ग्रामीण रोजगार (Rural Employment)
जनता शासन के पतन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में http://रोजगार वृद्धि तथा गरीबी निवारण का यह कार्यक्रम काम के बदले अनाज की कमियों को दूर करने के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी ने शुरू किया
छठी योजना में 1834 करार रुपए व्यय कर 177.5 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार बढ़ाया गया
सातवीं योजना के 4 वर्षों 1986 से 89 में 3600 करोड रुपए व्यय कर लगभग 148 करोड मानव दिवसों का http://रोजगार सृजन किया गया
जो लक्ष्य से अधिक था ग्रामीण क्षेत्रों में
वृक्षारोपण,तालाब,पेयजल व सिंचाई के कुआं भूमि व जल संरक्षण
नई भूमि को खेती के लायक बनाने सड़क व स्कूल निर्माण आदि कार्यक्रम संपन्न किए गए
अप्रैल 1989 से इस कार्यक्रम तथा RLEGP कार्यक्रम को जवाहर रोजगार योजना में मिला दिया गया
ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम (Rural Landless Employment Guarantee Programme-RLEGP
यह कार्यक्रम 1983 से प्रारंभ किया गया था इसके मुख्य उद्देश्य इस प्रकार रखे गए 1 भूमिहीनों के लिए http://रोजगार के अवसर बढ़ाना
ताकि प्रत्येक भूमिहीन श्रमिक परिवार में कम से कम एक व्यक्ति को वर्ष में 100 दिन तक काम मिल सके 2
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करने के लिए टिकाऊ परिसंपत्तियों का निर्माण करना
यह कार्यक्रम पूर्णतया केंद्रीय सहायता प्राप्त कार्यक्रम था 1985 से 89 तक के 4 वर्षों में इस कार्य पर 2412 करोड रुपए व्यय हुए और
कुल 115 करोड मानव दिवस http://रोजगार उत्पन्न किया गया
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना ( Jawahar Smridhi Yojana- JGSY)
- जवाहर रोजगार योजना अप्रैल 1989 से प्रारंभ की गई तथा
- जवाहर ग्राम समृद्धि योजना नवीन रूप से एक अप्रैल 1999 से प्रारंभ की गई सितंबर 2001 से इसे संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में मिला दिया
- गया इस योजना का मौलिक उद्देश्य गांव में मांग आधारित सामुदायिक असरचना का सृजन करना है
- जिसमें टिकाऊ सामुदायिक एवं सामाजिक परिसंपत्तियों का सृजन सम्मिलित है
- इसका प्रथम उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार एवं अल्प बेरोजगार व्यक्तियों के लिए लाभकारी रोजगार अवसरों का सृजन करना भी है
- इस योजना को दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़ समग्र देश के सभी ग्राम पंचायतों में लागू किया गया।
सूखा राहत क्षेत्र कार्यक्रम (Drought Prone Area Programme- DPAP)
- सूखे की संभावना वाले चुनिंदा क्षेत्रों में यह राष्ट्रीय कार्यक्रम 1973 में प्रारंभ किया गया
- कार्यक्रम का उद्देश्य इन क्षेत्रों में भूमि जल एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम विकास करके पर्यावरण संतुलन को बहाल करना है
- यह कार्यक्रम ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहा है
- योजना आयोग के सदस्य डॉक्टर जयंत पाटिल की अध्यक्षता में सूखा क्षेत्रों के लिए 25 वर्षीय भावी योजना तैयार करने के निमित्त
- एक उच्च शक्ति प्राप्त समिति का गठन किया गया
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme-MNP)
- यह कार्यक्रम भी अप्रत्यक्ष रूप से गरीबी दूर करने में सहायक है
- क्योंकि इसके अंतर्गत ग्रामीण सड़कें पेयजल विद्युतीकरण आदि कार्य संपादन करने में गरीबों को रोजगार एवं आय के अवसर मिलते हैं
20 सूत्री कार्यक्रम (20 Point Programme- TPD)
- ”गरीबी हटाओ” नारे के अंतर्गत वर्ष 1975 से 20 सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वित किया जा रहा है
- यह भी गरीबी निवारण का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसमें गरीबी मिटाने के कई तत्वों का समावेश है
नेहरू रोजगार योजना (Nehru Rojgar Yojana- NRY)
- नगरीय क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की इस योजना का श्रीगणेश अक्टूबर 1989 में किया गया
- इस योजना को संशोधित कर इसमें प्रशिक्षण रोजगार तथा गरीबों को लाभान्वित करने की व्यवस्था है
- इसके कार्यक्रमों में जहां 1991 से 92 में 1.59 लाख गरीब परिवारों को लाभान्वित किया गया
- वहां 1994 से 95 में 1.25 लाख गरीब परिवार लाभान्वित हुए आठवीं योजना में लगभग 615 लाख मानव दिवसों का रोजगार दिया गया
- इस योजना को अब “स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना” में मिला दिया गया
शिक्षित बेरोजगार युवक स्वरोजगार योजना ( Scheme of self Employment for Education Unemployment Youth- SEEUY)
- ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगार शिक्षित युवाओं को लाभप्रद स्वरोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना 1983 से 84 में लागू की गई
