सामाजिक न्याय व अधिकारिता, सामाजिक न्याय व अधिकारिता, सामाजिक न्याय व अधिकारिता
सामाजिक न्याय व अधिकारिता – कमजोर वर्गों के लिए प्रावधान
भारत में मध्यकाल से ही एक वर्ग विशेष आर्थिक रूप से पिछड़ा और पददलित रहा, संविधान की प्रस्तावना में न्याय और समता की स्थापना की बात कही गई सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना हेतु समाज के कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों तथा अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु संविधान में अनेक उपबंध किए गए हैं
संविधान के भाग 3, 4 और 16 में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए किए गए प्रावधानों का वर्गीकरण निम्न प्रकार है
1⃣ स्थाई और अस्थाई उपबंध➖ संविधान के कुछ उपबंध स्थाई हैं जबकि कुछ उपबंध एक निश्चित समय अवधि के लिए ही हैं
2⃣ संरक्षण शील और विकासशील➖ कुछ उपबंध अनुसूचित जाति और जनजातियों के अन्याय और शोषण के विरुद्ध सुरक्षा देने हेतु हैं जबकि कुछ प्रावधान उनके सामाजिक आर्थिक हितों के विकास के लिए हैं*
मूल अधिकारों के अंतर्गत प्रावधान ( Basic Rights Provisions )
- समता या समानता का अधिकार- अनुच्छेद 14 से 18 में क्रमशः विधि के समक्ष समता धर्म नस्ल जाति लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध ,लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता ,अस्पृश्यता का अंत और उपाधियों का अंत कर के सामाजिक समानता की स्थापना के प्रयास किए गए है
- स्वतंत्रता का अधिकार➖ अनुच्छेद 19 में सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के 6 प्रकार की स्वतंत्रता (मूल संविधान में 7 )प्रदान की गई है
- शोषण के विरुद्ध अधिकार➖ अनुच्छेद 23 में मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का निषेध किया गया है
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार➖ अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यकों के लिए संस्कृति के प्रसार और शिक्षा के प्रसार के अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है
नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत प्रावधान ( Provision of Policy Director Elements )
- अनु 39( क) में ➖ समान न्याय और निशुल्क विधिक सहायता ,समान कार्य के लिए समान वेतन की व्यवस्था की गई है तथा अनु च्छे 39 (ग)में धन के समान वितरण का प्रावधान किया गया है
- अनु 42 मे➖ काम की न्याय संगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता प्रदान करने की बात कही गई है
- अनु 44➖ नागरिकों के लिए समान सिविल_संहिता का प्रावधान करता है
- अनु 46➖ अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की अभिवृद्धि की बात करता है
- अनु 47➖ पोषाहार स्तर जीवन स्तर को ऊंचा करने और लोक स्वास्थ्य को सुधारने का जिम्मा राज्य का निर्धारित करता है
1. सामाजिक न्याय ( Social justice )
सामाजिक न्याय (social justice) की बुनियाद सभी मनुष्यों को समान मानने के आग्रह पर आधारित है। इसके मुताबिक किसी के साथ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पूर्वर्ग्रहों के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर किसी के पास इतने न्यूनतम संसाधन होने चाहिए कि वे ‘उत्तम जीवन’ की अपनी संकल्पना को धरती पर उतार पाएँ।
विकसित हों या विकासशील, दोनों ही तरह के देशों में राजनीतिक सिद्धांत के दायरे में सामाजिक न्याय की इस अवधारणा और उससे जुड़ी अभिव्यक्तियों का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसका अर्थ हमेशा सुस्पष्ट ही होता है।
सिद्धांतकारों ने इस प्रत्यय का अपने-अपने तरीके से इस्तेमाल किया है। व्यावहारिक राजनीति के क्षेत्र में भी, भारत जैसे देश में सामाजिक न्याय का नारा वंचित समूहों की राजनीतिक गोलबंदी का एक प्रमुख आधार रहा है।
