदार 33 प्रतिशत इसी के काल में थे।
- शाहजहाँ के युग में इसके बाद हिन्दू सरदारों की संख्या 24 प्रतिशत थी।
- औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई।
- खाफीखाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।
- औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था।
- इसी के समय में सिक्खों के गुरु तेग बहादुर को 1675 में फाँसी दे दी गई।
- शिवा जी के पुत्र शम्भा जी को भी 1689 में फांसी दे दी।