भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (प्रथम चरण)
शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस आंदोलन की शुरुआत हुई, जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ 15 अगस्त, 1947 ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा। प्रमुख संगठन एवं पार्टी गरम दल, नरम दल, गदर पार्टी, आज़ाद हिंद फ़ौज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, इंडियन होमरूल लीग, मुस्लिम लीग
अन्य प्रमुख आंदोलन असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, नमक सत्याग्रह
परिणाम भारत स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ
भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
- प्रथम चरण
- द्वितीय चरण
- तृतीय चरण।
1. आन्दोलन का प्रथम चरण (1885-1905)
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के इस काल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
1885 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस पर उदारवादी राष्ट्रीय नेताओं का वर्चस्व स्थापित हो गया। तत्कालीन उदारवादी राष्ट्रवादी नेताओं में प्रमुख थे- दादाभाई नौरोजी, महादेव गोविन्द रानाडे, फ़िरोजशाह मेहता, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, दीनशा वाचा, व्योमेश चन्द्र बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय आदि।
कांग्रेस की स्थापना के आरम्भिक 20 वर्षो में उसकी नीति अत्यन्त ही उदार थी, इसलिए इस काल को कांग्रेस के इतिहास में ‘उदारवादी राष्ट्रीयता का काल’ माना जाता है।
कांग्रेस की मांगें
- विधान परिषदों का विस्तार किया जाए।
- परीक्षा की न्यूनतम आयु में वृद्धि की जाए।
- परीक्षा का भारत और इंग्लैण्ड में का आयोजन हो।
- अधिक भर्ती निकाली जाएँ।
- वायसराय तथा गवर्नर की कार्यकारणी में भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाए।
ये सभी मांगे हीन से हीन शब्दों में याचना के रूप में संवैधानिक ढंगों से प्रस्तुत की जाती थीं। इनके इसी लचीलेपन एवं संचत व्यवहार के कारण ही लोकमान्य तिलक जैसे उग्रपंथी नेताओं ने इसे ‘राजनीतिक भिक्षावृति’ की संज्ञा दी थी।
कांग्रेस की लोकप्रियता
वर्ष 1885 ई. स्थान बम्बई सदस्य 72 अध्यक्ष व्योमेश चन्द्र बनर्जी
वर्ष 1886 ई. स्थान कलकत्ता सदस्य 434 अध्यक्ष दादाभाई नौरोजी
वर्ष 1887 ई. स्थान मद्रास सदस्य 607 अध्यक्ष बदरुद्दीन तैयब जी
वर्ष 1888 ई. स्थान इलाहाबाद सदस्य 1248 अध्यक्ष जॉर्ज यूल
वर्ष 1889 ई. स्थान बम्बई सदस्य 1880 अध्यक्ष विलियम वेडरबर्न
1909 का भारतीय परिषद् एक्ट (मार्ले -मिण्टो सुधार
- नवम्बर, 1906 में लार्ड कर्जन की जगह लार्ड मिण्टो को भारत का वायसराय नियुक्त किया गया तथा जान मार्ले को भारत सचिव नियुक्त किया गया ।
- मार्ले उदार विचार का व्यक्ति था तथा भारतीय प्रशासन में सुधार के समर्थक थे ।भारत के वायसराय मिण्टो , भारत सचिव मार्ले के विचारों से सहमत थे ।
- इसलिए इन दोनो के द्वारा किये गए सुधारों को मार्ले-मिण्टो सुधार नाम दिया गया था ।
- 1909 के अधिनियम द्वारा भारतीयों को विधि -निर्माण तथा प्रशासन दोनों में प्रतिनिधित्व प्रदान किया ।
- केन्द्रीय विधान सभा में सदस्यों की संख्या 60 कर दी गई ।अब विधान मंडल में 69 सदस्य थे जिनमें से 37 शासकीय सदस्य तथा 32 गैर शासकीय वर्ग के सदस्य थे ।
- 32 गैर सरकारी सदस्यों में से 27 सदस्य निर्वाचित होते थे और 5 नामजद ।निर्णायक मंडल को तीन भागों में बाँटा गया था -सामान्य निर्वाचक वर्ग, वर्गीय निर्वाचक वर्ग तथा विशिष्ट निर्वाचक वर्ग ।
- इस अधिनियम में केन्द्रीय व प्रान्तीय विधायनी शक्ति को बढ़ा दिया था ।परिषद् के सदस्यों को बजट की विवेचना करने तथा उस पर प्रश्न करने का अधिकार दिया गया था ।
- बंगाल, मद्रास व बम्बई की कार्यकारिणी की संख्या बढाकर 4 कर दी गई ।उप राज्यपालों को भी अपनी कार्यकारिणी नियुक्त करने की अनुमति मिल गई ।
- परिषद के सदस्यों को विदेशी सम्बन्धों तथा देशी राजाओं से संबंधित कानून के सामने निर्णय के लिए आये प्रश्नों को उठाने की अनुमति नहीं थी ।
- इस अधिनियम के द्वारा मुसलामानों के लिए प्रथक मताधिकार तथा पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना की गई ।
चंपारण सत्याग्रह-1917
