भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
आइए आज इस टॉपिक पर चर्चा करेंगे महात्मा गांधी का राष्ट्रीय आंदोलन में क्या क्या योगदान रहा और गांधीजी ने कौन कौन से आंदोलन किए व व किन किन आंदोलनों में भाग लिया और इस आंदोलन से क्या क्या प्रभाव पड़ा इसको आज अच्छे से जानेंगे ! सबसे पहले महात्मा गांधी जी की जीवनी के बारे में जानेंगे !
महात्मा गांधी की जीवनी ( Mahatma Gandhi Biography )
भारतीय राष्ट्रीयआंदोलन
आइए हम आपको महात्मा गांधी के बारे में कुछ जानकारियां सांझा करते हैं जोकि निम्न प्रकार से हैं !
- नाम – मोहनदास करमचंद गांधी
- पिता का नाम – करमचंद गांधी
- माता का नाम – पुतलीबाई
- जन्म – 2 अक्टूबर, 1869
- जन्म स्थान – गुजरात के पोरबंदर में
- राष्ट्रीयता – भारतीय
- शिक्षा – बैरिस्टर
- पत्नी – कस्तूरबाई मखजी कपाड़िया (कस्तूरबा गांधी)
- संतान – चार पुत्र – हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
- जातीयता – गुजराती
- राजनीतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- मृत्यु – 30 जनवरी, 1948
भारतीयराष्ट्रीयआंदोलन में महात्मा गांधी का योगदान या भूमिका
आइए अब राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका और योगदान के बारे में जानेंगे विस्तार से जोकि निम्न प्रकार से हैं :-
- 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से अरेविया नामक जहाज से मुंबई के अपोलो बंदरगाह पर आए थे ! इस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था (1914-1918)
- महात्मा गांधी ने भारत के युवाओं को अंग्रेजी सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया था ! इसलिए ब्रिटिश सरकार ने गांधी जी को केसर -ए -हिंद की उपाधि प्रदान की !
- भारतीयों ने गांधीजी का विरोध किया गांधी जी को अंग्रेजों का सार्जेंट (सेना में भर्ती करने वाला) कहा !
- 1915 में ही गांधी जी ने जीवन लाल देसाई के द्वारा गुजरात के अहमदाबाद जिले में साबरमती नदी के तट पर कोचराव नामक बंगले में एक आश्रम स्थापित किया इसे सत्याग्रह आश्रम नाम दिया गया था !
- 1917 में गुजरात के व्यवसायी अंबालाल साराभाई ने इस आश्रम की आसपास की भूमि खरीदकर गांधी को भेंट दी तथा इसे साबरमती आश्रम नाम दिया गया !
- 1930 में गांधी जी ने जब सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया था तब इसे अंतिम रूप से छोड़ दिया था !
- चार्ल्स कोरियन को इस आश्रम का वास्तुकार माना जाता है !
- 1916 में गांधी जी ने मदन मोहन मालवीय के द्वारा स्थापित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में भाग लिया था !
- 1916 में कांग्रेस का अधिवेशन लखनऊ में अंबिका चरण मजमुदार की अध्यक्षता में आयोजित हुआ !
- नरम दल और गरम दल तिलक व एनीबेसेंट के प्रयासों से एक हो गए !
- कांग्रेस के सदस्य जिन्ना के प्रयासों से कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन प्रणाली की मांग को मान लिया ! इसी को रमेशचंद्र मजमुदार ने कांग्रेस की प्रथम भूल कहां है !
- इसी अधिवेशन में राजकुमार शुक्ल ने गांधी से मुलाकात की वह बिहार के चंपारण जिले के प्रचलित नील की तिनकठिया खेती के बारे में बताया फिर महात्मा गांधी 1917 में चंपारण गए !
गांधीजी के प्रमुख आंदोलन
गांधी जी के प्रमुख आंदोलन निम्न प्रकार से हैं :-
- चंपारण आंदोलन
- खेड़ा आंदोलन
- अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन
- रोलेट सत्याग्रह आंदोलन
- खिलाफत आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- साइमन कमीशन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
- कैबिनेट मिशन
भारतीय राष्ट्रीयआंदोलन में गांधी जी के यह आंदोलन बहुत ही महत्वपूर्ण थे गांधीजी का इन आंदोलनों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है अब हम इन आंदोलनों के बारे में विस्तार से जानेंगे कि गांधी जी की क्या क्या भूमिका रही है आइए देखते हैं :-
चंपारण किसान आंदोलन
- चंपारण में अंग्रेज व्यापारी किसानों के खेत को 20 भागों में बांटते थे। जिनमें से तीन भागों में नील की खेती करवाई जाती थी बाकी पूरी भूमि को परती छोड़ दिया जाता है ताकि भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहे । इसके लिए अंग्रेज व्यापारी किसानों को अग्रिम भुगतान भी करते थे परंतु इस समय जर्मनी में रासायनिक रंग बना लिए थे ! यूरोप में भारतीय नील की मांग में कमी आ गई इसलिए दिए गए अग्रिम भुगतान को ब्याज सहित वसूल किया जा रहा है !
