जहाँगीर (1605-27)
जहाँगीर
- जन्म:-फतेहपुर सीकरी में स्थित शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में।
- माँ का नाम:-जोधा बाई
- गुरु का नाम:-अब्दुल रहीम खान- खाना
- बचपन:-सलीम ( अकबर इसे शेखू बाबा कहकर पुकारता था )
- विवाह:- आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री मानबाई से इससे पुत्र खुसरो उत्पन्न हुआ। मानबाई की मृत्यु अफीम खाने से हुई।
- अन्य विवाह:– मारवाड़ के राजा उदयसिंह की पुत्री जगत गोसाई से, इसी से शाहजहाँ उत्पन्न हुआ।
- शाही-ए-जमाल इससे परवेज उत्पन्न हुआ। अन्य पुत्र शहरयार एक रखैल से उत्पन्न पुत्र था।
जहाँगीर पुत्र
- खुसरो:- इसे अर्जुनदेव का समर्थन प्राप्त था।
- परवेज:- इसे महावत खाँ का समर्थन था।
- खुर्रम:- इसे जहाँगीर का समर्थन था।
- शहरयार:- इसे नूरजहाँ का समर्थन था।
- जहाँदार
Jahangir Coronation ( जहाँगीर राज्याभिषेक )
आगरा में, जहाँगीर ने गद्दी पर बैठने के बाद एक न्याय की जंजीर लगवाई तथा 12 राजाज्ञा जारी की, अलतमगा नामक कर की वसूली पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
सम्पत्ति उत्तराधिकारी के अभाव में समस्त सम्पत्ति सार्वजनिक निर्माण कार्य पर खर्च किया जायेगा। शराब एवं अन्य मादक पदार्थों की बिक्री एवं निर्माण पर प्रतिबन्ध लगा दिया। जहाँगीर ने तम्बाकू पर प्रतिबन्ध लगा दिया। तम्बाकू पूर्तगीज जहाँगीर के काल में भारत लाये थे।
कोई भी जागीदार बिना आज्ञा के विवाह नही करेगा। सप्ताह के दो दिन गुरुवार (जहाँगीर के राज्याभिषेक का दिन) एवं रविवार (अकबर का जन्म दिन) को पशु हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया।
Rebellion of Jahangir Time ( जहांगीर के समय के विद्रोह )
1. खुसरो का विद्रोह (1606):-
खुसरो जहाँगीर का सबसे बड़ा पुत्र था। इसने 1606 में विद्रोह कर दिया इसे शिख गुरु अर्जुनदेव का समर्थन भी प्राप्त था। अर्जुन देव को खुसरो को समर्थन देने के कारण फाँसी दे दी गई। खुसरों को जालंधर के निकट भैरावल नामक स्थान पर पराजित किया गया।
खुर्रम ने अपने दक्षिण अभियान के समय खुसरो को अपने साथ ले जाकर हत्या कर दी बाद में इसका शव इलाहाबाद में लाकर दफना दिया गया।
2. महावत खाँ का विद्रोह (1626):–
महावत खाँ शहजादा परवेज को समर्थन देता था। इसने झेलम के तट पर 1626 ई0 में जहाँगीर और नूरजहाँ को बन्दी बना लिया। परन्तु बाद में नूरजहाँ ने अपनी बुद्धिमत्ता से स्वयं को आजाद करवा लिया।
Jahangir Victory ( जहांगीर प्रमुख विजयें ):-
1. मेवाड़ विजय (1615):-
मेवाड़ की गद्दी पर राणा प्रताप की मृत्यु के बाद अमरसिंह शासक बनता है। जहाँगीर ने मेवाड़ विजय की। अमरसिंह से एक समझौता हो गया जिसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे-
- राजपूत महिलाओं से विवाह न करने की शर्त।
- चित्तौड़ के किले की मरम्मत न कराने की शर्त।
- अमरसिंह को व्यक्तिगत रूप से दरबार में हाजिर न होने की शर्त।
2. कान्धार:-
- 1621-22 ई0 में शाह अब्बास के समय में कान्धार मुगल क्षेत्र से निकल गया।
- शाहजहाँ ने कान्धार जाने से मना कर दिया क्योंकि वह समझना था कि उसके जाने पर नूरजहाँ का दरबार में आधिपत्य स्थापित हो जायेगा।
3. अहमद नगर की विजय:-
- अकबर अहमद नगर की सम्पूर्ण विजय न कर सका था। इसका एक बड़ा भाग मलिक-अम्बर के अधीन था।
- जहाँगीर ने 1616 ई0 में खुर्रम के अहमद नगर की विजय के लिए भेजा। दोनों पक्षों में एक समझौता हो गया। जहाँगीर ने खुर्रम को इसी विजय के उपलक्ष्य में शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की।
