Panchvarshiya Yojanaye
Panchvarshiya Yojanaye (पंचवर्षीय योजनाएं)
भारत में आथिर्क नियोजन के लगभग छ: दशक पूरे हो चुके है।। इन वर्षों में नियोजन के अन्तगर्त कितना आथिर्क विकास हुआ, क्या विकास के दर पयार्प्त है।? क्या विकास उचित दिशा में हो रहा है
देश के तीव्र व समग्र आर्थिक विकास के लिए भावी विकास योजनाओ का समुचित नियोजन किया जाना आवश्यक होता है ।हमारे देश में आर्थिक योजनाओं का निर्माण एंव प्रगति का मूल्यांकन करने हेतु 15 मार्च, 1950 को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर योजना आयोग की स्थापना की गई थी।
यह एक सलाहकारी एंव संविधानेतर नेत्र निकाय है । इसका पदेन अध्य्क्ष प्रधानमंत्री को बनाया गया है। केंद्र में भाजपा सरकार ने योजना आयोग को भंग कर 1 जनवरी ,2015 को नीति आयोग का गठन कर दिया गया है । नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे तथा उपाध्यक्ष एंव विशेषज्ञ व्यक्ति सदस्य होंगे ।
इसका प्रथम उपाध्यक्ष राजस्थान के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़ीया को बनाया गया है । नीति आयोग देश के संसाधनों का अनुमान लगा कर तथा प्राथमिकताओ का निर्धारण कर योजनाओं का निर्माण एंव उनकी प्रगति का मूल्यांकन करता है ।
आयोग द्वारा बनाई गई योजनाओं पर राष्ट्रीय विकास परिषद में विचार विमर्श किया जाता है । राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन केबिनेट प्रस्ताव द्वारा एक गैर सांविधिक (संविधानेतर ) निकाय के रूप में 6 अगस्त , 1952 को किया गया था । इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं । राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा योजनाओं की स्वीकृति के पश्चात उसे संसद में अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया जाता है । संसद की स्वीकृति मिलने के बाद यह प्रारुप योजना का रूप ले लेता है ।
राज्य स्तर पर राज्य आयोजना विभाग योजनाओं के निर्माण, नियंत्रण एंव मूल्यांकन तथा इनसे संबंधित मामलों में सरकार को सलाह देने के लिए उत्तरदाई है । इस कार्य में सहायता हेतू मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य में राज्य योजना बोर्ड का गठन किया गया है । मार्च, 2015 मे राज्य में आयोजना बोर्ड का विघटन कर मुख्यमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन किया गया है । इसकी अध्यक्ष मुख्यमंत्री है ।
वर्तमान में देश में 12 वी पंचवर्षीय योजना 2012 -17 चल रही है जो 1 अप्रैल 2012 से प्रारंभ हुई है 12वीं पंचवर्षीय योजना 31 मार्च 2017 को खत्म होनेवाली थी, लेकिन मंत्रालयों को अपने कामकाज निपटाने के लिए आखिरी पंचवर्षीय योजना को छह महीने का विस्तार दे दिया गया है।
इसकी अवधि पूरे होते ही साथ ही नेहरू के समाजवाद के इस प्रमुख घटक का खात्मा हो जाएगा। नई व्यवस्था में तीन साल का ऐक्शन प्लान बनेगा जो सात वर्षीय स्ट्रैटिजी पेपर और 15 वर्षीय विजन डॉक्युमेंट का हिस्सा होगा।
1. प्रथम पंचवर्षीय योजना (First five year plan 1951-56)
भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951 से प्रारंभ हुई थी जबकि इस योजना का अंतिम प्रारूप दिसंबर 1952 में प्रकाशित किया गया था। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर एग्रीकल्चर कुटीर उद्योग पर ज्यादा बल दिया गया। सर्वोच्च प्राथमिकता सिंचाई और बिजली परियोजनाओं सहित कृषि को दी गई थी.
