भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रारंभ हो गया था स्वतंत्रता किस राष्ट्रीय आंदोलन में लाखों लोगों एवं राष्ट्रवादी नेताओं ने सक्रिय रूप से भाग लेकर शक्तिशाली अंग्रेजी शासन को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया और अतः इन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा ।
भारत में राष्ट्रवाद एवं भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास की प्रक्रिया बड़ी जटिल एवं बहुमुखी हैै।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उद्भव और विकास में अनेक कारणों का योग रहा है आइए इन कारणों को देखते हैं :-
साइमन कमीशन
- एक्ट 1919 की धारा 84A. लिखा गया कि इस एक्ट के कारण भारत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना कितना प्रयास हुआ
- इसके लिए 10 वर्षों के पश्चात एक कमीशन भारत भेजा जाएगा।
- इस समय इंग्लैंड में कंजरवेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री बाल्डविन की सरकार थी
- जिन्हें इस बात का डर था की 1928 इंग्लैंड में होने वाले चुनाव में लेबर पार्टी सत्ता में आ सकती है।
- इसलिए 1927 में जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों वाली साइमन कमीशन का गठन किया गया।
- भारत के वायसराय इरविन की सलाह पर इसमें किसी भारतीयों को शामिल नहीं किया गया इसलिए इसे श्वेत कमीशन भी कहा गया।
- इसके सातों सदस्य अंग्रेज थे
- क्लीमेंट एटली इसी का एक सदस्य था भारत की स्वतंत्रता के समय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री के पद पर 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन भारत पहुंचा।
- साइमन कमीशन दो बार भारत आया :-
- फरवरी-March 1928
- October 1928-अप्रैल 1929
- जब साइमन कमीशन दूसरी बार भारत आया तब लाहौर में हुए विरोध प्रदर्शन के समय लाला लाजपत राय लाठीचार्ज में 30 अक्टूबर 1928 को घायल हो गए।
- 17 नवंबर 1928 को लालजी की मृत्यु हो गई।
- लाला लाजपत राय ने कहा था कि” मेरे शरीर पर पड़ी प्रत्येक लाठी ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी।
- साइमन कमीशन जब प्रथम बार भारत आया था उस समय इसके विरोध के कारण भारत सचिव वीकैनहाइड ने भारतीयों को स्वय का संविधान बनाने की चुनौती दी।
- मोतीलाल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई जिसने भारत के लिए प्रथम संविधान लिखा।
- 10 अगस्त 1928 को नहेरू रिपोर्ट को प्रकाशित किया गया इसमें मांगे थी!
प्रमुख मांगे
- भारत को डोमिनियन स्टेट (औपनिवेशिक राज्य) का दर्जा इसका अर्थ है
- रक्षा विभाग संचार व विदेश विभाग इंग्लैंड के पास रहे बाकी मामले में भारत को स्वतंत्र कर दिया जाए !
