फ्लोरेंस नाइटिंगेल
आधुनिक उनकी फाउंडर फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म इटली के फ्लोरेंस में हुआ वे गणित और डाटा में जीनियस थी इस खूबी का इस्तेमाल उन्होंने अस्पतालों और लोगों की सेहत सुधारने में किया।
फ्लोरेंस ने जब पहली बार नर्सिंग में जाने की इच्छा जाहिर की तो माता-पिता तैयार नहीं हुए बाद में उनकी जिद के आगे झुके और ट्रेनिंग के लिए जर्मनी भेजा 1853 में क्रीमिया युद्ध के दौरान उन्हें तुर्की के सामने हॉस्पिटल भेजा गया यह पहला मौका था।
जब ब्रिटेन ने महिलाओं को सेना में शामिल किया था जब बराक अस्पताल पहुंची तो देखा कि फर्श पर गंदगी की मोटी परत भी है।
सबसे पहला काम उन्होंने पूरे अस्पताल को साफ करने का किया सैनिकों के लिए अच्छे खाने और साफ कपड़ों की व्यवस्था की यह पहली बार था।
कि सैनिकों को इतना ध्यान दिया गया उनकी मांग पर बनी जांच कमेटी ने पाया कि तुर्की में 18000 सैनिकों में से 16000 की मौत गंदगी और संक्रामक बीमारियों से हुई थी।
फ्लोरेंस की कोशिशों से ही ब्रिटेन सेना में मेडिकल सेंटर सांख्यिकी विभाग अस्पतालों में साफ सफाई का चलन इन्ही की देन है।
फ्लोरेंस
इस अस्पताल में नाइट शिफ्ट में वे मशाल थामकर मरीजों की सेवा करती थी इसलिए ”द लेडी विद द लैंप” के नाम से मशहूर हुई।
आज भी उनके सम्मान में नरसिंह की शपथ हाथों में लैंप लेकर ली जाती है इसे नाइटिंगेल प्लीज कहते हैं
1860 में उनके नाम पर ब्रिटेन में नर्सिंग स्कूल की स्थापना हुई ।
1910 में फ्लोरेंस 90 साल की उम्र में उनका निधन हुआ वह ऑर्डर ऑफ मेरिट सम्मान पाने वाली पहली महिला थी