चंपारण बिहार में है। नील की खेती की तिनकठिया प्रणाली प्रचलित थी। जिसमें 3/20 भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था। प्रथम विश्व युद्ध के समय जर्मनी की कृत्रिम नील बाजार में आ गई जिससे भारत की नील की खेती प्रभावित हुई। नील बागान मालिकों को घाटा हुआ। यह यूरोपियन थे इन्हें घाटे की भरपाई किसानों से अतिरिक्त वसूली करनी शुरू की है।
गांधी जी चंपारण गए उन्होंने क्षेत्र का दौरा किया है। गांधी जी की गिरफ्तारी के आदेश दिए और चंपारण में आने से मना किया। गांधी जी ने इस आदेश की अवहेलना की जिस पर तिलक ने उच्च अधिकारियों को आदेश दिया कि गांधीजी हमारी सहयोगी है। अतः गिरफ्तार नहीं किया जाए बाद में एक जांच समिति गठित की गई। जिसमें गांधीजी को सदस्य बनाया गया।
गांधी जी ने मान समिति की माँग मान लिया, गांधी जी की आलोचना हुई कि उन्होंने पूरा समाप्त क्यों नहीं करवाया। गांधी जी का कहना था कि छोटी सी कटौती से भी बागान मालिकों की बेज्जती होगी। गांधीजी का पहला सत्याग्रह।
खेड़ा सत्याग्रह
22 मार्च 1918 को शुरू किया गया यहाँ अकाल पड़ा था जिसके कारण फसलों का उत्पादन कम हुआ था सरकारी नियम था कि अगर फसलों का उत्पादन कुल उत्पादन का 25% से कम हो तो सरकार लगान नहीं लेगी।
खेड़ा में 25% से थोड़ा अधिक उत्पादन हुआ लेकिन बढ़ती हुई महंगाई के कारण किसानों की हालत खराब थी उन्होंने लगान देने से मना कर दिया। मोहनलाल पांडे के नेतृत्व में यह आंदोलन हुआ बाद में विट्ठल भाई पटेल वल्लभभाई पटेल इस आंदोलन से जुड़े। वल्लभ भाई पटेल का प्रथम आंदोलन था
गांधीजी उस समय गुजरात सभा के अध्यक्ष थे। विट्ठल भाई पटेल ने उन्हें खेड़ा आने का न्योता दिया। गांधी जी खेड़ा पहुंचे तथा किसानों का समर्थन किया। सरकार ने बात नहीं मानी तो गांधीजी ने उपवास अनशन शुरु किया बाद में सरकार ने निर्णय लिया कि जो किसान लगान भर सकते हैं केवल वही लगान दें।
गांधी जी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिय इस कारण गांधी जी का गुजरात में जनाधार बढ़ा। हार्नीमैन ने खेड़ा को गांधी जी का पहला वास्तविक सत्याग्रह कहा
रोलेट सत्याग्रह-1919
भारतीय स्वतंत्रता
1917 में सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में सेड्डीसन समिति गठित की गई। इस कानून का प्रमुख उद्देश्य- क्रांतिकारियों की गतिविधियों को रोकना और उनका दमन करना था।। 6 फरवरी 1919-रोलेट राष्ट्रीय परिषद के सम्मुख पेश किया गया।
24 फरवरी को गांधी जी ने सत्याग्रह सभा का गठन किया ताकि इस बिल का विरोध किया जा सके। इसके अध्यक्ष गांधीजी थे। 21 मार्च रोलेट अधिनियम पारित हुआ। गांधीजी ने 30 मार्च को हड़ताल की घोषणा की। जो बदलकर बाद में 6 अप्रैल कर दी गयी। 6 अप्रैल पूरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया। गांधीजी की पंजाब और दिल्ली प्रवेश पर रोक लगाई गई।
गांधीजी ने दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश की 8 अप्रैल को गिरफ्तार हुए। 9 अप्रैल-गांधी जी की गिरफ्तारी से अमृतसर में भी हड़ताल हुई।जिसका नेतृत्व सत्यपाल व सैफुद्दीन ने किया। जो कांग्रेसी नेता थे। 10 अप्रैल को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। 13 अप्रैल को इन दोनों की गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बड़ी सभा का आयोजन किया गया।
उस दिन वैशाखी का दिन था। पंजाब का लेफ्टिनेंट गर्वनर माइकल डायर था। और अमृतसर का पुलिस अधिकारी जनरल डायर था। माइकल डायर ने जनरल डायर को गोली चलाने का आदेश दिया। 379 लोग मारे गए जबकि वास्तविकता में 1300 से 1400 लोग मारे गए।
गांधीजी व कांग्रेस ने इस घटना की आलोचना की। सरकार पर दबाव बढ़ा सरकार ने इस हत्याकांड की जांच हेतु हंटर समिति गठित की।हन्टर समिति में पांच अंग्रेज दो भारतीय सदस्य थे। इस समिति ने जनरल डायर को निर्दोष करार दिया। बाद में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
गांधीजी हंटर समिति की रिपोर्ट से नाखुश हुए। उन्होंने मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की। जिसमें एक सदस्य गांधी जी स्वयं थे इस समिति ने जनरल डायर को दोषी करार दिया। गांधी जी के रोलेट एक्ट सत्याग्रह का विरोध एनी बेसेंट और तिलक ने किया था।
स्वतंत्रता आन्दोलन की महत्वपूर्ण तिथियां:
- सैनिक विद्रोह (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम) – 10 मई, 1857.
