राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल (गवर्नर) होता है, जो मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है। कुछ मामलों में राज्यपाल को विवेकाधिकार दिया गया है, ऐसे मामले में वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना भी कार्य करता है। राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं।
राज्यपाल
भारत का संविधान संघात्मक है। इसमें संघ तथा राज्यों के शासन के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद153 के तहत् प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होना आवश्यक है।
राज्यपाल राज्य का प्रथम व्यक्ति होता है। लेकिन वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है।
राज्य की सारी कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल के पास होती है और सभी कार्य उन्हीं के नाम से होते हैं।
राज्यपाल विभिन्न कार्यकारी कार्यो के लिए महज अपनी सहमति देता है।
Indian Constitution के मुताबिक, राज्यपाल स्वतंत्र रूप से कोई भी बड़ा निर्णय नहीं ले सकता है।
राज्य की कार्यकारी शक्तियां मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के अधीन होती है
संविधान के अनुसार, राज्यपाल राज्य स्तरपर संवैधानिक प्रमुख होता है
राज्य की कार्यपालिका ( Executive) का प्रमुख राज्यपाल होता है, जो कि मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करता है।
कुछ मामलों में राज्यपाल को विवेकाधिकार दिया गया है, ऐसे मामले में वह मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना कार्य करता है।
भारत में 7 केंद्र शासित राज्य हैं जिनमें से 3 केंद्र शासित राज्यों में उप राज्यपाल का पद है वह 3 केंद्र शासित राज्य ( Union territory) निम्न है
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह ,दिल्ली और पुडुचेरी बाकी चार केंद्र शासित राज्यों में प्रशासक होते हैं
वहां पर उप राज्यपाल का पद नहीं होता है। वह 4 केंद्र शासित राज्य है। चंडीगढ़ , दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, लक्ष्यदीप।
राज्यपाल अपने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं।
इनकी स्थिति राज्य में वही होती है जो केन्द्र में राष्ट्रपति की होती है। केन्द्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल होते हैं।
राज्यपाल की योग्यता:-
अनुच्छेद 157 के अनुसार राज्यपाल पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताओं का होना अनिवार्य है–
- वह भारत_का_नागरिक हो
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो
- वह राज्य सरकार या केन्द्र सरकार या इन राज्यों के नियंत्रण के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम में लाभ के पद पर न हो
- वह राज्यविधानसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो।
राज्यपाल की नियुक्ति
संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी,
किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री की सिफ़ारिश पर की जाती है।
राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्न दो प्रकार की प्रथाएँ बन गयी थीं-
- किसी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नहीं नियुक्त किया जाएगा, जिसका वह निवासी है।
- राज्यपाल की नियुक्ति से पहले सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा।
यह प्रथा 1950 से 1967 तक अपनायी गयी, लेकिन 1967 के चुनावों में जब कुछ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ,
तब दूसरी प्रथा को समाप्त कर दिया गया और मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किए बिना राज्यपाल की नियुक्ति की जाने लगी।
राज्यपाल की शक्तियाँ और कार्य
राज्यपाल की शक्तियों और कार्यों को व्यापक रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –
A. राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में शक्तियाँ और कार्य, और
B. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में शक्तियाँ और कार्य।
1. कार्यालीक शक्तिया
- अनुच्छेद 154:- राज्य कार्य पालिका शक्ति राज्यपाल में नहित होती हे।
- अनु. 164:- मुख्यमंत्री व मंत्रियो की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हे।
- अनु. 165:- राज्य महादिवक्ता(एडवोकैट जनरल) की नियुकि राज्यपाल द्वारा की जाती हे।
- अनु. 166:- राज्य सरकार के समस्त कार्य राज्य पाल के नाम से किये जाते हे ।
- सभी राज्य स्तरीय आयोगों के अध्य्क्ष अव सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हे
