मौर्यकालीन गुहालेख
- अशोक के गया (बिहार) अभिलेख बराबर पहाड़ी पर आजीवक संप्रदाय की गुफाएं दान दी जिन्हें निम्न नामों से पुकारा जाता है !
- सुदामा
- विश्व झोपड़ी
- कर्ण चापर
- अशोक के पौत्र दशरथ ने भी इसी पहाड़ी पर आजीविका संप्रदाय लोमश ऋषि की गुफा दान की जो सबसे सुंदर गुफा थी !
- दशरथ ने भी अशोक के समान देवान प्रियदर्शी की उपाधि को धारण किया !
- दशरथ ने गया जिले में स्थित नागार्जुन पहाड़ी पर ही आजीविका संप्रदाय को गुफा दान दे दी जिन्हें निम्न नामों से जाना जाता है
- गोपी का गुफा
- बौद्धिक गुफा
- वैदिक गुफा
- व सातों गुफाओं को सम्मिलित रूप से सप्त गुफा कहा जाता है !
मौर्यकालीन स्तूप
- इसका प्रारंभिक उल्लेख ऋग्वेद में हुआ !
- ऋग्वेद में धूप नामक शब्द का उल्लेख है जिसका अर्थ है कि उठती हुई जवाला/राख का ढेर
- महात्मा बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद उनकी अस्थियों पर जो स्थापित बनाया गया उसी को स्तूप का गया है !
- बुध की अस्थियों को 8 राज्यों में बांट दिया गया था!
- इन 8 में से वर्तमान में केवल पिपरवा (उत्तर प्रदेश) के स्तूप के अवशेष मिलते हैं !
- बौद्ध ग्रंथ दिव्या दान के अनुसार अशोक के द्वारा 84000 स्तूपो का निर्माण करवाया गया !
- अशोक के समय निर्मित स्तूपो में भरहुत (मध्य प्रदेश) का स्तूप सबसे प्राचीन है !
- इसकी खोज 1872-73 में कनिखम के द्वारा की गई !
- सर्वप्रथम जातक कथाओं का भरहुत के स्तूप पर किया गया !
- जातक कथाओं का अर्थ- बुद्ध के जीवन से संबंधित घटनाओं से है !
- इस स्तूप पर अजातशत्रु महात्मा बुद्ध की वंदना करते हुए दिखाया गया है !
- मौर्य काल में इस स्तूप की वेदिका लकड़ी की बनी होती थी सुंग काल में इसे पत्थर की बनवाई गई !
- अशोक के समय निर्मित स्तूपो में सांची का स्तूप सबसे प्रसिद्ध है !
- इसके निर्माण में अशोक की पत्नी देवी/महादेवी का योगदान माना जाता है !
- इसकी खोज 1818 में रॉयल ट टेलर के द्वारा की गई !
- 1920 -30 में जॉन मार्शल इस पहाड़ी को साफ करवा कर इस स्तूप के अन्य अवशेष की खोज की
सांची के स्तूप
:- सांची से कुल 3 स्तूप मिले हैं जो कि निम्न प्रकार से हैं
- स्तूप A – “बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं” !
- स्तूप B – इसमें बौद्ध प्रचार को के अवशेष रखे गए हैं !
- स्तूप C – इसमें बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र,
- के अवशेष मिलते हैं !
- सारनाथ का धमेख स्तूप अशोक के समय निर्मित था !
- प्रारंभिक स्तूपो का निर्माण ईटों, लकड़ियों, व पत्थरों से हुआ !
- चट्टानों को काटकर बनाए गए स्तूपो को चैत्य कहा जाता है तथा बौद्ध भिक्षुओं के पूजा स्थान भी होते हैं !
- बौद्ध भिक्षुओं के आवास स्थलों को विहार कहा जाता है !
स्तूपो के प्रकार
- स्तूपो के चार प्रकार होते हैं जोकि निम्नलिखित हैं
- शारीरिक स्तूप :- जिनमें बुद्ध के अवशेष रखे गए हैं उनको सबसे पवित्र माना गया है !
- पारभोगिक स्तूप :- बुद्ध तथा उनके शिष्यों ने अपने जीवन काल में जिन वस्तुओं का उपयोग किया हो जैसे भिक्षा पात्र आदि !
- उद्ददेसिक स्तूप :- बुद्ध तथा उनके शिष्यों ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के उद्देश्य जिन स्थानों की यात्रा की
- संकल्पित स्तूप :- राजा व व्यापारियों के द्वारा बनाए गए स्तूप
मौर्य कालीन साहित्य
- यूनान के शासक सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को अपना दूध बनाकर चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था !
- मेगस्थनीज 299 ईसवी पूर्व तक चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहा जहां उसने यूनानी भाषा इंडिका नामक पुस्तक लिखी !
- परंतु यह अभी तक प्राप्त नहीं हुई परंतु कई बाद के लेखकों ने अपनी पुस्तक में लिखा है
- कि मेगस्थनीज के द्वारा इंडिका लिखी गई जिसमें इन बातों को लिखा गया है
- एरियन – ए वीसीयस (सिकंदर की जीवनी)
- स्ट्रेबो – जियोग्राफिक
- जस्टिन – एपि टाम
- प्लितार्क – लहिब्स
- पिलनी – natural storica
- Talmi – जो ग्राफी
- मेगास्थनीज ने कहीं पर भी चाणक्य नाम का उल्लेख नहीं किया !
- मेगास्थनीज ने कई बातें असत्य कही जैसे-
- भारत में अकाल नहीं पड़ते
- भारतीयों को लेखन कला का ज्ञान नहीं है
- भारत में दास प्रथा का प्रचलन नहीं था
- भारतीय समाज सात वर्गों में विभक्त था
- जैन आचार्य भद्रबाहु ने कल्पसूत्र की रचना की
- चंद्रगुप्त के पुरोहित या प्रधानमंत्री चाणक्य (कौटिल्य) विष्णु गुप्त ने संस्कृत भाषा में अर्थशास्त्र की रचना की
- यह संस्कृत में लिखित एक पांडुलिपि थी
- इसमें 15 अधिकरण व 180 प्रकरण है
- 1905 में तंजौर (कर्नाटक) के ब्राह्मण ने इसकी पांडुलिपि तंजौर के सरकारी पुस्तकालय कक्ष श्याम प्रसाद शास्त्री को भेंट की थी !
- 1902 में इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया !
- चाणक्य ने अपनी पुस्तक न तो चंद्रगुप्त मौर्य और न ही मेगास्थनीज के नाम का उल्लेख किया है !
मौर्य कालीन सिक्के
- इन सिक्कों को आहत/पंचमार्क सिक्के कहते हैं !
- धातु को पिघला कर किसी वस्तु से दबाकर इन सिक्कों का निर्माण किया जाता था !
- इन पर सूर्य, चंद्रमा, पशु पक्षी, इत्यादि की आकृति बनी होती थी !
- टकसाल के अधिकारी को कोषाध्यक्ष कहते थे !
- रूप दर्शक नामक अधिकारी इन सिक्कों की जांच करता था !
- स्वर्ण सिक्के :- 1 स्वर्ण 2. निसक
- चांदी के सिक्के :- 1. पण 2. धरण 3. कर्सापन
- ताम्र सिक्के :- 1. भासक 2. काकनी
मौर्यकालीन गुहालेख http://मौर्यकालीन गुहालेख