Jahangir Architecture ( जहांगीर वास्तुकला )
जहाँगीर के शासन काल में एतमादूद्दौला का मकबरा बनाया गया । एतमादूद्दौला के मकबरे की ख्याति इसमें संगमरमर के ऊपर पच्चीकारी के कारण है। यह सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है और इसमें कीमती पत्थर भी लगे हूए है। इस मकबरे का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया।
यह प्रथम ऐसी ईमारत है (मुग़ल काल) जो पूर्ण रूप से बेदाग़ सफ़ेद संगमरमर से निर्मित है। सर्वप्रथम इस ईमारत में पित्रादूरा नाम का जड़ाऊ काम किया। जडावत के कार्य का एक पहले का नमूना उदयपुर के गोलमंडल मंदिर में पाया जाता है। मकबरे के अन्दर निर्मित एतमादूद्दौला एवं उसकी पत्नी की कब्रे पीले रंग के कीमती पत्थर से निर्मित है।
सिकंदरे में अकबर के मकबरे का निर्माण कार्य यद्यपि अकबर के योजना के अनुरूप उसी के शासन काल में प्रारंभ किया गया। इसका समापन 1613ई. में जहाँगीर की देख रेख में हुआ।
यह मकबरा चार बाग़ पद्धति के उद्यान में स्थित है। वर्गाकार योजना का यह मकबरा पांच तल ऊंचा है जिसका प्रत्येक तल क्रमश: छोटा होकर इसे पिरामिड नुमा आकर देता है। अकबर की कब्र भवन से चारो और से घिरी है तथा ये ईंट और चुने के गारे से बनी है। उपरी मंजिल सफ़ेद संगमरमर तथा अन्य सम्पूर्ण मकबरा लाल बलुआ पत्थर का बना है। यह मकबरा 119 एकड में फैला हुआ है।
ओरंगजेब के समय में जाट शासक राजा राम के नेतृत्व में जाटों ने अकबर की कब्र खोदकर इसकी अस्थियों को अग्नि में समर्पित कर दिया एवं मकबरे को नुकसान भी पहुँचाया।
जहाँगीर के शासन काल में अन्य उल्लेखनीय भवन लाहौर के निकट शाहदरा में स्थित उसका मकबरा है जिसका नक्शा व योजना उसने खुद तैयार किया था। इस मकबरे के ऊपर संगमरमर का एक मंडप था जिसे सिक्खों ने उतार लिया था। समाधि के भीतरी हिस्सों में संगमरमर की पच्चीकारी तथा चिकने और रंगीन सुंदर पलस्तरो का प्रयोग किया गया है।
नूरजहाँ
नूरजहाँ
- वास्तविक नाम – मेहरुन्निसा
- पिता का नाम: मिर्जा गयास बेग
- माता का नाम: अस्मत बेगम
- विवाह: अली-कुली बेग के साथ
- जहाँगीर से विवाह -1611 ई0
जहाँगीर ने इसे पहले नूर महल एवं फिर नूरजहाँ की उपाधि प्रदान की। 1613 ई0 में पट्ट महसी एवं बादशाह बेगम की उपाधि दी। नूरजहाँ फारस की थी इसने राज दरबार में अपना एक गुट बना लिया जो नूरजहाँ गुट के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
नूरजहाँ गुट:- नूरजहाँ ने दरबार में अपना प्रभाव बढ़ा लिया और इसने एक गुट बना लिया। इस गुट में- 1. नूरजहाँ 2. आसफ खाँ 3. अस्मत बेगम 4. मिर्जा गयास वेग 5. शाहजहाँ सम्मिलित थे।
इस गुट में शहरयार शामिल नही था। नूरजहाँ अपनी पहली पुत्री लाडली बेगम का विवाह जहाँगीर के पुत्र शहरयार से करना चाहती थी तब इस गुट में मतभेद उत्पन्न हो गया और शाहजहाँ इससे अलग हो गया।
इत्र का आविष्कार:-
गुलाब से इत्र निकालने का आविष्कार अस्मत बेगम ने किया था। उसी के बाद नूरजहाँ ने भी इस कला को सीख लिया।
Jahangir’s death ( जहाँगीर की मृत्यु ):–
जहाँगीर 1627 ई0 में कश्मीर गया। लौटते समय राजौरी के निकट उसे दमे का दौड़ा पड़ा। 7 नवम्बर 1627 ई0 को भीमबार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु हो गई। इसे शहादरा में रावी नदी के तट पर दफना दिया गया। नूरजहाँ की भी मृत्यु लाहौर में ही हुई। जहाँगीर एक गायक भी था।