Agriculture of Rajasthan
Agriculture of Rajasthan राजस्थान में कृषि
राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 2 सौ 39 वर्ग कि.मी. है। जो की देश का 10.41 प्रतिशत है।
राजस्थान में देश का 11 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है और राज्य में 50 प्रतिशत सकल सिंचित क्षेत्र है जबकि 30 प्रतिशत शुद्ध सिंचित क्षेत्र है।
राजस्थान का 60 प्रतिशत क्षेत्र मरूस्थल और 10 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है। अतः कृषि कार्य संपन्न नहीं हो पाता है
और मरूस्थलीय भूमि सिंचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है।
अधिकांश खेती राज्य में वर्षा पर निर्भर होने के कारण राज्य में कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता है।
Agriculture of Rajasthan
राजस्थान में भू उपयोग व कृषि जोत आकार
- भू-उपयोग सांख्यिकी (वर्ष 2013-14) में राज्य का प्रतिवेदित भौगोलिक क्षेत्रफल – 342.68 लाख हैक्टेयर
- जिसमें शुद्ध बोया गया क्षेत्रफल – 53.31 प्रतिशत ( 182.68 लाख हैक्टेयर )
- राजस्थान में 2010-11 में कृषि जोत का औसत आकार 3.07 हेक्टेअर जबकि अखिल भारतीय स्तर पर कृषि जोत का औसत आकार 1.15 हेक्टेयर था।
- भारत में कृषि जोत के आकार के आधार पर राजस्थान का क्रमशः नागालैंड, पंजाब व अरुणाचल प्रदेश के बाद चौथा स्थान है। संपूर्ण देश में क्रियाशील जोतों का आकार घटने की प्रवृत्ति विद्यमान है।
कृषि के प्रकार ( Types of agriculture )
शुष्क कृषि ( Dry farming )- ऐसी कृषि जो रेगिस्तानी भागों में जहां सिचाई का अभाव हो शुष्क कृषि की जाती है। इसमें भूमि मेे नमी का संरक्षण किया जात है।
- फ्वारा पद्धति ( Spray system )
- ड्रिप सिस्टम ( Drip system )
इजराइल के सहयोग से शुष्क कृषि में इसका उपयोग किया जाता है।
2. सिचित कृषि ( Irrigated farming ) – जहां सिचाई के साधन पूर्णतया उपलब्ध है। उन फसलों को बोया जाता है जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
3. मिश्रित कृषि ( Mixed agriculture ) – जब कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है तो उसे मिश्रित कृषि कहा जाता है।
4. मिश्रित खेती ( Mixed farming )- जब दो या दो से अधिक फसले एक साथ बोई जाये तो उसे मिश्रित खेती कहते है।
5. झूमिग कृषि ( Zooming agriculture ) – इस प्रकार की कृषि में वृक्षों को जलाकर उसकी राख को खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। राजस्थान में इस प्रकार की खेती को वालरा कहा जाता है। भील जनजाति द्वारा पहाडी क्षेत्रों में इसे “चिमाता” व मैदानी में “दजिया” कहा जाता है। इस प्रकार की खेती से पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांरा में वालरा कृषि की जाती है।
फसले ( The crop)
- खाद्यान्न फसले ( 57 प्रतिशत )
- नकदी/व्यापारिक फसले (43 प्रतिशत)
गेहूं, जो, ज्वार, मक्का, गन्ना, कपास, तम्बाकू, बाजरा, चावंल, दहलने, तिलहन, सरसों, राई, मोड, अरहर, उड्द, तारामिरा, अरण्डी, मूंग, मसूर, चांवल, तिल, सोयाबीन, इत्यादि
रबी की फसल ( Rabi crop )
अक्टूबर, नवम्बर व जनवरी -फरवरी
इसी राजस्थान में स्यालू एम उनालू का मौसम कहा जाता है इस का प्रारंभ नवंबर में होता है तथा मार्च सन तक चलता है|
रवि की मुख्य फसलें- गेहूं, जो, चना, मसूर, मटर, सरसों, अलसी, तारामीरा, सूरजमुखी, धनिया, जीरा, मेथी
खरीफ की फसल ( Kharif crop )
जून, जुलाई व सितम्बर-अक्टूबर
खरीफ का मौसम किसी राजस्थान में चौमासा एवं स्यालु/सावणु कहा जाता है यह जुलाई से प्रारंभ होकर अक्टूबर के अंत तक चलता है|
खरीफ की मुख्य फसलें चावल ज्वार बाजरा मक्का अरहर उड़द मूंग चावला मोठ मूंगफली अरंडी तेल सोयाबीन कपास गन्ना ग्वार आदि