1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था इस पंचवर्षीय योजना की वृद्धि दर 2•1% थी। जबकि प्राप्ति वृद्धि दर 3•5% थी।हेराल्ड डोमर मॉडल पर इसे बेस्ड गांधीवादी मॉडल भी कहते हैं।
प्रथम पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य
- देश में शुद्ध एवं विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न असंतुलन को ठीककरना।
- प्रत्यके क्षेत्र में सन्तुलित आर्थिक विकास करना, राष्ट्रीय आय व जीवन स्तर में वृद्धि करना।
- देश में उपलब्ध भौतिक एवं मानवीयसंसाधनों का अधिकतम उपयोग करना।
- 4देश में आय, सम्पत्ति एवं अवसर कीअसमानता को दूर करना।
योजना में व्यय-इस योजना में सावर्जनिक क्षेत्र के अन्तर्गत व्यय राशि 1960 करोड रूपये रही जबकि अनुमानित व्यय राशि 2378 करोड़ रूपये थी।
योजना की उपलब्धि
- राष्ट्रीय आय में 18% एवं प्रतिव्यक्ति आय में 11% की वृद्धि हुर्इ। प्रति व्यक्ति उपभोग का दर 8% एवं विनियोग की दर 2-3% रही।
- 45 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगारप्रदान किया गया।
- 16 मिलियन एकड भूिम पर सिचांर्इ की सुविधा का विस्तार किया गया। इस योजना में खाद्यान्न उत्पादन में 20% की वृद्धि हुर्इ।
- औद्योगिक उत्पादन में वाषिर्क वृद्धि दर 8% की रही।5.380 मील रेलवे लार्इन बिछार्इ गर्इ तथा 430 मील का नवीनीकरण किया गया।
योजना की कमियाँ
- औद्योगिक क्षेत्रों पर केवल 4% परिव्यय कर इस क्षेत्र की अवहेलना की गर्इ
- योजना के दौरान 57-5 लाख लोगों को रोजगार उपलब्घ कराने का लक्ष्य था किन्तु 45 लाख लोगों को ही रोजगार उपलब्घ कराया जा सका।
- इस योजना में अनमुानित परिव्यय 2738 करोड़ रूपये था जबकि वास्तव में 1960 करोड निम्नांकित रूपये ही खर्च किये जा सके
- इस योजना में सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका। आर्थिक असमानता में वृद्धि देखी गर्इ।
2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना (Second Five Year Plan 1956-61)
प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि के लक्ष्य प्राप्त हो चुके थे अत: द्वितीय पंचवर्षीय योजना में यह अनुभव किया गया कि कृषि के स्थान पर भारी तथा आधारभूत उद्योगों का विकास किया जाए
भारतीय सांख्यिकी संगठन कोलकाता के निदेशक महालनोबिस के मॉडल पर आधारित द्वितीय पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1956 से लागू हुई। इस पंचवर्षीय योजना के तहत 1959 में राजस्थान में पहली बार पंचायत का निर्माण किया गया।
इस पंचवर्षीय योजना का मूलभूत उद्देश्य औद्योगीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाना था। इस योजनाओं को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए स्वर्ण काल माना जाता है। इस योजना में इंडस्ट्रियल पॉलिसी, 1956 की घोषणा की गई।
भिलाई, दुर्गापुर, राउरकेला में सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात संयंत्रों का निर्माण. भिलाई संयंत्र सोवियत संघ के सहयोग द्वारा स्थापित किया गया था, दुर्गापुर इस्पात संयंत्र ब्रिटिश सहयोग से स्थापित किया गया था, राउरकेला इस्पात संयंत्र जर्मन सहयोग के साथ स्थापित किया गया था
योजना के उद्देश्य
- राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धिताकि तीव्र गति से देश के जीवन स्तर में वृद्धि की जा सके।
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
- देश में आय व सम्पत्ति की असमानता को दरू करना।
- देश में तीवग्र ति से औद्यागीकरणकरना एवं आधारभतू भारी उद्यागेोंके विकास पर विशेष रूप से ध्यान देना।
योजना में परिव्यय-द्वितीय पंचवर्षीय योजना में सावर्ज निक क्षेत्र में 4800 करोड़ रूपये व्यय का लक्ष्य निर्धारित था किन्तु वास्तविक व्यय 4672 करोड़ रूपये हुआ।
योजना की उपलब्धियां
- द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में सन् 1960-61 की कीमतों पर राष्टी्रय आय में 19-5% की वृद्धि हुर्इ। जनसख्ंया में भारीवृद्धि के कारण जिस अनुपात में राष्ट्रीय आय मे वृद्धि हुर्इ प्रति व्यक्ति आय में नहीं हो पायी। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 8% रही।
- इस_योजना में 210 लाख एकड़ अतिरिक्त भूति को सिंचार्इ उपलब्ध करार्इ गर्इ।
