Computer Science ( कम्प्यूटर विज्ञान )
Computer का हिंदी नाम ‘संगणक’ है क्योंकि यह बड़ी से बड़ी गणना करने में सक्षम है। कंप्यूटर शब्द की उत्पति अर्ग्रेज़ी भाषा के ‘कंप्यूट’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है गणना करना अर्थात् इसका सीधा सा अर्थ है कि कम्पूटर का विकास गणितीय गणनाओं को हल करने के लिए किया गया है। Computer का आविष्कार चार्ल्स बैवेज (ब्रिटेन) ने वर्ष 1834 में किया था इन्हें कंप्यूटर का जनक या पिता कहा जाता है. चार्ल्स बेबेज एक गणित के प्रोफेसर थे जिन्होंने पहली बार कंप्यूटर का निर्माण किया। यह एक प्रकार की गणितीय यांत्रिक व्यवस्था है। इसका उपयोग गणितीय समस्याओं एवं गणनाओं को हल करने में होता है।
Computer_शब्द अंग्रेजी के “Compute” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है “गणना”, करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है। इसका अविष्कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्तु आजकल इसका use डाक्यूमेन्ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है।
जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है, computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्दर डाले गये होते हैं, उसके अन्दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।
Computer मूलत दो भागों में बँटा होता है-
- सॉफ्टवेयर ( Software )
- हार्डवेयर (Hardware)
1⃣ सॉफ्टवेयर ( Software )
साॅफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software । Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पड़ता है। जैसे आपको फोटो से सम्बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्लेयर का यूज करते है।
3 हार्डवेयर (Hardware)
हार्डवेयर Computer का Machinery भाग होता है जैसे LCD, की-बोर्ड, माउस, सी0पी0यू0, यू0पी0एस0 आदि जिनको छूकर देखा जा सकता है। इन Machinery Part के मिलकर computer का बाहरी भाग तैयार होता है तथा Computer इन्ही हार्डवेयर भागों से computer की क्षमता का निर्धारण किया जाता है आजकल कुछ Software को Computer में चलाने के लिये निर्धारित Hardware की आवश्यकता होती है। यदि Software के अनुसार Computer में हार्डवेयर नहीं है तो Software को Computer में चलाया नहीं जा सकता है।
कंप्यूटर का इतिहास ( History of computer )
19वीं सदी में गणित के एक प्रोफेसर ‘चार्ल्स बेबेज’ ने कंप्यूटर शब्द से परिचित करवाया.
1 कंप्यूटर की पहली पीढ़ी ( First Generation Of Computer ) वर्ष : 1940-1956
Computer
- इस पीढ़ी की कंप्यूटर_में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित तथा प्रसारित करने के लिए Vaccum Tube का उपयोग किया जाता था
- इन्ही के द्वारा सबसे पहले कंप्यूटर का सपना साकार हुआ था इस लिए काफी ज्यादा कंप्यूटर का निर्माण किया गया।
- इस में उपयोग किये जाने वाले Vaccum Tube का आकार काफी बड़ा होता था जिसके कारण ये काफी जगह घेरते थे. साथ ये उपयोग करते वक्त काफी गर्मी उत्पन्न करते थे. इनमे टूट फुट तथा खराबी होने की संभावना काफी ज्यादा रहती थी और इसके अलावा इसकी गणना करने की क्षमता भी काफी कम थी।
- इस में निर्मित कंप्यूटर Electronic Numerical Integrator And Computer (ENIAC), EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Computer), UNIVAC (Universal Automatic Computer) इत्यादि हैं।
2 कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी ( Second Generation Of Computer) वर्ष : 1956-1963
- कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी में ट्रांजिस्टर का आविष्कार हुआ और इसका उपयोग अब कंप्यूटर में किया जाने लगा।ये ट्रांजिस्टर Vaccum Tube की अपेक्षा अधिक सक्षम थे तथा इनका आकार भी उनकी अपेक्षा काफी छोटा था.
- इसकी क्षमता अधिक थी और अब कंप्यूटर तेजी से काम करता था।अब पहली पीढ़ी की तुलना में कंप्यूटर छोटा बनने लगा तथा या तेजी से काम भी करने लगा।
3 कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी ( Third Generation Of Computer ) वर्ष : 1963-1971
- इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग की जाने लगा जो ट्रांजिस्टर से भी काफी छोटा था. इस पीढ़ी के कंप्यूटर की क्षमता काफी बढ़ चुकी थी और अब एक ही साथ एक से अनेक कंप्यूटर का प्रयोग किया जा सकता था. चुकी इसमें सिलिकॉन चिप से बनी छोटे सी इंटीग्रेटेड सर्किट का प्रयोग किया जाता था अतः इसका आकार अब काफी छोटा हो गया था. अब इस पीढ़ी के कंप्यूटर का प्रयोग घरों में भी होने लगा।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर की गति माइक्रो सेकंड से नैनो सेकंड तक थी जिसका मुख्य कारण इंटीग्रेटेड सर्किट का उपयोग था.