जायद की फसल ( Zayed crop )
इसका प्रारंभ अप्रैल प्रारंभ से होता है तथा जून अंत तक चलता है
मार्च-अपे्रल व जून-जुलाई
जायद – खरबूजे, तरबूज ककडी
खाद्यान्न फसले ( Food crops )
1. गेहूं ( Wheat)
राजस्थान में सर्वाधिक खाया जाने वाला और सर्वाधिक उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न गेहंू है। देश में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादन उत्तर-प्रदेश में होता है। राजस्थान का गेहूं उत्पादन में देश में 4th स्थान है।
राजस्थान का पूर्वी भाग गेहूं उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। जबकि श्रीगंगानगर जिला राज्य में गेहंू उत्पादन में 1st स्थान पर है। गेहंू के अधिक उत्पादन के कारण गंगानगर को राज्य का अन्न भंण्डार और कमाऊपूत कहा जाता है। राजस्थान में गेहूं की प्रमुख किस्में सोना-कल्याण, सोनेरा, शरबती, कोहिनूर, और मैक्सिन बोयी जाती है।
2. जौ ( Barley )
देश में जौ का सर्वाधिक उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। यू.पी. के पश्चात् राजस्थान जौ उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में जौ सर्वाधिक होता है और जयपुर जिला जौ उत्पादन में राज्य का प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में जौ कि प्रमुख किस्मों में ज्योति राजकिरण और आर.एस.-6 प्रमुख है। जौ माल्ट बनाने में उपयोगी है।
3. ज्वार ( Sorghum )
( सोरगम / गरीब की रोटी )
ज्वार को खाद्यान्न के रूप में प्रयोग किया जाता है। देश में सर्वाधिक ज्वार महाराष्ट्र में होता है। जबकि राजस्थान में देश में चैथा स्थान रखता है। राजस्थान में मध्य भाग में ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन होता है। जबकि अजमेर जिला ज्वार उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। ज्वार की राज्य में प्रमुख किस्म पी.वी.-96 है।
राजस्थान में ज्वार अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर उदयपुर में स्थापित किया गया है।
4. मक्का ( Maize )
दक्षिणी राजस्थान का प्रमुख खाद्यान्न मक्का है। देश में सर्वाधिक मक्का का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। जबकि राजस्थान का मक्का के उत्पादन मे देश में आठवां स्थान है। राजस्थान का चित्तौडगढ़ जिला मक्का उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में मक्के की डब्ल्यू -126 किस्म बोई जाती है जबकि कृषि अनुसंधान केन्द्र बांसवाडा द्वारा मक्का की माही कंचन व माही घवल किस्म तैयार की गई है।
5. चांवल ( Rice )
देश में सर्वाधिक खाया जाने वाला खाद्यान्न चावंल है। देश में इसका सर्वाधिक उत्पादन पश्चिमी बंगाल में है। राजस्थान में चावंल का उत्पादन नाममात्र का आधा प्रतिशत से भी कम है। राजस्थान में हुनमानगढ़ जिले के घग्घर नदी बहाव क्षेत्र (नाली बैल्ट) में “गरडा वासमती” नामक चावंल उत्पन्न किया जाता है। जबकि कृषि अनुसंधान केन्द्र बासवांडा ने चावंल की माही सुगंधा किस्म विकसित की है।
चांवन के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सीयस तापमान व 200 संेटी मीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। जो कि राजस्थान में उपलब्ध नहीं है। अतः यहां जापानी पद्वति से चांवन उत्पन्न किया जाता है। देश में प्रति हैक्टेयर अधिक उत्पादन में पंजाब राज्य का प्रथम स्थान रखता है।
6. चना ( Gram )
यह एक उष्णकटिबधिय पौधा है। इसके लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है। देश में उत्तर-प्रदेश के पश्चात् राजस्थान चना उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में चुरू जिला चने के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। गेहूं और जो के साथ चने को बोने पर उसे गोचनी या बेझड़ कहा जाता है।