- केंद्र में द्विसदनात्मक प्रणाली लागू की जाए।
- भाषा के आधार पर प्रांतों को गठन हो।
- शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्यों के बीच।
- मूल अधिकार 19, व्यस्क मताधिकार,
- सिंध को मुंबई से अलग प्रांत बनाया जाए।
जिन्ना की चार मांगे
- पृथक निर्वाचन को समाप्त करके संयुक्त निर्वाचन लागू किया जाए।
- केंद्र में मुसलमानों को 1/3 आरक्षण दिया जाए।
- जिन स्थानों पर मुस्लिम आबादी अधिक है वहां उन्हें आरक्षण दिया जाए।
- सिंध बलूचिस्तान मुस्लिम प्रांत बनाया जाए परंतु इसका हिंदू महासभा के द्वारा विरोध किया गया।
इस कारण से मोहम्मद सफी के नेतृत्व में मुस्लिम लीग के कुछ कार्यकर्ता साइमन कमीशन के सदस्य बन गए अन्यथा जब पहली बार साइमन कमीशन आया तब मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया था।
उस समय साइमन कमीशन मद्रास की जस्टिस पार्टी, पंजाब की यूनियनिस्ट पार्टी, बंगाल की कृषक प्रजा पार्टी, अंबेडकर की डिस्प्लेस क्लास एसोसिएशन साइमन कमीशन का समर्थन किया।
नेहरू
- दिसंबर 1928 को कांग्रेस का अधिवेशन कोलकाता में मोतीलाल तेजावत की अध्यक्षता में हुआ।
- नेहरू रिपोर्ट को लागू करने के लिए सरकार को 1 वर्ष का समय दिया गया।
- दिसंबर 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर में हुआ। और इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
- नेहरू जी को कांग्रेस का प्रथम समाजवादी अध्यक्ष मानते हैं।
- नेहरु जी ने पूर्ण स्वराज की मांग की।
- सरकार को पुनः एक माह का समय दिया गया तथा नेहरू रिपोर्ट लागू न करने पर 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने आधुनिक भारत के इतिहास को प्रथम पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।
- गांधी जी ने यंग इंडिया नामक समाचार पत्र के माध्यम से वायसराय इरविन के समक्ष 11 मांगे रखी जिन पर इरविन ने कोई ध्यान नहीं दिया।
- गांधीजी ने कहा कि” मैंने रोटी मांगी थी और मुझे पत्थर मिले।
सविनय अवज्ञा आंदोलन
- गांधी जी ने नमक के मुद्दे को लेकर यह आंदोलन प्रारंभ किया।
- नमक सरकारी राशन की दुकानों पर मिलता था व इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती थी।
- 12 मार्च 1930 को गांधी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से यात्रा प्रारंभ करके 24 दिन 358 किलोमीटर (241 मील) की यात्रा के बाद 5 अप्रैल 1930 को गुजरात की साबरमती जिले में स्थित दांडी नामक स्थान पर पहुंचे।
- 6 अप्रैल 1930 को नमक बनवाकर कानून का उल्लंघन किया और इसी के साथ भारत में आंदोलन प्रारंभ हो गया।
- इस अवसर पर गांधी जी ने कहा था कि” राजद्रोह करना मेरा धर्म बन चुका है।
सुभाष चंद्र बोस
- सुभाष चंद्र बोस ने कहा कि इस यात्रा की तुलना नेपोलियन की एल्बा दीप से लेकर पेरिस की यात्रा तक की है।
- बलूचिस्तान के लोगों ने गांधी को मलंग बाबा की उपाधि प्रदान की।
- बलूचिस्तान में अब्दुल गफ्फार खा या सीमांत गांधी ने आंदोलन का नेतृत्व किया।
- इनकी पार्टी का नाम खुदाई खिदमतगार या लाल कुर्ती दल था।
- नागालैंड की 13 वर्षीय बालिका Godin न्यू रानी के द्वारा आंदोलन चलाया, इसे नेहरू ने रानी की उपाधि दी थी।
- इंदिरा गांधी ने बालकों को वानर सेना वह बालिकाओं को मंजरी सेना का गठन किया।
- असम के छात्रों द्वारा कनिघम पत्र का विरोध किया गया।
- पेशावर में चंद्र सिंह गढ़वाल के नेतृत्व में गढ़वाल रेजीमेंट के सैनिकों ने जुलूस पर गोली चलाने से मना कर दिया इसलिए पेशावर में हवाई हमले किए गए।