4 कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी ( Fourth Generation Of Computer ) (1971-present)
- आज हम सभी ज्यादातर इसी पीढ़ी के कंप्यूटर का उपयोग करते हैं। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग करने से इसका आकार काफी छोटा हो चूका है जिसे हम अपने साथ कही भी ले जा सकते हैं।
- इस प्रकार के कंप्यूटर में VSLI की मदद से हजारों ट्रांजिस्टर को एक साथ जोड़ा सकता है और इसकी गति को काफी तेज बनाया जा सकता है.
- इस पीढ़ी के ही कंप्यूटर का उपयोग अब हम सभी पर्सनल कंप्यूटर के रूप में भी करने लगें। कंप्यूटर के क्षेत्र में सबसे बड़ी क्रांति इस पीढ़ी को माना जाता है।
5 कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी (Fifth Generation Of Computer) (the future)
- कंप्यूटर की जो अगली पीढ़ी है जिस पर अभी काम चल रहा है और कुछ हद तक सफलता भी मिल चुकी है वो Artificial Intelligence पर आधारित कंप्यूटर। इस प्रकार के कंप्यूटर सभी काम खुद करने में सक्षम होंगे।
कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer)
कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on Working Technology)
तकनीक के आधार पर कम्प्यूटर को तीन प्रकार से बांटा जाता है
1. एनालाॅग (Analog Computer)
इनकी गति अत्यंत धीमी होती है। अब इस प्रकार के कम्प्यूटर प्रचलन से बाहर हो गए हैं। एक साधारण घड़ी, वाहन का गति मीटर (Speedo-meter), वोल्टमीटर आदि एनालाॅग कम्प्यूटिंग के उदाहरण हैं।
2. डिजिटल कम्प्यूटर (Digital Computer)
ये इलेक्ट्राॅनिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति Binary System 0 या 1 का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के हैं।
3. हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer)
यह डिजिटल व एनालाॅग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गण्ना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है। जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालाॅग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
आकार के आधार पर वर्गीकरण (Classification based on Shape)
1. मेन फ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer )
- ये आकार में काफी बड़े होते हैं तथा इसमें माइक्रो प्रोसेसर की संख्या भी अधिक होती है। इसके कार्य करने और ग्रहण की क्षमता अत्यंत अधिक तथा गति अत्यंत तीव्र होती है। ये सामान्यतः 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग करते हैं।
- इस पर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। इसमें आन-लाइन (on line) रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जा सकता है। उपयोगः बड़ी कम्पनियाँ बैंक, रक्षा, अनुसंधान, अंतरिक्ष आदि के क्षेत्र में।
2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
- आकार में मेन फ्रेम कम्प्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कम्प्यूटर से बड़े होते हैं। इसका अविष्कार 1985 में डीइसी (DEC Digital Equipment Corporation) नामक कम्पनी ने किया। इसमें से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है।
- इसकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं, अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है।उपयोगः यात्री आरक्षण, बड़े आॅफिस, कम्पनी, अनुसंधान आदि में।
3. माइक्रो कम्प्यूटर (Micro Computer )
- इसका विकास 1970 में प्रारंभ हुआ जब सीपीयू में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा। इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम कम्पनी ने किया। इसमें 8, 16, 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है।
- वीएलएसआई (VLSI-Very Large Scale Integration) और यूएलएसआई (ULSI-Ultra Large Scale Integration) से माइक्रो प्रोेसेसर के आकार में कमी आई है जबकि क्षमता कई गुना बढ़ गयी है। मल्टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कम्प्यूटर को उपयोगिता के हर क्षेत्र में पहुंचा दिया है।
- उपयोगः घर, आफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है।
4. पर्सनल कम्प्यूटर (Personal Computer-PC)
- आजकल प्रयुक्त होने वाले पीसी (PC-Personal Computer) वास्तव में माइक्रो कम्प्यूटर ही हैं। यह छोटे आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कम्प्यूटर है। इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति (Single User) कार्य कर सकता है।