- लगातार नील की खेती करने से भूमि बंजर हो चुकी थी अतः किसान इस भुगतान को देने में असमर्थ था।
- चंपारण के जिला कलेक्टर (W.B Hitchcoke) ने गांधी के चंपारण प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- गांधीजी के जाने पर उन्हें मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया था ! और उसे चंपारण की जेल में रखा गया था।
- गांधी जी ने सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग इसी आंदोलन में किया था !
- सत्याग्रह का अर्थ : – सत्याग्रह का अर्थ अहिंसात्मक तरीके से सरकार के समक्ष अपनी मांग प्रस्तुत करना होता है इसे सत्याग्रह नाम भूलाभाई देसाई के द्वारा दिया गया ।
- इस आंदोलन में गांधी को निम्न लोगों के द्वारा सहयोग दिया गया जो कि निम्न है:-
- अनुराग नारायण सिन्हा
- ब्रजकिशोर शर्मा
- जे पी कृपलानी
- पंडित जवाहरलाल नेहरू
- अंग्रेज व्यापारियों ने गलत तरीके से वसूली की गई 25% राशि किसानों को वापस लौटा दी थी !
- इस आंदोलन की सफलता के बाद रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी की उपाधि प्रदान की।
- जूनीपत ब्राउन ने इस आंदोलन का उल्लेख अपनी पुस्तक Arising the power of Gandhi मैं की है !
खेड़ा किसान आंदोलन
- खेड़ा (गुजरात) की सूरत जिले की तहसील थी ।
- 1917-18 के वर्ष में यहां अकाल पड़ा था ! इसके बावजूद लगान में वृद्धि की गई जबकि अकाल संहिता के तहत 3/4 फसल नष्ट होने पर पूरा लगान माफ कर दिया जाता था ।
- इस आंदोलन में वल्लभ भाई पटेल ने गांधी को सहयोग दिया।
- 23 मार्च 1918 को सरकार ने एक आदेश लागू किया की किसानों से समर्थ लगान वसूल किया जाएगा
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन
- प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में महंगाई बढ़ चुकी थी अतः मजदूर वेतन में 50% वृद्धि की मांग कर रहे थे जबकि मिल मालिक 20% वेतन वृद्धि को राजी थे।
- जब मजदूरों का प्लेग बोनस बंद किया गया तब मजदूरों ने अनसूइया बेग पटेल से मुलाकात की जिन्होंने गांधी को बुलाया।
- 15 March 1918 को गांधी अनशन पर बैठ गए तब मिल मालिकों ने समझौता करके 35% वेतन वृद्धि की।
रोलेट सत्याग्रह आंदोलन
- प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों में तेजी आई
- रासबिहारी बोस के पूरे भारत में सशस्त्र क्रांति की योजना भी बनाई गई। हालांकि असफल होने पर रासबिहारी बोस जापान चले गए।
- 1917 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड के किगजू न्यायालय के न्यायाधीश सिडनी रोलैंड की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसने मार्च 1919 को रोलेट एक्ट लागू किया।
- इसमें प्रावधान था कि अगर किसी व्यक्ति पर सरकार विरोधी होने का संदेह हो तो बिना न्यायालय में पेश किए उसे अधिकतम 2 वर्ष तक हिरासत में रख सकते थे। इसे काला कानून कहा गया।
- संभवत मोतीलाल नेहरू ने इसे बिना अपील बिना दलील और बिना वकील का कानून कहां ।
- गांधीजी ने इसके विरोध के लिए रौलट सत्याग्रह समिति बनाई इसमें एनीबेसेंट सदस्य थी परंतु बाद में गांधी की विचारधारा से असहमत होकर इस समिति से अलग हुई और गांधी जी को छोटा राजनीतिक बच्चा कहां।
- 9 अप्रैल 1919 को पंजाब के दो क्रांतिकारी डॉ सत्यपाल व सैफुद्दीन किचलू पंजाब की सीमा पर गिरफ्तार करके अमृतसर की जेल में रखा।
- 10 अप्रैल 1919 को पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर माइक ओ डायर ने पंजाब में धारा 144 लगा दी व पंजाब का प्रशासन सेना को सौंपा दिया।
- 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी का त्यौहार गांव से लोग अमृतसर आए हुए