- 21 मई 1930 को गांधी के पुत्र मानिक लाल वह सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में जुलूस के द्वारा नमक कारखानों को लूटने का प्रयास किया गया। इनका पुलिस ने निर्ममता से दमन किया।
- इसका उल्लेख है अमेरिका के समाचार पत्र न्यू फ्रीमैन के संपादक वेल मिलर ने किया।
- गांधीजी को गिरफ्तार करके यरवदा जेल (पुणे) मे रखा गया। तब इसका नेतृत्व अब्बास तैयब जी के द्वारा किया गया।
- आंदोलन के दौरान साइमन कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 12 नवंबर 1930 से 13 नवंबर 1931 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया।
- इसमें कांग्रेस ने भाग नहीं लिया अतः इसका कोई महत्व नहीं रहा।
इरविन
ब्रिटिश सरकार ने वायसराय इरविन पर कांग्रेस को शामिल करने के लिए दबाव डाला इरविन ने गांधी को जेल से रिहा किया
वह दिल्ली बुलाकर 5 मार्च 1931 को समझौता किया इसे गांधी इरविन समझौता कहते हैं।
- इसके बाद गांधी दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए राजी हो गए।
- गांधी ने इरविन से भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की फांसी की सजा को काम करने की कोई अपील नहीं की।
- 23 मार्च 1931 को तीनों को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई।
- 26 से 29 मार्च 1931 को कांग्रेस का अधिवेशन कराची में सरदार पटेल की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
- कांग्रेस ने मूल अधिकारों को अपने संविधान में शामिल किया गांधी इरविन समझौते की पुष्टि की गई।
- कांग्रेस ने मदन मोहन मालवीय वैसे रोशनी नाइटी को भी कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में प्रतिनिधि के रूप में मनोनीत किया था
- परंतु इरविन ने गांधी को कांग्रेस का प्रतिनिधि माना आता है ये वायसराय के विशेष रूप प्रतिनिधि के रूप में लंदन गए।
- मालवीय हिंदू महासभा व सरोजनी नायडू में भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया।
- गांधी का अत्यधिक प्रतिरोध हुआ था इस तरह गांधी ने कहा गांधी मर सकता है परंतु गांधीवादी नहीं।
दूसरा गोलमेज सम्मेलन -7 सितंबर-1 December 1931
- इस समय भारत का वायसराय वेलिंग्टन था उसने गांधी को ईमानदार किंतु बोल्शेविक इसलिए खतरनाक कहा।
- गांधी राजपूताना जहाज से लंदन में इनके साथ उनका सचिव महादेव देसाई भी थे।
- अंबेडकर कोस्टारोस जहाज से से लंदन गए थे।
- इस समय भारत का सचिव से सैमुअल होर था जिसने गांधी का परिचय इंग्लैंड के शासक जॉर्ज पंचम से करवाया।
- इस समय इंग्लैंड का प्रधानमंत्री रेमज मैकडोनाल्ड तीनो गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता की गई ।
- व तीनों गोलमेज सम्मेलन लंदन के जेम्स पैलेस में हुई इस समय चर्चिल ने कहा कि”देशद्रोही फकीर कहा था व ब्रिटिश पत्रकार फ्रैंक मोरिस ने गांधी को अर्धनग्न फकीर कहा।
अंबेडकर
- अंबेडकर ने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मांग प्रस्तुत की इसे मानने से गांधी ने इंकार कर दिया और दूसरा गोल में सम्मेलन असफल रहा।
- प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी के लिए कहा आने वाली पीढ़ी शायद इस बात का यकीन करें कि धरती पर दुबला पतला हाड मास का व्यक्ति पैदा हुआ।
- भारत लौटते समय गांधी ने इटली के तानाशाह मुसोलिनी से मुलाकात की।
- भारत लौटकर गांधी ने दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने की घोषणा की तो गांधी को पुन: गिरफ्तार करके यरवदा जेल में डाल दिया गया।