उदारतावादी मानकीय राजनीतिक सिद्धांत में उदारतावादी-समतावाद से आगे बढ़ते हुए सामाजिक न्याय के सिद्धांतीकरण में कई आयाम जुड़ते गये हैं। जैसे- अल्पसंख्यक अधिकार, बहुसंस्कृतिवाद, मूल निवासियों के अधिकार आदि।
इसी तरह, नारीवाद के दायरे में स्त्रियों के अधिकारों को ले कर भी विभिन्न स्तरों पर सिद्धांतीकरण हुआ है और स्त्री-सशक्तीकरण के मुद्दों को उनके सामाजिक न्याय से जोड़ कर देखा जाने लगा है।
सामाजिक न्याय व अधिकारिता कमजोर वर्गो के लिए प्रावधान ( Social Justice and Empowerment Provisions for Weaker Sections )
केंद्र और राज्यों की लोक सेवाओं में नियुक्ति के समय प्रशासन की कार्य क्षमता से समझौता किए बिना अनुसूचित जाति और जनजाति के दावों पर विचार किया जाता है 83 वे संविधान संशोधन विधेयक 2000 के द्वारा इन सेवाओं में उक्त वर्गों को किसी प्रतियोगिता में प्रथम को अथवा मूल्यांकन के स्तर में छूट देने पदोन्नति में आरक्षण देने संबंधी प्रावधान किए गए हैं
राष्ट्रपति अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए और अनुसूचित क्षेत्रों के उपबंध के लिए एक आयोग गठित करेगा जो अपनी रिपोर्ट उन्हें देगा 1960में एक आयोग का गठन यू.एन. देवर के नेतृत्व में तथा 2002 में दिलीप सिंह भूरिया के नेतृत्व में दूसरे आयोग का गठन हुआ
केन्द्र अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के क्रियान्वयन तथा अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन के स्तर को उठाने के लिए आर्थिक सहायता देगा तथा केंद्र राज्य को इन योजनाओं का निर्धारण करने और इन को क्रियान्वित करने का निर्देश दे सकता है
संविधान की पांचवी और छठी अनुसूची में अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों के लिए विशेष प्रशासनिक व्यवस्था पर विचार किया गया है ऐसे क्षेत्रों को अनुसूचित क्षेत्र और जनजातीय क्षेत्र कहा गया है
अनुच्छेद 164 के अनुसार मध्य प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में जनजाति कल्याण मंत्री नियुक्त किए जाने का प्रावधान है उसे इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति पिछड़ी जाति और अन्य कार्यों का प्रभार भी दिया जा सकता है
अनुच्छेद 15( 4 )के अनुसार राज्य अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिए विशेष उपबंध बना सकता है इसके अलावा राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शैक्षणिक उत्थान के लिए इस वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में जिनमें निजी संस्थान भी शामिल है में प्रवेश के लिए विशेष उपबंध करेगा संस्थान चाहे राज्य से अनुदान प्राप्त हो या नहीं
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में यह उपबंध लागू नहीं होगा यह उपबंध 2005 के 93 संविधान संशोधन अधिनियम में जोड़ा गया है अनुच्छेद 19 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों के हितों के संरक्षण के संदर्भ में दो मौलिक अधिकारों (भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र भाग संरचण और किसी भाग में निवास करने और बस जाने का अधिकार) को प्रतिबंधित किया जा सकता है
अनुच्छेद 164 के तहत उपबंध प्रारंभ में केवल बिहार मध्य प्रदेश और उड़ीसा के लिए लागू था वर्ष 2006 के 94 संविधान संशोधन अधिनियम से अब बिहार को इस उपबंध की बाध्यता से मुक्त कर दिया गया है क्योंकि विभाजन के बाद उसकी अधिकांश जनजाति जनसंख्या नवगठित राज्य झारखंड चली गई है इस प्रकार समान उपबंध दो अन्य नवगठित राज्य छत्तीसगढ़ और झारखंड के लिए कर दिया गया है
अनुच्छेद 238 और अनुच्छेद 238( क) में राष्ट्रपति द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक सुरक्षा उपायों की जांच हेतु एक संयुक्त आयोग का गठन किया जाना उल्लेखनीय है 89 वें संविधान संशोधन विधेयक 2003 से अनुसूचित जाति और जनजाति के संयुक्त आयोग को दो भागों (अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग) में विभाजित कर दिया गया है
