पृष्ठभूमि
मुग़ल साम्राज्य की स्थापना ज़हीरुद्दीन बाबर द्वारा 1526 इ. में पानीपत के प्रथम युद्ध में ननणाषयक
निजय के पश्चात् की गइ थी तथा साम्राज्य का निस्तार ईनके ईत्तरानधकाररयों के समय में भी जारी
रहा। औरंगजेब (1657-1707) के शासन काल में मुगल साम्राज्य का िेत्रीय निस्तार ऄपने चरम पर
पहुंच गया थाI आसके साथ ही निघटन की प्रकक्रया भी औरंगजेब के समय में ही प्रारंभ हो गयी थी।
औरंगजेब के कमजोर ईत्तरानधकारी आस प्रकक्रया को रोकने में ऄसमथष रहेIऔरंगजेब द्वारा ककए गए
िेत्रीय निस्तार ने साम्राज्य की शनि बढ़ाने के बजाय आसकी नीति को कमजोर कर कदया, नजसका मूल
कारण औरंगजेब की सामानजक-धार्थमक नीनतयां थीं। ये नीनतयां ईसके पूिषजों के निपरीत ऄसनहष्णु
और कट्टरता से प्रेररत थीं।
पतन के कारण ( Due to collapse )
ननम्ननलनखत शीषषकों के ऄंतगषत मुगल साम्राज्य के पतन के कारणों का निश्लेषण ककया जा सकता है:
1.2.1 राजनीनतक कारण
औरंगज़ेब के निशक्त उत्तराधिकारी
मुगल शासन व्यिस्था कें द्रीकृत होने के कारण सम्राटों के व्यनित्ि पर ऄत्यनधक ननभषर थी, आस प्रकार
कमजोर सम्राटों का प्रभाि प्रशासन के प्रत्येक िेत्र में पररलनित हुअ। औरंगजेब के पश्चात सत्तारूढ़ होने
िाले सभी सम्राट दुबषल थेI ऄतः िे अंतररक और बाह्य दोनों प्रकार की चुनौनतयों का सामना करने में
ऄसमथष रहे।
साम्राज्य का वहदआकार :
1687 इ. तक औरंगजेब ने दक्कन के प्रान्तों ,बीजापुर और गोलकुंडा को मुग़ल साम्राज्य में नमला नलया।
आसके पश्चात् िह कनाषटक को भी मुग़ल साम्राज्य में नमलाने के नलए प्रयत्नशील हो गया। निजयी िेत्रों में
नबना ककसी ठोस प्रशासन की व्यिस्था ककये, ननरंतर युद्ध में ईलझे रहने के कारण साम्राज्य ऄंदर से
कमज़ोर होता गया। साम्राज्य कमज़ोर होने से िेत्रीय शनियों जैसे मराठा अकद के ईदय के साथ-साथ
दरबारी मुग़ल ऄमीरों को भी षड्यंत्र करने का ऄिसर नमल गया । आसके साथ ही साम्राज्य की
भौगोनलक निनिधता एिं ईत्तम संचार व्यिस्था की कमी ने भी आसके तीव्र पतन का मागष प्रशस्त ककया I
मुग़ल अभिजात वर्ग्ग का पतन
जब मुगल भारत अए, तो ईनके पास एक साहनसक चररत्र था। परन्तु ऄत्यनधक धन, निलास और
ऄिकाश ने ईनके चररत्र को कमजोर कर ईन्हें ऄयोग्य एिं ईत्तरदानयत्ि निहीन कर कदया। ईनके
ऄधःपतन का मुख्य कारण ऄनभजात िगष का एक बंद ननगम के रूप में कायष करना था। एक ऄन्य कारण
ऄसाधारण जीिन शैली और निलानसता प्रदशषन जैसी ईनकी ख़राब अदतें भी थी। आन सबके कारण
बड़ी जागीरों के बािजूद कइ ऄनभजात िगष कदिानलया हो गए और आनका पतन प्रारंभ हो गयाI परन्तु
सम्पूणष ऄमीर िगष के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता ,क्योंकक आन्हीं के मध्य कुली खां,
ननजामुल-मुल्क, सअदत खां जैसे सुयोग्य ऄमीर भी थे, नजन्होंने ऄपने िेत्र में सुदृढ़ प्रशासननक व्यिस्था
स्थानपत करकेईसका http://निकास ककया।
दरबार में गुटबन्दी
औरंगज़ेब के ऄनन्तम कदनों में दरबार में ईमरा िगष प्रभािशाली गुटों में बंट गए थे। आन गुटों ने साम्राज्य
में शाश्वत राजनैनतक ऄशानन्त की नस्थनत ईत्पन्न कर दी थी। प्रत्येक गुट का प्रयत्न यह रहता था कक िह
सम्राट के कान भरे और सम्राट को दूसरे गुट के निरुद्ध कर दे। ये गुट अपस में छोटे-छोटे युद्ध भी लड़ते
रहते थे।निदेशी अक्रमणों के निरुद्ध भी ये गुट एक नहीं हो सके और अक्रान्ताओं से नमलकर षड्यन्त्र
