शिक्षा मनोविज्ञान (Teaching Methods in Hindi), मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें इस बात का अध्ययन किया जाता है कि मानव शैक्षिक वातावरण में सीखता कैसे है तथा शैक्षणिक क्रियाकलाप अधिक प्रभावी कैसे बनाये जा सकते हैं। … अतः इसका शाब्दिक अर्थ है – शिक्षा मनोविज्ञान।
शिक्षा मनोविज्ञान के जनक कौन है?
मनोविज्ञान के जनक विलियम जेम्स को माना जाता है। प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जनक विल्लियम वुण्ट हैं। शिक्षा मनोविज्ञान के जनक थार्नडाइक हैं।
शिक्षण विधि का अर्थ
किसी विषय के ज्ञान को छात्रो तक किस प्रकार पहुँचाया जाए जिससे वे उस निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति कर सकें। वह पद्रृति’ शिक्षण पदृति’ कहलाती हैं।
शिक्षा मे ‘पदृति’ शब्द का प्रयोग शिक्षक के लिए उन प्रक्रियाओं के लिए किया जाता हैं जिसके द्रारा बालक उस विषय-वस्तु ज्ञान को सीखता हैं
अन्य विषयों की भाँति सामाजिक विज्ञान शिक्षण मे भी बहुत सी शिक्षण विधियां हैं जो निम्नलिखित हैं:
- भ्रमण विधि
- इकाई शिक्षण विधि
- निरीक्षण (अवलोकन)विधि
- समस्या समाधान विधि
- प्रायोजना या योजना विधि
- अनुसंधान विधि
- कार्यगोष्ठी विधि
- वार्तालाप विधि
- स्त्रोत सन्दर्भ विधि
- व्यक्तिश शिक्षण विधि
शिक्षण अभ्यास:- शिक्षण अभ्यास का आखिरी चरण छात्राध्यापक द्रारा कक्षा में अध्यापन होता हैं यह स्कूल की वास्तविक दशा मे सम्पन्न किया जाता हैं छात्रध्यापक अपने सीखे गये अध्यापन कौशल का प्रयोग इसी समय में करता है।
शिक्षण- अभ्यास का अभ्रिप्राय अध्यापन विषयों का शिक्षण मात्र से न होकर स्कूल के विभिन्न प्रकार के अनुभव से होता हैं शिक्षण-अभ्यास कार्यक्रम मे निम्न कार्यो को शामिल किया जाता है
- कक्षाध्यापन कार्य
- पाठ्य-सहकर्मी प्रवृत्तियों का प्रयोजन एवं कार्यान्वित।
- स्कूल संम्बंन्धी अभिलेखों की तैयारी एवं प्रयोग
- छात्रो के प्रगति अभिलेख का संचित अभिवृत्ति तैयार करना एवं उसकी पूर्ति करना
- छात्रो का पूर्ण प्रगति प्रतिवेदन तैयार करना
- छात्रो के कार्यों का मूल्यांकन
- जो छात्र आवश्यकता अनुभव करे,उनकी सहायता करना
- प्रधानाचार्य, परिवीक्षक,अध्यापक,छात्रो के मध्य उचित मानवीय सम्बन्धों का विकास करना
इस शिक्षण -अभ्यास कार्यक्रम को कई विद्रान शिक्षण क्षण कार्य शिक्षक भी कहते है
विधियों के प्रकार
भ्रमण विधि:- इस विधि का प्रयोग सामाजिक विज्ञान के लिए उपयुक्त कहा जा सकता हैं विद्दार्थी को स्कूल प्रांगण से बाहर आकर सामाजिक संगठनों, भौगौलिक परिस्थितियों, ऐतिहासिक स्मारकों, प्राकृतिक और औद्योगिक परिवेश मे बहुत सी वस्तुओं एवं क्रियाओं को वास्तविक रुप मे देखने का अवसर मिलता हैं
इससें छात्र सक्रिय, रुचिशील एवं प्रत्यक्ष परिस्थिति के सम्पर्क मे आता है। भ्रमण का मूल आधार’ निरीक्षण की प्रक्रिया’ ही है ऐसी स्थिति मे विद्दार्थीयों को स्थान विशेष पर ले जाकर निरीक्षण योग्य बातो का निरीक्षण किया जाता हैं
भ्रमण का संचालन- भ्रमण को निर्धारित करने से पूर्व निम्नलिखित बाते ध्यान मे रखनी अत्यावश्यक हैं भ्रमण के उद्देश्यो का निर्धारण किया जाएं उचित स्थान का चयन किया जाए जहाँ उद्देश्य की पूर्ति हो सक आवश्यक सामान व खाने-पीने की व्यवस्था पहले से ही कर दी जाए
भ्रमण के उद्देश्य:- भ्रमण के सामाजिक विज्ञान के प्रति विद्दाथिर्यो की रुचि जाग्रत की जाती हैं विद्दार्थी की अवलोकन शक्ति का विकास होता हैं
भ्रमण के प्रकार:-
- लघु भ्रमण
- सामान्य भ्रमण तथा
- वृहद भ्रमण
शिक्षक मे भ्रमण का समुचित प्रयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता हैं:-
- शैक्षणिक बिन्दु का चुनाव
- स्थान विशेष का चयन
भ्रमण के संगठन
- पूर्व शैक्षिक तैयारी
- व्यवस्था सम्बन्धी तैयारी
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सामाजिक विज्ञान_शिक्षण के उद्देश्य:-
- बालको मे सामाजिक गुणों का विकास-
- समाज स्वीकृत मूल्यों को सही दिशा मे लाने का अभ्यास
- बालको को उनके सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक पर्यावरण से अवगत कराना
- विश्व-बन्धुता की भावना का विकास:
- प्रजातांत्रिक सामाजिक व्यवस्था मे जीवन व्यतीत करने का कौशल
- राष्ट्रीय धरोहर के प्रति सुरक्षा एवं सम्मान की भावना रखना
- ग्लोब, मानचित्र, चित्र एवं रेखांचित्र का अध्ययन