- इस_योजना में रेल , सडक़ , परिवहन तथा बन्दरगाहों के विकास से सबंऔद्योगिकिधत अनके योजनाएं प्रारम्भ की गर्इ।
- इस पंचवर्षीय योजना में आधारभूत उद्योग जैसे- कोयला, बिजली, भारी इंजीनियरिंग, लोहा एवं इस्पात, उर्वरक पर विशेष बल दिया गया। दुर्गापरु , भिलार्इ और राउरकेला के स्पात कारखाने चितरंजन रेल बनाने के कारखाने तथा इण्टीगल्र कोच फैक्ट्री इस योजना की विशेष उपलब्धि रही।
योजना की कमियाँ
- इस योजना में कृषि विकास की उपेक्षा की गर्इ।
- तीन इस्पात उद्योग स्थपित तो किए गये किन्तु उत्पादक लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका।
- विद्यतु की कमी प्रत्यके राज्य में बनी रही। यह योजना महत्वकांक्षी योजना के बावजूद असफसल रही।
3. तीसरी पंचवर्षीय योजना (Third Five Year Plan 1961-66)
इस योजना में अर्थव्यवस्था को आर्थिक गतिशीलता की अवस्था “टेक ऑफ स्टेज” तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया। 1962 में चीन के साथ युद्ध हुआ एवं 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की घोषणा कर दी गई।
जॉन सैंडी और एस चक्रवर्ती मॉडल पर आधारित, मुख्य उद्देश्य आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, कृषि का विकास, खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता और कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के समग्र विकास था. (कृषि के क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हासिल की गई).
नेहरू जी की मृत्यु यह सफलतापूर्वक लागू नहीं किया गया जा सका। इसमें विकास दर सबसे कम थी। इस योजना को कई विद्वानों द्वारा एक असफल योजना के रूप में जाना जाता है. मानसून, सूखा और अकाल विफलता का कारण रहा था .
वार्षिक योजनाएँ (Annual plans)
हालांकि चौथी योजना तैयार थी लेकिन चीन से हार के बाद, कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण. सरकार 3 वार्षिक योजनाओं के साथ ही बहार आई. 1966-1969 तक 3 वार्षिक की योजनाएं चलाई गई। जिन्हें योजना अवकाश की संज्ञा दी गई।
योजना हॉलिडे का अर्थ है, ‘छुट्टी पर नियोजन’. वार्षिक योजनाओं को योजना छुट्टी के रूप में संदर्भित किया जाता है.(1966-67, 1967-68, 1968-69)
- 1966 में हरित क्रांति चलाई गई।
- हरित क्रांति के जनक- नॉर्मन बोरलॉग (मेक्सिको)
- भारत में हरित क्रांति का जनक- डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन(भारत)
4. चौथी पंचवर्षीय योजना (Fourth Five Year Plan 1969-1974)
चौथी पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल 1969 को हुआ था। 31 मार्च 1974 को योजना समाप्त हो गई थी। इसमें समाजवाद की ओर झुकाव रहा। बैंकों का राष्ट्रीयकरण एमआरटीपी एक्ट लागू हुआ। 1970 में श्वेत क्रांति चलाई गई। श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन थे
एस माने और ए रुद्रा के मॉडल & गाडगिल रणनीति पर आधारित थी. इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता और स्थिरता के साथ विकास था. यह राष्ट्रीयकरण पर दिशा में पहला कदम था. 1971 – पाकिस्तान के साथ युद्ध. 1969 में 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था
इस योजना में एमआरटीपी अधिनियम पेश किया गया था (MRTP – एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम), 1973 में फेरा पेश किया गया था (विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम)
5. पांचवी पंचवर्षीय योजना (1974-78)
पांचवी पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल 1974 को हुआ था। तथा 31 मार्च 1978 को यह योजना समाप्त हो गई थी। इस योजना का उद्देश्य गरीबी हटाना था। यह एकमात्र योजना है,जो 1 वर्ष पहले ही पूरी हो गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य निर्धनता उन्मूलन व आत्मनिर्भरता बनाना था।
20 अंक कार्यक्रम इस योजना में पेश किया गया था. यह नीति आयात प्रतिस्थापन और निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है. न्यूनतम जरूरतों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसमे प्राथमिक शिक्षा, पेयजल, ग्रामीण सड़कें, आवास आदि शामिल थे.
