1. जयपुर प्रजामंडल
जयपुर राज्य में सर्वप्रथम राजनैतिक चेतना की अलख अर्जुन लाल सेठी ने जगाई थी
इसी कारण इन्हें राज जयपुर राज्य में जनजागृति का जनक कहते हैं।
सन् 1960 में अर्जुन लाल सेठी द्वारा जयपुर में जैन वर्धमान विद्यालय की स्थापना होती है।
वास्तव में यह विद्यालय क्रांतिकारियों का प्रशिक्षण केंद्र था।
सन् 1921 में जमनालाल बजाज द्वारा रायबहादुर की उपाधि का त्याग किया जाता है।
सन 1927 में जमनालाल बजाज द्वारा जयपुर में चरखा संघ की स्थापना होती है।
सन् 1931 में कर्पूरचंद पाटनी के द्वारा जयपुर प्रजामंडल की स्थापना होती है। यह प्रजामंडल असफल रहता है
इस प्रजा मंडल का अध्यक्ष कपूरचंद पाटनी को ही बनाया जाता है।
सन् 1936 में जयपुर प्रजामंडल की पुनः स्थापना होती है और अध्यक्ष चिरंजीलाल मिश्र को बनाया जाता है।
सन् 1938 में जयपुर प्रजामंडल का अध्यक्ष बनाया जाता है
सन् 1940 में प्रजामंडल का अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री बनता है।
सन् 1942 में जयपुर के पीएम मिर्जा इस्माइल खां तथा हीरालाल शास्त्री के मध्य जेंटलमैन एग्रीमेंट होता है।
इस एग्रीमेंट की शर्तें निम्न थी –
1. जयपुर की सरकार युद्ध में अंग्रेजों का साथ नहीं देगी।
2. प्रजामंडल अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर सकता है।
3. जयपुर प्रजामंडल भारत छोड़ो आंदोलन में भाग नहीं लेगा
जयपुर प्रजामंडल का एक वर्ग ( जिसमें बाबा हरिश्चंद्र, रामकरण जोशी, हंस राय दौलतमंद भंडारी आदि शामिल थे )
उन्होंने 1942 में एक नए संगठन आजाद मोर्चा का गठन किया।
आजाद मोर्चा भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेता है।
सन् 1945 में पंडित नेहरू के प्रयासों से आजाद मोर्चे का जयपुर प्रजामंडल में विलय हो जाता है।
सन् 1946 में देवी शंकर तिवारी को मंत्री बनाया जाता है।
सन् 1946 ईस्वी में ही जयपुर प्रजामंडल अखिल भारतीय लोक परिषद का अंग बन गया।
अब जयपुर प्रजामंडल जयपुर जिला कांग्रेस के नाम से जाना जाने लगा।
2. मारवाड़ प्रजामंडल।
सन् 1915 ईस्वी में मरुधर मित्र हितकारिणी सभा की स्थापना होती है ।
सन् 1920 में मारवाड़ सेवा संघ की स्थापना होती है।
सन् 1923 में मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना होती है। इस के नेतृत्व में तोल आंदोलन चलाया गया।
सन् 1931 में जयनारायण व्यास के घर मारवाड़ यूथ लीग की स्थापना होती है।
नवंबर, 1931 में मारवाड़ राज्य लोक परिषद का पुष्कर में अधिवेशन होता है इसमें भाग लेने के लिए कस्तूरबा गांधी आती है
प्रजामंडल आंदोलन के दौरान जय नारायण व्यास की पत्रिकाएं – पोपा बाई की पोल तथा मारवाड़ की अवस्था।
सन् 1934 में मारवाड़ प्रजामंडल की स्थापना होती है ।जिसका अध्यक्ष भंवरलाल सर्राफ को बनाया जाता है।
जय नारायण व्यास की सक्रियता के कारण इनका मारवाड़ से निष्कासन हो जाता है।
बीकानेर के गंगा सिंह की मध्यस्था से निष्कासन रद्द होता है ।
सन् 1936 में प्रजामंडल के नेताओं से मिलने पंडित नेहरू आते हैं।
सन् 1937 में मारवाड़ प्रजामंडल पर रोक लग जाती है।
सन 1938 में मारवाड़ प्रजामंडल के नेताओं से मिलने सुभाष चंद्र बोस और विजय लक्ष्मी पंडित आते हैं।
सन् 1939 में मारवाड़ में अकाल पड़ता है। जोधपुर के उम्मेद सिंह अकाल राहत कार्यों में 80 लाख रुपए खर्च करता है।
