नीति आयोग में कुल कितने सदस्य होते हैं?
नीति आयोग की संरचना में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, 5 पूर्णकालिक सदस्य, 2 अंशकालिक सदस्यों (अग्रणी विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संगठनों से जुड़े लोग) शामिल होते हैं. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 4 पदेन सदस्य भी होते हैं।
नीति आयोग का क्या कार्य है?
नीति आयोग सरकार का प्रमुख नीति ‘प्रबुद्ध मंडल / थिंक टैंक’ है जो कि भारत सरकार को दिशात्मक और नीतिगत जानकारियाँ प्रदान करता हैं। रणनीतिक निर्णय करते समय और दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों की रचना करते समय नीति आयोग विभिन्न प्रकार की प्रासंगिक तकनीकी सलाह भी प्रदान करता है।
नीति आयोग
नीति आयोग
समकालीन आर्थिक परिवेश से समन्वय स्थापित करने तथा बाजार केंद्रित अर्थव्यवस्था के प्रति संवेदनशील संबंधी आवश्यकता को देखते हुए भारत सरकार द्वारा नीति आयोग की गठन की घोषणा 1 जनवरी 2015 को की गई।
नीति आयोग का पूरा नाम- नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया ( National Institute for Transforming India )
योजना आयोग की प्रासंगिकता पर समय-समय पर प्रश्न उठते रहें क्योंकि पुरानी सोवियत मॉडल पर आधारित योजना आयोग द्वारा वर्तमान आर्थिक समृद्धि से सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा था। इसी कारण नीति आयोग को अपनाया गया।
उद्देश्य ( An objective )
- 1⃣ राज्यों के सहयोग द्वारा तथा उनको सहयोग प्रदान करके एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करेगा।
- 2⃣ नीति आयोग द्वारा जन सहभागिता की अवधारणा को सशक्त करके सहकारी संघवाद की संकल्पना को अधिक मजबूत करना।
- 3⃣ नीति_आयोग राष्ट्रीय विकास की योजनाओं और नीतियों का इस प्रकार निर्धारण करेगा जिससेे राष्ट्रीय सुरक्षा आर्थिक विकास के बीच संबंध स्थापित किया जा सके।
- 4⃣ प्रत्येक राज्य तथा उस राज्य के लोगों की सामाजिक आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर नीति_आयोग अपने आर्थिक नीतियों का निर्धारण इस प्रकार करेगा कि उस राज्य के प्रति वर्ग के हित सुनिश्चित हो सकें. ..
- 5⃣ लघु अवधि के साथ-साथ नीति_आयोग दीर्घावधि के लिए भी नीतियों और योजनाओं का निर्धारण करेगा जिससे कि भविष्य के लिए आर्थिक हितों को सुनिश्चित किया जा सके।
- 6⃣ निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ तथा अन्य अंशकालिक सदस्यों की सहभागिता द्वारा नीति_आयोग की संघीय ढांचे की परिकल्पना को मजबूत करेगा।
प्रशासनिक ढाँचा
नीति_आयोग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी।इस आयोग के लिए एक उपाध्यक्ष की व्यवस्था भी की गई अरविंद पनगढ़िया को इस आयोग का प्रथम उपाध्यक्ष बनाया गया।
नीति आयोग का प्रशासनिक ढांचा
- अध्यक्ष- प्रधानमंत्री
- उपाध्यक्ष- डॉ राजीव कुमार
- प्रथम उपाध्यक्ष- अरविंद पनगढ़िया
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)- अमिताभ कांत
विशेष सदस्य
- ▶नितिन गडकरी
- ▶थावरचंद गहलोत
- ▶स्मृति ईरानी
पूर्णकालिक सदस्य
- ▶विनोद पाल
- रमेश चंद्र
- ▶वी के सारस्वत
पदेन सदस्य
- ▶अमित शाह
- निर्मला सीतारमण
- ▶नरेंद्र सिंह तोमर
- राजनाथ सिंह
प्रधानमंत्री
सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल/प्रशासक विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ( प्रधानमंत्री द्वारा नामित) प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किए जाएगा। इसकी संख्या 5 होगी। दो पदेन सदस्य तथा विश्वविद्यालयों की शिक्षक क्रम के अनुसार 4 केंद्रीय मंत्री केंद्र के सचिव स्तर का अधिकारी जिसे निश्चित काल के लिए नियुक्त किया जाएगा।
नीति_आयोग की भूमिका राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों को आवश्यक रणनीति तथा तकनीकी परामर्श देने की होगी अर्थात् नीति_आयोग एक परामर्शदात्री संस्था है। नीति आयोग के गठन से पहले सभी मंत्रालयों के बजट प्रस्ताव योजना आयोग को प्रेषित किए जाते थे। किंतु यह अधिकार अब सीधे मंत्रालय के पास आ गए हैं।
देश के प्रत्येक राज्य की आर्थिक आवश्यकताएं अलग-अलग है प्रत्येक राज्य के लिए उसकी आवश्यकता के अनुरूप नीतियों का निर्माण किया जाएगा जबकि योजना आयोग एक जैसी नीतियों को संपूर्ण देश में लागू करता रहा है। नीति_आयोग केंद्र राज्य संबंधों को और मजबूत करेगा इसके लिए नीति आयोग के अंतर्गत एक नवीन परिषद नामक विभाग की स्थापना की जाएगी।
यह परिषद अंतर राज्य परिषद की तरफ भूमिका निभाएगी। लंबे समय की योजनाओं के निर्माण तथा उनकी निगरानी हेतु नीति_आयोग के तहत एक नवीन विभाग का गठन किया जाएगा। यह विभागीय योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ उनके क्रियान्वयन हेतु दिशा निर्देश का प्रारूप तैयार करेगा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से जुड़ी प्रक्रियाओं के लिए भी एक तकनीकी संस्थान की स्थापना की जाएगी। यह संस्था जन सहभागिता और उनके लाभ की प्राप्ति के लिए उत्तरदायी होगी।
वर्तमान की समस्याओं और आवश्यकताओं के निर्धारण हेतु तथा भविष्य की संभावनाओं के प्रति दूरदर्शिता दिखाते हुए नीति आयोग अपनी नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण इस प्रकार करेगा कि वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के सामाजिक और आर्थिक लाभ सुनिश्चित किए जा सकें।।