Sultanate era-Lodi dynasty ( लोदी वंश 1451 – 1526 ई.)
बहलोल लोदी(1451-1489 ई)
बहलोल लोदी ने अंतिम सैय्यद शासक आलमशाह को अपदस्थ कर लोदी वंश की स्थापना की। बहलोल लोदी की मुख्य सफलता जौनपुर (1484 ई.) राज्य को दिल्ली सल्तनत में सम्मिलित करने की थी। उसने बहलोली सिक्के जारी किये, जो अकबर से पहले तक उत्तरी भारत में विनिमय के मुख्य साधन बने रहे।
अब्बास खां शेरवानी कहता है कि, “बहलोल लोदी द्वारा दिल्ली की सत्ता हस्तगत करने पर अफगान टिड्डी के झुण्ड की तरह भारत की और चल पड़े।“
सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.)
बहलोल लोदी के उपरांत सिकंदर लोदी दिल्ली का सुल्तान बना, जो लोदी वंश का सर्वश्रेष्ठ शासक सिद्ध हुआ सिकंदर लोदी ने 1504 ई. में आगरा नगर की स्थापना की तथा 1506 ई. में इसे अपनी राजधानी बनाया। उसने नाप के लिए एक पैमाना ‘गज-ए-सिकंदरी’ प्रारंभ किया तथा हिन्दुओं पर जजिया कर आरोपित किया।
सिकन्दर लोदी ने मुहर्रम और ताजिया निकालना बंद करा दिया। मस्जिदों को सरकारी संस्थाओं का रूप प्रदान करके उन्हें शिक्षा का केंद्र बनाने का प्रयत्न किया।
सिकंदर लोदी के अनुसार, “यदि मैं अपने एक गुलाम को भी पालकी में बैठा दूं तो मेरे आदेश पर मेरे सभी सरदार उसे अपने कन्धों पर बैठा कर ले जायेंगे।“
सिकंदर लोदी ने एक आयुर्वेदिक ग्रंथ का फारसी में अनुवाद करवाया, जिसका नाम ‘फरहंग-ए-सिकंदरी’ रखा गया। सिकंदर लोदी गुलरूखी के उपनाम से फारसी में कविताएं लिखता था।
इब्राहिम लोदी (1517-1526 ई.)
सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोदी दिल्ली का सुल्तान बना। इसके शासनकाल में दिल्ली सल्तनत का पतन प्रारंभ हो गया। सभी राज्यों के गवर्नर स्वतंत्र शासकों जैसा व्यवहार करने लगे।
खातोली (वर्तमान कोटा जिले में) के युद्ध (1517-1518 ई.) में मेवाड़ के शासक महाराणा सांगा ने उसे पराजित किया था उसके बाद बाड़ी (धौलपुर) के युद्ध में बुरी तरह पराजित किया| मेवाड़ महाराणा सांगा (संग्राम सिंह) एवं इब्राहीम लोदी के मध्य संघर्ष का मुख्य कारण °मालवा° पर अधिकार करना था|
इब्राहीम लोदी ने बहलोल लोदी के नियमों को पूरी तरह उलट कर राजशाही में कुनबापरस्ती को बिल्कुल नकार दिया था| उमरावों के साथ वह कठोरता से पेश आता था| इस कारण सुल्तान-उमरावों के संबन्ध तनावपूर्ण हो गये| इब्राहीम लोदी के शासन काल मे सुल्तान और अफगान सरदारों का संघर्ष मुख्य घटना थी|
1526 ई. में पानीपत के मैदान में इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ, जिसमे इब्राहिम लोदी की हार हुई। इसे पानीपत के प्रथम युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
लोदियों के साथ-साथ दिल्ली सल्तनत का पतन हो गया। इतिहासकार निमायमतुल्ला के अनुसार, “इब्राहिम लोदी के अतिरिक्त दिल्ली का कोई भी सुल्तान युद्ध में नहीं मारा गया।“
पानीपत के प्रथम युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई| बाबर की श्रेष्ठ रणनीति और तोपखाने ने इब्राहीम लोदी को पराजित करने में निर्णायक भूमिका निभाई थी|