सन् 1941 में नगरपालिका के चुनाव होते हैं। जयनारायण व्यास अध्यक्ष चुने जाते हैं ।
सन् 19 जून, 1942 को जोधपुर जेल में क्रांतिकारी बालमुकुंद बिस्सा की भूख हड़ताल से मृत्यु हो जाती है।
सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रजामंडल के नेताओं ने गिरफ्तारियां दी।
मारवाड़ प्रजामंडल से संबंधित पुस्तकें —
1. संघर्ष क्यों ? – लेखक – रणछोड़ गट्टानी,
2. उत्तरदायी शासन के लिए संघर्ष – लेखक – जयनारायण व्यास
3. मारवाड़ प्रजामंडल परिषद क्या है? – लेखक – अभयमल जैन
4. अखंड भारत – जय नारायण व्यास का बम्बई से प्रकाशित समाचार पत्र।
3. मेवाड़ प्रजामंडल
मेवाड़ प्रजामंडल के सक्रिय नेता –
1. माणिक्य लाल वर्मा
2. रमेश चंद्र शर्मा
3. भूरेलाल बंया
4. बलवंत सिंह मेहता
5. नारायणी देवी वर्मा
प्रजामंडल आंदोलन के दौरान माणिक्य लाल वर्मा की पुस्तिका मेवाड़ में वर्तमान शासन बिकती है।
24 अप्रैल 1938 को बलवंत सिंह मेहता के घर मेवाड़ प्रजामंडल की स्थापना होती है।
इसका अध्यक्ष बलवंत सिंह मेहता को बनाया जाता है और मंत्री माणिक्य लाल वर्मा को बनाया जाता है। जो इस का संस्थापक भी था।
मई 1938 में मेवाड़ प्रजामंडल पर रोक लग जाती है। प्रजामंडल का सदस्य भूरेलाल बंया को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
सन् 1939 में मेवाड़ प्रजामंडल के नेता सत्याग्रह करते हैं।
1939 में ही मेवाड़ में नारायणी देवी वर्मा के नेतृत्व में अकाल राहत समिति का गठन होता है।
सन् 1941 में मेवाड़ का P.M. सर. टी. विजय राघवाचार्य मेवाड़ प्रजामंडल से रोक हटा देता है।
सन् 1941 में मेवाड़ प्रजामंडल का अधिवेशन शाहपुरा की हवेली उदयपुर में होता है
जिसके उद्घाटन में विजय लक्ष्मी पंडित और राजगोपालाचारी आते हैं।
सन् 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मेवाड़ प्रजामंडल के नेता मेवाड़ के महाराणा को अंग्रेजों से संबंध खत्म करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हैं।
आंदोलन के दौरान नेताओं ने गिरफ्तारियां दी।
माणिक्य लाल वर्मा को कुंभलगढ़ जेल में रखा गया।
भूरे लाल बंया को सराडा़ जेल में रखा गया। सराडा जेल को मेवाड़ का काला पानी कहते हैं।
31 दिसंबर, 1945 से 1 जनवरी, 1946 में अखिल भारतीय देसी राज्य लोक परिषद् का छठा अधिवेशन उदयपुर में होता है
1946 में के. एम. मुंशी मेवाड़ के लिए संविधान लिखता है।
मेवाड़ में उत्तरदायी शासन के लिए मुंशी योजना या धारा सभा का गठन किया गया।
4. बीकानेर प्रजामंडल
नोट :- बीकानेर रियासत राजपूताने की एकमात्र रियासत थी जहां तिरंगा फहराने, जय हिंद और वंदे मातरम बोलने और खादी प्रचार पर पूर्णतया रोक थी।
26 जनवरी, 1930 को चूरू के धर्म स्तूप पर चंदनमल बहड़ और इसके साथी तिरंगा फहराते हैं। सभी गिरफ्तार हो जाते हैं।
बीकानेर का गंगा सिंह राजपूताने का एकमात्र शासक था जो लंदन में आयोजित तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लेता है और स्वयं को आधुनिक और विकासशील शासक प्रस्तुत करता है।
गोलमेज सम्मेलन 1930, 1931 और 1932 में हुए। तीनों लंदन में आयोजित होते हैं।
– रैम्जे मैकडोनाल्ड को बनाया जाता है
से प्रजामंडल के नेता बीकानेर रियासत में गंगा सिंह के विरुद्ध पर्चे बांटते हैं।
