पद के भेद / पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं – नमस्कार दोस्तों, आज हम यहां पर हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण भाग पद के भेद / पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं के बारे में विस्तार से जानने वाले है। मुख्य परीक्षाओं मे पद के विषय मे बहुत बार पूछा जाता है। यह टॉपिक आगामी परीक्षाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण है ! यहां पर हम पद को निम्न स्टेप्स में जानेंगे जो कि निम्न प्रकार से है !
- पद किसे कहते हैं? ( pad Kise Kahate Hain )
- पद के प्रकार ( pad ke Prakar )
- पद के उदाहरण ( Pad Ke udaharan )
पद के भेद / पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं
हिंदी व्याकरण में पद को पांच भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्न है:
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- अव्यय
पद के भेद जाने से पहले आइए सबसे पहले पद किसे कहते हैं इसके बारे में जानते हैं आगे आपको पद के भेद के बारे में पूरी डिटेल से जानकारी दी गई है ! इसलिए इस लेख को अंतत पढ़ें !
पद किसे कहते हैं? (Pad Kise Kahate hai )
पद हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है अर्थात शब्द का ही दूसरा अंग पद होता है या हम यह भी कह सकते हैं जब कोई सार्थक शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है, उसे पद कहते हैं।
उदाहरण ( पद )
- नरेश ने गाना गाया
प्रस्तुत पंक्ति में नरेश शब्द है और एक वाक्य में परिणत होता है, यह वाक्य अब पद बन जाता है। क्योंकि यह वाक्य के नियम का पालन करता है।
पद-परिचय की परिभाषा – Pad Parichay डेफिनिशन
जैसे हम अपना परिचय देते हैं, ठीक उसी प्रकार एक वाक्य में जितने शब्द होते हैं, उनका भी परिचय हुआ करता है। वाक्य में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक शब्द को पद कहते है तथा उन शब्दों के व्याकरणिक परिचय को पद-परिचय, पद-व्याख्या या पदान्वय कहते है।
व्याकरणिक परिचय से तात्पर्य है – वाक्य में उस पद की स्थिति बताना, उसका लिंग, वचन, कारक तथा अन्य पदों के साथ संबंध बताना।
उदाहरण
- नरेश ने संजू को पुस्तक दी
नरेश = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, ‘ने’के साथ कर्ता कारक, द्विकर्मक क्रिया ‘दी’के साथ।
संजू = संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
पुस्तक = संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्मकारक।
पद परिचय कैसे पहचानते है? –
सबसे पहले आपको संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण, अवधारक (निपात), संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक आदि के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
इसके बारे में संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गई है-
1 – अगर शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पक्षी, भाव, जाति आदि के बारे में बताता है, तो वह शब्द संज्ञा है।
2 – अगर शब्द किसी संज्ञा के स्थान पर शब्द का प्रयोग जैसे मेरा, मै, तुम, आपका, उस, वह आदि शब्द है, तो वह शब्द सर्वनाम है।
3 – अगर शब्द किसी वस्तु, स्थान, पशु, पक्षी आदि की विशेषता बताता है, अर्थात वह कैसा है – लंबा है, सुंदर है, डरावना है आदि, तो वह शब्द विशेषण है।
4 – अगर शब्द वाक्य में जो क्रिया है उसकी विशेषता बताता है, तो वह क्रिया विशेषण है। जैसे कि – क्रिया कब हो रही है (कल, अभी, दिनभर), क्रिया कैसे हो रही है (चुपचाप, अवश्य, तेजी से), क्रिया कहाँ हो रही है (अंदर, ऊपर, आसपास), क्रिया कितनी मात्रा में हो रही है (कम, पर्याप्त, ज्यादा)
5 – अगर शब्द किसी दो या अधिक संज्ञा और सर्वनाम के बीच का संबंध दर्शाता है, तो वह संबंधबोधक अव्यय है।
जैसे – के पास, के ऊपर, से दूर, के कारण, के लिए, की ओर।
6 – अगर शब्द किसी दो वाक्यों के बीच का संबंध दर्शाता है, तो वह समुच्चयबोधक अव्यय है।
जैसे – और, अतएव, इसलिए, लेकिन।
7 – अगर शब्द किसी विस्मय, हर्ष, घृणा, दुःख, पीड़ा आदि भावों को प्रकट करते है, तो वह विस्मयादिबोधक अव्यय है।
जैसे – अरे!, वाह!, अच्छा! आदि।
8 – अगर शब्द किसी बात पर ज्यादा भार दर्शाता है, तो वह निपात है।
जैसे – भी, तो, तक, केवल, ही।
