मुगल साम्राज्य बाबर हुमायूँ
मुगल शब्द ग्रीक शब्द डवदह से बना है जिसका अर्थ है बहादुर, मुगल शासक पादशाह की उपाधि धारण करते थे। पाद का अर्थ है मूल और शाह का अर्थ है स्वामी अर्थात ऐसा शक्तिशाली राजा अथवा स्वामी जिसे अन्य कोई अपदस्थ नही कर सकता। मुगल राज्य का संस्थापक यद्यपि _बाबर माना जाता है परन्तु इसका वास्तविक संस्थापक वस्तुतः अकबर था।
मुग़ल साम्राज्य की शुरुवात 1526 में हुयी, जिसने 18 शताब्दी के शुरुवात तक भारतीय उप महाद्वीप में राज्य किया था।जो 19 वी शताब्दी के मध्य तक लगभग समाप्त हो गया था। मुग़ल साम्राज्य तुर्क-मंगोल पीढी के तैनुर वंशी थे।
मुग़ल साम्राज्य ( Mughal Empire ) ने 1700 के आसपास अपनी ताकत को बढ़ाते हुए भारतीय महाद्वीपों के लगभग सभी भागो को अपने साम्राज्य के निचे कर लिया था।
बाबर (1526-1530ई.)
बाबर
बाबर_भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक था_बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को मध्य एशिया के छोटे से गांव फरगाना (अफगानिस्तान में) में हुआ। जिसका पूरा नाम ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर था_बाबर का पिता उमर शेख मिर्जा फरगना का शासक था तथा उसकी मां का नाम कुतलुग निगार खानम था।
बाबर_पितृ पक्ष की ओर से तैमूर (तुर्क) का पांचवा वंशज था तथा मां की ओर से में चंगेज खां (मंगोल) का 14 वां वंशज था।
अतः बाबर_में तुर्को और मंगोलों दोनों के रक्त का मिश्रण था। परिवार चगताई तुर्क, परन्तु_बाबर अपने को मंगोल ही मानता था उसने अपनी आत्मकथा_बाबर नामा में लिखा है चूंकि वह माँ के ज्यादा करीब था इसीलिए उसे मंगोल के वंश से जोड़ा जाना चाहिए
उसने तुर्की मूल के चगताई वंश का शासन स्थापित किया। जिसका नाम चंगेज खां के द्वितीय पुत्र के नाम पर पड़ा।
बाबर_अपने पिता की मृत्यु के बाद 11 वर्ष की आयु में 1494 ईसवी में फरगना की गद्दी पर बैठा। 1496 ईस्वी में_बाबर ने समरकंद को जीतने का असफल प्रयास किया। समरकंद तैमूर की राजधानी थी।
1497 ईस्वी में बाबर_ने समरकंद को जीता लेकिन शीघ्र ही समरकंद व फरगना दोनों बाबर के हाथ से निकल गए। 1504ई में बाबर ने काबुल पर अधिकार कर लिया। 1507 ईस्वी में पूर्वजों द्वारा प्रयुक्त मिर्जा की उपाधि त्याग कर बादशाह की उपाधि धारण की।
बाबर ने 1511 में समरकंद के साथ बुखारा व खुरासान को जीता। किंतु मई 1512 ईसवी में कुल-ए-मलिक के युद्ध में ओबेदुल्ला खान से पराजित होने पर समरकंद बाबर के हाथों से पुणे निकल गया।
परन्तु अफगानिस्तान में वह अपने साम्राज्य को स्थायी न रख सका अतः उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। बाबर ने उस्ताद अली कुली नामक एक तुर्क तोपची को तोपखाने का अध्यक्ष बनाया। भारत में मुस्तफा खां नामक तोप विशेषज्ञ की सेवाएं ली।
भारत पर आक्रमण:–
बाबर ने भारत पर कुल पाँच आक्रमण किये इसका पांचवा आक्रमण पानीपत के युद्ध में परिवर्तित हो गया इन आक्रमणों का मूल उद्देश्य धन की प्राप्ति था।
- प्रथम आक्रमण (1519):- उत्तर पश्चिम में बाजौर और भेरा के दुर्ग पर।
- द्वितीय आक्रमण (1519)-पेशावर पर
- तृतीय आक्रमण (1520)-बाजौर और भेरा
- चतुर्थ आक्रमण (1524)-लाहौर पर
अपने चौथे अभियान के समय इसे पंजाब के सरदार दौलत खाँ लोदी का नियन्त्रण मिला। इसके अतिरिक्त इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ और कहा जाता है कि राणा सांगा का भी उसे निमन्त्रण प्राप्त हुआ।
