मौर्यकालीन कला व संस्कृति
चंद्रगुप्त मौर्य (322BC-298BC)
1917 में जर्मनी के विद्वान डॉक्टर स्पिनर ने बिहार के बुलंदी बाग जिले कुमार नामक स्थल से चंद्रगुप्त मौर्य का लकड़ी का बना महल मिला था
यूनान के लेखक हेरियन ने इस महल के लिए लिखा शानो शौकत यह सुसा/एकबतना महलों से भी श्रेष्ठ था!
एकबतना महल इरान के हखमनी साम्राज्य के महल थे!
चीन के यात्री फाह्यान ने लिखा है कि इसका निर्माण मनुष्यों ने नहीं बल्कि देवताओं व फरिश्तों ने किया है
150 ईसवी, का शक शासक के रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख मिला था इसमें लिखा है कि चंद्रगुप्त मौर्य के समय सौराष्ट्र प्रांत के गवर्नर पुष्य गुप्त वैश्य ने ऊर्जयनत रवेतक पहाड़ियों से निकलने वाली पलासनी व स्वर्ण सिकता
नदियों के पानी को रोककर गिरनार गुजरात नामक स्थान पर सुदर्शन झील का निर्माण करवाया तथा अशोक के समय तुसास्क यहां का गवर्नर था
जिसने इस झील पर बांध बनवाया है।
चंद्रगुप्त मौर्य के लिए दो अभिलेख मिले हैं।
1. सोहगौरा(उत्तर प्रदेश)- ताम्र-पत्र (1893)
इसमें श्रावस्ती के महामात्य मथुरा, मोडम (उत्तर प्रदेश) के अधिकारियों को आदेश दिया था कि वह अनाज ग्रह में अन्न का भंडार करें
ताकि सूखे व अकाल के समय प्रजा को लाभ मिल सके।
2. महा स्थान (बांग्लादेश) चूने का फट (BOARD)
इसमें अकाल से पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए ऋण देने का उल्लेख है
इसमें ऋण ताम्र सिक्के के रूप में दिया जाता था।
इसकी खोज 1931 में बारू नामक फकीर के द्वारा की गई थी।
यह ब्राह्मी लिपि में लिखित प्राचीनतम अभिलेख है।
मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी जो गंगा व सोन नदियों के किनारे स्थित थी
तथा मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र को नगरों की रानी कहां।
बिंदुसार (298-272Bc)
बिंदुसार का कोई स्थापत्य
kala प्राप्त नहीं हुआ।
बिंदुसार ने अपना उत्तराधिकारी
सुसिम को घोषित किया।
अशोक ( 269BC-232BC)
अशोक ने 273 ईसा पूर्व खुद को मगध का शासक घोषित कर दिया
परंतु अशोक को अपने भाइयों के विद्रोह को दबाने में 4 वर्ष का समय लग गया।
अशोक का राज्याभिषेक 269 BC बीच में हो गया अशोक ने अपने अभिलेखों में जिन घटनाओं का उल्लेख किया है
वह अपने राज्याभिषेक के वर्षों से ही किया है
, 232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु हुई।
अशोक के बारे में जानने का प्रमुख साधन उसके अभिलेख हैं
यह ब्राह्मी, खरोष्ठी, अरे माइक, ग्रीक लिपि में प्राप्त हुए।
ब्राह्मी – भारत
खरोष्ठी – पाकिस्तान
एरामिक – पाकिस्तान+अफगानिस्तान
ग्रीक – अफगानिस्तान+ईरान
खरोष्ठी की उत्पत्ति ऐरमा इ क से हुई है तथा दोनों लिपियां दाएं से बाएं लिखी जाती हैं।
ग्रीक लिपि के अभिलेख अरे माइक के साथ ही मिले हैं।
अशोक अपनी प्रजा से सीधा संवाद स्थापित करना चाहता था
इसलिए जिस क्षेत्र में जैसी भाषा व लिपि किस लिपि उसी का प्रयोग किया।
इन अभिलेखों की भाषा प्राकृत है।
सर्वप्रथम 1750 में टिफे न थलेर अशोक का दिल्ली मेरिट का स्तंभ मिला था।
1837 मैं जेम्स प्रिंसेप ने दिल्ली टोपरा के स्तंभ की लिपि को पड़ा परंतु यह बताया
कि इन अभिलेखों को खुदवाने वाला श्रीलंका का शासक तिसाय था
क्योंकि तिसा य अशोक के समकालीन था तिसे ने श्रीलंका के ऐसे अभिलेख लगवाए
वह अशोक के समान देवनानी प्रियदर्शी की उपाधि धारण की
1915 में बीउल को मास्की (कर्नाटक) से लघु शिलालेख मिला
1917 में टर्नर ने इसका अनुवाद किया तथा बताया कि यह अभिलेख अशोक के हैं
क्योंकि सर्वप्रथम मास्की के अभिलेख अशोक का नाम मिला है।
अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा गया है
1. शिलालेख
इन्हीं वृहद व लघु दो भागों में बांटा गया है
वृहद शिलालेख:- यह 8 स्थानों से प्राप्त हुए हैं तथा प्रत्येक स्थान की चट्टान पर 14 लेख लिखे हैं।
लघु शिलालेख:-
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