Civil rights नागरिक
नागरिक
अधिदेश
अधिदेश देश में औषध क्षेत्र के विकास और साथ ही मूल्य निर्धारण एवं वहनीय मूल्यों पर दवाइयों की उपलब्धता, अनुसंधान एवं विकास, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की सुरक्षा और औषध क्षेत्र से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर अधिकाधिक ध्यान एवं बल देना।
दृष्टिकोण और मिशन
दृष्टिकोण भारत : वहनीय मूल्यों पर गुणवत्तायुक्त दवाइयों का सबसे बड़ा वैश्विक प्रदाता
मिशन:
- औषध नीति के अनुसार वहनीय मूल्यों पर गुणवत्तायुक्त दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- औषध अवसंरचना का विकास तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से भी औषध क्षेत्र में नवीन प्रगति।
- फार्मा ब्रांड इंडिया का संवर्धन
- औषध उद्योग के पर्यावरण धारणीय विकास को संवर्धित करना।
- मानव जाति के लाभ के लिए औषध विज्ञान की शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय रूप से अधिमान्य ब्रांड के रूप में नाईपरों को स्थापित करना।
सुशासन प्रत्येक राष्ट्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। सुशासन के लिए आवश्यक है कि प्रशासन में पारदर्शिता तथा जवाबदेही दोनों तत्व अनिवार्य रुप से विद्यमान हो। सिटीजन चार्टर अर्थात नागरिक अधिकार पत्र एक ऐसा ही हथियार है जोकि प्रशासन की जवाबदेहीता व पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है तथा प्रशासन के साथ व्यवहार करते समय आम जनता अर्थात उपभोक्ताओं को सही सेवाओं की प्राप्ति सुनिश्चित करता है।
सिटीजन चार्टर एक ऐसा माध्यम है जो जनता तथा सरकार के बीच विश्वास की स्थापना करने में अत्यंत सहायक है।
विश्व का नागरिक अधिकार पत्र के संबंध में पहला अभिनव प्रयोग 1991 में यूनाइटेड किंगडम में कंजरवेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री जान मेजर ने राष्ट्रीय कार्यक्रम के तौर पर किया गया था जिसे बाद में लेबर पार्टी के टोनी ब्लेयर ने भी आगे बढ़ाया।
नागरिक चार्टर का मूल उद्देश्य सार्वजनिक सेवा वितरण के संबंध में नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।
नागरिक अधिकार पत्र के महत्वपूर्ण सिद्धांत निम्न प्रकार हैं-:
- गुणवत्ता
- विकल्प
- मानदंड
- मूल्य
- जवाबदेही
- पारदर्शिता
24 मई 1997 को राज्यों की एक कॉन्फ्रेंस में प्रभावी एवं उत्तरदाई सरकार की एक कार्य योजना तैयार की गई जिसमें निर्णय लिया गया कि राज्य तथा केंद्र सरकार के बड़े विभागों यथा रेलवे, पोस्ट ऑफिस, बैंक आदि से नागरिक अधिकार पत्र की शुरुआत की जाए।
अधिकार पत्र में निम्नलिखित तत्वों को शामिल किया जाता है :
- विज़न और मिशन स्टेटमेंट
- संगठन द्वारा संचालित व्यापार का विवरण
- ग्राहकों का विवरण
- प्रत्येक ग्राहक समूह को प्रदान की गई सेवाओंका विवरण
- शिकायत निवारण तंत्र का विवरण और इसका उपयोग कैसे करना है
- ग्राहकों से उम्मीदे प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने सार्वजनिक सेवा डिलीवरी के लिए रूपरेखा में सुधारके आकलन के रूप में 2006 में सेवोत्तम ढांचा तैयार किया था।
इसमें मूल रूप से तीन मॉड्यूल हैं:–
- नागरिक अधिकार पत्र,
- लोक शिकायत समाधान प्रणाली,
- सेवा डिलीवरी क्षमता।
यह ढांचा सरकारी विभागों को अपनी लोक सेवा डिलीवरी सुधारने में मदद करता है। शुरू में सेवोत्तम ढांचा सरकार के 10 विभागों में अप्रैल 2009 से जून 2010 के दौरान लागू किया गया था। ये विभाग हैं – डाक विभाग, सीबीईसी, सीबीडीटी, रेलवे, पासपोर्ट कार्यालय, पेंशन, खाद्य प्रसंस्करण, कार्पोरेट मामले, केन्द्रीय विद्यालय और ईपीएफओ
इस परियोजना का विस्तार अब सरकार के 62 मंत्रालयों में कर दिया गया है।