7. दलहन ( Pulses )
चने के पश्चात् विभिन्न प्रकार की दालो में मोठ का प्रथम स्थान राजस्थान का पश्चिमी भाग दालों में अग्रणी स्थान रखता है। राजस्थान का नागौर जिला उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में कुल कृषि भूमि का 18 प्रतिशत दाले बोयी जाती है। उड्द की दाल भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक है। पौधों को नाइट्रोजन नाइट्रेट के रूप में प्राप्त होती है। जबकि राइजोबियम नामक बैक्टीरिया नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में परिवर्तित करता है।
8. बाजरा ( Millet )
देश में सर्वाधिक बाजरे का उत्पादन राजस्थान में होता है। राजस्थान में सर्वाधिक बोया जाने वाला खाद्यान्न बाजरा है। राजस्थान का पश्चिमी भाग बाजरा उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है जबकि जयपुर जिला बाजरा उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं राजस्थान में बाजरे की साधारण किस्म के अतिरिक्त Raj-171 प्रमुख किस्म है। राजस्थान के पूर्वी भाग में संकर बाजरा होता है। उसे सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। राजस्थान में बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाडमेर में स्थित है।
नगदी/व्यापारिक फसले ( Cash / trading crops )
9. गन्ना ( Sugarcane )
भारतीय मूल का पौधा (Indian Origine) है। अर्थात् विश्व में सर्वप्रथम गन्ने का उत्पादन भारत में ही हुआ। दक्षिणी भारत में सर्वप्रथम गन्ने की खेती आरम्भ हुई। वर्तमान में विश्व में गन्ने का सर्वाधिक उत्पादन भारत में ही होता है।
भारत में उत्तर प्रदेश राज्य गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर है (देश का 40 प्रतिशत)। राजस्थान में गन्ने का उत्पादन नाम मात्र का होता है (0.5 प्रतिशत)। राजस्थान में गंगानगर जिला गन्ना उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। गन्ने का कम उत्पादन होने के कारण राजस्थान में मात्र तीन सुगर मिले है|
- दा मेवाड शुगर मिल- भूपाल सागर (चित्तौड़) 1932 निजी
- गंगानगर शुगर मिल – गंगानगर (1937 निजी -1956 में सार्वजनिक)
- द केशोरायपाटन शुगर मिल – केशोरायपाटन (बूंदी) 1965 सहकारी
10. कपास ( Cotton )
कपास देशी कपासअमेरिकन कपासमानवी कपास गंगानगरगंगानगरकोटा (हडौती क्षेत्र) उदयपुरहनुमानगढ़बूंदी चित्तौडगढ़बांसवाडा बांरा
कपास भारतीय मूल का पौधा है। विश्व में सर्वप्रथम कपास का उत्पादन सिंधु घाटी सभ्यता में हुआ। वर्तमान में विश्व में सर्वाधिक कपास भारत में उत्पन्न होती है। जबकी भारत में गुजरात राज्य कपास में प्रथम स्थान रखता है। राजस्थान देश में चैथे स्थान पर है। राजस्थान में कपास तीन प्रकार की होती है।
वर्तमान में राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला कपास उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। जबकि जैसलमेर व चरू में कपास का उत्पादन नाम मात्र का होता है। कपास को “बणीया” कहा जाता है। कपास से बिनौला निकाला जाता है उससे खल बनाई जाती है। कपास की एक गांठ 170 किलो की होती है।
11. तम्बाकू ( Tobacco )
भारतीय मूल का पौधा नही। पूर्तगाली 1508 ईं. में इसको भारत लेकर आये थे। मुगल शासक जहांगीर ने सर्वप्रथम भारत में 1608 ई. में इसकी खेती की शुरूआत की किन्तु कुछ समय पश्चात् इसके जब दुशपरीणाम आने लगे तब जहांगीर ने ही इसे बंद करवा दिया।
वर्तमान में भारत का आंधप्रदेश राज्य तम्बाकू उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में पूर्व भाग में तम्बाकू का सर्वाधिक उत्पादन होता है। अलवर जिला तम्बाकू उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान में तम्बाकू की दो किस्में बोयी जाती है।