काम के कार्यक्रम के लिए खाद्य शुरू किया गया था (1977-1978), 1975 में इमरजेंसी को पेश किया गया था (नेशनल इमरजेंसी) यह योजना को सरकार में परिवर्तन की वजह से समय से एक वर्ष पहले समाप्त किया गया.
रोलिंग प्लान (अनवरत योजना)
1 अप्रैल 1978 से एक नई योजना प्रारंभ कर दी गई थी। इस योजना को अनवरत योजना का नाम दिया गया। अनवरत योजना के प्रथम चरण के रूप में 1 अप्रैल 1978 को 5 वर्षों (1978-83) के लिए छठी योजना प्रारंभ की गई किंतु 1980 में जनता सरकार द्वारा तैयार की गई छठी योजना को समाप्त कर दिया गया।
नोट रोलिंग योजना – इस योजना में पिछले वर्ष के उद्देश्य अगले वर्ष पूरे किये जाने थे.रॉलिंग की योजना की पहले गुन्नार म्यर्दल द्वारा वकालत की गई थी.
6. छठी पंचवर्षीय योजना (1980- 85)
1980 में जनता सरकार द्वारा तैयार की गई छठी योजना को समाप्त करके एक नई छठी योजना प्रारंभ की गई। इसकी अवधि 1980-85 थी।इसका उद्देश्य आर्थिक विकास की दर में पर्याप्त वृद्धि संसाधनों के प्रयोग से संबंधित कार्यकुशलता में सुधार तथा उत्पादकता को बढ़ाना था।
इस योजना में अपनाया गया मॉडल योज आयोग द्वारा निर्मित किया गया था इस योजना में नारा “गरीबी हटाओ” पेश किया गया था NREP – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम 1980 में शुरू किया गया था. 1980 में 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। 1982 में नाबार्ड बैंक की स्थापना की गईं।
ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम 1983 में शुरू किया गया था, डेयरी विकास कार्यक्रम TRYSEM (स्व-रोजगार के लिए ग्रामीण युवा प्रशिक्षण ), राष्ट्रीय बीज कार्यक्रम और KVIP 1983 में शुरू किया गया. (KVIP – खादी और ग्राम औद्योगिक कार्यक्रम)
7. सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-90)
इस_पंचवर्षीय योजना को 1985 में लागू किया गया। इस योजना की अवधि 1985 से 31 मार्च 1990 तक रही। योजना का मुख्य उद्देश्य न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना तथा देश की तकनीकी विकास के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करना, आधुनिकीकरण, विकास, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय था।
इस_योजना को जवाहर रोजगार योजना भी कहा जाता है जवाहर रोजगार योजना को 1989 में शुरू किया गया था.
इस_योजना में सूर्योदय उद्योग विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित था. पहली बार, कुल योजना उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 50% से कम थी. दो वार्षिक योजनाएं नई औद्योगिक नीति शुरू की गई थी. बड़े पैमाने पर उदारीकरण की शुरुआत. एलपीजी (उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण) मुख्य एजेंडा में से एक था.
