सामाजिक अध्ययन (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है ‘सामाजिक विज्ञान’। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं।
सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो के साथ संबंध
सामाजिक_अध्ययन
समस्त ज्ञान को क्रमिक रुप से निम्नलिखित तीन वर्गों मे विभक्त किया जा सकता हैं
- प्राकृतिक विज्ञान
- मानविकी
- सामाजिक विज्ञान
ज्ञान जगत् के वे सभी विषय जिनका विकास व विस्तार मानव ने स्वंय अपनी गतिविधियों से किया है एवं इसमे प्रकृति का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कोई हस्तक्षेप नहीं रहा हैं।
सामाजिक विज्ञान क्षेत्र के विषय हैं।सामाजिक विज्ञान के विषय के अन्तर्गत आने वाले विषय भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुंसधान परिषद् के अनुसार निम्न हैं-
- वाणिज्य
- जनसंख्या शास्त्र
- शिक्षा
- पत्रकारिता
- पुस्तकालय
- भाषा-विज्ञान
- प्रबंधन अध्ययन
- लोक प्रशासन
- नगर एवं राष्ट्रीय नियोजन
- विज्ञान नीति
- सामाजिक एवं नियंत्रण औषध विज्ञान
सामाजिक विज्ञान के विषय के क्षेत्र के विशलेषण के आधार पर इसके अन्तर्गत आने वाले विषयों को दो भागों मे विभक्त करके अध्ययन किया जा सकता हैं-
- परम्परागत विषय
- नवसृजित विषय
परम्परागत विषय- इन विषयों का अध्ययन मनुष्य कई शताब्दियों से करता आया है ओर जब इनका अध्ययन करना परम्परा हो गई हैं उन विद्रानों ने परम्परागत विषय का नामकरण किया है
इसके प्रमुख विषय निम्न हैं-
- इतिहास
- भूगोल
- राजनीति विज्ञान
- अर्थशास्त्र
- समाज विज्ञान आदि
सामाजिक अध्ययन व कला
- किसी भी कार्य को सुंदर तरीके से करना कला कहलाता है है।
- मानव कई प्रकार के कार्य करता है जिसमें प्रमुख भूमि निर्माण भवन निर्माण चित्र कला, संगीत कला, नृत्य कला ,नाट्य कला आदि
- इन कलओ को संपन्न करने वाला कलाकार कहलाता है।
- व्यक्तियों को सामाजिक बनने के लिए सामाजिक अध्ययन आवश्यक होगा
सामाजिक अध्ययन व विज्ञान
- विज्ञान व्यवस्थित क्रमबद्ध जानकारी ही विज्ञान कहलाता है।
- विज्ञान को हम तीन रूपों में अध्ययन करते हैं 1. भौतिक विज्ञान 2. रासायनिक विज्ञान 3. जैविक विज्ञान
सामाजिक अध्ययन में भाषा
- भाषा एक माध्यम है जिसकी सहायता से विचारों को अभिव्यक्त किया जाता है।
- सामाजिक_अध्ययन में सामाजिक कौशल का विकास किया जाता है जिस सामाजिक कौशल का विकास अध्यापक शिक्षार्थियों को 3 तरीके से करता है बोलकर, लिखकर, व्यवहार के माध्यम से
सामाजिक अध्ययन की प्रकृति, क्षेत्र अवधारणा
सामाजिक_अध्ययन में वर्तमान में 3 शब्द काम में दिए जाते हैं।
- पर्यावरण अध्ययन– कक्षा एक से पांच तक या प्राथमिक स्तर पर।
- सामाजिक विज्ञान =कक्षा 6 से 8 तक या उच्च प्राथमिक स्तर पर
- सामाजिक_अध्ययन कक्षा 9 से 10 तक या माध्यमिक स्तर पर।
सामाजिक_अध्ययन का विषय में आधुनिक युग में पहली बार पाठ्यक्रम में 19वीं सदी में शुरुआत में धर्म नैतिकता दर्शन जैसे विषयों में शामिल किया गया।
सामाजिक_अध्ययन शब्द का पहली बार प्रयोग 1916 में अमेरिका माध्यमिक शिक्षा आयोग ने किया। भारत में सामाजिक_अध्ययन विषय को पहली बार 1937 में बेसिक एजुकेशन में शामिल किया गया।
सामाजिक_अध्ययन का अर्थ “मनुष्य और उसके वातावरण का _अध्ययन”
भारत में विभिन्न विषय को समन्वित करने का पहला प्रयास महात्मा गांधी ने किया। सामाजिक अध्ययन को भारतीय शिक्षा आयोग ने 1964 से 1966 तक स्वीकार किया गया।