भौतिक विज्ञान : गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण ( Gravity ) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था।
उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है।
गुरुत्वाकर्षण बल ( Gravitational Force )
किसी भी दो पदार्थ , वस्तु या कणो की बिच मौजूद एक आकर्षण बल है। गुरुत्वाकर्षण बल न सिर्फ पृथ्वी और वस्तुवो के बीच का आकर्षण बल है बल्कि यह ब्रह्माण्ड में मौजूद हर पदार्थ या वस्तु के बिच विद्यमान है।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम ( newton’s law of gravitation ):
किन्हीं दो पिंडो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल पिंडो के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है.
माना दो पिंड जिनका द्रव्यमान m1 एवं m2 है, एक दूसरे से R दूरी पर स्थित है, तो न्यूटन के नियम के अनुसार उनके बीच लगने वाला आकर्षण बल, F = G m1m2/R^2 होता है. जहां G एक नियतांक है, जिसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते हैं और जिसका मान 6.67 X 10^-11 Nm^2 / kg^2 होता है.
गुरुत्वाकर्षण बल का सूत्र ( Gravitational force formula )
F=Gm1m2 / r2
G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्वीय स्थिरांक (Gravitational Constant) कहते हैं।
G = 6.6726 x 10-11 m3 kg-1 s-2
m1 और m2 दो वस्तुवो का द्रव्यमान है
r दोनों वस्तुवो की बीच की दुरी है
गुरुत्व ( gravity ):
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार दो पिंडो के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है. यदि इनमें से एक पिंड पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं. यानी कि, गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है. इस बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होती है, उसे गुरुत्व जनित त्वरण (g) कहते हैं, जिनका मान 9.8 m/s^2 होता है.
गुरुत्व जनित त्वरण (g) वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है.
g के मान में परिवर्तन:
- पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है.
- ‘g’ का मान महत्तम पृथ्वी के ध्रुव (pole) पर होता है.
- ‘g’ का मान न्यूनतम विषुवत रेखा (equator) पर होता है.
- पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर ‘g’ का मान कम हो जाता है.
- पृथ्वी की घूर्णन गति घटने पर ‘g’ का मान बढ़ जाता है.
नोट: – यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर रखी हुई वस्तु का भार शून्य हो जाएगा.
लिफ्ट में पिंड का भार ( weight of a body in lift ):
- जब_लिफ्ट ऊपर की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार बढ़ा हुआ प्रतीत होता है.
- जब लिफ्ट नीचे की ओर जाती है तो लिफ्ट में स्थित पिंड का भार घटा हुआ प्रतीत होता है.
- जब लिफ्ट एक समान वेग से ऊपर या नीचे गति करती है, तो लिफ्ट में स्थित पिंड के भार में कोई परिवर्तन प्रतीत नही होता.
- यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट की डोरी टूट जाए तो वह मुक्त पिंड की भांति नीचे गिरती है. ऐसी स्थिति में लिफ्ट में स्थित पिंड का भार शून्य होता है. यही भारहीनता की स्थति है.
- यदि नीचे उतरते समय लिफ्ट का त्वरण गुरुत्वीय त्वरण से अधिक हो तो लिफ्ट में स्थित पिंड उसकी फर्श से उठकर उसकी छत से जा लगेगा.
Gravity facts
- खोजकर्ता- आइजक न्यूटन
- प्रत्येक पिंड पर गुरुत्वाकर्षण बल का मान अलग-अलग होता हैं।।
- गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 m/sec होता है।।
- पृथ्वी के धुर्वो पर गुरुत्वाकर्षण बल का मान सर्वाधिक होता हैं।।
- विषुवत रेखा (भूमध्य रेखा) पर गुरुत्वाकर्षण बल का मान सबसे कम होता हैं।।
- यदि पृथ्वी का घूर्णन काल अपने वर्तमान काल से सत्रह गुना अधिक हो जाए तो विषुवत रेखा पर बैठे व्यक्ति का भार शून्य हो जाएगा।