1991 में आर्थिक सुधार (Economic reform in 1991)
- विदेश व्यापार नीति को उदार बनाया गया था
- लाइसेंसिंग व्यवस्था समाप्त (लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया गया था)
- सीआरआर, एसएलआर कम हो गई थी
- रूपये का अवमूल्यन किया गया
- आयात शुल्क को कम किया गया.
- एमआरटीपी समाप्त कर दिया गया(1969 में शुरू)
- FERA को FEMA में बदल दिया गया(FERA अधिनियम 1973)
8. आठवीं पंचवर्षीय योजना
आठवीं पंचवर्षीय योजना कार्यकाल 1992 से 1997 तक रहा। केन्द्र में राजनीतिक अस्थिरता के कारण ‘आठवीं योजना’ दो वर्ष देर से प्रारम्भ हुई।आठवीं योजना का विवरण उस समय स्वीकार किया गया, जब देश एक भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था।
इसके मुख्य कारण थे
भुगतान संतुलन का संकट
बढ़ता हुआ ऋण भार
लगातार बढ़ता बजट-घाटा
बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और
उद्योग में प्रतिसार
आठवीं योजना के लक्ष्य
- बुनियादी ढांचे के विकास पर बल दिया गया। इस योजना में डब्लू.मिलर मॉडल को अपनाया गया।
- इसका मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन विकास था।
- इस योजना में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- इस योजना में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण पर जोर दिया गया था।
- राष्ट्रीय आय एवं औद्योगिक विकास दर लक्षित दर की तुलना में अधिक थे।
- 73वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें पंचायती राज को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया (पंचायती राज संस्थान)।
- 74वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें शहरी स्थानीय सरकार को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया।
- नरसिंह राव सरकार ने आर्थिक सुधारों के साथ राजकोषीय सुधारों की भी प्रक्रिया जारी की, ताकि अर्थव्यवस्था को एक नयी गति प्रदान की जा सके।
- आठवीं योजना का मूलभूत उद्देश्य विभिन्न पहलुओं में मानव विकास करना था।
9. नवी योजना (1997-2002)
1997 -2002 तीव्र आर्थिक संवृद्धि तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार को लेकर कदम उठाए गए सामाजिक न्याय तथा समता के साथ विकास जनसंख्या की वृद्धि को नियंत्रित करना और महिला सशक्तिकरण पर बल
ग्रामीण विकास कार्यक्रम की विभिन्न योजनाओं का एकीकरण
इस योजना की अन्य विशेषताएं थीं:-
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता.
- खाद्यान्न अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता.
- अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों का समग्र व विकास।
10. दसवी योजना (2002-2007)
1 अप्रैल 2002 से 31 मार्च 2007 विगत उपलब्धियों की अक्षुण्णता बनाए रखना एवं अर्थव्यवस्था की विकास की परेशानियां बाधाओं को दूर करना वर्ष 2003 तक सभी बच्चों का विद्यालय में प्रवेश एवं साक्षरता में वृद्धि सभी गांवों में पेयजल की उपलब्धता कृषि क्षेत्र का विकास करना ग्रामीण को विशेष लाभ मिल सके साथ ही रोजगारोन्मुखी क्षेत्रों का विकास करना
इस योजना का मुख्य उद्देश्य मानव विकास पर जोर देने के साथ ग्रोथ था.गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, जेंडर गैप (लिंग अनुपात), जनसंख्या वृद्धि, आईएमआर (शिशु मृत्यु दर), एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) और अन्य सामाजिक-आर्थिक पहलुओं की जाँच के लिए निगरानी लक्ष्य शुरू किए गए थे.
