राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के बारे में:NCSC एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में अनुसूचित जातियों (SC) के हितों की रक्षा हेतु कार्य करता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338 इस आयोग से संबंधित है।
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष कौन है?
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोगआयोग अवलोकनअधिकारक्षेत्रा भारत सरकार मुख्यालय नई दिल्ली आयोग कार्यपालक विजय सांपला, अध्यक्ष अरुण हालदार, उपाध्यक्ष अंजू बाला, सदस्य सुभाष पारधी
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
एक संवैधानिक निकाय है क्योंकि इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 338 के द्वारा किया गया है । दूसरी और अन्य राष्ट्रीय आयोग जैसे राष्ट्रीय महिला आयोग (1992) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (1993) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (1993 ) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (1993) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (2007 )आधी संवैधानिक आयोग न होकर सांविधिक आयोग है क्योंकि इनकी स्थापना संसद के अधिनियम के द्वारा की गई है ।
संविधान का अनुच्छेद 338 अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति करता है जो अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के संविधानिक संरक्षण से संबंधित सभी मामलों का निरीक्षण करें तथा उनसे संबंधित प्रतिवेदन राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करें।
1990 के संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के लिए एक विशेष अधिकारी के स्थान पर एक उच्च स्तरीय सदस्य बहु सदस्य राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की स्थापना की गई।
1987 में सरकार ने एक संकल्प के माध्यम से आयुक्त के कार्यों में संशोधन किया तथा आयोग का नाम बदलकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग कर दिया।
पुनः 2003 के 89 वे संशोधन अधिनियम के द्वारा इस राष्ट्रीय आयोग का दो भागों में विभाजन कर दिया गया एवं राष्ट्रीय अनुसूचित_जाति आयोग अनुच्छेद 338 एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग अनुच्छेद 338 क अंतर्गत दो नए आयोग बना दिए गए ।
वर्ष 2004 से पृथक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग अस्तित्व में आया । आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष , तीन अन्य सदस्य राष्ट्रपति द्वारा उनके आदेश एवं मुहर लगे आदेश द्वारा नियुक्त किए जाते हैं । उनकी सेवा शर्तें एवं कार्यकाल भी राष्ट्रपति के द्वारा ही निर्धारित किए जाते हैं।
उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होता है
आयोग की शक्तियां
आयोग को अपने कार्यों को संपन्न करने के लिए शक्तियां प्रदान की गई है जब आयोग किसी कार्य की जांच पड़ताल कर रहा है । यह किसी शिकायत की जांच पड़ताल कर रहा है तो उसे दीवानी न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होगी, जहाँ याचिका दायर की जा सकती है ।
निम्नलिखित मामलों में
- भारत के किसी भी भाग से किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना
- किसी दस्तावेज़ को प्रकट करने की अपेक्षा करना
- शपथ पत्रों पर साक्षी ग्रहण करना
- किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रति की अपेक्षा करना
- साक्षी और दस्तावेजों की परीक्षा के लिए समन निकालना
- कोई अन्य विषय जो राष्ट्रपति नियम द्वारा अवधारित करें
आयोग पिछड़े वर्गों एवं आंग्ल भारतीय समुदाय के संबंध में भी उसी प्रकार कार्य करेगा जिस प्रकार अनुसूचित जातियों के लिए करता है, दूसरे शब्दों में आंग्ल भारतीय समुदाय के संवैधानिक संरक्षण एवं विधिक संरक्षण के संबंध में जांच करेगा और इसके संबंध में राष्ट्रपति की रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।