- इन दोनों की गिरफ्तारी के विरोध में एक ही स्थान पर इकट्ठा हुए जिसे जलियावालाबाग कहा जाता है
- यहां पहुंचकर राबर्ट इनफील्ड हेनरी डायर नामक सैन्य अधिकारी के आदेश से गोलीबारी की गई।
- इस हत्याकांड के विरोध में टैगोर ने नाइटहुड की उपाधि लौटा दी
- वायसराय चेम्सफोर्ड की कार्यकारिणी परिषद के भारतीय सदस्य शंकरन नायर ने इस्तीफा दे दिया था।
- सरकार ने इस हत्याकांड को जांच के लिए 8 सदस्यों वाली हंटर कमेटी बनाई इसमें तीन भारतीय थे इनके निम्न नाम है:-
- चिमनलाल शीत सितउवाड
- शायबजादा सुल्तान अहमद
- जगत नारायण
- हंटर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 379 व्यक्ति इस हत्याकांड में मारे गए।
- कांग्रेस ने मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में तहकीकात कमेटी बनाई।
- इस कमेटी के अन्य सदस्य थे :-
- मोतीलाल नेहरू
- चितरंजन दास
- महात्मा गांधी
- गांधीजी ने हंटर कमेटी की रिपोर्ट को पन्ने दर पन्ने लीपापोती कहा।
- इन रिपोर्ट के अनुसार 1000 से भी ज्यादा व्यक्ति हत्याकांड में मारे गए।
खिलाफत आंदोलन
- प्रथम विश्व युद्ध के विजेता राष्ट्र इंग्लैंड ने पराजित राष्ट्र तुर्की के विवाह जन का निर्णय लिया।
- तुर्की के सुल्तान को पूरे विश्व के मुसलमान खलीफा के समान मानते थे।
- इस समय सुल्तान मोहम्मद चतुर्थ थे।
- मुसलमानों ने इस निर्णय के कारण आक्रोश उत्पन्न हो गया तथा गांधी ने इसे पिछले 100 सालों में आया हुआ हिंदू व मुसलमानों की एकता का स्वर्णिम अवसर कहा था।
- भारत में यह आंदोलन मोहम्मद अली व शौकत अली दो भाइयों के द्वारा चलाया गया।
- 17 अक्टूबर 1919 को भारत में खिलाफत दिवस मनाया गया।
- 24 नवंबर 1919 को दिल्ली में अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी की बैठक आयोजित की गई।
- डॉक्टर अंसारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अंग्रेजी सरकार से बातचीत के लिए लंदन भेजा गया।
- मार्च 1920 में खिलाफत कमेटी की बैठक इलाहाबाद में आयोजित की गई। इसमें असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया।
- 1 अगस्त 1920 इसकी तिथि निश्चित की गई परंतु इसी दिन तिलक की मृत्यु हो गई अत: इसे कुछ दिनों के लिए स्थगित किया गया।
- परंतु 20 अगस्त 1920 को इंग्लैंड व तुर्की के मध्य सेवरस (फ्रांस) की संधि हो गई
- तुर्की में कमाल पाशा ने सरकार गठित की और इसने सुल्तान के पद को ही समाप्त कर दिया इस कारण से भारत में आंदोलन समाप्त हो गया।
- कमाल पाशा को अतातुर्क अर्थात तुर्कों का पिता कहते हैं।
- जिन्ना ने इस आंदोलन में भाग नहीं लिया।
असहयोग आंदोलन
- गांधी के कहने पर कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया।
- सितंबर 1920 में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कोलकाता में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
- इसमें आंदोलन चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया
- इसके लेखक महात्मा गांधी थे।
- स्वयं गांधी ने इसका प्रस्ताव रखा था।
- चितरंजन दास ने इसका विरोध किया तथा मोतीलाल नेहरु के द्वारा गांधी का समर्थन किया गया।
- इस समय एनी बेसेंट, मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, शंकर नायर इत्यादि ने इस्तीफा दे दिया।
- दिसंबर 1920 में कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन नागपुर में राघवाचार्य की अध्यक्षता में आयोजित हुआ इसमें पारित प्रस्ताव की पुष्टि की गई।चितरंजन दास ने इसका प्रस्ताव रखा।
- इसके प्रस्ताव में लिखा है कि ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर सुशासन की बजाए इसे बाहर जाकर स्वराज्य की प्राप्ति द्वारा लक्ष्य हासिल करना सही है।