रचने में लगे रहे,नजससे साम्राज्य का शासन लुप्तप्राय हो गया। यहााँ तक कक ननज़ामुलमुल्क और
बुरहानुलमुल्क ने नाकदरशाह से नमलकर कदल्ली प्रशासन के निरुद्ध षड्यंत्र रचे और ऄपने नननहत स्िाथों
के नलए साम्राज्य के नहतों का न्योछािर कर कदया।
ईत्तरानधकार का त्रुरटपूणष ननयम
मुगलों मेंज्येष्ठानधकार (Law of Primogeniture) का ननयम नहीं था। ऄतः मुगल शहजादे सम्राट
बनने के नलए स्ियं को समान रूप से योग्य समझते थे और ऄपने दािे के नलए लड़ने को तैयार रहते थे।
शनिशाली ‘शासक ननमाषता’ ईमरा िगष के िल ऄपने ननजी स्िाथों के नलए शासकों को ससहासन पर
बैठाते ऄथिा ईतारते थे। आस प्रकार ईत्तरानधकार के ननयमों का ऄभाि मुग़ल साम्राज्य के पतन का एक
कारण बना।
मराठों का ईत्थान
मुग़ल साम्राज्य के पतन का एक ऄन्य महत्त्िपूणष कारण था पेशिाओं के ऄधीन मराठों का ईत्थान। ईत्तर
भारत की राजनीनत में मराठे सबसे शनिशाली बन कर ईभरे तथा मुग़ल दरबार में सम्राट ननमाषता की
भूनमका ननभाने लगे। आसके साथ ही मराठों ने भारत को ऄहमद शाह ऄधदाली जैसे अक्रान्ता से बचाने
का प्रयास ककया। यद्यनप मराठे भारत में एक स्थाइ सरकार बनाने में ऄसफल रहे कफर भी ईन्होंने मुग़ल
साम्राज्य के निघटन में बहुत योगदान कदया।
सैन्य कारण
मुगल निघटन का एक ऄन्य कारण मुगल सेना की िमता में ह्रास और मनोबल में कमी था। मुगल
साम्राज्य के निघटन के मुख्य कारणों में से एक सेना का नैनतक पतन था। आसका मुख्य स्रोत सेना की
संरचनात्मक कमजोररयां थी। ऄनुशासन की कमी के कारण सेना एक भीड़ में बदल गयी I सैननकों में
ऄभ्यास का ऄभाि था, साथ ही ईनको पेशेिर प्रनशिण भी नहीं नमलता था। सैन्य ऄपराधों के नलए
कोइ ननयनमत सजा नहीं थीI औरंगजेब द्वारा भी राजद्रोह, कायरता और युद्ध के समय कतषव्य की
ईपेिा जैसे मामलों की ऄनदेखी की गयी । आसके ऄनतररि मुगलों की सैन्य व्यिस्था की कमजोरी के
बारे में यह तकष कदया जाता है कक ईनके हनथयार और युद्ध के तरीके काफी पुराने हो चुके थे।
जागीरदारी संकट
औरंगज़ेब के शासन के ऄंनतम काल में प्रशासननक व्यय को पूरा करने के नलए बड़ी मात्रा में जागीर भूनम
को खानलसा भूनम मेंपररिर्थतत ककया गया। िहीाँदसू री ओर नए मनसबदारों की ननयुनि जारी रही,
नजससे एक निरोधाभास की नस्थनत भी ईत्पन्न हो गयी थी। साथ ही ईि काल में िेत्रीय प्रशासन
कमज़ोर होने से जागीरों की जमादानी और हानसलदानी में अने िाले ऄंतर ने मनसबदारों की सैन्य
नस्थनत को कमज़ोर ककया जो मुग़ल साम्राज्य की रीढ़ कहे जाते थे।
अर्थथक कारण
शाहजहां के समय में कर की दर को ईत्पादन के अधे नहस्से तक बढा कदया गया था। भव्य आमारतों के
ननमाषण पर शाहजहां द्वारा ककए गए व्यय से साम्राज्य के संसाधनों पर भारी बोझ पड़ा। औरंगजेब के
दीघषकालीन दनिण युद्धों ने न केिल कोष ही ररि कर कदया ऄनपतु देश के व्यापार और ईद्योग को भी
नष्ट कर कदया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य को नित्तीय कदिानलयेपन का सामना करना
पड़ा, नजसकी शुरुअत औरंगजेब के समय और ईसकी मृत्यु के बाद ही हो गइ थी। युद्धों में सेना के
अिागमन से खड़ी फसलें नष्ट हो गईं। कृषकों ने तंग अकर कृ नष करना छोड़ कदया और लूटमार अरम्भ
कर कदया। नजसके फलस्िरूप माल नमलने में करठनाइ हुइ और ननयाषत प्रभानित हुअ। आस काल मेंटैक्स
फार्ममग की प्रणाली (ननजी नागररकों या समूहों को कर राजस्ि संग्रहण की नज़म्मेदारी सौंपना) का