फलस्वरूप वह अपने पांचवे अभियान के दौरान वह दिल्ली तक चढ़ आया इस प्रकार पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ।
1. पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526)
21 अप्रैल 1526 ईस्वी में बाबर तथा इब्राहिम लोदी के मध्य पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ था इस युद्ध में विजय प्राप्त करके बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी।
बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया उसके दो प्रसिद्ध तोपची उस्ताद अली और मुस्तफा थे। बाबर ने अपने विजय का श्रेय अपने दोनों तोपचियों को दिया और अपनी विजय के उपलक्ष में उसने काबूल निवासियों को एक-एक चाँदी के सिक्के उपहार में दिये इसी उदारता के कारण उसे कलन्दर की उपाधि दी गई।
2. खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527)
16 मार्च 1527 ईसवी में बाबर तथा राणा सांगा के मध्य खानवा (भरतपुर) का युद्ध हुआ राणा सांगा प्राप्त हुआ।
राणा सांगा की सेना इब्राहिम लोदी से अधिक शक्तिशाली थी। बाबर के सैनिक राणा सांगा की सेना देखकर भयभीत हो गये। सैनिकों के उत्साह को बढ़ाने के लिए उसने शराब पीने और बेंचने पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
मुसलमानों से तमगा कर न लेने की घोषणा की तथा जेहाद का नारा दिया। इस युद्ध को बाबर ने (जिहाद) धर्म युद्ध की संज्ञा दी। युद्ध में जीतने के बाद उसने गाजी की उपाधि धारण की। राणा सांगा के सामन्तों ने ही उसे जहर दे दिया। भारत में मुगल प्रभु सत्ता की स्थापना खानवा के युद्ध से ही मानी जाती है।
3. चन्देरी का युद्ध (29 जनवरी 1528):-
28 जनवरी 1528 को बाबर व मारवाड़ के शासक मेदिनीराय के मध्य चंदेरी का युद्ध हुआ। युद्ध में बाबर विजय हुआ।
4. घाघरा का युद्ध (6 मई 1529):-
6 मई 1529 ईस्वी में महमूद लोदी और नुसरत शाह की संयुक्त सेना में बाबर के बीच घाघरा का युद्ध लड़ा गया बाबर विजय हुआ।
बाबर_आगरा में बीमार पड़ा तथा 27 दिसम्बर 1530 ई0 को आगरा में ही उसकी मृत्यु हो गई। उसके शव को आगरा के आराम बाग में रखा गया जिसे बाद में ले जाकर काबुल में दफना दिया गया। बाबर का मकबरा काबुल में है जिससे उसके पुत्र हुमायूं ने बनवाया था। बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी।
बाबर_ने फारसी भाषा में कविताओं का संग्रह लिखा जिससे मुबाईयां कहा जाता है। बाबर को ’मुबइयान’ नामक पद्य शैली का भी जन्मदाता माना जाता है। बाबर बहुत बड़ा दानी था इसलिए उसे कलंदर कहा जाता है। बाबर ने मुसलमानों को तमगा नामक कर से मुक्त किया।
बाबर_का अन्य उपलब्धियां:-
- बाबर_संस्कृत लैटिन, फारसी, तुर्की, भाषाओं का ज्ञाता था।
- उसने अपनी आत्मकथा, बाबर नामा चगुताई तुर्क में लिखी, इस पुस्तक का सर्वप्रथम फारसी में अनुवाद अब्दुल रहीम खान खाना ने किया।
- इसका सर्वप्रथम अंग्रेजी में अनुवाद 1826 ई0 में लीडेन एवं एर्सकिन ने किया।
- इसका पुनः अंग्रेजी में अनुवाद फारसी भाषा से 1905 मिसेज बेवरीज ने किया।
Mughal Period-Babur Important Question-
- मुगल किसके वंश से संबंधित थे – तुर्की के चुगताई वंश
- बाबर_के वंशजों की राजधानी कहां थी –समरकंद
- बाबर_ने काबुल पर कब कब्जा किया –1504 ई.