- गांधी ने केसर हिंद की उपाधि तथा ज़ुलु व बोहर पदक सरकार को लौटा दिए थे।
- सुभाष चंद्र बोस ने आईएएस के पद से त्यागपत्र दिया व कोलकाता के नेशनल कॉलेज के प्रिंसिपल बने।
- महिलाओं के द्वारा शराब की दुकानों में धरना प्रदर्शन किया गया यह एकमात्र ऐसा कार्य था जो इसके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था।
- वक्ताओं की दृष्टि से यह कांग्रेस का सबसे बड़ा अधिवेशन था।
- December 1920 में नागपुर अधिवेशन में ही कांग्रेस के दैनिक कार्यों के संचालन के लिए 15 सदस्यों वाली कार्य समिति का गठन किया गया इसको बनाने का पहला सुझाव तिलक में 1916 में लखनऊ अधिवेशन में दिया था।
- इसे सांप्रदायिक सोपान का आंदोलन माना गया।
- स्वामी श्रद्धानंद को मुसलमानों ने दिल्ली की जामा मस्जिद भाषण देने के लिए आमंत्रित किया।
- सैफुद्दीन किचलू को शिव सिखो ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की चाबी सौंप दी।
- गांधी ने अहिंसा की पालना में सर्वाधिक प्रशंसा बिहार की।
- अंग्रेज शिक्षा की सर्वाधिक बहिष्कार बंगाल में हुआ।
- मदुरई तमिलनाडु में एक बालक के द्वारा प्रश्न पूछे जाने के बाद गांधी ने आजीवन एक धोती में रहने का निर्णय किया।
- 5 फरवरी 1922 को यूपी के गोरखपुर जिले के चोरी चोरा नामक गांव में ग्रामीणों ने थाने का घेराव करके आग लगा दी इसमें 22 पुलिस वह एक सब इंस्पेक्टर सहित कुल 23 पुलिसकर्मी व तीन ग्रामीण मारे गए
- 5 फरवरी 1922 को बारदोली (गुजरात) में कांग्रेस की बैठक हुई उसमें असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
- 10 March 1922 को ब्रिटिश न्यायाधीश ब्रूमफील्ड ने हिंसा भड़काने के आरोप में गांधी जी को 6 साल की कारावास की सजा सुनाई गई।
1919 के एक्ट के तहत
- 1919 के एक्ट के तहत भारत की केंद्रीय असेंबली में चुनाव होने दे। इन चुनाव को लेकर कांग्रेस के दो ग्रुप बन गए।
- परिवर्तनवादी
- अपरिवर्तनवादी
परिवर्तनवादी
- यह चुनाव में भाग लेना चाहते थे।
- इस ग्रुप का नेतृत्व चितरंजन दास व मोतीलाल नेहु कर रहे थे।
अपरिवर्तनवादी
- यह चुनाव का बहिष्कार कर रहे थे।
- इनका नेतृत्व विट्ठल भाई पटेल व बल्लभ भाई पटेल कर रहे थे।
- अपरिवर्तन वादियों के द्वारा नागपुर में झंडा सत्याग्रह चलाया गया ताकि परिवर्तनवादियों को कांग्रेस के झंडे के प्रयोग से रोक सके।
- जब गांधी जी ने भी चुनाव का बहिष्कार किया तब परिवर्तनवादी कांग्रेस से अलग हुए
- March 1923 को इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की गई। चितरंजन दास इसके अध्यक्ष बने वह मोतीलाल नेहरू इसके सचिव बनाए गए
- गांधी जी की खराब स्वास्थ्य के कारण जेल से रिहा किया गया।
- 8 नवंबर 1924 को गांधी जी ने चितरंजन दास को दिल्ली बुलावाया व यह समझौता किया कि जो भी कांग्रेस के सदस्य चुनाव में भाग लेना चाहते हैं स्वराज पार्टी के तहत ले सकते हैं।
- 1924 में कांग्रेस का अधिवेशन बेलगांव (कर्नाटक ) मैं आयोजित हुआ । इसकी अध्यक्षता गांधीजी ने की इसमें गांधी व दास समझौते की पुष्टि की गई।
- इसके बाद कांग्रेस के लगभग नेताओं ने स्वराज पार्टी के तहत चुनाव में भाग लिया।
- विट्ठल भाई पटेल ने केंद्रीय असेंबली के स्पीकर नियुक्त हुए।
- स्वराज पार्टी के दबाव के कारण 1919 के एक्ट की जांच की गई मुडडीमैन कमेटी का गठन किया गया।
देखिए दोस्तों ! http://भारतीय राष्ट्रीयआंदोलन से संबंधित आगे की जानकारी पार्ट-2 पर जाकर पढ़ें। और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका और सहयोग के बारे में जानकारी आपको अच्छी लगी है तो इसे आगे भी फॉरवर्ड करें अपने दोस्तों को।