- इसका आपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता वाला (Multitasking) होता है। पीसी को टेलीफोन और माॅडेम (Modem) की सहायता से इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है। कुछ प्रमुख पीसी निर्माता कम्पनी हैं- आईबीएम (IBM), लेनोवो (Lenovo), एप्पल (Apple), काम्पैक (Compaq), जेनिथ, एचसीएल, एचपी, इत्यादि
- उपयोगः पीसी का विस्तृत उपयोग घर, आॅफिस, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन, डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
- पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रो प्रोसेसर 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हाॅर्ड डिस्क ड्राइव लगाकर उसकी क्षमता बढ़ायी गयी तथा इसे पीसी- एक्सटी (PC- XT- Personal Computer- Extended Technology) नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रो प्रोसेसर- 80286 से बने पीसी को पीसी- एटी (PC-AT- Personal Computer Advanced Technology) नाम दिया गया। वर्तमान पीढ़ी के सभी पर्सनल कम्प्यूटर को पीसी एटी ही कहा जाता है।
5. नोटबुक कम्प्यूटर या लैपटाॅप (Notebook Computer or Laptop )
- यह नोटबुक के आकार का ऐसा कम्प्यूटर है जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें पीसी की सभी विशेषताएं मौजूद रहती हैं। चूंकि इसका उपयोग गोद (Lap) पर रखकर किया जाता है, अतः इसे लैपटाॅप कम्प्यूटर (Laptop Computer) भी कहते हैं।
- इसमें एक मुड़ने योग्य एलसीडी माॅनीटर, की-बोर्ड, टच पैड (Touch Pad), हार्डडिस्क, फ्लॉपी डिस्क ड्राइव, सीडी/ डीवीडी ड्राइव और अन्य पोर्ट (Port) रहते हैं। विद्युत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की जाने वाली बैटरी (Chargeable Battery) का प्रयोग किया जाता है। वाई- फाई (WiFi- Wireless Fidelity) और ब्लूटूथ (Bluetooth) की सहायता से इसे इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है।
6. सुपर कम्प्यूटर (Super Computer)
- यह अब तक का सबसे अधिक शक्तिशाली और महंगा कम्प्यूटर है। इसमें कई प्रोसेसर समानान्तर क्रम में लगे हैं। इस तरह इसमें मल्टी प्रोसेसिंग (Multi Processing) और समानान्तर प्रोसेसिंग (Parallel Processing) का उपयोग किया जाता है। समानान्तर प्रोसेसिंग में किसी कार्य को अलग- अलग टुकड़ों में तोड़कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा संपन्न कराया जाता है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ कार्य (Multi user) कर सकते हैं। इसकी गणना क्षमता और मेमोरी अत्यंत उच्च होती है।
- विश्व का प्रथम सुपर कम्प्यूटर क्रे. के.-1 एस (Cray K-1S) है जिसका निर्माण अमेरिका के क्रे. रिसर्च कम्पनी (Cray Research Company) ने 1979 में किया।
- उपयोगः पेट्रोलियम उद्योग में तेल की खानों का पता लगाने, अंतरिक्ष अनुसंधान, मौसम, विज्ञान, भूगर्भीय सर्वेक्षण, स्वचालित वाहनों के डिजाइन तैयार करने, कम्प्यूटर पर परमाणु भट्टियों के सबक्रिटिकल परीक्षण (Subcritical Test) आदि में।
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर -परम (महासंगणक)
1980 के दशक तक भारत के पास अपना सुपर कंप्यूटर नहीं था वह ऐसा दौर था जब भारत में तकनीकी युग की शुरूआत हो चुकी थी भारत अमेरिका से सुपर कंप्यूटर लेना चाहता था लेकिन अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इंकार कर दिया इसके पीछे कई वजह थीं अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई उसकी बराबरी कर सके।
भारत में सेंटर ऑफ डेवलपमेंट पुणे द्वारा “परम-8000″कंप्यूटर बनाकर दुनियॉ को दिखा दिया कि हम भी किसी से कम नहीं इसके बाद भारत ने सुपर कंप्यूटर “परम-8000” तीन देशों जर्मनी, यूके,और रूस को दिया।
इसके बाद 1998 में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था “परम-10000”,इसकी गणना क्षमता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम है। दुनियॉ के बेहतरी सुपर कंप्यूटर की सूची बनाई गयी है जिसकी टॉप 10 लिस्ट में भारत का नाम चौथे नंबर पर है।
भारत के अन्य सुपर कंप्यूटर
●Aaditya -आदित्य ●Anupam – अनुपम
●PARAM Yuva – परम युवा
●PARAM Yuva II – परम युवा द्वितीय
●SAGA-220 – सागा 220
●EKA – एका
●Virgo – वर्गो
●Vikram-100 – विक्रम-100
●Cray XC40 – क्रे XC40
●Bhaskara – भास्कर
●Pace – पेस
●Flow solver – फ्लो सॉल्वर