- राज्य में स्थित सभी विश्व् विधाल्यो का कुलाधिपति राज्यपाल होता हे हे। तथा उपकुलाधिपति (कुलपति) की नियुक्ति राज्य पाल द्वारा की जाती हे
- नोट:- विधि विश्व् विधालयो का कुलाधिपति मुख्य न्यायाधीश होता हे।
- केंद्रीय विश्व विधालयो का कुलाधिपति राष्ट्रपति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त व्यक्ति होता हे। दिल्ली विश्व विधालयो का कुलाधिपति उपराष्ट्रपति होता हे।
2. न्यायिक शक्ति(Judicial power)
- अनुच्छेद 161:- राज्यपाल द्वारा सजा माफ़ करना।
- अनुच्छेद219:- उच्च न्यायालयो क्व न्याधिशो को पद की शपथ दिलाना।
- अनुच्छेद 233:- जिला न्याधिशो की नियुक्ति करना।
3. वित्तीय शक्तिया( Financial power)
- राज्य में धन विदेयक व वित्त पर पहले हश्ताक्षर राज्यपाल द्वारा किया जाते हे।
- अनुच्छेद 202:- राज्य सरकार का वार्षिक वित्तीय विवरण(बजट) राज्यपाल के नाम से ही प्रस्तुत किया जाता हे ।
- राज्यपाल स्थानीय संस्थओं को वित्तीय संशाधन उपलब्ध करवाने हेतू राज्य वित्त आयोग का गठन करता हे ।
- अनुच्छेद 243 I:- ग्रामीण आस्थायो के लिए
- अनुच्छेद 243 y:- शहरी संस्थाओं के लिए।
नोट:- राज्य की आकस्मिक निधि कोष पर राज्यपाल का तथा संचित निधि कोष पर विधान मंडल का नियंत्रण होता हे।
4. स्वविवेकिय शक्तियां
भारतीय संविधान में सिर्फ राज्यपाल को ही स्वविवेक की शक्तियां प्रदान की गई हैं लेकिन संविधान में स्वविवेक की शक्तियों को परिभाषित नहीं किया गया इन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती
अनुच्छेद 167 राज्य के प्रशासनिक मामलों की जानकारिया/ सूचना प्राप्त करने का अधिकार है जम्मू कश्मीर राज्य के राज्यपाल को राज्य का राज्यपाल शासन लागू करने की शक्ति प्रदान की गई है
5 विधायी शक्तियां
राज्यपाल विधानमंडल का अंग होता है अनुच्छेद 174 वह विधानमंडल का सत्र आहूत करता है
सत्रावसान तथा विधानसभा को भंग करता है प्रत्येक नई विधानसभा के पहले व प्रतिवर्ष पहले सत्र को संबोधित करता है विधानमंडल में संदेशों को भेज सकता है
अनुच्छेद 171 राज्य विधानमंडल के 1 / 6 सदस्यों को मनोनीत करता है जो कला, विज्ञान, साहित्य, समाज सेवा और सहकारिता के क्षेत्र से होते हैं
विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता का निर्धारण राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग की राय से राज्यपाल करेगा
नोट राज्य विधानमंडल के किसी सदस्य की दल बदल संबंधी योग्यता का निर्धारण संबंधित सदन के अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा
- अनुच्छेद 202 राज्यपाल वार्षिक वित्तीय विवरण को विधानसभा में रखवाता है
- अनुच्छेद 200 राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनुमति प्रदान करता है
- या राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखता है या रोक सकता है और यदि धन विधेयक नहीं है तो उसे पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है
- अनुच्छेद 213 अध्यादेश जारी कर सकता है
नोट – राज्यपाल अध्यादेश को स्वयं वह वापस ले सकता है
राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है राज्य का प्रथम नागरिक राज्यपाल होता है
राज्यपाल को उस राज्य के मुख्य न्यायधीश द्वारा सपथ दिलाई जाती है राज्य की आकस्मिक निधि पर राज्यपाल का नियंत्रण होता है
पदाधिकारियों का वरियता अनक्रम मे राज्यपाल का 4th स्थान है।
देश में सर्वाधिक कार्यकाल(24वर्ष)वाला मुख्यमंत्री ज्योति बसु (प.बंगाल)था तो सबसे कम कार्यकाल (24घंटे) वाला मुख्यमंत्री जगदम्बिका पाल( UP )था।
अंतर्राज्यीय परिषद की उपसमिति ने 7 दिसंबर 1991 को अपनी बैठक में राज्यपाल के चयन में उनके कार्यकाल के बारे में कुछ सिफारिशें कि जो निम्न है-
- राज्य पाल की नियुक्ति मुख्यमंत्री के परामर्श से हो इसके संविधान के अनु 155 में संशोधन किया जाए ।
- राज्यपाल सामाजिक व प्रशासनिक साफ रखने वाला व्यक्ति है।
- राज्यपाल कार्यमुक्त होने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को छोड़कर किसी दूसरे पद पर नियुक्त न हो
- सरकारिया आयोग की महत्वपूर्ण सिफारिश यह है कि राजनीति में सक्रिय व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त नहीं किया जाएगा
मुख्यमंत्री से सूचना प्राप्त करना
राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री से सूचनाएं प्राप्त करना भी विवेकाधिकार के अंतर्गत आता है। अनुच्छेद 167 ( ए )के अनुसार यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य है
