संप्रभुता की विशेषताएं या लक्षण (samprabhuta ki visheshtaen yah Lakshan ) इस लेख के माध्यम से संप्रभुता की विशेषताओं के बारे में जानेंगे इसलिए अंत तक आपको संप्रभुता की विशेषताओं को ध्यान से पढ़ना है यह टॉपिक एग्जाम की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है !
संप्रभुता की विशेषताएं या लक्षण (Samprabhuta ki Visheshta)
संप्रभुता की विशेषताएं या लक्षण निम्न प्रकार से :-
1. असीमता
सम्प्रभुता का पहला और अंतिम लक्षण उसका सर्वोच्च और असीम होना है। राज्य की संप्रभुता निरंकुश और असीम होती है। इसका तात्पर्य यह है कि वह विधि के द्वारा भी सीमित नही की जा सकती है। संप्रभुता के ऊपर अन्य किसी शक्ति का प्रभुत्व या नियंत्रण नही होता है। वह आन्तरिक और बाहरी विषयों मे पूर्णतया स्वतंत्र है।
वह किसी अन्य शक्ति की आज्ञाओं का पालन करने के लिये बाध्य नही है, वरन् देश के अंतर्गत निवास करने वाले समस्त व्यक्ति उसकी आज्ञाओं का पालन करते है। यदि कोई शक्ति संप्रभुता को सीमित करती है तो सीमित करने वाली शक्ति ही संप्रभुता बन जाती है।
2. स्थायित्व
संप्रभुता कुछ समय के लिए रहती है और कुछ समय के लिए नही रहती ऐसा नही होता। राज्य की संप्रभुता मे स्थायित्व होता है। प्रजातांत्रिक राज्यों मे सरकार के बदलने से संप्रभुता पर कोई अंतर नही आता क्योंकि संप्रभुता राज्य का गुण है सरकार का नही। संप्रभुता के अंत का अभिप्राय राज्य के अंत से होता है।
3. मौलिकता
संप्रभुता की तीसरी विशेषता यह की संप्रभुता राज्य की मौलिक शक्ति है अर्थात् उसे यह शक्ति किसी अन्य से प्राप्त नही होती, बल्कि राज्य स्वयं अर्जित करता है और स्वयं ही उसका प्रयोग भी करता है। जबकि संप्रभुता ही सर्वोच्च शक्ति होती है। वह न तो किसी को दी जा सकती है और न ही किसी से ली जा सकती है।
4. सर्वव्यापकता
देश की समस्त शक्ति एवं मानव समुदाय संप्रभुता की अधीनता मे निवास करते है। कोई भी व्यक्ति इसके नियंत्रण से मुक्त होने का दावा नही कर सकता। राज्य अपनी इच्छा से किसी व्यक्ति विशेष को कुछ विशेष अधिकार प्रदान कर सकता हैअथवा किसी प्रान्त को स्वायत्त-शासन का अधिकार दे सकता है।
राज्य विदेशी राजदूतों से विदेशी राजाओं को राज्योत्तर संप्रभुता प्रदान करता है, किन्तु इससे राज्य के अधिकार व उसकी शक्ति परिसीमित नही हो जाती। वह ऐसा करने के उपरांत भी उतना ही व्यापक है जितना कि वह इससे पूर्व था।
5. अविभाज्यता
संप्रभुता की एक अन्य विशेषता उसकी अविभाज्यता है। इसे विभाजित करके बाँटा नही जा सकता। एक राज्य मे एक ही संप्रभुता हो सकती है। संप्रभुता का अर्थ ही होता है- सर्वोच्च शक्ति और यदि इसे विभाजित कर दिया जाता है, तो वह सर्वोच्च नही रह जायेंगी।
6. अनन्यता
संप्रभुता अनन्य मानी गई है। इसका अर्थ यह है कि राज्य मे केवल एक ही संप्रभुता शक्ति हो सकती है, दो नही। संप्रभुता का अपने क्षेत्र मे कोई प्रतिद्वंद्वी नही होता है।
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