अशोक के अभिलेख
- अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बाटा गया है जोकि निम्नानुसार है!
1. शिलालेख:-इन शिलालेखों को दो भागों में बांटा गया है जो निम्नानुसार है
a. वृहद शिलालेख
b. लघु शिलालेख
सबसे पहले वृहद शिलालेख के बारे में जानेंगे !
a. वृहद शिलालेख:- वृहद शिलालेख 8 स्थानों से प्राप्त हुए तथा प्रत्येक स्थान की चट्टान पर 14 लेख लिखें हैं ! जो कि निम्नानुसार है !
- शाहबाजगढ़ी
- यह पाकिस्तान में स्थित है !
- इस स्थान की चट्टानों के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है !
- इसकी खोज कोर्ट ने कि है !
2. मान सेहरा
- यह भी पाकिस्तान में स्थित है !
- इस स्थान की चट्टानों के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है !
- इसकी खोज कनिघम की है !
- नोट :- इन दो स्थानों की चट्टानों के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में बाकी अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है !
3. कालसी
- यह उत्तराखंड में स्थित है !
- इसकी खोज फॉरेस्ट ने की है !
- इसकी लिपि ब्राह्मी लिपि है !
4. गिरनार
- यह गुजरात में स्थित है !
- इसकी लिपि भी ब्राह्मी लिपि है !
- इसकी खोज जेम्स टॉड ने की है !
- यह सर्वाधिक सुरक्षित चट्टान है !
5. सोपारा
- यह महाराष्ट्र में स्थित है !
- इसकी लिपि भी ब्राह्मी लिपि है !
- इसकी खोज भगवान लाल ने की !
6. ए रागुडी
- यह आंध्र प्रदेश में स्थित है !
- इसकी खोज Anu Ghosh ने की है !
- इसकी लिपि भी ब्राह्मी लिपि है !
7. धोली
- यह उड़ीसा में स्थित है !
- इसकी लिपि भी ब्राह्मी लिपि है !
- इसकी खोज कीटो ने की है !
8. जोगड़
- यह भी उड़ीसा में स्थित है !
- इसके लिपि भी ब्राह्मी लिपि है !
अशोक के 14 लेख :- वृहद शिलालेख के अंतर्गत इन 8 स्थानों पर अशोक के जो 14 लेख लिखे हैं वह निम्नानुसार है !
प्रथम वृहद शिलालेख
- इसमें अशोक ने सामाजिक उत्सव का निषेध किया है इसके अलावा पशु वध का भी निषेध किया गया है
- इसमें लिखा है कि पाक साला है हजारों पशु प्रतिदिन मरते हैं के स्थान पर केवल दो मोर तथा एक मिर्ग ही मारा जाएगा !
- भविष्य में इसे भी रोक दिया जाएगा !
दूसरा वृहद शिलालेख
- इसमें सीरिया के शासक एन्टि योकस वह अपने पड़ोसी राज्य चोल चेर , केरल पुत, ताम्र वर्षी, श्रीलंका मैं मानव तथा पशु चिकित्सा उपलब्ध करवाने के बारे में लिखा गया है !
- इसके अलावा साम्राज्य के विविध हिस्सों में जड़ी बूटियां उगाने के बारे में लिखा गया है !
- अशोक ने लिखा है कि उसने यात्रियों के लिए सड़कें बनवाई जिसके किनारे छायादार वृक्ष लगवाए सराय बनवाई तथा कुआं खुद वाया !
तीसरा वृहद शिलालेख
- इसमें अशोक में युक्त नामक अधिकारी को आदेश दिया कि वह प्रादेशिक वह रज्जू के साथ प्रत्येक 5 ईयर के बाद निकाली जाने वाली दम में यात्राएं उज्जैन तथा तक्षशिला की यात्राएं 3 वर्षों के बाद निकाली जाएगी !
चौथा वृहद शिलालेख
- रण घोष की बजाए दम घोष की नीति बेहतर होगी!
पांचवा वृहद शिलालेख
- शासन के 13 वर्ष दम्म महामात्य नामक अधिकारी की नियुक्ति की है तथा इसके अपने भाई और बहनों के महलों में भी नियुक्त किया ताकि वह भी उनका अनुसरण कर सकें !
- यवन कंबोज गंधार रिस्टिक आदि जनजातियों में प्रचार का उल्लेख है!
छटा वृहद शिलालेख
- प्रतिवेदक नामक अधिकारी को यह कहा गया प्रजा व साम्राज्य से जुड़ी सूचनाएं मुझ तक तुरंत पहुंचाई जाए !