केंद्रीय बजट में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट प्रावधान
- वर्ष 2018-19 के लिए केंद्रीय बजट में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट प्रावधान में 12.10 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं। मंत्रालय को वर्ष 2017-18 में 6908.00 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया था जबकि वर्ष 2018-19 के लिए यह राशि बढ़कर 7750.00 करोड़ रूपये कर दी गई हैं।
- इसके साथ ही वर्ष 2017-18 के अनुपात में वर्ष 2018-19 में योजनाओं के लिए बजट आवंटन में 11.57 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं। वर्ष 2017-18 के मुकाबले वर्ष 2018-19 में अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए बजट आवंटन में 41.03 प्रतिशत की वृद्धि की गई हैं।
- अनुसूचित जातियों के लिए वेंचर कैपिटल निधि के समान अन्य पिछड़े वर्गों के लिए भी एक नई योजना वेंचर कैपिटल निधि की शुरूआत की जाएगी। इसके लिए प्रारम्भिक तौर पर 200 करोड़ रूपये की निधि बनाई गई हैं। वर्ष 2018-19 में इसके लिए 140 करोड़ रूपये प्रदान किये जाएगें।
- हाथ से मैला ढोने वाले 13,587 व्यक्तियों और उन पर निर्भर व्यक्तियो को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। हाथ से मैला ढोने वाले 809 व्यक्तियों और उन पर निर्भर व्यक्तियो को आश्रितों को बैंक द्वारा ऋण प्रदान किये जाएगें।
- पहली बार नशे से पीड़ित व्यक्तियों की पहचान के लिए राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण 185 जिले, 1.5 लाख घरों और 6 लाख व्यक्तियों पर किया जाएगा। इस सर्वेक्षण की शुरूआत हो चुकी है और इसके मार्च-अप्रैल, 2018 तक पूरा होने की संभावना है।
- पहली बार नशे से पीड़ित व्यक्तियों के पुर्नवास के लिए 200 करोड़ रूपये प्रदान किये जाएगें। देशभर में 15 जिलों में विशेष गहन कार्यक्रम आयोजितकिए जाएगें।
- नशा छुड़ाने वाले केन्द्रो का नाम बदलकर उपचार चिकित्सालय किया जाएगा। इस प्रकार के उपचार चिकित्सालय राज्यों की प्रमुख जेलों, बाल सुधार गृहो और प्रमुख सरकारी अस्पतालों में स्थापित किये जाएगें।
- अन्य पिछडे वर्गों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में आय की सीमा 44,500 रूपये बढ़ाकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष की गयी हैं। अनुसूचित जाति के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में आय की सीमा 2 लाख रूपये बढ़ाकर 2.5 लाख प्रतिवर्ष की गयी हैं।
- आवासी विद्यार्थी के लिए वृत्तिका 150 रूपये से बढ़ाकर 225 रूपये और छात्रावास में रहने वाले के लिए 350 रूपये से बढ़ाकर 525 रूपये की गयी हैं।
- अनुसूचित जाति और अन्य पिछडे वर्गों के लिए निशुल्क कोचिंग के लिए आय की सीमा 4.5 लाख से बढाकर 6 लाख रूपये की गयी हैं।
- स्थानीय छात्रों के लिए वृत्तिका 1500 रूपये से बढाकर 2500 रूपये और दूसरे शहरों से आये विद्यार्थियों के लिए 3000 रूपये से बढ़ाकर 6000 रूपये की गयी हैं।
- अन्य पिछडे वर्गों के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृति में भी वृद्धि की गयी हैं। पूर्व में कक्षा 1 से 5, कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 10 के लिए आवासी विद्यार्थियों को 10 माह तक क्रमशः 25,40 और 50 रूपये प्रदान किये जाते थे।
- अब कक्षा 1 से 10 के लिए इसे बढ़ाकर 100 रूपए प्रतिमाह किया गया हैं। पूर्व में कक्षा3 से 8 और 9 से 10 के छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों दी जाने वाली छात्रवृत्ति को क्रमशः 200 और 250 को बढ़ाकर 500 रूपये प्रतिमाह किया गया हैं। इस योजना के अर्न्तगतसभी विद्यर्थियों को वर्ष में एक बार 500 रूपये तदर्थ राशि के रूप में प्रदान किए जातेहैं।
- अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय अध्येतावृति के अर्न्तगत प्रत्येक छात्र को दी जाने सहायता राशि 25,000 रूपये से बढाकर 28,000 रूपये की गई हैं।
पिछड़े वर्गों के लिए उपबंध ( Provision for backward classes )
संविधान में नहीं पिछड़े वर्गों का उल्लेख किया है और नहीं पिछड़े वर्गों के लिए किसी एक शब्द का उपयोग किया है पिछड़े वर्ग से तात्पर्य यह है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अतिरिक्त व पिछड़े वर्ग जिनका उल्लेख केंद्रीय सरकार द्वारा किया गया है अतः इस संदर्भ में पिछड़े वर्ग से तात्पर्य अन्य पिछड़े वर्ग से है जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति भी पिछड़े वर्ग के नागरिक हैं
पिछड़े वर्गों के लिए विभिन्न संवैधानिक उपबंध निम्नानुसार हैं
अनुच्छेद 15 (4) के अनुसार राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिकों की उन्नति के लिए उपबंध बनाने का अधिकार है
इसके अलावा राज्य पिछड़े वर्गों के शैक्षणिक उत्थान के लिए इस वर्ग के विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में जिनमें निजी संस्थान भी शामिल है मैं प्रवेश के लिए विशेष उपबंध करेगा संस्थान चाहे राज्य से अनुदान प्राप्त हो या नहीं लेकिन अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में यह उपबंध लागू नहीं होगा
राज्य पिछड़े वर्ग के पक्ष में पदों के आरक्षण या नियुक्ति राज्य सेवाओं में उपयुक्त रुप से ना दर्शाए गए को आरक्षण उपलब्ध करवा सकता है
- नोट:➖यह उपबंध अनुच्छेद 16 में दर्शाए राजकीय सेवाओं में अवसर की समता के सामान्य नियम का एक अपवाद है )
अनुच्छेद 46 के अनुसार राज्य लोगों के कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को विशेष सुरक्षा के साथ विकास हेतु दिशा निर्देश देता है और उनकी सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा करता है
मध्य प्रदेश झारखंड छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में जनजाति कल्याण मंत्री को अनुसूचित जाति पिछड़ी जाति और अन्य कार्यों का प्रभार भी दिया जा सकता है
भारत का राष्ट्रपति सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की दशा की जांच हेतु एक आयोग का गठन कर सकता है और की गई कार्यवाही की सूची के साथ आयोग की रिपोर्ट को संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है
इस उपबंध के अंतर्गत राष्ट्रपति ने अभी तक दो आयोग नियुक्त किए है—-
- 1⃣ प्रथम— पिछड़ा वर्ग आयोग 1953 में काका कालेलकर की अध्यक्षता में और
- 2⃣ दूसरे— पिछड़े वर्ग आयोग को 1979 में बी पी मंडल की अध्यक्षता में गठित किया गया*
मंडल_आयोग की सिफारिश पर भी वी.पी.सिंह_सरकार में OBC के लिए सरकारी पदों में 27% आरक्षण की घोषणा की
1993 में नियमित वैधानिक निकाय के रूप में पिछड़े वर्ग के लिए राष्ट्रीय_आयोग की स्थापना हुई
इसमें केंद्रीय सरकार द्वारा 3 वर्ष के लिए अध्यक्ष सहित पांच सदस्य शामिल किए गए यह नौकरियों में आरक्षण हेतु पिछड़े वर्ग की जाति सूची में परिवर्तन करता है तथा केंद्र सरकार को आवश्यक सलाह देता है
सरकार_ने अनुसूचित_जाति_अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए अखिल_भारतीय स्तर पर होने वाली खुली प्रतियोगिता में सीधी भर्ती हेतु 15% 7.5% और 27% आरक्षण है
खुली प्रतियोगिता के वनस्पत अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती में अनुसूचित जातियों के लिए 16.66%अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5%और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 25.84% आरक्षण की व्यवस्था है
पदोन्नति के मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण क्रमशः 15% और 7.5% है