दसवीं योजना में 2007 तक 25% तक वन और पेड़ बढ़ाने पर प्रकाश डाला गया था. योजना अवधि के भीतर सभी गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए व्यापक ढाँचे की शुरुआत की गई. एनएचएम (2005-06) (राष्ट्रीय बागवानी मिशन)
11. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रेल 2007 – 31 मार्च 2012 तक)
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रेल, 2007 से प्रारंभ हो गर्इ है। योजना के मसौदे को योजना आयोग के बठैक में 8 नवम्बर, 2007 को तथा केन्द्रीय मत्रीं मण्डल की बैठक में 30 नवम्बर, 2007 को मंजूरी प्रदान की गर्इ।
राष्ट्रीय विकास परिषद ने बाद में 19 दिसम्बर, 2007 की बठै क में योजना का अनुमोदन कर दिया है। इस योजना में कुल परिव्यय 3644718 करोड निम्नांकित रूपये प्रस्तावित है जो कि दसवीं पंचवर्षीय योजना से दुगने से भी अधिक है। प्रस्तावित परिव्यय में केन्द्र की भागीदारी 2156571 करोड़ रूपये तथा शेष 1488147 करोड़ रूपये राज्यों की भागीदारी होगी।
योजना का उद्देश्य (Purpose of plan)
- 9% वार्षिक विकास दर के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- कृषि में 4% उद्यागे एवं सेवाओं में 9-11% की प्रतिवर्ष वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- बचत की दर सकल घरेलू उत्पाद के 34.8% तथा निवेश की दर 36.7% के लक्ष्य को प्राप्त करना।
- निधर्नता अनुपात में 10% बिन्दु की कमी करना।
- रोजगार के 7 करोड निम्नांकित नये अवसर सृजित करना। प्राइमरी में ड्रॉप आउट दर 20% से नीचे लाना। साक्षरता दर को 85% तक पहचुंपाना।*
- 2009 तक सभी को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करना। योजना के अतं तक सभी गाँवों में विद्युतीकरण।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मलू न व आधारिक सरं चना के विकास को प्राथमिकता।
- समाजिक आथिर्क विकास में महिला,औद्योगिक अल्पसंख्यक,औद्योगिक पिछड़े जाति, औद्योगिक अनुसूचित जातियांे जन जातियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
देश में आठ नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (राजस्थान, बिहार, हिमाचंल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, उडी़सा, मध्य प्रदेश गुजरात एवं पजांब) सात नए प्रबंधकीय संस्थान (मेघालय, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, हरियाणा, जम्मू कश्मीर एवं तमिलनाडु) स्थापित करने की योजना है।
12. 12 वी पंचवर्षीय योजना (12th Five Year Plan)
बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012 से 2017) को राष्ट्रीय विकास परिषद की दिसम्बर 2012 में मंजूरी मिली। भारत की बारहवीं पंचवर्षीय योजना प्रारम्भ 1 अप्रैल, 2012 से हो गया है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में 90% भारतीय परिवारों को बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है एवं 50% ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम का स्तर प्राप्त करना है
योजनावधि में गैर कृषि क्षेत्र में 5 करोड़ रोजगार के अवसरों के सृजन एवं देश के सभी गांवों में विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा गया है इस पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य तीव्र समावेशी रखा गया है
12वीं पंचवर्षीय योजना में चार लाख में सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना का लक्ष्य प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी के तहत 12वीं पंचवर्षीय योजना में 4 लाख नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना का सूक्ष्म, लघु और मध्यम मंत्रालय का लक्ष्य है इसस् 32 लाख बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके
बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य निम्न है
- वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 9% निर्धारित किया गया था, जिसे बाद में सितम्बर,2012 में घटकर 8.2% किया गया, जिसे योजना आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रीय विकास परिषद ने घटकर 8% कर दिया।
- कृषि क्षेत्र में 4% व् विनिर्माण क्षेत्र में 10% की औसत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य।
- योजना_अवधि में गैर–कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नये अवसरों के सृजन का लक्ष्य।