- 16 अगस्त 1932 को रेमज़ मैकडोनाल्ड ने सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की इसमें दलितों को भी अलग निर्वाचन क्षेत्र प्रदान किया गया।
- इसके विरोध में गांधी आमरण अनशन पर बैठ गएइस कारण से 26 सितंबर 1932 को गांधी और अंबेडकर के बीच एक समझौता हुआ
- जिसे पूना पैक्ट कहते हैं। इसके बाद अंबेडकर संयुक्त निर्वाचन प्रणाली पर सहमत हो गए।
- केंद्रीय विधानमंडल में दलितों को 18% आरक्षण दिया गया।
- प्रांतों में उनकी सीटों को बढ़ाकर 71 से 148 कर दिया गया।
- गांधी ने वर्धा में हरिजन सेवक संघ की स्थापना करवाई व घनश्याम दास बिड़ला को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
तीसरा गोलमेज सम्मेलन-17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932
- तीसरा गोलमेज सम्मेलन 17 नवंबर 1932 से 24 दिसंबर 1932 को लंदन में आयोजित किया गया इसमें कांग्रेस ने भाग नहीं लिया।
- 1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत 1937 में भारत के प्रांतों में चुनाव हुए इसलिए कांग्रेस के दोनों अधिवेशन 1936 में ही लखनऊ व फैजपुर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
- फैजपुर अधिवेशन कांग्रेस का प्रथम ग्रामीण अधिवेशन था।
कांग्रेस के पांचप्रांत में स्पष्टबहुमत
कांग्रेस के 5 प्रांतों में स्पष्ट बहुमत मिला जो निम्न
मद्रास -राजगोपालचारी
बिहार – श्रीकृष्ण सिन्हा
उड़ीसा -हरेकृष्ण महताब
मध्य प्रांत – एन. बी. खरे
संयुक्त प्रांत – गोविंद बल्लभ पंत
मुंबई में स्पष्ट बहुमत से केवल 2 सीटें कम मिली या अभी कांग्रेस के जे.बी खैर प्रधानमंत्री बने।
असम व सिंध मैं कांग्रेस ने सांझा सरकारे बनाई
असम में बारदोलाई
सिंध में गुलाम हुसैन हिदायतुल्लाह प्रधानमंत्री बने।
बलूचिस्तान में अब्दुल गफ्फार प्रधानमंत्री बने।
मुस्लिम लीग केवल बंगाल व पंजाब में सरकार में शामिल हो सकी।
बंगाल में कृषक प्रजा पार्टी के फजल उल हक के व पंजाब में यूनियनिस्ट पार्टी के सिकंदर हयात खा का प्रधानमंत्री बने।
जिस समय संयुक्त प्रांत में सरकार का गठन किया जा रहा था
उस समय जिन्ना ने नेहरू से मुस्लिम लीग को सरकार में शामिल करने का आग्रह किया।
नेहरू ने कहा कि मुस्लिम लीग से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल पर ही सरकार में शामिल किया जा सकता है
जिन्ना व नेहरू
इसके बाद जिन्ना की राजनीति विभाजन की ओर मुड़ गई।
1938 में कांग्रेस का अधिवेशन हरिपुरा (गुजरात) में आयोजित हुआ। इसके अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस चुने गए।
कांग्रेस ने देसी रियासतों में हस्तक्षेप का निर्णय लिया।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के अध्यक्षता में आर्थिक योजना समिति बनाई गई।
1939 में कांग्रेस का अधिवेशन त्रिपुरी(मध्य प्रदेश) मैं आयोजित किया गया इसके अध्यक्ष पद के लिए सुभाष चंद्र बोस व मौलाना आजाद दो उम्मीदवार थे
परंतु मौलाना आजाद ने अपना नामांकन वापस ले लिया तब गांधी ने वर्धा से पट्टाभिसीता रमैया को अपना उम्मीदवार बना कर भेजा।
परंतु सुभाष चंद्र बोस को अध्यक्ष चुना गया और गांधी ने इसे व्यक्तिगत हार मानी। परंतु बाद में सुभाष चंद्र बोस व गांधी में मतभेद हो गए।
सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से त्यागपत्र दे दिया।
कोलकाता में 3 मई 1944 को फॉरवर्ड ब्लॉक नामक पार्टी की स्थापना की गई।