सातवां वृहद शिलालेख
- सभी धर्मों को मानने वाले साम्राज्य के सभी हिस्सों में रह सकते हैं !
आठवां वृहद शिलालेख
- शासन के दसवें वर्ष बाद इन दम यात्राओं को निकालना प्रारंभ किया है !
- इन यात्राओं को अन संधान कहां गया है !
नोवा वृहद शिलालेख
- कुछ स्त्रियां सार हीन मंगल करती हैं इनके स्थान पर इन्हें दम मंगल का प्रयोग करना चाहिए !
दसवा वृहद शिलालेख
- धम नीति की पालना से स्वर्ण की प्राप्ति होती है !
11 वा वृहद शिलालेख
- दम दान अर्थात माता पिता की सेवा गुरुजनों का आदर वह मित्रों की सहायता श्रेष्ठदान है !
12 वा वृहद शिलालेख
- इसमें धार्मिक सहिष्णुता का उपदेश कहते हैं इसमें लिखा है कि एक धर्म को मानने वाला दूसरे धर्म का अपमान करता है तो अपने धर्म को हानि पहुंचाता है!
13 वा वृहद शिलालेख
- इसमें समकालीन पांच विदेशी शासक का वर्णन है
- इसके अलावा यव न, कंबोज, गांधार, आंध्र, पुलि, भोज धर्म प्रचार का उल्लेख है इसी में लिखा गया है कि शासन के 8 वर्ष बाद कलिंग पर विजय प्राप्त की गई जिसमें एक लाख मारे गए डेढ़ लाख घायल हो गए कितने बेघर हो गए सम्राट इस पर पश्चात प्रकट करता है !
14 वा वृहद शिलालेख
- उपरोक्त 13 में हुई त्रुटि को सुधार करके लिखा गया है !
नोट:- धोली व जोगड मैं अशोक ने 11 12 13 लेख नही लिखवाया इसके स्थान पर दो अलग लेख लिखवाए !
प्रथम प्रथक शिलालेख:- सभी मनुष्य मेरी संतान है जिस प्रकार मैं अपनी संतान की यह लोग परलोक में सुख की कामना करता हूं उसी प्रकार प्रजा के सुख की भी कामना करता हूं !
दूसरा पृथक शिलालेख:- सभी मनुष्य मेरी संतान है जिन स्थानों पर धर्म का प्रचार नहीं किया गया वहां पर भी धर्म का प्रचार कर दिया गया है !
b. लघु शिलालेख:- अशोक के निम्नलिखित लघु शिलालेख पाए गए जोकि निम्नानुसार हैं !
- भाब्रू शिलालेख – बैराट
- यह बीजक डूंगरी पहाड़ी पर मिला !
- इसकी खोज 1837 में बर ट के द्वारा की गई !
- कनिघम इस अभिलेख को चट्टान से काटकर कोलकाता ले गया वर्तमान में कोलकाता की रॉयल सोसाइटी में रखा हुआ है
- यह सबसे लंबा अभिलेख है !
- इसमें अशोक ने बुद्ध दम तथा सन के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है !
- इसमें 7 पुस्तकों का उल्लेख है जिन्हें पढ़ना भिक्षुओं के लिए आवश्यक माना गया है !
2. रूपनाथ- मध्य प्रदेश
- पिछले ढाई वर्षों से मैं शाक्य धर्म का अनुयाई बना हुआ हूं !
- प्रारंभ में मैं इसके प्रति उत्साहित नहीं था पिछले 1 वर्षों में मैं संघ के काफी निकट आ गया हूं तथा मेरे ब्राह्मणों को मिथ्या साबित कर दिया है !
3. अरोरा- उत्तर प्रदेश
- स्तूपो के निर्माण के लिए मैंने 256 रातें भ्रमण करके बिताई है !
4. ब्रह्मागिरी – कर्नाटक
- इसमें उषिला नामक नगर का उल्लेख है !
- मास की, उदय कोल्लम (कर्नाटक), गुर्जरा मध्य प्रदेश आदि अभिलेखों में अशोक का नाम लिखा गया है !
- मास्की के अभिलेखों में अशोक को बुद्ध शाक्य कहा गया है !
5. एरा कुड़ी – आंध्र प्रदेश
- इसमें एक पंक्ति खरोष्ठी लिपि में लिखी गई है बाकी अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखी गई है
- तक्षशिला (पाकिस्तान) व अफगानिस्तान के अभिलेख अरे माइक लिपि में है !
- शेर- ए- कुना अफगानिस्तान के अभिलेख अरे माई की व ग्रीक के तथा इसी को दीभासी अभिलेख कहते हैं !
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