अनुसूचित_जाति और_जनजातियों के राष्ट्रीय आयोग का अन्य पिछड़ी_जातियों के संदर्भ में भी वही कर्तव्य है
जो अनुसूचित_जाति और_जनजातियों के लिए है
1. अटल पेंशन योजना ( Atal Pension Scheme )
असंगठित क्षेत्र में कामगार भविष्य को लेकर असुरक्षा महसूस करते हैं। अटल पेंशन योजना में कम राशि जमा करवाकर हर माह ज्यादा पेंशन के हकदार हो सकते हैं असामयिक मृत्यु की दशा में अपने परिवार को भी इसका फायदा दिलवा सकते हैं। इस पेंशन योजना के धारक की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी और पत्नी की भी मृत्यु होने की स्थिति में बच्चों को पेंशन मिलती रहेगी।
18 से 40 वर्ष की आयु के बीच का कोई भी व्यक्ति इस योजना में शामिल हो सकता है। सरकार ने आयु और जितनी पेंशन आप हर माह लेना चाहते हैं, उसी के अनुसार हर माह पैसा जमा कराने के लिए स्पष्ट नीति बनाई है।
आप हर माह 1000 रूपए की पेंशन चाहते हैं और आपकी आयु 18 वर्ष है, तो आपको 42 साल तक हर माह 42 रूपए जमा करवाने होंगे। वहीं 40 साल की उम्र वालों को 291 रूपए 20 साल तक हर माह जमा करवाने होंगे। 1000 रूपए पेंशन के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की अगर मृत्यु हो जाती है, तो उसके नामांकित उत्तराधिकारी को 1.7 लाख रू पए दिया जाएगा। इसी तरह 2000, 3000, 4000 या अधिकमत 5000 रूपए प्रति माह पेंशन चाहने वालों के लिए उम्र के हिसाब से प्रतिमाह का प्रीमियम देना होगा। अगर आप फिलहाल 30 साल के हैं और चाहते हैं कि आपको हर माह 5000 रूपए की पेंशन मिले, तो आपको 30 साल तक प्रतिमाह 577 रूपए जमा करवाने होंगे। ऎसे लोगों की अगर मृत्यु हो जाती है, तो उनके नामांकित उत्तराधिकारी को 8.5 लाख रूपए देय होंगे।
आपको अधिकतम 60 साल की उम्र तक पेंशन प्रीमियम हर माह जमा करवाने होंगे। इसके बाद जिस पें शन राशि के लिए आपने अपने खाते में पैसे जमा करवाएं हैं, आपको प्रतिमाह मिलने लगेंगे।
2. एकीकृत क्लस्टर विकास कार्यक्रम ( Integrated cluster development program )
ग्रामोद्योग विभाग के अंतर्गत क्लस्टरों को विशिष्ट बनाने, वर्तमान क्लस्टर को सुदृढ़ करने, क्लस्टरों को वित्तीय समर्थन बढ़ाने, डायग्नोस्टिक स्टडी, नवीन एवं आधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन एवं विकास, अन्य आवश्यक इनपुट डिजाइन, बाजार लिंकेजेस, सलाहकारों की सेवाएं लेने एवं कमियां को चिन्हित करने हेत अध्ययन एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था करने हेतु लघु एवं मध्यम उद्यमियों/अशासकीय संस्थाओं को समर्थन देने हेतु वर्कशाप अध्ययन भ्रमण के आयोजन हेतु सहायता उपलब्ध कराई जाती है। क्लस्टर अंतर्गत बुनियादी आवश्यकता सड़क नाली पेयजल विद्युत प्रदाय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाए हेतु भी सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना में निम्नानुसार योजनाओं का समावेद्गा किया गया है।
03.उद्यमियों/स्वसहायता समूहों/अशासकीय संस्थाओं को सहयोग
हाथकरघा एवं हस्तशिल्प उद्योगों से संबंधित व्यक्तियों, उद्यमियों, स्वसहायता समूहों एवं अशासकीय संस्थाओं इत्यादि को नवीन एवं कौशल उन्नयन प्रशिक्षण , डिजाइन विकास, उत्पाद परिवर्तन/परिवर्धन, विपणन एवं निर्यात से जुडी हुई गतिविधियों तथा उद्योग के उत्थान के लिये यह योजना लागू की गई है ।
इस योजना के स्थान पर भारत शासन द्वारा नवीन स्वास्थ्य बीमा योजना लागू किया जाना प्रस्तावित किया गया है । योजना में राज्यांश की (25 प्रतिशत) राशि की सहमति संसूचित की गई है ।
4. कबीर बुनकर पुरूस्कार योजना ( Kabir Bunkar Prize Scheme )
उत्कृष्ट हाथकरघा वस्त्र उत्पादन करने वाले दो बुनकरों को समिति की अनुशंसा निर्णय अनुरूप प्रथम रूपये 1,00,000/- द्वितीय रूपये 50,000/- पुरूस्कार, एवं तृतीय पुरूस्कार राशि रू. 25,000/- तथा प्रतीक चिन्ह प्रदान करने का प्रावधान है।