- निकोटिना टेबुकम ( Nikotina Tekinum )
- निकोटिना रास्टिका ( Nikotina Rastica )
12. तिलहन ( Oilseed )
( तिलहन विकास कार्यक्रम 1984-85 )
सरसो, राई, तारामीरा, तिल, मूंगफली, अरण्डी, सोयाबीन, होहोबा राजस्थान में उत्पन्न होने वाली प्रमुख तिलहन फसले है। तिलहन उत्पादन में राजस्थान का तीसरा स्थान है। तिलहन उत्पादन में उत्तर प्रदेश प्रथम है। किन्तु सरसों व राई के उत्पादन में राजस्थान प्रथम स्थान रखता है।
सरसों ( Mustard )
राजस्थान का भरतपुर जिला सरसों के उत्पादन में राज्य में प्रथम स्थान पर है। केन्द्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र सेवर भरतपुर की स्थापना 1983 में की गयी।
मूंगफली ( Peanut )
विश्व में मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन भारत में होता है। भारत में गुजरात राज्य मूंगफली उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। राजस्थान का देश में मंूगफली के उत्पादन में चैथा स्थान है। राज्य का जयपुर जिला मूंगफली के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। बीकानेर का लूणकरणसर क्षेत्र उत्तम मंूगफली के लिए प्रसिद्ध है अतः उसे ??राजस्थान का राजकोट भी कहा जाता है।
तिल, सोयाबीन, अरण्डी
राज्य में तिल पाली जिले में अरण्डी जालौर जिले में, सोयाबीन झालावाड़ में उत्पन्न होती है। सोयाबीन राजस्थान राज्य के दक्षिणी-पूर्वी भाग (हडौती) में होती है। इसमें सर्वाधिक प्रोटीन होती है। भारत में सर्वाधिक सोयाबीन मध्यप्रदेश में होता है।
हो होबा (जोजोबा)
यह एक प्रकार का तिलहन है इसे भारत में इजराइल से मगाया गया। इसका जन्म स्थान एरिजोना का मरूस्थल है। भारत में इसकी खेती की शुरूआत सर्वप्रथम सी.ए.जे.आर.आई संस्थान जोधपुर द्वारा की गयी। इसकी खेती इन क्षेत्रों में की जाती है जहां सिचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है। इसके तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों, बडी-2 मशीनरियो व हवाई जहाजों में लुब्रिकेण्टस के रूप में किया जाता है।
राजस्थान में होहोबा के तीन फार्म है –
- ढण्ड (जयपुर)
- फतेहपुर (सीकर) सहकारी
- बीकानेर (नीजी)
गुलाब – राजस्थान में सर्वाधिक गुलाब का उत्पादन पुष्कर (अजमेर) में होता है। वहां का ROSE INDIA गुलाब अत्यधिक प्रसिद्ध है। राजस्थान मे चेती या दशमक गुलाब की खेती खमनौगर (राजसमंद) में होती है।
रतनजोत- सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाडा
अफीम- चित्तौडगढ़, कोटा, झालावाड
सोयाबीन – झालावाड़, कोटा, बांरा
मसाला उत्पादन
विश्व में मसाला उत्पादन में भारत प्रथम स्थान रखता है। भारत में राजस्थान मसाला उत्पादन में प्रथम है। किन्तु गरम मसालों के लिए केरल राज्य प्रथम स्थान पर है। केरल को भारत का स्पाइस पार्क भी कहा जाता है। राज्य में दक्षिण-पूर्व का बांरा जिला राज्य में मसाला उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। राजस्थान का प्रथम मसाला पार्क -झालावाड़ में है।
सर्वाधिक उत्पादक जिला
- मिर्च – जोधुपर
- धनियां – बांरा
- सोंफ:- कोटा
- जिरा, इसबगोल:- जालौर
- हल्दी, अदरक:- उदयपुर
- मैथी:- नागौर
- लहसून:- चित्तौड़गढ़
फलों का सर्वाधिक उत्पादक जिला ( Most productive district of fruit )
- अंगूर, कीन्नू ,माल्टा ,मौसमी :- श्री गंगानगर
- संतरा:- झालावाड़ ( राजस्थान का नागपुर )
- चीकू:- सिरोही
- सेब:- माउन्ट आबू (सिरोही)
- नींबू:- धौलपुर
- आम:- भरतपुर
- केला:- बांसवाडा
- नाशपति:- जयपुर
- मतीरा ,:- टोंक/बीकानेर
- पपीता/खरबूजा:- टोंक
राजस्थान की मंडिया ( Rajasthan’s mandia )
- जीरा मंडी:- मेडता सिटी (नागौर)
- सतरा मंडी:- भवानी मंडी (झालावाड)
- कीन्नू व माल्टा मंडी:- गंगानगर