दिग्दर्शिका नामक पत्रिका बाँटी जाती है।
सिंह लंदन से वापस आकर सबको जेल में डाल देता है।
घटनाक्रम को बीकानेर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है।
प्रजामण्डल के सक्रिय नेता —
1. मघाराम वेद
2. लक्ष्मी देवी आचार्य
3. वकील रघुवर दयाल गोयल
4. चंदनमल बहड़ सन 1932 में बीकानेर सेफ्टी एक्ट लागू होता है।
- इसमें बीकानेर की सुरक्षा के नाम पर जनता के लिए दमनकारी नीतियां थी।
इसे बीकानेर का काला कानून कहा जाता है। - सन् 1935 में कोलकाता में बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना होती है। जिसका अध्यक्ष लक्ष्मी देवी आचार्य को बनाया जाता है।
- कोलकाता से ही भीम शंकर शर्मा और साथी बीकानेर की थोथी पोथी नामक पत्रिका प्रकाशित करवाते हैं।
- सन् 1936 में पुनः बीकानेर प्रजामंडल की स्थापना होती है। अध्यक्ष मघाराम वेद को बनाया जाता है।
- सन 1942 में वकील रघुवर दयाल गोयल द्वारा बीकानेर राज्य लोक परिषद की स्थापना होती है।
- रघुवर दयाल का बीकानेर से निष्कासन हो जाता है।तीनोंअध्यक्षपीछेबीकानेरगंगा
23 जनवरी को बीकानेर में सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाई जाती है।
26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
नोट :-
स्वामी गोपाल दास द्वारा सन् 1913 में चूरू में सर्व हितकारिणी सभा की स्थापना की जाती है।
गोपाल दास द्वारा स्थापित अन्य संस्थान –
↪️ कबीर पाठशाला ↪️ पुत्री पाठशाला
5. बूंदी प्रजामंडल
सन् 1931 में बूंदी प्रजामंडल की स्थापना होती है।
अध्यक्ष कांतिलाल को बनाया जाता है।
सन् 1944 में ऋषि दत्त मेहता द्वारा बूंदी राज्य लोक परिषद की स्थापना होती है।
1944 – 45 बूंदी प्रजामंडल के नेता बूंदी में जुलूस निकालते हैं गोलियां चला दी जाती है।
वकील राम कल्याण शहीद हो जाता है।सन्
6. कोटा प्रजामंडल
कोटा में जन चेतना जगाने का श्रेय पंडित नयनू राम शर्मा को है।
सन् 1927 में पंडित नयनू राम शर्मा अखिल भारतीय देसी राज्य लोक परिषद के अधिवेशन में भाग लेते हैं।
1934 में नयनू राम शर्मा द्वारा हाड़ौती प्रजामंडल की स्थापना होती है।
1939 में कोटा प्रजामंडल की स्थापना होती है। अध्यक्ष नयनूराम शर्मा बनता है।
1939 में मांगरोल ( बांरा ) में कोटा प्रजामंडल का अधिवेशन होता है।
1941 में पंडित नयनू राम शर्मा की हत्या हो जाती है।
7. सिरोही प्रजामंडल
सिरोही में जनचेतना जगाने का श्रेय गोकुल भाई भट्ट को है।
1935 में बम्बई में सिरोही प्रजामंडल के नेता प्रवासी सिरोही प्रजामंडल की स्थापना करते हैं।
से ही सिरोही संदेश नामक पत्रिका का प्रकाशन किया जाता है जिसका श्रेय पंडित भीम शंकर शर्मा को है।
1939 में सिरोही प्रजामंडल की स्थापना होती है गोकुल भाई भट्ट को अध्यक्ष बनाया जाता है।सन्बम्बईसन्
8. भरतपुर प्रजामंडल
सन् 1912 में द्वारका प्रसाद शास्त्री और जगन्नाथ अधिकारी द्वारा हिंदी साहित्य समिति की स्थापना होती है।
सन् 1921 में जुगल किशोर चतुर्वेदी द्वारा भरतपुर विद्यार्थी परिषद की स्थापना होती है।
के सक्रिय नेता –
1. जुगल किशोर चतुर्वेदी
2. गोपीलाल यादव
3. ठाकुर देशराज
4. मास्टर आदित्येंद्र सिंह
5. सरस्वती बोहरा
में शासक किशन सिंह का काल शासन सुधार का काल कहलाता है।
सिंह हिंदी को राज्य भाषा बनाने पर जोर देता है। और जनता के लिए सुधारवादी नीतियां अपनाता है।
किशन सिंह की इन नीतियों को देखकर अंग्रेज किशन सिंह को हटाकर डंकन मैकेंजी की नियुक्ति कर देते हैं।
1927 में भरतपुर की जनता ने किशन सिंह के समर्थन में जो आंदोलन चलाया उसे शुद्धि आंदोलन कहते हैं।
1938 में रेवाड़ी हरियाणा में भरतपुर प्रजामंडल की स्थापना होती है। अध्यक्ष गोपी लाल यादव को बनाया जाता है।
सन् 1939 में 6 से 13 अप्रैल भरतपुर में जलियांवाला बाग हत्याकांड सप्ताह मनाया जाता है।
देवी के नेतृत्व में खादी और स्वदेशी का प्रचार किया जाता है।
सन् 1942 में प्रजामंडल भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेते हैं।
नेता गिरफ्तारियां देते हैं। महिलाएं सरस्वती बोहरा के नेतृत्व में गिरफ्तारियां देते हैं। प्रजामंडलभरतपुरकिशनसन्सन्उत्तमा
9. डूंगरपुर प्रजामंडल
सन् 1919 में डूंगरपुर में आदिवासी छात्रावास की स्थापना भोगीलाल पंड्या द्वारा होती है।
सन् 1929 में गोरी शंकर उपाध्याय द्वारा सेवा आश्रम की स्थापना होती है। इसके द्वारा सेवक नामक समाचार पत्र निकाला जाता है।
1935 में भोगीलाल पंड्या द्वारा हरिजन सेवा संघ की स्थापना होती है।
सन् 1935 में माणिक्य लाल वर्मा द्वारा खांडलोई आश्रम की स्थापना होती है।
सन् 1935 में भोगीलाल पंड्या और माणिक्य लाल वर्मा द्वारा बागड़ सेवा मंदिर की स्थापना होती है।
1938 में डूंगरपुर सेवा संघ की स्थापना होती है।
26 जनवरी, 1944 को डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना होती है। जिसका अध्यक्ष भोगीलाल पंड्या को बनाया जाता है।
नोट :-
डूंगरपुर राज्य राजपुताने की एकमात्र रियासत जहां के सांसद लक्ष्मण सिंह ने शिक्षा, स्कूल, प्रैस, पत्रिका आदि पर पूर्णतः रोक लगा रखी थी।
पूनावाड़ा कांड ( 30 मई, 1947 )
पूनावाड़ा में मास्टर शिवराम भील स्कूल चलाते थे। राज्य के सिपाही स्कूल तोड़ देते हैं और मास्टर के साथ मारपीट करते हैं।
रास्तापाल कांड — 19 जून, 1947
➤ रास्तापाल में स्कूल प्रबंधक नानाभाई खाँट की हत्या कर दी जाती है और स्कूल मास्टर सेंगाभाई को गाड़ी से बांधकर खींचा जाता है।
➤ मास्टर को बचाने के लिए 13 वर्षीय भील बालिका काली बाई शहीद हो जाती है।सन्सन्
➤ इस घटना की याद में रास्ता पाल में हर साल तारीख 21 जून को मेला लगता है।
प्रजामंडल
10. जैसलमेर प्रजामंडल
जैसलमेर राजस्थान की एकमात्र रियासत है जहां के शासकों ने उत्तरदायी शासन के लिए कोई प्रयास नहीं किए।
नेता –
1. सागरमल गोपा
2. शिवशंकर गोपा
3. मीठा लाल व्यास
4. रघुनाथ सिंहसक्रिय
14 नवंबर, 1930 को जैसलमेर में जवाहर दिवस मनाया जाता है।
सन् 1932 में जैसलमेर में माहेश्वरी युवक मंडल की स्थापना होती है।
के दौरान सागरमल गोपा की किताब जैसलमेर में गुंडाराज प्रकाशित होती है।
गोपा पर राजद्रोह का केस होता है।
1942 में गोपा गिरफ्तार होते हैं। जेल में थानेदार गुमान सिंह गोपा पर अमानवीय अत्याचार करता है।
सन् 1945 में जोधपुर में जैसलमेर प्रजामण्डल की स्थापना होती है।अध्यक्ष मीठालाल व्यास को बनाया जाता है।
4 अप्रैल, 1946 को जैसलमेर जेल में सागरमल गोपा को जिंदा जला दिया जाता है।आंदोलनसन्
⚫️ गोपा की अन्य किताबें –
1. आजादी के दीवाने
2. रघुनाथ सिंह का मुकदमा
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