सुभाष चंद्र बोस के इस्तीफा देने पर डॉ राजेंद्र प्रसाद कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए।
द्वितीय विश्व युद्ध
- 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड के उंजिग बंदरगाह पर आक्रमण किया इसी के साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हो गई।
- 3 सितंबर को इसमें इंग्लैंड शामिल हुआ।
- 5 सितंबर 1939 को इंग्लैंड ने भारत को युद्धरत राष्ट्र घोषित कर दिया गया।
- इसलिए जिन प्रांतों में कांग्रेस की सरकार थी उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
- इस कारण से 22 दिसंबर 1939 को मुस्लिम लीग व अंबेडकर की डिसप्लेस class association मुक्ति दिवस मनाया।
युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंग्लैंड पर आए संकट को सुभाष चंद्र बोस ने भारत के लिए एक सुनहरा अवसर कहा।
- परंतु गांधी व नेहरू ने कहा की हमें इंग्लैंड की बर्बादी पर भारत की स्वतंत्रता नहीं चाहिए।
- मार्च 1940 में कांग्रेस का अधिवेशन रामगढ़ (झारखंड) मैं आयोजित हुआ इसकी अध्यक्षता मौलाना आजाद ने की।
- कांग्रेस ने वायसराय लिनलिथगो को प्रस्ताव दिया अगर युद्ध की समाप्ति पर भारत में एक अंतरिम सरकार की स्थापना का वादा किया जाए तो इस समय कांग्रेस सरकार समर्थन दे सकती है।
- लिनलिथगो ने 8 अगस्त 1940 को अगस्त प्रस्ताव कांग्रेस को प्रस्ताव दिया।
- युद्ध समाप्ति पर भारत को डोमिनियन स्टेट का दर्जा दे दिया जाएगा संविधान सभा का गठन कर दिया जाएगा
- परंतु कांग्रेस ने इसे मानने से इनकार कर दिया पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे दरवाजे में जंग लगी किल के समान माना।
- यह अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट के दबाव में आकर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल ने अपने युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य स्टेफोर्ड क्रिप्स को 22 मार्च 1942 भारत भेजा था।
- क्रिप्स ने आते ही अगस्त प्रस्ताव में उल्लेखित संविधान सभा की मांग को मान लिया था
- ।परंतु क्रिप्स ने देसी रियासतों को यह स्वतंत्रता दी कि वे अपना संविधान स्वयं बना सकते हैं।
- इसके अलावा किसी भी बात पर निर्णय करने का अंतिम अधिकार वायसराय को दिया गया।
- कांग्रेस ने इसका विरोध किया गांधी ने इसे पोस्ट डैड चेक कहा इसी ने इसमें यह जोड़ दिया था कि ऐसे बैंक का दिवालिया हो चुका है।
- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि मेरा मित्र क्रिप्स शैतान का वकील बनकर आया है।
भारत छोड़ो आंदोलन
- 14 July 1942 वर्धा (महाराष्ट्र) मैं कांग्रेस की बैठक हुई व आंदोलन चलाने के पश्चात प्रस्ताव को पारित किया गया।
- इसका प्रस्ताव पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था।
- 8 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वाला टैंक (अगस्त क्रांति मैदान) मे एक सभा को संबोधित करते हुए गांधी ने नारा दिया करो या मरो।
- इसके साथ ही भारत में आंदोलन की शुरुआत हुई।
- 9 अगस्त की मध्यरात्रि को सरकार ने ऑपरेशन जीरो चलाया वह सभी कांग्रेस के नेताओं को नजरबंद किया गया।
- गांधी को पुणे के आगा खां पैलेस में रखा गया था।
- कस्तूरबा गांधी महादेव देसाई सरोजिनी नायडू को भी यहीं पर रखा गया तथा कस्तूरबा गांधी महादेव देसाई का यहां रहने के दौरान निधन भी हो गया।
- समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण झारखंड की हजारीबाग जेल में रखा गया था