- प्याज मंडी:- अलवर
- अमरूद मंडी:- सवाई माधोपुर
- ईसबगोल (घोडाजीरा) मंडी:- भीनमाल (जालौर)
- मूंगफली मंडी:- बीकानेर
- धनिया मंडी:- रामगंज (कोटा)
- फूल मंडी:- अजमेर
- मेहंदी मंडी:- सोजत (पाली)
- लहसून मंडी:- छीपा बाडौद (बांरा)
- अश्वगंधा मंडी:- झालरापाटन (झालावाड)
- टमाटर मंडी:- बस्सी (जयपुर)
- मिर्च मंडी:- टोंक
- मटर (बसेडी):- बसेड़ी (जयपुर)
- टिण्डा मंडी:- शाहपुरा (जयपुर)
- सोनामुखी मंडी:- सोजत (पाली)
- आंवला मंडी:- चोमू (जयपुर)
राजस्थान में प्रथम निजी क्षेत्र की कृषि मण्डी कैथून (कोटा) में आस्टेªलिया की ए.डब्लू.पी. कंपनी द्वारा स्थापित की गई है।
कृषि से संबंधित योजनाऐं ( Agriculture related schemes )
1. भागीरथ योजना ( Bhagirath Yojana )- कृषि संबंधित इस योजना के अन्तर्गत स्वयं ही खेती में ऐसे लक्ष्य निर्धारित करता है। जो कठिन होता हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रयत्न भी करते है। इसके लिए जयपुर में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
2. निर्मल ग्राम योजना ( Nirmal Gram Yojana ) – गांवो में कचरे का उपयोग कर कम्पोस खाद तैयार करने हेतु शुरू की गई।
कृषि विकास हेतु संस्थाएं एवं योजनाएं ( Institutions and Schemes for Agriculture Development )
- राजस्थान राज्य भंडारण निगम की स्थापना की गई – 30 दिसंबर, 1957 को
- राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड(NEFED), नई दिल्ली की स्थापना हुई- 2 अक्टूबर, 1958 को
- भारत के खाद्य निगम की स्थापना की गई – 1964 में
- किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले उर्वरक समुचित व समयानुसार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इफ्को की स्थापना की गई – 3 नवंबर, 1967 को
- कृषिगत वित्त निगम की स्थापना की गई – अप्रैल, 1968 में
- राज्य कृषि उद्योग निगम की स्थापना की गई – 1969 में
- राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड की स्थापना की गई – 6 जून, 1976 को
- फतेहपुर (राजस्थान) में प्रथम विज्ञान केंद्र की स्थापना की गई – 1976 में
- राजस्थान राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना की गई – 30 दिसंबर, 1977 को
- राजस्थान राज्य बीज निगम की स्थापना की गई – 28 मार्च, 1978 को
- कृषि विपणन निदेशालय की स्थापना की गई – 1980 में
- कृभको की स्थापना – 17 अप्रैल, 1980 को
- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की गई – 12 जुलाई,1982 को
- किसान सेवा केंद्र सादरी द्वारा जोधपुर में कब की गई – 1998 में
Agriculture of Rajasthan: important facts –
- श्री गंगानगर जिले से राज्य को अधिकतम भोजन ऊर्जा कैलोरी प्राप्त होती है
- केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा जयपुर में स्थित है
- काजरी संस्थान जोधपुर में स्थित है जिसका गठन 1959 में किया गया
- गंगानगर जिले को राजस्थान का अन्न भंडार क्या नाम से जाना जाता है
- राजस्थान राज्य में दहशत गुलाब चैती गुलाब अर्थात देसी गुलाब की खेती पुष्कर अजमेर में होती है
- केंद्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र राज्य में सेवर भरतपुर में 20 अक्टूबर 1993 को स्थापित किया गया
- राज्य में चुकंदर से चीनी बनाने का एकमात्र कारखाना श्रीगंगानगर में स्थित है
- राजस्थान राज्य सहकारी तिलहन उत्पादक संघ लिमिटेड तिलम संघ की स्थापना 1990 में हुई
- डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर आदि जिलों में झूमिंग प्रणाली की वालरा खेती की जाती
- इजराइल की सहायता से राजस्थान के शुष्क प्रदेशों में होहोबा जोजोबा की फसल बोई जाती है
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