- बाबर_ने बादशाह की उपाधि कब धारण की –1507 ई.
- मुगल वंश की नींव किसने रखी –बाबर
- मुगलवंश की नींव रखने से पहले बाबर कहां का शासक था –फरगना
- बाबर_का पूरा नाम क्या था -जहीरुद्दीन बाबर
- बाबर का जन्म कब और कहां हुआ था-24 फरवरी 1483 ई. में फरगना में ।
- बाबर_भारत पर पहला आक्रमण किसे विरुद्ध किया था –युसुफजाइयों के विरुद्ध (1519 ई.)
- बाबर_का पहला महत्वपूर्ण आक्रमण कब माना जाता है –1526 ई.
- बाबर_के पिता का क्या नाम था –उमरशेख मिर्जा
- कुतलुगनिगार खानम किसकी माता का नाम था –बाबर
- पानीपथ की पहली लड़ाई किसके बीच हुई थी -इब्राहिम लोदी और बाबर
- पानीपथ की पहली लड़ाई कब लड़ी गई -1526 ई.
- इब्राहिम लोदी को हराकर बाबर ने किस वंश की नींव रखी -मुगल
- खानवा का युद्ध कब और किसके बीच हुआ –1527 ई. में राणा सांगा और बाबर के बीच ।
- बाबर और मेदिनीराय के बीच हुआ युद्ध किस नाम से जाना जाता है –चंदेरी का युद्ध (1528ई.)
- घाघरा के युद्ध में बाबर ने किसे पराजित किया था –महमूद लोदी (इब्राहिम लोदी का भाई)
- बाबर ने किस भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी –तुर्की
- बाबर की आत्मकथा को किस नाम से जाना जाता है –तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा)
- किस युद्ध में बाबर ने तोपखाना का इस्तेमाल किया था –पानीपथ का प्रथम युद्ध
- बाबर ने युद्ध की कौन सी नई नीति अपनाई –तुलुगमा
- उस्ताद अली और मुस्तफा बाबर के क्या थे –तोपची
- बाबर की मृत्यु कहां हुई –आगरा ।
- उदारता के कारण बाबर को किस नाम से जाना जाता है –कलंदर
- बाबर के अलावा कौन से मुगल शासक के मकबरे भारत से बाहर बने हैं –जहांगीर और बहादुरशाह जफर
हुमायूँ (1530-56)
हुमायूँ
- माँ का नाम:- माहिम बेगम
- जन्म:- काबुल में
- बाबर के चार पुत्र थे हुमायूँ, कामरान, अस्करी एवं हिन्दाल।
हुमायूँ ने कामरान को काबुल, कान्धार एवं पंजाब की सुबेदारी की। अस्करी को सम्हल की एवं हिन्दाल को अलवर की सुबेदारी प्रदान की।
हुमायूँ की विजयें
1. कालिंजर अभियान:- 1531 यहाँ के शासक प्रताप रुद्र देव ने हुमायूँ से सन्धि कर ली।
2. दोराहा का युद्ध (1532):- लखनऊ के पास सई नदी के किनारे हुआ और महमूद लोदी के बीच, महमूद लोदी पराजित हुआ।
3. चुनार का युद्ध (1532):- चुनार शेरखाँ के कब्जे में था। हुमायूँ ने शेरखाँ को पराजित किया अन्ततः दोनों के बीच एक समझौता हो गया।
शेर खाँ ने अपने पुत्र कुतुब खाँ को हुमायूँ के पास रखना स्वीकार कर लिया परन्तु शेरखाँ की शक्ति को न कुचलना हुमायूँ की बहुत बड़ी भूल थी।
अपनी इस विजय की खुशी में हुमायूँ ने 1533 ई0 में दिल्ली में दीन पनाह नामक नगर बसाया और अपनी राजधानी वहीं स्थानान्तरित कर ली।
4. गुजरात से युद्ध (1535-1536):- इस समय गुजरात का शासक बहादुर शाह था। उसने मालवा को अपने अधिकार में कर लिया तथा 1534 ई0 में चित्तौड़ के शासक विक्रमादित्य पर अभियान किया।
