Share Market
शेयर बाजार (Share Market)
मानव अपने लिए वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी कुछ सिमा तक सुरक्षित रखना चाहता हैं। इसी स्वभाव के कारण वह भावी मौद्रिक अवश्यक्ताओ के लिये कुछ सीमा तक वर्तमान आय में थोड़ी-थोड़ी बचते करता है। इन बचतों को वह कहीं न कहीं विनियोग करता है।
Share Market
इन बचतों को विनियोग करने के विभिन्न तरीके निम्न हो सकते है-
- बैंक में जमा करना
- बहुमूल्य धातुएं, जमीन आदि में विनियोग करना
- सरकारी व गैर-सरकारी प्रतिभूतियों(अंशों, ऋण पत्रों एवं बॉन्ड्स) में निवेश करना
प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय जिस बाजार में किया जाता है, उसे “शेयर बाजार” कहते हैं। अन्य शब्दों में जिस बाजार में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिभूतियों (अंश, ऋण पत्र, बॉण्ड्स आदि) का क्रय-विक्रय बिचौलियों (Brokers) के माध्यम से निर्धारित नियमों के तहत किया जाता हैं एवं जहां अंशों एवं ऋणपत्रों के बाजार मूल्यों का नियमित रूप से खुलासा किया जाता है, उसे ^शेयर बाजार^ कहते हैं।
पाइले के अनुसार:— शेयर बाजार ऐसे स्थान हैं, जहाँ इन बाजारों में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों का निवेश या सट्टे के लिए क्रय-विक्रय किया जाता है^
शेयर बाजार की विशेषताएं (Stock market features)
- शेयर बाजार में विभिन्न प्रकार की सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता हैं।
- शेयर बाजार में यह क्रय-विक्रय पंजीकृत दलालों के माध्यम से निवेशकों एवं सट्टेबाजों द्वारा किया जाता हैं|
- शेयर बाजार व्यक्तियों के पंजीकृत संघ होते हैं|
- शेयर बाजार के कार्यों पर सेबी का पूर्ण नियंत्रण होता हैं|
शेयर बाजार के कार्य (Stock market work)
- शेयर बाजार की सबसे महत्वपूर्ण कार्य विभिन्न प्रतिभूतियों के लेन-देन की व्यवस्था करना|
- यह निवेशकर्ताओं एवं कम्पनियों को प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय करने की सुविधा एवं प्लेटफार्म प्रदान करना है|
- शेयर बाजार दैनिक आधार पर विभिन्न प्रतिभूतियों की कीमतों से अवगत कराता है ताकि विभिन्न निवेशकर्ताओं को मुल्यों की सही जानकारी रहे|
- इसके अलावा यह विभिन्न प्रकाशनों द्वारा विभिन्न इच्छुक पक्षकारों को अन्य कई महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराता है|
- शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियों के लेन-देन के विभिन्न नियमों, उपनियमों आदि का निर्धारण करते हैं|
- ताकि प्रतिभूति व्यवहार उचित प्रकार से एवं सुरक्षित तरीके से हो सकें|
- ये बाजार विभिन्न प्रतिभूतियों में क्रय-विक्रय की सुविधा प्रदान कर निवेशकों एवं कम्पनियों को तरलता प्रदान करने का कार्य करते हैं|
- शेयर बाजार सूचिबद्ध कम्पनियों के अंतिम लेखों का निरीक्षण भी करते हैं, ताकि उसके अंशों के निर्गमन के समय निवेशकों के हितों की अनदेखी न हो|
अंश बाजार के प्रकार या अंग (types of Share market or Parts)