- इसी जेल की दीवार को तोड़कर जयप्रकाश नारायण फरार हुए इस आंदोलन को नेतृत्व प्रदान किया।
- के व्यक्तियों के द्वारा स्वतंत्र सरकारें स्थापित की गई।
आंदोलन
- सर्वप्रथम बलिया (उत्तर प्रदेश) में चीतू पांडे के द्वारा सरकार गठित की गई तथा 1945 तक सातारा (महाराष्ट्र) y.v. चव्हान व नाना पाटील ने सरकार गठित की।
- बंगाल के मिदनापुर में सतीश सावंत के द्वारा एक जातीय सरकार गठित की गई।
- यहीं पर एक जुलूस के दौरान गोली लगने के बावजूद एक 73 वर्षीय विधवा मातंगिनी हजारा ने तिरंगे झंडे को नीचे नहीं गिरने दिया।
- वेवेल को भारत का वायसराय बनाया गया उसने 24 जून से 14 जुलाई 1945 को शिमला में कांग्रेस व मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई।
- कांग्रेस की ओर से मौलाना आजाद व मुस्लिम लीग की ओर से जिन्ना ने नेतृत्व किया।
- कांग्रेस ने जिन्ना कि इस बात को मान लिया जब भी अंतरिम सरकार बनाई जाएगी दोनों पार्टियों के समान मंत्री होंगे।
- परंतु जिन्ना ने तुरंत मांग कि मुस्लिम मंत्री केवल मुस्लिम लीग के हो सकते हैं इसे मानने से कांग्रेस ने इंकार कर दिया अतः शिमला बैठक असफल हुई।
- मौलाना आजाद ने इसे भारत का जल विभाजक कहा।
कैबिनेट मिशन-1946
- 1946 मैं कैबिनेट मिशन भारत आया था इसमें कुल 3 सदस्य थे जो कि निम्न है-
- पेथिक लॉरेंस – भारत सचिव
- एबी एलेग्जेंडर- नौसेना मंत्री
- स्टेफोर्ड क्रिप्स – व्यापार मंत्री
- मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन कराची पहुंचा उसने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान मांग को अस्वीकार कर दिया फिर भी मुस्लिम लीग ने कैबिनेट मिशन का विरोध नहीं किया।
- गांधी ने इसे तत्कालीन परिस्थितियों का स्वर्णम योजना कहा
- 22 जुलाई 1946 को वेबेल ने एक के अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की जिसमें छह कांग्रेस के 5 मुस्लिम लीग के 3 अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शामिल किए जाने थे।
- मुस्लिम लीग ने इसमें शामिल ना होने का निर्णय लिया तथा वेवेल ने 12 अगस्त को बिना मुस्लिम लीग कांग्रेस को सरकार बनाने का निमंत्रण भेज दिया।
- तथा मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को सीधी कार्रवाई दिवस मनाने की घोषणा की।
- 16 अगस्त को मौलाना आजाद ने भारतीय इतिहास का एक काला दिन कहा।
- 20 फरवरी 1947 को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री एट ली ने यह घोषणा की कि 30 जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र कर दिया जाएगा।
- 22 मार्च 1947 को 34 वे वायसराय के रूप में लॉर्ड माउंटबेटन भारत भेजा गया।
- माउंटबेटन ने सभी दलों के नेताओं से बातचीत की तथा सबसे पहले सरदार पटेल विभाजन के लिए राजी हुए।
आजादी
- 3 जून 1947 को माउंटबेटन ने एक प्लान प्रस्तुत किया।
- इसमें भारत के विभाजन की योजना इसे 13 से लेकर 16 जून 1947 को गोविंद बल्लभ पंत ने कांग्रेस कार्यसमिति अब्दुल गफ्फार खान कहा कांग्रेस ने हमारे आंदोलन को भेडियो के आगे फेंक दिया ।
- मौलानाआजाद ने कहा इतिहास हमें इस बात के लिए कभी माफ नहीं करेगा।
- इस समय नेहरू ने कहा था हमें कटा छटा भारत नहीं चाहिए।
- डिकी बरड प्लॉट तहत ही 14 अगस्त को पाकिस्तान का निर्माण किया गया।
- 15 अगस्त को मध्य रात्रि को भारत को स्वतंत्र किया गया।
- नेहरु के द्वारा देश की जनता को दिया गया संबोधन नियति के साथ वादा कहलाता है।
महत्पूर्ण सूचना
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