एक क्विंदन्ती के अनुसार विक्रमादित्य की माता कर्णवती ने हुमायूँ के पास अपने राज्य की सुरक्षा के लिए राखी भेजा। बहादुर शाह के पास टर्की का एक कुशल तोपची रुमी खाँ की सेवाएं थी।
बहादुर शाह और हुमायूँ के बीच के युद्ध में बहादुर शाह पराजित हुआ और भागकर माण्डू चला गया। बाद में बहादुर शाह की मृत्यु समुद्र में डूबने से हो गई।
5. शेरखाँ से युद्ध
- 1. चौसा का युद्ध (26 जून 1539):- गंगा नदी के तट पर चौसा नामक स्थान पर हुमायूँ और शेरशाह के बीच युद्ध हुआ। निजाम नामक भिश्ती की सहायता से किसी तरह हुमायूँ की जान बच पाई शेरखाँ ने अपनी इस विजय के उपलक्ष्य में शेर शाह की उपाधि धारण की।
- 2. बिलग्राम का युद्ध, अथवा कन्नौज या गंगा का युद्ध (17 मई 1540):- युद्ध में हुमायूँ शेरशाह से अन्तिम रूप से पराजित हो गया।शेरशाह ने आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया। हुमायूँ भागकर सिन्ध पहुँचा जहाँ वह 15 वर्षों तक रहा। यहीं पर उसने हमीदा बेगम से निकाह किया जिससे अकबर उत्पन्न हुआ। सिन्ध से हुमायूँ काबुल चला गया और उसे अपनी अस्थायी राजधानी बनाया।
हुमायूँ द्वारा पुनः गद्दी की प्राप्ति:- हुमायूँ ने 1555 ई0 में लाहौर पर कब्जा कर लिया उसके बाद अफगानों से उसका मच्छीवारा का प्रसिद्ध युद्ध हुआ।
मच्छीवारा का युद्ध (15 मई 1555 ई0):- यह स्थान सतलज नदी के किनारे स्थित था, हुमायूँ एवं अफगान सरदार नसीब खाँ के बीच युद्ध हुआ। सम्पूर्ण पंजाब मुगलों के अधीन आ गया।
सरहिन्द का युद्ध (22 जून 1555):- अफगान सेनापति सुल्तान सिकन्दर सूर एवं मुगल सेनापति बैरम खाँ के बीच युद्ध। मुगलों को विजय प्राप्ति हुई। इस प्रकार 23 जुलाई 1555 ई0 को हुमायूँ दिल्ली की गद्दी पर पुनः आसीन हुआ।
जनवरी 1556 ई0 में दीनपनाह भवन में अपने पुस्तकालय की सीढियों से गिरने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
लेनपूल ने लिखा है ’’वैसे हुमायूँ का अर्थ है भाग्यवान परन्तु वह जिन्दगी भर लड़खड़ाता रहा और लड़खड़ाते ही उसकी मृत्यु हो गई’’
हुमायूँ की असफलता के कारण:-
हुमायूँ की असफलता का मूल कारण उसकी चारित्रिक दुर्बलता थी हलांकि प्रसिद्ध इतिहासकार डाॅ0 सतीस चन्द्र अफगानों की शक्ति का सही आकलन न कर पाना उसके पतन का प्रमुख कारण मानते है।
अन्य उपलब्धियां
- हुमायूँ_ज्योतिष में बहुत विश्वास करता था इसीलिए उसने सप्ताह के सातों दिन सात रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाये-जैसे-शनिवार को काला, रविवार को पीला एवं सोमवार को सफेद।
- हुमायूँ_समकालीन सूफीसन्त शेख मुहम्मद गौस ( सत्तारी सिलसिला का शिष्य था ) यह उनके बड़े भाई शेख बहलोल का भी शिष्य था।
- हुमायूँ को ही भारत में चित्रकला की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। इसने अपनी अस्थायी राजधानी काबुल में फारस के दो चित्रकारों मीर सैय्यद अली एवं ख्वाजा अब्दुल समद को आमन्त्रित किया बाद में इन्हें अपने साथ भारत ले आया।
- फारसी में इसका काब्य संग्रह दीवान नाम से जाना जाता है।