चन्हूदड़ो व् धोलावीरा सभ्यता
पाकिस्तान में सिंधु नदी के किनारे विकसित इस स्थल की खोज 1931 में एनजी मजूमदार के द्वारा की गई
चन्हूदरो एक औद्योगिक नगरी थी
अर्नेस्टमेके ने यहां से मनके बनाने का कारखाना खोजा था
चन्हूदड़ो से लिपिस्टिक के साक्ष्य मिले है
चन्हूदड़ो से प्राप्त एक इट से बिल्ली व कुता के पैर के निशान प्राप्त हुए है
धोलावीरा सभ्यता
1967 में जगपति जोशी के द्वारा इस स्थान की खोज की गई
R S विस्त के द्वारा यहां खुदाई का कार्य करवाया गया
धोलावीरा का शाब्दिक अर्थ — सफेद कुआं
धोलावीरा से 3 टीलों के साक्ष्य मिले हैं
1 पश्चिमी टीला
2 मध्य टीला
3 पूर्वी टीला
अन्य साक्ष्य
स्टेडियम के साक्ष्य
धोलावीरा से एक बोर्ड भी मिला है जिस पर तत्कालीन लिपि में कुछ लिखा हुआ है इसे इतिहासकार अभी तक पढ़ नहीं पाए हैं
लिपि
सिंधु सभ्यता में भाव चित्रात्मक लिपि का प्रयोग किया गया है जिसे बूस्टॉफेदन भी कहा जाता है इस लिपि में 400 से 500 तक अक्षर थे इनमें अंग्रेजी के U अक्षर का चित्र तथा मछली की आकृति का चित्र बना हुआ है
ब्राह्मी लिपि L TO R
खरोष्ठी लिपि R TO L
अन्य स्थल
1 नोसारो
पाकिस्तान के नोसारों नामक स्थान से महिला मरण मूर्तियां प्राप्त हुई है जिनकी मांग में सिंदूर भरा हुआ है
2 बालाकोट
पाकिस्तान में स्थित यह एक बंदरगाह स्थल था जो कि शिप उद्योग के लिए प्रसिद्ध था
3 सुत्कागेंडोर
पाकिस्तान में बंदरगाह नगर स्थित
4 रोपड़
पंजाब में सतलज नदी के किनारे विकसित इस स्थल की खोज 1953 में यज्ञ दत्त शर्मा के द्वारा की गई
रोपड़ से मनुष्य के साथ पालतू कुत्ते का दफनाने के साक्ष्य मिले हैं
5 सुरकोटड़ा
1964 में जगपति जोशी के द्वारा इस स्थान की खोज की गई यहां से घोड़े की अस्थियों के साक्ष्य मिले हैं
चन्हूदड़ो व् धोलावीरा सभ्यता
यदि हमारी पोस्ट आप को पसंद आती हें तो हमारा फेसबुक पेज लिखे जरुर करे धन्यवाद