वैधानिक आयोग
राष्ट्रीय महिला आयोग ( National Women Commission )
इस आयोग का गठन राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के तहत 31 जनवरी 1992 को हुआ। महिला आयोग में एक अध्यक्ष 5 सदस्य एवं एक सदस्य सचिव होता है। इसका प्रमुख कार्य महिलाओं को अन्याय के खिलाफ त्वरित न्याय दिलाना है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( National Child Rights Protection Commission )
दिसंबर 2006 में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की स्थापना की गई। आयोग का काम बच्चों के अधिकारों का सही रूप में उपयोग करना। कानूनों और कार्यक्रमों पर प्रभावी रूप से अमल करना है। राष्ट्रीय एकता परिषद इसका गठन 1961 को किया गया। यह एक गैर संवैधानिक संस्था है।
राष्ट्रीय महिला कोष ( National Women’s Fund )
वैधानिक आयोग Commission
समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत 30 मार्च 1993 को गठित इस संस्था का लक्ष्य गरीब महिलाओं को सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए ऋण सुविधा उपलब्ध कराना है।
केन्द्रीय सूचना आयोग ( Central information commission )
सूचना का अधिकार कानून के तहत वर्ष 2005 में स्थापित केंद्रीय सूचना आयोग में प्राधिकृत निकाय है। केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य चुनाव सूचना आयुक्त के अलावा 10 से अधिक सूचना आयुक्त होते हैं। जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति समिति की सिफारिश पर की जाती है।
केंद्रीय सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए गठित समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है। सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की अधिकतम आयु जो भी पहले हो
केंद्रीय सूचना आयोग “सूचना का अधिकार” कानून के तहत एक प्रकार का अपीलीय प्राधिकार है। जहां केंद्रीय लोक सूचना अधिकार या राज्य लोक सूचना आयुक्त द्वारा किसी व्यक्ति को सूचना देने से इनकार करने की दशा में अपील की जा सकती है।
प्रशासनिक सुधार आयोग ( Administrative reform commission )
भारत में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से रही-
- ✍?सरकार की भूमिका में परिवर्तन
- ✍? माहौल में परिवर्तन
- ✍? लोगों की आकांक्षाओं में अभिवृद्धि
- ✍? कुशलता एवं प्रभावकारिता में सुधार
1⃣ प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग
- ✍ प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन जनवरी 1966 में देश की लोक प्रशासन की परीक्षा करने
- तथा आवश्यकता पड़ने पर उसमें सुधार करने व उसका पुनर्गठन करने हेतु सिफारिश करने के लिए किया गया था।
- ✍ अध्यक्षता मोरारजी देसाई को नियुक्त किया गया।
- ✍ जब मोरारजी देसाई देश के उप प्रधानमंत्री बन गए
- तब इस आयोग के अध्यक्ष के. हनुमथैया को बनाया गया।
- ✍ प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग ने सरकार को 20 रिपोर्ट सौंपी। जिनमें से 537 मुख्य सिफारिशें शामिल थी। इन सिफारिशों को नवंबर 1977 में संसद में पेश किया गया।
2⃣ द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग
- ✍द्वितीय प्रशासनिक सुधार _आयोग का गठन वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में 31 अगस्त सन 2005 को हुआ था।
- ✍इस _आयोग को सरकार के सभी स्तरों पर देश के लिए सक्रिय, उत्तरदायी, जवाबदेह, सतत एवं कुशल प्रशासन का लक्ष्य प्राप्त करने के उपायों का सुझाव देने का जिम्मा सौंपा गया था।
- ✍ इस _आयोग में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 20 रिपोर्ट सरकार को सौंपा, जिस पर विचार करने के लिए वर्ष 2007 में तत्कालीन विदेश मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी।
राष्ट्रीय विधि आयोग ( National law commission )
भारतीय इतिहास के विगत 300 वर्षों में विधि सुधार एक क्रमिक प्रक्रिया रही हैं। ऐसा पहला _आयोग 1833 के चार्टर एक्ट के तहत 1834 में गठित किया गया। जिसका अध्यक्ष लार्ड मैकाले को बनाया गया। स्वतंत्रता के पश्चात भी ऐसे _आयोग की स्थापना की आवश्यकता महसूस की गई।
तत्कालीन भारत महान्यायवादी सीतलबाड की अध्यक्षता में वर्ष 1955 में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया। 19 वे विधि आयोग का गठन न्यायमूर्ति पी.वी.रेड्डी की अध्यक्षता में किया गया 20वें विधि_आयोग का गठन वर्ष 2012 से 2015 अवधि के लिए किया गया। न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह इसके अध्यक्ष थे।
21 वे विधि_आयोग के अध्यक्ष बलबीर सिंह चौहान है
समान अवसर आयोग ( Equal opportunity commission )
केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित समान अवसर_आयोग(equal opportunities commission) 24 फरवरी 2014 को मंजूरी दे दी। मुसलमानों की सामाजिक एवं आर्थिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने वाली सच्चर समिति ने समान अवसर _आयोग गठित करने की सिफारिश की थी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ( National backward class commission )
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 340 सरकार को पिछड़े वर्गों की स्थिति का मूल्यांकन के लिए एक_आयोग के गठन का अधिकार प्रदान करता है। सरकार में मंडलआयोग के रूप में पिछड़ा वर्ग _आयोग का गठन 1979 में किया
मंडल_आयोग की संस्तुतियों को मानते हुए सरकार ने 13 अगस्त 1990 को पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण सरकारी नौकरियां प्रदान करने की घोषणा कर दी। केंद्र सरकार ने 14 अगस्त 1933 को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग_आयोग की स्थापना की
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति या जनजाति आयोग ( National Scheduled Castes or Tribe Commission)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत अनुसूचित जाति या जनजाति के कल्याण के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान था। संविधान के 65 वें संशोधन द्वारा इस प्रावधान को समाप्त कर एक राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति_आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया।
इस_आयोग में एक अध्यक्ष एक उपाध्यक्ष एवं पांच सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होना निर्धारित किया गया। 89 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा अनुसूचित जाति के लिए पृथक् राष्ट्रीय_आयोग के गठन का प्रावधान कर दिया गया।
वर्तमान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए पृथक् पृथक्आ_योग है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ( National minority commission )
भारत सरकार द्वारा जैन मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध एवं फारसी आदि समुदायों की अल्पसंख्यक के रूप में पहचान की गई। अल्पसंख्यक कल्याण एवं उनके अधिकारों को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने के लिए बनी योजनाओं की प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 1978 में भारत सरकार ने एक अल्पसंख्यक_आयोग का गठन किया।
भारतीय संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक_आयोग अधिनियम 1992 के तहत पुराने अल्पसंख्यक_आयोग के स्थान पर 17 मई 1993 को नई राष्ट्रीय अल्पसंख्यक_आयोग की स्थापना की गई। यह आयोग 21 जनवरी 2010 को पुनः संगठित हुआ।
एक अध्यक्ष एक उपाध्यक्ष तथा 5 सदस्य होते हैं। जिनकी नियुक्ति केंद्रीय सरकार द्वारा होती हैं।