- कंपनी शासन का अंत, विक्टोरिया भारत साम्राज्ञी घोषित, विक्टोरिया घोषणा – 1858.
- भारतीय परिषद अधिनियम – 1861.
- प्रार्थना समाज की स्थापना – 1867.
- कूका विद्रोह – 1872.
- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना – 1875.
- आर्य समाज की स्थापना – 1875.
- लार्ड लिटन द्वारा दिल्ली दरबार का आयोजन – 1877.
- पहला कारखाना अधिनियम (लार्ड रिपन) – 1881.
- अड्यार में थियोसोफिकल सोसायटी केंद्र स्थापित – 1882.
- इल्बर्ट बिल – 1883.
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना – 1885.
- इंग्लैंड में भारतीय सुधार समिति” की स्थापना-1887
- विवेकानंद का शिकागो भाषण-1893
- कोलकाता अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा धन के निष्कासन के सिद्धांत को स्वीकार किया गया-1896
- लॉर्ड कर्जन ने विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार संबंधी सुझाव देने के लिए सर थाॅमस रैले की अध्यक्षता में कमीशन नियुक्त किया-1902
- विश्वविद्यालय अधिनियम – 1904.
- बंगाल का विभाजन (लिटन) – 1905.
- मुस्लिम लीग की स्थापना – 1906.
- मैडम भीकाजी कामा में स्टुटगार्ड (जर्मनी) में स्वयं डिजाइन किया हुआ भारतीय ध्वज फहराया गया- 1907
- सूरत अधिवेशन, कांग्रेस में फूट – 1907.
- मार्ले-मिंटो सुधार (सांप्रदायिक आधार पर मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था) – 1909.
- बंगाल विभाजन को रद्द किया गया-1911
- दिल्ली दरबार – 1911.
- गदर पार्टी की स्थापना,रविंद्र नाथ टैगोर ने नोबेल पुरस्कार जीता-1913
- प्रथम विश्व युद्ध – 1914-1918.
- महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका से भारत आगमन-1915
- होमरुल लीग की स्थापना (तिलक और एनी बेसेंट) – 1916.
- लखनऊ समझौता – (कांग्रेस और मुस्लिम लीग में) – 1916.
- लखनऊ में नरम दल और गरम दल में समझौता – 1916.
- महात्मा गांधी द्वारा चंपारन सत्याग्रह – 1917.
- रौलेट अधिनियम पारित किया गया-1919
- अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी का गठन -1919
- जालियांवाला बाग हत्याकांड – 13अप्रेल 1919.
- मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (द्वैध शासन) – 1919.
- खिलाफत आन्दोलन – 1920.
- असहयोग आंदोलन प्रारंभ – 1920.
- चौरी-चौरा की घटना – 05 फरवरी, 1922.
- असहयोग आंदोलन स्थगित – 12फरवरी, 1922.
स्वराज्य पार्टी का गठन – 1923. - सायमन कमीशन की नियुक्ति – 1927.
- सायमन कमीशन का भारत आगमन – 1928.
- भगतसिंह द्वारा केंद्रीय असेंबली में बम फेकना – 1929.
- पूर्ण स्वराज की मांग – 1929.
- सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह – 1930
- प्रथम गोलमेज सम्मेलन – 1930.
- गांधी इर्विन समझौता – 1931.
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (जिसमें कांग्रेस की ओर से गांधी जी ने भाग लिया) – 1931.
- तीसरा गोलमेज सम्मेलन – 1932.
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्जे मैकडोनाल्ड द्वारा कम्यूनल अवार्ड की घोषणा – 1932.
- गांधी और अंबेडकर के बीच पूना समझौता – 1932.
- भारत छोड़ो आन्दोलन – 09, अगस्त 1942.
- क्रिप्स मिशन – 1942.
- आजाद हिंद फौज की स्थापना – 1943.
- केबिनेट मिशन – 1946.
- नौसेना विद्रोह – 1946.
- मुस्लिम लीग द्वारा सीधी कार्यवाही की घोषणा – 16, अगस्त 1946.
- अंतरिम सरकार की स्थापना – 02, सितंबर 1946.
- भारत के विभाजन की माउंटबेटन योजना – 03, जून 1946.
- स्वतंत्रता प्राप्ति – 15, अगस्त 1947.
- महात्मा गांधी की हत्या – 30, जनवरी 1948
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