Currency मुद्रा की परिभाषा, मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार
अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसमे उपयोगिता ,उपभोग, उपभोक्ता का कार्यान्वयन होता हैं जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है।
‘अर्थशास्त्र’ शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘धन का अध्ययन’।
किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है।
अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है वह समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा होता है
अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध व उपभोक्ता ओर समाज इत्यदि।
कुल उपयोगिता और सीमांत उपयोगिता में संबंध ( Relation in total utility and marginal utility )
- जब_कुल उपयोगिता बढ़ती है तब सीमांत उपयोगिता धनात्मक होती है
- जब_कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता शुन्य होती है
- जब कुल उपयोगिता घटती है तब सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक होती है
- कुल उपयोगिता सीमांत उपयोगिता का + होती है।
- सीमांत उपयोगिता कुल उपयोगिता वक्र के डाल को मापती है।
कुल उपयोगिता और सीमांत उपयोगिता में संबंध की व्याख्या सर्वप्रथम जेवेन्स ने की.।
मुद्रा की परिभाषा एवं कार्य
मुद्रा की परिभाषा Currency Definition
मुद्रा_एक ऐसा मूल्यवान रिकॉर्ड है या आमतौर पर वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में स्वीकार किया जाने वाला तथ्य है मुद्रा यह एक सामाजिक-आर्थिक संदर्भ के अनुसार ऋण के पुनर्भुगतान के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता हैं। ( Currency मुद्रा )
अंग्रेजी भाषा में मुद्रा को Money कहा जाता है अंग्रेजी भाषा के शब्द Money की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द Moneta से हुई है रोम में पहली टकसाल देवी मोनेटा के मंदिर में स्थापित की गई थी
इस टकसाल से उत्पादित सिक्को का नाम देवी मोनेटा के नाम पर मनी पड़ गया था और धीरे-धीरे मुद्रा के लिए सामने रूप से मनी शब्द का उपयोग किया जाने लगा ऐसा माना जाता है कि सीन के साथ-साथ भारत में भी विश्व के प्रथम सिक्के जारी करने वाले देशों में से एक हैं भारतीय सिक्कों का इतिहास ईसा पूर्व से प्रारंभ हो जाता है।
उत्खनन में मिले मौर्य काल के चांदी के सिक्के इस बात को सूचित करते हैं कि भारत में इससे पूर्व भी सिक्को का प्रयोग आरंभ हो गया था भारत में पहला रुपया शेरशाह सूरी द्वारा 1540-45 ईसवी में जारी किया गया था वर्तमान में भारत में 50 पैसे ₹1 ₹2 ₹5 ₹10 के मूल्य वर्गों के सिक्के जारी किए जा रहे हैं साथ ही भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ₹10 ₹20 ₹50 500 रु तथा ₹2000 मूल्य वर्ग के बैंक नोट जारी किए जा रहे हैं ( Currency मुद्रा )
रुपए ₹1रू 5 के बैंक नोटों का उत्पादन वर्तमान में बंद कर दिया गया है लेकिन यह चलन में बने हुए हैं 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी ने प्रचलित ₹500 तथा ₹1000के नोटों का विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी
विमुद्रीकरण ( Demonetization )– प्रचलित मुद्रा की कानूनी वैधता समाप्त करके उसे प्रचलन से हटाना ही विमुद्रीकरण कहलाता है
मुद्रा की भूमिका-
विनिमय का माध्यम ( Medium of exchange )
- खाते की काया मूल्य का मापक
- विलंबित भुगतान की मानक
- मूल्य का भंडार
मुद्रा एवं मुद्रा की पूर्ति
मुद्रा आपूर्ति (money supply) किसी अर्थव्यवस्था में किसी समय पर उपलब्ध पूरी मुद्रा (पैसे) की मात्रा होती है। इसका माप अर्थव्यवस्था में प्रयोग हो रही मुद्रा और बैंकों में जमा पैसे का जोड़ होता है।