- योजना_के अंत तक निर्धनता अनुपात से नीचे की जनसँख्या के प्रतिशत में पूर्व आकलन की तुलना में 10% बिंदु की कमी लाने का लक्ष्य।
- योजना_के अंत तक देश में शिशु मृत्यु दर को 25 तथा मातृत्व मृत्यु दर को 1 प्रति हजार जीवित जन्म तक
- लाने तथा 0-6 वर्ष में बाल लिंगानुपात को 950 करने का लक्ष्य।
- योजना_के अंत तक कुल प्रजनन दर को घटाकर 2.1% तक लाने का लक्ष्य।
- योजना के अंत तक सभी गांवों में विद्युतीकरण करने का लक्ष्य।
- ग्रामीण क्षेत्र में टेलेवीशन को बढ़ाकर 70% करने का लक्ष्य।
- वार्षिक केंद्रीय राजकोषीय घाटा इस योजना अवधि में जीडीपी के 3.25% के स्तर तक सीमित रखने का लक्ष्य बनाया गया है और चालू खाते के घाटे को जीडीपी के 2.5% तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
- थोक मूल्य सूचकांक की औसत वार्षिक वृद्धि को 12वी योजना में 4.5-5% तक सीमित रखने का लक्ष्य।
राजस्थान की 12वी पंचवर्षीय योजना (Rajasthan 12th Five Year Plan 2012-17)
राज्य में 12 वी योजना में 1,96,992 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की गई है । राज्य की 12 वी योजना में आर्थिक विकास दर लक्ष्य 7.7% रखा गया । देश के लिए 12वीं योजना में आर्थिक विकास दर का लक्ष्य मूलतः 9 प्रतिशत रखा गया था जिसे घटाकर 8.2% व फिर 8% किया गया। 12 वी योजना में राज्य में सर्वाधिक प्रावधान ऊर्जा के लिए किया गया है
12वीं पंचवर्षीय योजना के उद्व्यय में पर्याप्त वृद्धि हुई है । ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का उद्व्यय 71,731.98 करोड़ था , जबकि योजना आयोग द्वारा राज्य को 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 196992.00 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई ,जो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अनुमोदित उद्व्यय का 2. 75 गुणा है अर्थात 12वीं योजना का प्रावधान 11वीं योजना के कुल प्रावधान से 174.62 प्रतिशत अधिक है ।
12वीं पंचवर्षीय योजना में “तीव्र , संधारणीय और ज्यादा समावेशी वृद्धि” का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।
Panchvarshiya Yojanaye special tricks and facts
12 पंचवर्षीय योजनाओं का Group
A- पहला- 1,2,3,4
B- दूसरा- 5,6,7,8
C- तीसरा- 9,10,11,12
जैसे कि अभी तक 12 पंचवर्षीय योजनाओं का सजृन हो चुका है इसलिए मैंने इनको 3 भागों बांटा है
A. पंचवर्षीय योजनाएं ( Panchvarshiya Yojanaye ) :- (1,2,3,4)
अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास में समाजवादी समाज और अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर करके विकास करना है |
- पहली पंचवर्षीय योजनाएं -इसका main उद्देश्य अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की प्रक्रिया करना था ।
- दूसरी पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था |
- तीसरी पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना था
- चतुर्थ पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य स्थायित्व के साथ विकास और आर्थिक आत्मनिर्भरता बनाना था |
B. पंचवर्षीय योजना ( 5,6,7,8 )
Shortcut Sentence –गरीबी मिटाकर रोजगार में वृद्धि और उत्पादकता बढ़ाकर मानव संसाधनों का विकास किया |
- पांचवी पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भर बनाना था |
- छठी पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि था |
- सातवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाना और रोजगार के अधिक अवसर जुटाना था |
- आठवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य मानव संसाधनों का विकास करना था |
C . पंचवर्षीय योजना (9,10,11,12 )
Shortcut Sentence -समान न्याय देकर गरीबी और बेरोजगारी मिटाकर विकास का लक्ष्य 10 % रखा है |
- नौवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य न्यायपूर्ण वितरण और समानता के साथ विकास को दिया गया |
- दसवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करके प्रति व्यक्ति आय 2 गुनी करना था |
- ग्यारवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य तीव्रतम एवं समावेशी विकास था |
- बारवीं पंचवर्षीय योजनाएं -इसका मुख्य उद्देश्य विकास का लक्ष्य 10 % करना है |
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