आज १४ अप्रैल २०२१ को १३० वी जयंती मनाई जा रही है। इस वर्ष कुल 102 देशों में डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती को मनाया गया था। … डॉ भीमराव अंबेडकर को बाबा साहेब नाम से भी जाना जाता है। डॉ भीमराव अंबेडकर जी उनमें से एक है जिन्होंने भारत के संविधान को बनाने में अपना अहम योगदान दिया था।
डॉ भीमराव अंबेडकर
भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म 14अप्रैल 1891 को इंदौर के पास महू छावनी में महार जाति में हुआ उनके बचपन का नाम भीम सकपाल था। आंबेडकर विपुल प्रतिभा के छात्र थे।
उपनाम-
- आधुनिक भारत के मनु
- संविधान के पितामह
- भारतीय संविधान के शिल्पकार
- दलितों के मसीहा
- बाबासाहेब
- हिंदू समाज का लिंकन व मार्टिन लूथर
बड़ौदा के गायकवाड राजा की स्कॉलरशिप पर अमेरिका उस दिन के लिए गए थे। कोलंबिया विश्वविद्यालय में अपने सो वर्षों के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी डॉ भीमराव अंबेडकर घोषित किया है। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त की
मराठा राजा साहू चतुर्थ की छात्रवृत्ति पर इंग्लैंड वकालत की पढ़ाई करने गए थे।
अंबेडकर ने बहिष्कृत भारत नामक समाचार पत्र प्रकाशित किया था। डॉ भीमराव अंबेडकर ने 1927 के वर्ष महाराष्ट्र के सार्वजनिक पेयजल के स्रोतों के लिए महाद आंदोलन संगठित किया था। डॉ भीमराव अंबेडकर ने लंदन में आयोजित तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया।
तत्कालीन अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रुप में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉक्टर आंबेडकर को विधि मंत्री नियुक्त किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने 20 जुलाई 1924 को मुंबई में बहिष्कृत हितकारिणी सभा तथा 1930 में अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ की स्थापना की।
डॉ भीमराव अंबेडकर ने मुंबई में अत्यंज संघ की स्थापना की। डॉ भीमराव अंबेडकर की आत्मकथा वेटिंग फॉर वीजा थी।
डॉ भीमराव अंबेडकर के विशेष कथन-
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार संविधान का हृदय एवं आत्मा है।
- जब तक जातियां रहेंगी तब तक निर्वासित भी रहेंगे।
आंबेडकर को बचपन से गौतम बुद्ध की शिक्षाओं ने प्रभावित किया था। 1956 में उन्होंनेबौद्ध धर्म अपना लिया। आंबेडकर का देहांत 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।
छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष:-
भारत सरकार अधिनियम 1919, तैयार कर रही साउथ बोरोह समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर अम्बेडकर को गवाही देने के लिये आमंत्रित किया गया इस सुनवाई के दौरान, अम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका(separate electorates) और आरक्षण देने की वकालत की।
1927 तक, अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के खिलाफ सक्रिय आंदोलन शुरू करने का फैसला किया था।
पूना संधि
अब तक अम्बेडकर आज तक की सबसे बडी़ अछूत राजनीतिक हस्ती बन चुके थे। उन्होंने मुख्यधारा के महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों की जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रति उनकी कथित उदासीनता की कटु आलोचना की। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और उसके नेता मोहनदास करमचंद गांधीकी आलोचना की
8 अगस्त,1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान डॉ॰ आंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा,
राजनीतिक जीवन:-
13 अक्टूबर 1935 को, अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त किया गया और इस पद पर उन्होने दो वर्ष तक कार्य किया।इसके चलते अंबेडकर बंबई में बस गये, उन्होने यहाँ एक बडे़ घर का निर्माण कराया
जिसमे उनके निजी पुस्तकालय मे 50000 से अधिक पुस्तकें थीं। 1936में, अम्बेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की, 1937 में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती 1941और 1945 के बीच में उन्होंने बड़ी संख्या में अत्यधिक विवादास्पद पुस्तकें और पर्चे प्रकाशित किये
जिनमे ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’भी शामिल है,15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व मे आई तो उसने अम्बेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया,
29 अगस्त 1947 को, अम्बेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।
भारतीय रिजर्व बैंक:-
आंबेडकर को एक अर्थशास्त्री के तौर पर प्रशिक्षित किया गया था, और 1921 तक एक पेशेवर अर्थशास्त्री बन चूके थे।जब वह एक राजनीतिक नेता बन गए तो उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन विद्वत्वापूर्ण पुस्तकें लिखीं:
- अॅडमिनिस्ट्रेशन अँड फायनान्स ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी
- द इव्हॅल्युएशन ऑफ प्रॉव्हिन्शियल फायनान्स इन् ब्रिटिश इंडिआ
- द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन
सन् 1950 के दशक में डॉ भीमराव अंबेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओंव विद्वानों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका(तब सीलोन) गये