राष्ट्रीय विकास परिषद के सदस्य कौन होते हैं?
योजना के निर्माण में राज्यों की भागीदारी होनी चाहिए, इस विचार को स्वीकार करते हुए सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा 6 अगस्त, 1952 ई० को राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन हुआ.प्रधानमंत्री, परिषद का अध्यक्ष होता है. … भारतीय संघ के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री एवं योजना आयोग के सभी सदस्य इसके पदेन सदस्य होते हैं।
योजना आयोग की क्या भूमिका है?
योजना आयोग का गठन वर्ष 1950 में एक मंत्रिमंडलीय संकल्प द्वारा पूर्व यूएसएसआर से प्रेरित होकर किया गया था। योजना आयोग का मुख्य उद्देश्य देश में उपलब्ध संसाधनों का सही आकलन करते हुए विकास की आवश्यकता के अनुसार पंचवर्षीय योजना का निर्माण एवं प्राथमिकता अनुसार संसाधनो का सही आवंटन था।
योजना आयोग एवं राष्ट्रीय विकास आयोग
राष्ट्रीय विकास आयोग
राष्ट्रीय विकास परिषद् स्थापना ( National Development Commission )
राष्ट्रीय विकास परिषद् स्थापना ( National Development Commission )
केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन को देखते हुए योजना तैयार करने में राज्यों का भाग लेना अनिवार्य था इसलिए 6 अगस्त, 1952 को राष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना की गई
यह एक संविधानोत्तर निकाय है जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसके पदेन सदस्य होते हैं।
सदस्यः
प्रधानमंत्री पदेन सभापति, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री ,योजना आयोग के सदस्य, केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासक, मंत्रिमंडल के मंत्री।
कार्यः
राष्ट्रीय विकास परिषद् के कार्य निम्नलिखित हैं
- योजना आयोग को प्राथमिकताएं निर्धारित करने में परामर्श देना।
- योजना के लक्ष्यों के निर्धारण में योजना आयोग को सुझाव देना
- योजना को प्रभावित करने वाले आर्थिक एवं सामाजिक घटकों की समीक्षा करना
- योजना आयोग द्वारा तैयार की गई योजना का अध्ययन करके उसे अंतिम रूप देना तथा स्वीकृति प्रदान करना
- योजना आयोग के संचालन का समय-समय पर मूल्यांकन करना।
सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) नामक नया संस्थान का गठन किया योजना आयोग का गठन एक मंत्री मंडलीय प्रस्ताव के जरिए 15 मार्च, 1950 को किया गया था।
लगभग 65 वर्षों के बाद देश ने खुद में एक अर्द्ध विकसित अर्थव्यवस्था से एक उभरते वैश्विक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में आमूल-चूल परिवर्तन किया है।
नीति आयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए कार्य करेगा: –
- राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा।
- नीति आयोग का विजन बल प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को ‘राष्ट्रीय एजेंडा’ का प्रारूप उपलब्ध कराना है।
- सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण करसकता है इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल
नीति आयोग का गठन इस प्रकार होगा:-
- भारत के प्रधानमंत्री- अध्यक्ष ।
- गवर्निंग काउंसिल में राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे
- विशिष्ट मुद्दों और ऐसे आकस्मिक मामले, जिनका संबंध एक से अधिक राज्य या क्षेत्र से हो
देखने के लिए क्षेत्रीय परिषद गठित की जाएंगी। ये परिषदें विशिष्ट कार्यकाल के लिए बनाई जाएंगी। भारत के प्रधानमंत्री के निर्देश पर क्षेत्रीय परिषदों की बैठक होगी
पूर्णकालिक संगठनात्मक ढांचे में (प्रधानमंत्री अध्यक्ष होने के अलावा) निम्न होंगे:-
- (i) उपाध्यक्षः प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त।
- (ii) सदस्यः पूर्णकालिक
- (iii) अंशकालिक सदस्यः अग्रणी विश्वविद्यालय शोध संस्थानों और संबंधित संस्थानों से अधिकतम दो पदेन सदस्य, अंशकालिक सदस्य बारी के आधार पर होंगे।
- (iv) पदेन सदस्यः केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से अधिकतम चार सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नामित होंगे। यदि बारी के आधार को प्राथमिकता दी जाती है तो यह नियुक्ति विशिष्ट कार्यकाल के लिए होंगी।
- (v) मुख्य संचालन अधिकारीः भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी को निश्चित कार्यकाल केलिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
- (vi) सचिवालय आवश्यकता के अनुसार।