सैय्यद वंश
सैय्यद वंश
तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत में सल्तनत कालीन शासन की स्थापना हुई। कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 ईस्वी से लेकर इब्राहिम लोदी 1526 ईस्वी तक 32 सुल्तानों ने लगभग 320 वर्ष दिल्ली पर राज्य किया। इस में सर्वाधिक विस्तृत साम्राज्य अलाउद्दीन खिलजी के काल में था। जबकि सर्वाधिक दीर्घकालीन शासन फिरोज तुगलक का रहा।
इस वंश का आरम्भ तुग़लक़ वंश के अंतिम शासक महमूद तुग़लक की मृत्यु के पश्चात ख़िज़्र ख़ाँ से 1414 ई. में हुआ सैयद वंश (1414-50)- सैयद भी तुर्क ही थे। इस वंश का संस्थापक मुल्तान का प्रान्तपति खिज्रखाँ था।
खिज्र खाँ (1414-21)
1413-1414 ई. के बीच दौलत खां लोदी दिल्ली का सुल्तान बना, परन्तु खिज्र खां ने उसे पराजित कर एक नवीन राजवंश, सैय्यद वंश की नींव डाली खिज्र खां ने मंगोल आक्रमणकारी तैमूर लंग को सहयोग प्रदान किया था और उसकी सेवाओं के बदले तैमूर ने उसे लाहौर, मुल्तान एवं दिपालपुर की सूबेदारी प्रदान की
इसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर रैयत-ए-आला की उपाधि धारण की। इसने तैमूर के चैथे पुत्र शाहरुन के प्रतिनिधि के रूप में शासन किया। फरिश्ता इसे एक न्यायी एवं परोपकारी राजा कहा है। 20 मई 1421 को दिल्ली में उसकी मृत्यु हो गई
मुबारक शाह (1421-34)
मुबारक खां मुबारक शाह के नाम से सिंहासन पर बैठा। इसने यमुना दनी के किनारे 1434 ई0 में मुबारक बा दनामक नगर की स्थापना की इसी के शासन काल में याहियाबिन-अहमद-सरहिन्दी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक तारीखे-मुबारक शाही लिखी।
जिससे फिरोज तुगलक के बाद से लेकर मुबारक शाह तक ही घटनाओं का पता चलता है। अपने नये नगर के निरीक्षण के समय में ही इसके वजीर सरवन-उल-मुल्क ने इसकी हत्या कर दी। इसके बाद इसका भतीजा मुहम्मद बिन खरीद खाँ गद्दी पर बैठा।
मुहम्मदशाह (1434-45)
मुहम्मदशाह मुबारक शाह का भतीजा था। 1445 ई में मुहम्मद शाह की मृत्यु हो गई।
यह विलासी और अयोग्य शासक था। इसके शुरुआत के शासनकाल में वजीर सरवर उल मुल्क का शासन पर पूर्ण प्रभाव रहा।
जिसकी अमीरों ने षडयंत्र के दौरान हत्या कर दी। बाद में कमाल उल मुल्क को वजीर बना जो अधिक योग्य न था।
मुहम्मदबिन खरीदखाँ मुहम्मदशाह के नाम से गद्दी पर बैठा। इसने मुल्तान के सुबेदार वहलोल को खान-ए-खाना की उपाधि दी।
अलाउद्दीन आलमशाह (1445-50)
यह मुहम्मदशाह का पुत्र था। इसके समय में यह कहावत चल पड़ी थी कि शाह-ए-आलम का राज्य दिल्ली से पालम तक।
यह सैयद शासकों में सबसे अयोग्य था। इसका अपने वजीर हमीद खां से विवाद हो गया। जिस कारण हमीद खां ने बहलोल लोदी को आमंत्रित किया। इसने स्वेच्छा से अपने पद का त्याग किया था। बहलोल लोदी नें 1451 ई मे कुटिल नीति से दिल्ली पर अधिकार कर लिया। इसी के बाद बहलोल लोदी ने एक नये वंश लोदी वंश की नींव डाली।
इस प्रकार सैयद वंश का पतन होकर एक नये लोदी राजवंश का उदय हुआ। 37 वर्षों के शासन काल में सैयद वंश के शासकों ने कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया।
Sayyad Dynastym Important Facts
- सैय्यद वंश में किसने रेयत ए आला की उपाधि धारण की – खिज्र खाँ।
- तैमूर लंग भारत से जाते वक्त खिज्र खाँ को कहा कि शासक नियुक्त किया– लाहौर, मुल्तान,दीपालपुर का सूबेदार
- खिज्र खाँ ने अपने सिक्कों पर किस वंश के सुल्तानों का नाम खुदबाया- तुगलक वंश।
- मुबारक शाह के शासन काल के विषय मे जानकारी किस ग्रथं में मिलती है- तारीख ए मुबारकशाही या विन अहमद सरहिंदी।
- मुहम्मदशाह ने खुश होकर बहलोल को कौन सी उपाधि दी- खान ए जहां ओर खान ए खाना