हर्यक वंश और विदेशी आक्रमण
हर्यक वंश 544-412 ईसा पूर्व तक रहा
राजधानी — गिरिव्रज
बिंबिसार को हर्यक वंश का
संस्थापक माना जाता है
बिंबिसार के काल में अवंतिका शासक
चंड प्रद्योत था
बिंबिसार ने अपने राज वैद्य जीवक को चंड प्रद्योत के दरबार में भेजा था
बिंबिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु के द्वारा की गई
अजातशत्रु के काल में पहली बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया
अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उद यीनी ने कि
उदयिन ने गंगा व सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र की स्थापना की थी
शिशुनाग वंश 412-344 BC
से सुना को इस वंश का संस्थापक माना जाता है इसने वैशाली को अपनी राजधानी के रूप में स्थापित किया
कालाशोक ऐसी वंश का शासक था कालाशोक के काल में ही दूसरी बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया
नंद वंश 344-324 BC
संस्थापक — महापदम नंद
महापदम नंद के द्वारा पहली बार कलिंग आक्रमण किया गया जिसमें महापदम नंद को सफलता मिली इस आक्रमण की जानकारी कलिंग के शासक खारवेल के हाथी गुफा अभिलेख से मिलती है
घनानंद को नंद वंश का अंतिम शासक माना गया
मौर्य वंश की स्थापना से पहले भारत में ईरानी हक मनी वंश के शासकों ने आक्रमण किया
भारत में पहला आक्रमण साइरस दित्य के द्वारा किया गया ईरानी आक्र,मण के बाद ही भारत में खरोष्ठी लिपि का प्रचलन हुआ
दूसरा शासक डेरियस प्रथम या दारा प्रथम
यूनानी आक्रमण
सिकंदर यूनान के मकदूनिया का निवासी था
सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया
जेलम नदी के किनारे सिकंदर ने पोरस के साथ युद्ध किया था
सिकंदर के आक्रमण के समय तक चला का शासक आंबी थ सिकंदर ने भारत में 2 नगरों की स्थापना की
हर्यक वंश और विदेशी आक्रमण
1 निकेया
2 बुकाफेला
323 ईसा पूर्व में बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हो गई सिकंदर का उत्तराधिकारी सेल्यूकस निकेटर था
हर्यक वंश १ २ ३ ४ ५ ६ ७ 8 ९ ० हर्यक वंश