कि वह मंत्रिमंडल के राज्य प्रशासन संबंधी तथा नये विधेयकों संबंधी निर्णयों से राज्य पाल को अवगत कराएं। अनुच्छेद 167 (C) के अंतर्गत राज्य पाल को अधिकार है कि ऐसा विषय जिस पर संबंधित मंत्री ने तो निर्णय लिया है।
पर मंत्रिमंडल के विचारार्थ प्रस्तुत नहीं किया गया हो को मुख्यमंत्री से अपने पास विचारार्थ मंगवा सकता है।
राजस्थान के राज्यपाल ( Governor )
- राज्य में राज्य पाल का पद राजप्रमुख रूप में सृजित हुआ 30 मार्च 1949 से 1 November 1956 तक यह पदराजप्रमुख नरेश जयपुर सवाई मानसिंहसृजित रहा
- राज्य के एकमात्र राजप्रमुख नरेश जयपुर सवाई मानसिंह को बनाया गया जो 1956 तक कार्यरत रहे
- राजस्थान में 1 नवंबर 1956 के राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य प्रमुख एवं महाराज प्रमुख के पदों को समाप्त कर इस पद का गठन किया गया।
- संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक राज्य पाल होता है।राज्य में राज्य पाल की “संवैधानिक प्रमुख” की स्थिति होती है।
- भारत का राष्ट्रपति राज्य के राज्य पाल को नियुक्त करता है।
- राज्य पाल विधानसभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। तथा मुख्यमंत्री की सलाह से वह अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है।
- अनुच्छेद 154 के तहत् राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्य पाल में निहित होती है।
- राज्य के एकमात्र उप राजप्रमुख महाराव भीम सिंह कोटा नरेश थेगुरुमुख निहाल सिंह
- राजस्थान के प्रथम व सर्वाधिक कार्यकाल वाले राज्य पाल गुरुमुख निहाल सिंह थे
- भारत की प्रथम महिला राज्य पाल सरोजिनी नायडू उत्तर प्रदेश (भारत की कोकिला के नाम से प्रसिद्ध इनके जन्मदिन 13 फरवरी को National Women’s Day के रुप में मनाया जाता है) की थी
- सरोजिनी नायडू ने राज्य पाल के पद को सोने के पिंजरे में कैद करके रखी गई चिड़िया है कहा।
- राजस्थान की प्रथम महिला राज्य पाल श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल थी
- डॉ संपूर्णानंद:- प्रथम बार 1967 में राष्ट्रपति शासन लागू।
- सरदार जोगेंद्र सिंह:- प्रथम राज्य पाल जो अपने पद से त्यागपत्र दिया।
- डॉक्टर मरीचन्ना रेड्डी:- इनके काल में राज्य में आखिरी बार राष्ट्रपति शासन लागू।
- निर्मल चंद्र जैन & शैलेंद्र कुमार सिंह :- जिनकी पद पर रहते हुए मृत्यु हुई।
- श्रीमती प्रभा राव:- राज्य की प्रथम महिला राज्य पाल जिसकी पद पर रहते मृत्यु हुई।
- राम नायक:-उत्तर प्रदेश के राज्य पाल को अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
- राजस्थान के प्रथम राज्य पाल जिनकी मृत्यु पद पर रहते हुए दरबार सिंह थे
- जो 1 मई 1998 से 24 मई 1998 तक कार्यरत रहे
- राजस्थान में प्रथम राष्ट्रपति शासन 13 मार्च 1967 शत-शत के समय राज्य पाल डॉक्टर संपूर्णानंद थे
- राजस्थान में राष्ट्रपति शासन 4 बार लागू किया गया।
- बाबरी मस्जिद विवाद के कारण *15 सितम्बर 1992 से 3 दिसम्बर 1993 तक उस समय राज्य के राज्य पाल एम.चेनारेड्डी थे।
- राजस्थान राज्य के सबसे कम कार्यकाल वाले राज्य पाल श्री दरबारा सिंह हैं। प्रथम राज्य पाल जिनकी पद पर रहते हुए मृत्यु हुई। उनका कार्यकाल 01-05-1998 से 25-05-1998 तक रहा।
- राज्य पाल द्वारा विधानमंडल- के पास पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता
- शिवराज पाटिल को और श्री राम नाईक- को राजस्थान के राज्य पाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था
- राज्य पाल-श्री दरबार सिह श्री निर्मल चंद जैन श्री शैलेन्द्र सिह और श्रीमती प्रभा राव का राज्य पाल के पद पर रहते हुए कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था
- राज्य की सर्वाधिक समय- तक रहे राज्य पाल सरदार गुरुमुख निहाल सिंह थे
- राजस्थान में राज्य पाल को- प्रशासनिक सहायता प्रदान करने के लिए एक राज्य पाल सचिवालय कार्यरत है सचिवालय का प्रमुख राज्य पाल का सचिव होता है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा का वरिष्ठ अधिकारी होता है
- जगत नारायण- राजस्थान के प्रथम कार्यवाहक के रूप में राज्य पाल बने थे
- वेदपाल त्यागी-के समय दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था
- राज्य पाल रघुकुल तिलक- के समय तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था
नोट:- राज्य पाल राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति देता है।
परंपरागत रूप से राज्य राजस्थान के राज्य पाल ग्रीष्मकाल में कुछ समय माउंट आबू सिरोही में बिताते हैं ।
राजस्थान के राज्य पाल सभी राज्य विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं।