कोशिका क्या है
कोशिका के बिना किसी का भी स्वतंत्र जीव स्थित नहीं हो सकता।
इस कारण जीव के लिए कोशिका ही मूलभूत से संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई होती है।
एंटोनवान लिवेंहाक ने पहली बार कोशिका को देखा वह इसका वर्णन किया था।
रॉबर्ट ब्राउन ने बाद में केंद्रक की खोज की सूक्ष्मदर्शी की खोज वह बाद में इनके सुधार के बाद
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा कोशिका की विस्तृत संरचना का अध्ययन संभव हो सका।
कोशिका सिद्धांत
1838 में जर्मनी की वनस्पति वैज्ञानिक मेथियस इस लाइडेन ने बहुत सारे पौधों को अध्ययन के बाद पाया कि
यह पौधे विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं।
जो पौधा में ऊतकों का निर्माण करते हैं लगभग इसी समय 1839 में एक ब्रिटिश प्राणी वैज्ञानिक
थेओडोर स्वान ने विभिन्न जंतु कोशिकाओं का अध्ययन के बाद पाया कि कोशिकाओं के बाहर एक पतली परत मिलती है।
जिसे आजकल जीव द्रव्य झिल्ली कहते हैं इन वैज्ञानिक ने पादप ऊतकों के अध्ययन के बाद पाया कि
पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति मिलती है।
जो इसकी विशेषता है उपरोक्त आधार पर स्वान ने अपनी परिकल्पना रखते हुए बताया।
कि प्राणियों और वनस्पतियों का शरीर कोशिका और उनके उत्पादन से मिलकर बना है।
कोशिका झिल्ली
अध्ययनों के बाद इस बात की पुष्टि हुई कि कोशिका झिल्ली लिपिड की बनी होती है।
जो दो शतकों में व्यवस्थित होती है लिपिड झिल्ली के अंदर व्यवस्थित होते हैं।
जिनका ध्रुवीय शेरा बाहर की ओर वर्जल वीरू पंचशिला अंदर की ओर होता है इससे सुनिश्चित होता है ।
की संतृप्त हाइड्रोकार्बन की बनी हुई है द्रव्य ध्रुवीय पुंछ जलीय वातावरण से सुरक्षित रहती है।
कोशिका झिल्ली में पाए जाने वाले लिपिड फ़ास्पोग्लिसराइड्स के बने होते हैं।
बाद में जैव रासायनिक अनुसंधान उसे यह स्पष्ट हो गया है ।
कि कोशिका झिल्ली में प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है
विभिन्न कोशिकाओं में प्रोटीन वैलीफील्ड का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है ।
मनुष्य के रुधिरानू की झिल्ली में लगभग 52% प्रोटीन व 40% लिपिड मिलता है।
झिल्ली में पाए जाने वाले प्रोटीन को अलग अलग करने की सुविधा के आधार
पर दो अंगभूत व परिधीय प्रोटीन भागों में विभक्त कर सकते हैं।
परिधीय प्रोटीन झल्ली की सतह पर होता है ।
जबकि अंग भूत प्रोटीन आंशिक या पूर्ण रूप से झिल्ली में धासे होते हैं ।
जेली झिल्ली की तरह लिए तेरे लिए प्रकृति इसके कार्य जैसे कोशिका वृद्धि अंतर कोशिकी है ।
संयोजन का निर्माण श्रवण अंत्य कोशक कोशिका विभाजन इत्यादि की दृष्टि में महत्वपूर्ण है ।
जीव द्रव्य झिल्ली का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य यह है कि इससे अणुओं का परिवहन होता है।
यह झिल्ली इसके दोनों तरफ मिलने वाले अणुओं के लिए चयनित पारंग गम में है कुछ अनूप बिना ऊर्जा की
आवश्यकता के इस झिल्ली से होकर आते हैं जिसे निष्क्रिय परिवहन कहते हैं ।
उदासीन विलय सांद्र प्रवणता के अनुसार जैसे उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर
साधारण विसरण द्वारा इस झिल्ली से होकर जाते हैं।
जल भी इस झिल्ली से उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर गति करता है।
विसरण द्वारा जल के प्रवाह को परासरण कहते हैं
क्योंकि ध्रुवीय अणु जो ध्रुवीय लिपिड की सतह से होकर नहीं जा सकते।
उन्हें झिल्ली से होकर परिवहन के लिए झिल्ली की वाहक प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
कोशिका भित्ति
कवक व पौधों की जीव द्रव्य झिल्ली जी ले ली के बाहर पाए जाने वाले दृढ़ निर्जीव
आवरण को कोशिका भित्ति कहते हैं।
कोशिका का सामान्य परिचय
कोशिका भित्ति कोशिका को केवल यांत्रिक हानियों और संक्रमण से ही रक्षा नहीं करता है।
बल्कि यह है कोशिकाओं के बीच आपसी संपर्क बनाए रखने तथा एवं,।
वृहद अणुओं के लिए अवरोध प्रदान करता है।शैवाल की कोशिका भित्ति सैलूलोज प्रदान करता है।
शैवाल की cell भित्ति सैलूलोज गैलेक्टेंस मैना खनिज जैसे कैलशियम कार्बोनेट की बनी होती है।
जबकि दूसरे पौधों में यह सैलूलोज हेमीसैलूलोज पेक्टिन व प्रोटीन की बनी होती है।
नव पादप cell की cell भित्ति में स्थित प्राथमिक वित्तीय वृद्धि की क्षमता होती है।
जो cell की परिपक्वता के साथ घटती जाती है।
वह इसके साथ cell के भीतर की तरफ द्वितीय भित्ति का निर्माण होने लगता है।
मध्य पटलिका का मुख्यतः कैल्शियम पैक्टेट की बनी सत्य होती है जो
आसपास की विभिन्न कोशिकाओं को आपस में चिपकाए हुए पकड़े रहती है।
cell भित्ति एवं मध्य पत्रिका में जीव द्रव्य तंतु आड़े तिरछे रूप में स्थित रहते हैं।
जो आसपास की cell द्रव्य को जोड़ते हैं।