5. अनुसंधान एवं विकास योजना ( Research and development plan )
हाथकरघा क्षेत्र में नवीन अनुसंधान/विकास कार्य नमूनो का निर्माण इत्यादि कार्यो के लिए राज्य स्तरीय स्टेयरिेंग कमेटी के अनुमोदन अनुसार सहायता निगम, संघ एवं समितियों को स्वीकृत की जाती है । यह योजना भी संचालनालय स्तर से संचालित की जाती है ।
6. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम ( Prime Minister’s Employment Generation Program )
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग मुम्बई ( सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा संचालित इस योजना की क्रियान्वयन एजेंसी मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड है। नए स्वरोजगार उद्यमों/परियोजनाओं/सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का सृजन करना ।
व्यापक रूप से दूर-दूर अवस्थित परम्परागत कारीगरों/ग्रामीण और शहरी बेरोजगार युवाओं को एक साथ लाना और जहां तक संभव हो, स्थानीय स्तर पर ही उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करना । देश के परम्परागत और संभावित कारीगरों, ग्रामीण तथा शहरी बेरोजगार युवाओं को निरंतर और दीर्घकालिक रोजगार उपलब्ध कराना ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर उनका पलायन रोका जा सके ।
कारीगरों की पारिश्रमिक अर्जन क्षमता बढ़ाना और ग्रामीण तथा शहरी रोजगार की विकास दर बढ़ाने में योगदान करना ।
7. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना ( Chief minister’s self employment scheme )
ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जीवन यापन करने वाले कारीगर/शिल्पियों/उधमियों को स्वयं का रोजगार स्थापित करने एवं विपणन हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
8. कारीगर प्रशिक्षण योजना ( Artisan training scheme )
प्रदेश में निवासरत परम्परागत/गैर परम्परागत हितग्राहियों को स्वयं के रोजगार स्थापना के पूर्व, प्रशिक्षण प्रदाय कर कौशल उन्नयन/तकनीकी दक्षता का विकास कराना ।
9. मुख्यमंत्री स्व् रोजगार योजना :-
मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना के अंतर्गत प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कार्यरत बुनकर/शिल्पियों को स्व-रोजगार स्थापित करने हेतु राशि रूपये 20 हजार से राशि रूपये 10 लाख तक की सहायता बैकों के माध्यम से ऋण के रूप में स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है।
योजना में सामान्य वर्ग हेतु 15 प्रतिशत (अधिकतम रूपये एक लाख) एवं बी.पी.एल/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर)/महिला/अल्पसंखयक/निःशक्त जन हेतु 30 प्रतिशत (अधिकतम दो लाख) तक मार्जिन मनी सहायता स्वीकृत की जाती है।
इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत पर 5 प्रतिशत की दर से (अधिकतम 25 हजार प्रतिवर्ष) ब्याज अनुदान अधिकतम 7 वर्षो तक देय होगा। इस योजना के अंतर्गत गारंटी शुल्क प्रचलित दर पर अधिकतम 7 वर्ष तक देय होगा।
10. मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना ( Chief financial welfare scheme )
मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के अंतर्गत प्रदेश के हाथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कार्यरत बुनकर/शिल्पियों को स्व-रोजगार स्थापित करने हेतु अधिकतम राशि रूपये 20 हजार तक की सहायता बैकों के माध्यम से ऋण के रूप में स्वीकृत किए जाने का प्रावधान है।
आवेदक बी.पी.एल. का होना अनिवार्य होगा। आवेदन दिनांक को हितग्राही की आयु सीमा 18 से 55 वर्ष के मध्य हो। इस योजना में परियोजना लागत अधिकतम 20 हजार होगी। परियोजना लागत पर 50 प्रतिशत अधिकतम रूपये 10,000 मर्जिन मनी सहायता दिये जाने का प्रावधान है।
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