शेयर बाजार का वर्गीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें किस प्रकार की प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है। कंपनियों एवं सरकार की प्रतिभूतियों के नए निर्गमन “प्राथमिक बाजार” के माध्यम से खरीदे-बेचे जाते है अथार्थ नए निर्गमन में निवेश प्राथमिक बाजार के माध्यम से किए जा सकते हैं, जबकि पहले से ही उपलब्ध प्रतिभूतियों में निवेश “सहायक बाजार” के माध्यम से किया जा सकता है
स्टॉक बाजार उन समस्त लोगों के लिए सहायक है जो प्रतिभूतियों में व्यवहार करते हैं—-जैसे- प्रतिभूतियों के निर्गमनकर्ता, सरकार, निवेशक, मध्यस्थ इत्यादि।
स्टॉक बाजार का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है-
[1] पूँजी बाजार
[2] सहायक या द्वितीयक शेयर बाजार
1. पूँजी बाजार (Capital market)
पूंजी बाजार में ऐसी प्रतिभूतियों का लेन-देन होता है, जिनकी परिपक्वता अवधि 1 वर्ष से अधिक होती है। परंतु विस्तृत अर्थ में, इसमें अल्पकालीन कोषों का बाजार भी शामिल हैं।
एक सामान्य व्यक्ति के लिए पूंजी बाजार का अर्थ एक ऐसे बाजार से हैं जिसमें सभी वित्तीय पप्रपत्रों (दीर्घकालीन अथवा अल्पकालीन), वाणिज्यिक प्रतिभूतियों, औद्योगिक एवं सरकारी प्रतिभूतियों में व्यवहार किया जाता है।
परंतु तकनीकी दृष्टिकोण से पूंजी बाजार शब्द का प्रयोग एक ऐसे बाजार के लिए किया जाता है जहां दीर्घकालीन ऋण देने योग्य कोषों में व्यवहार किया जाता है, जो अल्पकालीन कोषों में व्यवहार करने वाले बाजार से भिन्न हैं।
पूंजी बाजार का महत्व (Importance of capital market)
पूंजी बाजार औद्योगिक विकास के लिए जरूरी कोष उपलब्ध कराता है। पूंजी बाजार निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से निवेशक को अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं।
यह देश के पूंजीगत साधनों को इकट्ठा करता उद्यमशील निवेशकों को उपलब्ध कराता है। यह औद्योगीकरण के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में सहायक है।
पूंजी बाजार के कार्य (Works of capital market)
- राष्ट्रीय स्तर पर वित्त के स्रोतों को प्रोत्साहित करना।
- वित्तीय संसाधनों का प्रभावशाली आवंटन।
- आर्थिक विकास के लिए जरूरी विदेशी पूंजी तथा तकनीकी ज्ञान प्राप्त करना।
पूंजी बाजार की औद्योगिक विकास में भूमिका (Role in industrial development of capital market) :-
बचतों की गतिशीलता
- पूंजी बाजार छोटे व बड़े निवेशकों को बचत के लिए प्रोत्साहित करता है।
- भारत जैसे विकासशील देश में इसका बहुत महत्व है।
- यह बाजार समाज के विभिन्न वर्गों से छोटी-छोटी बचतों को गतिशीलता प्रदान करता है एवं उन्हें उत्पादक कार्यों में लगाने हेतु सुविधा उपलब्ध कराता है।
स्थापित एवं निरंतर बाजार
- पूंजी बाजार निवेशकों के लिए प्रतिभूति क्रय-विक्रय का उचित अवसर प्रदान करता है।
- दूसरे शब्दों में, निवेशक पूंजी बाजार के माध्यम से प्रतिभूतियों में व्यवहार कर सकते हैं।
दीर्घकालीन वित्त का स्रोत:-
- पूंजी बाजार के माध्यम से कंपनियां अपने दीर्घकालीन वित्तीय मांग को पूरा कर सकती हैं।
पूंजी बाजार के अंग (Parts of capital market)
- प्राथमिक बाजार
- सहायक बाजार
- वित्तीय संस्थान
1. प्राथमिक बाजार ( Primary market ) –
- प्राथमिक बाजार एक ऐसा बाजार है जहां नई तथा विद्यमान कंपनियां पहली बार नई प्रतिभूतियां का निर्गमन करती हैं।