सहारा नलया जाता था, हालांकक आस पद्धनत से सरकार को ज्यादा लाभ नहीं हुअ पर आसने लोगों की
नस्थनत को और ख़राब कर कदया
मुग़ल साम्राज्य के चरमोत्कषष काल में देशी बैंककग, बीमा एिं व्यापाररक संस्थान साम्राज्य के महत्त्िपूणष
सहयोगी थे, परन्तु औरंगज़ेब की मृत्यु के पश्चात्ईि संस्थानों ने िेत्रीय शनियों में ऄनधक स्थानयत्ि के
लिण देखकर आन्हें सहयोग देना प्रारम्भ कर कदया। आससे मुग़ल साम्राज्य अर्थथक कदिानलयेपन की ओर
बढ़ने लगा। कृ नष िेत्र में नगण्य ननिेश तथा अनितों की संख्या बढ़ना, भू-राजस्ि की दर में बढ़ोत्तरी,
समय के साथ नइ प्रौद्योनगकी का निकास न होना तथा शहरी जनसाँख्या का ग्रामीण िेत्र से प्राप्त
ऄनधशेष पर ननभषर रहना अकद जैसे कारणों ने साम्राज्य की अर्थथक नस्थनत को कमजोर कर कदया।
सामानजक कारण
नहन्दुओं के साथ हो रहे ऄत्याचार ने भी सामानजक ऄसंतोष को बढ़ा कदया थाI धार्थमक स्ितंत्रता और
सनहष्णुता के ऄभाि के कारण भी लोगों में एक रोष की भािना थीI गरीबों पर ऄनािश्यक कर
अरोनपत कर कदए गए थेI सभी गैर-मुनस्लम लोगों पर कर लगा कदया गया थाI
धार्थमक कारण
औरंगज़ेब स्िाभाि से बड़ा कट्टर था तथा आस्लामी कानून के ऄनुसार ही कायष करना चाहता था। परन्तु
आस कानून का निकास भारत के बाहर नबल्कुल ऄलग पररनस्थनतयों में हुअ था और यह ईम्मीद नहीं की
जा सकती थी कक यह भारत में भी कारगर नसद्ध होगा। औरंगज़ेब ने कइ ऄिसरों पर ऄपनी ग़ैर-
मुसलमान प्रजा की भािनाओं को समझने से आंकार कर कदया। मंकदरों के प्रनत ऄपनाइ गइ ईसकी नीनत
और आस्लामी कानून के अधार पर जनज़या को दोबारा लागू करके न तो िह मुसलमानों को ऄपने पि
में कर सका और न ही आस्लामी कानून पर अधाररत राज्य के प्रनत ईनकी ननष्ठा प्राप्त कर सका। आस
नीनत के कारण सतनामी, बुंदेलों और जाटों ने निद्रोह कर कदया तथा दूसरी ओर आस नीनत के कारण
नहन्दू भी ईसके नख़लाफ़ हो गये और ऐसे िगष सशि हो गये जो राजनीनतक तथा ऄन्य कारणों से मुग़ल
साम्राज्य के निरुद्ध थे
औरंगजेब की दनिण नीनत
दक्कन में ननरंतर युद्ध को जारी रखने की औरंगजेब की गलत नीनत मुगल साम्राज्य के नलए घातक नसद्ध
हुयी। ये युद्ध 27 साल तक जारी रहे तथा आससे साम्राज्य के संसाधनों को भारी िनत पहुंची।
बाह्य अक्रमण और यूरोपीय अगमन
1739 में नाकदरशाह के अक्रमण ने मरणासन्न मुगल राज्य को बहुत अघात पहुंचाया। राजकोष ररि
हो गया और सैननक दुबषलता स्पष्ट हो गइ। जो लोग मुग़ल नाम से भय खाते थे िे ऄब नसर ईठाने लगे
तथा मुगल सत्ता की खुलकर ऄिहेलना करने लगे।
मुग़ल सैन्य दुबषलता के कारण 18िीं शताधदी में भारत में सैननक सामन्तशाही का बोलबाला हो गया।
यूरोपीय कम्पननयां सैननक सामन्त बन गईं और शीघ्र ही भारतीय रजिाड़ों से व्यापार और सैननक सत्ता
में अगे ननकल गईं। आंनग्लश इस्ट आंनडया कंपनी के िेत्रीय लाभ ने मुगल साम्राज्य के पुनरुत्थान की सभी
संभािनाओं को ख़त्म कर कदया। ऄंग्रेजों ने प्लासी की लड़ाइ जीती साथ ही दक्कन और गंगा िेत्र में
ऄपने साम्राज्य का निस्तार जारी रखा। समय बीतने के साथ, िे पूरे भारत में ऄपनी पकड़ मजबूत करने
में सिम हो गए और मुगल साम्राज्य के पुनरुथान के नलए कोइ मौका नहीं छोड़ा।
मुग़ल साम्राज्य
नयी शनियों का ईत्थान
पंजाब में नसक्ख, राजपूताना में राजपूत, रुहेलखण्ड में रुहेला सरदार तथा अगरा एिं मथुरा में जाट
ऄनधक शनिशाली हो गए थे। बंगाल,ऄिध और हैदराबाद ने ऄपनी स्ितंत्रता की घोषणा पहले ही कर
दी थी।