उदाहरण के लिए कुछ वाक्य निचे दिए जा रहे हैं, जिनमें कुछ शब्द रेखांकित किए गए हैं। आपको इन रेखांकित पदों के पद परिचय दिया गया है।
1) आज समाज में विभीषणों की कमी नहीं है।
विभीषणों (देशद्रोहियों) – संज्ञा (जातिवाचक), बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक (कारक ‘की)
2) रात में देर तक बारिश होती रहीं।
देर तक – क्रिया-विशेषण (कालवाचक)
3) हर्षिता निबंध लिख रही है।
लिख रही है – क्रिया (संयुक्त), स्त्रीलिंग, एकवचन, धातु ‘लिख’, वर्तमान काल, क्रिया का कर्ता ‘हर्षिता’, क्रिया का कर्म ‘निबंध’
4) इस पुस्तक में अनेक चित्र है ।
अनेक – विशेषण (अनिश्चित संख्यावाचक), बहुवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘चित्र ‘
5) गांधीजी आजीवन मानवता की सेवा करते रहे ।
आजीवन – क्रिया-विशेषण (कालवाचक)
पद के प्रकार
हिंदी व्याकरण में पद को पांच भागों में विभाजित किया गया है, जो निम्न है:
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
- अव्यय
सर्वनाम
जिन शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु, स्थान, व्यक्ति आदि के नाम हो या संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया जाए, उसे सर्वनाम कहते हैं।
जैसे हम किसी व्यक्ति का नाम न लेकर उसे आप, तुम आदि कहकर संबोधित करते हैं।
सर्वनाम को 6 भागों में बाटा गया है, जो निम्न है:
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
- निश्रय वाचक सर्वनाम
- अनिश्रयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
सर्वनाम शब्द का पद परिचय
किसी सर्वनाम के पद परिचय निम्नलिखित बातों का उल्लेख करना होता है –
(1) सर्वनाम का प्रकार पुरुष सहित
(2) लिंग
(3) वचन
(4) कारक
(5) क्रिया के साथ सम्बन्ध आदि।
- यह उसकी वही कार है, जिसे कोई चुराकर ले गया था।
इस वाक्य में ‘यह, ‘उसकी, ‘जिसे, तथा ‘कोई’पद सर्वनाम है। इनका पद परिचय इस प्रकार होगा-
यह – निश्चयवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग, एक वचन, सम्बन्ध कारक, ‘कार’ संज्ञा शब्द से सम्बन्ध।
जिसे – सम्बन्धवाचक सर्वनाम, स्त्रीलिंग, एकवचन कर्मकारक, ‘चुराकर ले गया’ क्रिया का कर्म।
कोई – अनिश्चयवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिंग एकवचन, कर्ता कारक, ‘चुराकर ले गया’ क्रिया का कर्ता।
संज्ञा
संज्ञा की परिभाषा की बात करे तो किसी भी व्यक्ति, नाम, जाति, जगह, गुण, द्रव्य, धर्म आदि को संज्ञा कहा गया है।
संज्ञा के पांच प्रकार होते हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा: जो संज्ञा किसी विशेष वस्तु, स्थान, प्राणी आदि के नाम का बोध कराए, उसे हम व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जातिवाचक संज्ञा: किसी शब्द से किसी प्राणी, वस्तु की समस्त जाति का बोध हो, उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है।
भाववाचक संज्ञा: जो संज्ञा शब्द में किसी गुण, दोष, भाव या पदार्थ की अवस्था आदि चीजों का बोध कराए, भाववाचक संज्ञा कहलाती है।
समुदायवाचक संज्ञा: जब किसी संज्ञा के शब्द से व्यक्तिओं, वस्तुओं आदि की समूह का बोध हो, उसे समुदायवाचक संज्ञा कहा जाता है।
द्रव्यवाचक संज्ञा: वह संज्ञा जो पदार्थ की वस्तु जैसे द्रव्य, धातु आदि का बोध कराए, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा शब्द का पद परिचय
किसी भी संज्ञा पद के पद परिचय हेतु निम्न 5 बातें बतलानी होती है –
(1) संज्ञा का प्रकार
(2) उसका लिंग
(3) वचन
(4) कारक तथा
(5) उस शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध
संज्ञा शब्द का क्रिया के साथ सम्बन्ध ‘कारक’के अनुसार जाना जा सकता है।
राम पुस्तक पढ़ता है।
उक्त वाक्य में राम तथा ‘पुस्तक’शब्द संज्ञाएँ हैं। यहाँ इनका पद परिचय उक्त पाँचों बातों के अनुसार निम्नानुसार होगा –
राम – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एक वचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता है’क्रिया का कर्ता।
पुस्तक – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक, ‘पढ़ता है’क्रिया का कर्म।
क्रिया
शब्दो के माध्यम से किसी कार्य को करना या उसका बोध कराना ही क्रिया कहलाता है।
उदाहरण
- राधिका गाना गा रही है।
इस वाक्य में गा रही क्रिया है।
क्रिया दो प्रकार की होती है, जो निम्न है:
1. अकर्मक क्रिया
2. सकर्मक क्रिया
अकर्मक क्रिया: अकर्मक क्रिया वे क्रिया होती हैं, जिनमें क्रिया का फल कर्ता में पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
सकर्मक क्रिया: सकर्मक क्रिया वो क्रिया होती है, जिन वाक्य में क्रिया के साथ-साथ कर्म का होना भी बहुत जरूरी होता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
क्रिया शब्द का पद परिचय
क्रिया शब्द के पद परिचय में क्रिया का प्रकार, लिंग, वचन, वाच्य, काल तथा वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ सम्बन्ध को बतलाया जाता है।
राम ने रावण को मारा।
मारा – क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। ‘मारा’ क्रिया का कर्ता राम तथा कर्म रावण।
मैं सवेरे उठा।
उठा – क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य, भूतकाल। उठा क्रिया का कर्ता मैं, कर्म अन्वित।
विशेषण
जिन शब्दों द्वारा संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता अर्थात उनके गुण, दोष आदि का बोध हो, उसे विशेषण कहते हैं।
उदाहरण
- राज अच्छा लड़का है।
प्रस्तुत वाक्य में अच्छा उस व्यक्ति की विशेषता है।
विशेषण को पांच भागो में विभाजित किया गया है, जो निम्न है:
- गुणवाचक विशेषण
- परिणामवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
- व्यक्तिवाचक विशेषण
विशेषण शब्द का पद परिचय
किसी विशेषण शब्द के पद परिचय हेतु निम्न बातों का उल्लेख करना होता है-
(1) विशेषण का प्रकार
(2) अवस्था
(3) लिंग
(4) वचन
(5) विशेष्य व उसके साथ सम्बन्ध।
- वीर राम ने सब राक्षसों का वध कर दिया।
उक्त वाक्य में ‘वीर’तथा ‘सब शब्द विशेषण हैं, इनका पद-परिचय निम्नानुसार होगा –
वीर – गुणवाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, एकवचन, ‘राम’ विशेष्य के गुण का बोध कराता है।
सब – संख्यावाचक विशेषण, मूलावस्था, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘राक्षसों’ विशेष्य की संख्या का बोध कराता है।
अव्यय
अव्यय की परिभाषा के अनुसार शब्दों के रूप में लिंग वचन, कारक आदि के कारण उसमें कोई विकार उत्पन्न नहीं होता, उसे अव्यय कहते हैं।
जैसे: आना-जाना, इधर-उधर, धीरे-धीरे
अव्यय के पांच प्रकार होते हैं।
- क्रिया विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात अव्यय
अव्यय शब्द का पद परिचय
अव्यय शब्द चूंकि लिंग, वचन, कारक आदि से प्रभावित नहीं होता, अतः इनके पद परिचय में केवल अव्यय शब्द के प्रकार, उसकी विशेषता या सम्बन्ध ही बताया जाता है।
(1) क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण के भेद (रीतिवाचक, स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक) उस क्रिया का उल्लेख, जिसकी विशेषता बताई जा रही हो।
मैं भीतर बैठी थी और बच्चे धीरे-धीरे पढ़ रहे थे।
भीतर – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘बैठी’क्रिया के स्थान की विशेषता।
धीरे-धीरे – क्रियाविशेषण, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘पढ़ रहे थे’क्रिया की रीति की विशेषता।
(2) संबंधबोधक – संबंधबोधक के भेद, किस संज्ञा/सर्वनाम से संबंद्ध है।
कुरसी के नीचे बिल्ली बैठी है।
के नीचे – संबंधबोधक, ‘कुरसी’ और ‘बिल्ली’ इसके संबंधी शब्द हैं।
(3) समुच्चयबोधक – भेदों का उल्लेख, जुड़ने वाले पदों का उल्लेख।
तुम कॉपी और किताब ले लो लेकिन फाड़ना नहीं।
और – समुच्चयबोधक (समानाधिकरण) कॉपी-किताब शब्दों का संबंध करने वाला।
लेकिन – भेद दर्शक (विरोध-दर्शक) तुम…………ले लो तथा ‘फाड़ना नहीं इन दो वाक्यों को जोड़ता है।
(4) विस्मयादिबोधक – भेदों और भावों का उल्लेख।
वाह! कितना सुंदर बग़ीचा है। ठीक! मैं रोज़ आऊँगा।
वाह! – विस्मयादिबोधक, हर्ष – उल्लास
ठीक! – विस्मयादिबोधक, स्वीकार बोधक पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं
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संक्षेप में हमने क्या सीखा?
हमने यहां पर,पद के भेद / पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं पद किसे कहते हैं (Pad Kise Kahate Hain), पद की परिभाषा, पद के प्रकार आदि के बारे में विस्तार से पढ़ा है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह अच्छे से समझ आ गये होंगे, इन्हें आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।