- प्राथमिक बाजार केवल नई प्रतिभूतियों में ही व्यवहार करता है।
- प्राथमिक बाजार निवेशक तथा कंपनी के मध्य प्रत्यक्ष संबंध स्थापित करता है।
- नव-निर्गमन बाजार का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से दलालों द्वारा क्रय-विक्रय की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
- निवेशक द्वारा बैंकर्स, शेयर, दलाल इत्यादि के मार्फ़त अंशों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
- वे स्टॉक को बेचने की जिम्मेदारी लेते हैं।
प्राथमिक बाजार की विशेषताएं-
- नव-निर्गमन बाजा नई प्रतिभूतियों का बाजार है।
- इस बाजार का भौतिक अस्तित्व नहीं होता है ।
- निगमित क्षेत्र इस बाजार के माध्यम से नए साधन हासिल करता है, जैसे- दीर्घकालिन वित्त इत्यादि।
- प्राथमिक बाजार की पहचान इसके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से की जा सकती है जिससे शेयर दलालों द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।
- सेबी^ बाजार का नियमन एवं नियन्त्रण करता है
2. सहायक या द्वितीयक शेयर बाजार (Subsidiary or secondary share market)
पूंजी बाजार का वह अंग जिसमें पहले से निर्गमित प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है, द्वितीय अंश बाजार कहलाता है। हम शेयर बाजार वास्तव में इसी को कहते है।
स्टॉक एक्सचेंज व शेयर बाजार
सट्टेबाजों के प्रकार ( Types of Speculators )
भारतीय शेयर बाजार में चार प्रकार के सट्टेबाज होते हैं-
- तेजड़िया (Bull)•
- तेजड़िया को तेजी वाला भी कहा जाता है ।
- वह एक ऐसा परिचालक है जो भविष्य में प्रतिभूतियों की कीमतों के बढ़ने की संभावना के ख्याल से उनका क्रय कम कीमतों पर करता है।
- भविष्य में बढ़ी हुई कीमतों पर विक्रय कर लाभ कमाता है।
- वह केवल लाभ कमाने के लिए प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है।
2. मंदड़िया (Bear)
- पूंजी बाजार का मंदड़िया प्रतिभूतियों की कीमतों को गिरा देता है।
- ये भविष्य में कीमतों के कम होने की उम्मीद रखते हैं इसीलिए वे ^प्रतिभूतियों का विक्रय^ अधिक कीमत आरंभ करते हैं ताकि भविष्य में कम कीमतों में उन्हें दोबारा खरीद सकें|
- ऐसी स्थिति में बाजार में निराशावाद पाया जाता है|
- यदि कीमतों में कमी आती है तो वह कीमतों मे अंतर के कारण लाभ प्राप्त करता है|
3. बधिया तेजड़िया (stage)
- यह तेजड़िया शेयर बाजार में चौकना रहता है।
- वह मंदड़ियों तथा तेजड़ियों की भांति शेयर बाजार में संग्लन नहीं रहता।
- वह केवल नए अंशो के लिए ही आवेदन में विश्वास रखता है और यदि उसे आवंटन प्राप्त हो जाते हैं तो उन्हें प्रीमियम पर बेचता है|
वित्त बाजार (Finance market)
मुद्रा बाजार ( Money market )- वह बाज़ार देश में उत्पादित लेन-देन होता है।
पूंजी बाजार (Capital market )- वह बाजार जिसमें एक दीर्घकालिक लेन-देन होते हैं।
प्रतिभूति बाजार ( Securities market ) – पूंजी बाजार का वह भाग जिसमें प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय होता है। प्रतिभूति बाजार कहलाता है। या “प्रतिभूति से तात्पर्य उस प्रमाणपत्र या वित्तीय दस्तावेज़ से हैं। जिसके विक्रय से वित्त एकत्रित किया जाता है।”