- इस योजना के अंतर्गत बैंकों से ऋण उपलब्ध कराकर बेरोजगारी युवकों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है
- बैंक ऋण का 25% केंद्र सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है
- 1994 से 95 से ही इस योजना को नई प्रधानमंत्री रोजगार योजना में मिला दिया गया
प्रधानमंत्री रोजगार योजना (Prime Minster Rojgar Yojana- PMRY)
- यह योजना गरीबी निवारण तथा स्वरोजगार की योजना है
- जो 1993-94 से लागू की गई 1993-94 में इस योजना के अंतर्गत 32 हजार लोगों को लाभान्वित किया गया
- जबकि आठवीं योजना के अंत तक लगभग 10 लाख शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार प्रदान करने का लक्ष्य था
- 1997-98 में 3.1 लाख को रोजगार दिया गया
- इस योजना में इसी वर्ष से चालू शिक्षित बेरोजगार युवक स्वरोजगार योजना को भी समन्वित कर लिया गया
- इसमें 18-35 वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्याशियों को प्रोजेक्ट लागत के 5% के साधन स्वयं जुटाने होंगे
- जबकि केंद्रीय सरकार को अनुदान 15% तथा अधिकतम 7500 रुपए तथा बैंक ऋण की राशि अधिकतम एक लाख रुपए तक हो सकेगी
रोजगार आश्वासन योजना (Employment Assurance Scheme- EAS)
- यह योजना भी 1993 94 में घोषित की गई है तथा इसे देश के 1752 पिछड़े विकास खंडों में लागू किया गया था
- अब इसमें 3206 पिछड़े विकासखंड शामिल हैं
- इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के रोजगार चाहने वाले गरीबों को वर्ष में प्रति व्यक्ति 100 दिनों का एक कुशल श्रम रोजगार प्रदान करने का प्रावधान है
- इस योजना की वित्त व्यवस्था केंद्र तथा राज्य सरकारें 80:20 प्रतिशत के अनुपात में करेंगी।
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना ( Swarna Jayanti Sahari Rojgar Yojana- SJSRY)
- स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष में केंद्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में निर्धनता निवारण की एक नई योजना प्रारंभ की गई।
- स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के नाम से प्रारंभ की गई यह योजना 1 दिसंबर 1997 से लागू की गई ।
- इस योजना में शहरी क्षेत्रों में पहले से कार्यान्वित की जा रही तीन योजनाओं नेहरू रोजगार योजना
- निर्धनों के लिए शहरी बुनियादी सेवाएं तथा प्रधानमंत्री की समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन योजना को शामिल किया गया।
- इन योजनाओं के तहत चल रहे कार्यों का 30 नवंबर 1997 तक पूरा करने के निर्देश सभी राज्यों को दे दिए गए थे ।
- नई प्रारंभ की गई स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना का उद्देश्य शहरी निर्धनों को स्वरोजगार
- उपक्रम स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान तथा से वेतन रोजगार सृजन हेतु उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण करना है ।
- स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के लिए धन की व्यवस्था केंद्र तथा राज्यों के मध्य 75:25 के अनुपात में की गई इस योजना की दो विशेषता में है
(A) शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (Urban Self Employment Programme-YSEP)
(B) शहरी मजदूरी रोजगार कार्यक्रम (Urban Employment Programme – YSEP)-इसके तीन अलग-अलग भाग हैं
१ प्रत्येक शहरी गरीब लाभार्थी को लाभप्रद स्वरोजगार उद्यम लगाने के लिए सहायता
- २ शहरी गरीब महिलाओं के समूह को लाभप्रद स्वरोजगार उद्यम लगाने के लिए सहायता देना
- इस योजना को शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों की विकास योजना कहा जाता है
- ३ लाभार्थियों संभावित लाभार्थियों और शहरी रोजगार कार्यक्रम से संबंध अन्य व्यक्तियों को व्यवसायिक और उद्यम मूलक कौशल के उन्नयन के लिए प्रशिक्षण देना
- यह कार्यक्रम भारत के लगभग सभी शहरी नगरों पर लागू होगा तथा
- इसे शहरी गरीब समूह पर विशेष ध्यान देते हुए समग्र नगर आधार पर कार्यान्वित किया जाएगा
काम के बदले अनाज कार्यक्रम (Food for Work Programme)
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जनवरी 2001 में सूखा प्रभावित राज्यों के ग्रामीण इलाकों में काम के बदले अनाज कार्यक्रम शुरू किया
यह कार्यक्रम रोजगार गारंटी योजना के तहत शुरू किया गया बाद में इस योजना का विस्तार कर इसके केरल और बिहार के बाढ़ भारी वर्षा प्रभावित क्षेत्रों में भी लागू किया गया
इस कार्यक्रम के तहत अतिरिक्त संसाधन के तौर पर अनाज गेहूं और चावल के निशुल्क आवंटन की व्यवस्था है
1 अप्रैल 2002 से कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया था
किंतु इसे संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के विशेष घटक के तौर वर्ष 2002-03 में जारी रखा गया
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (Rural Employment Generation Programme)
1955 में ग्रामीण इलाकों एवं छोटे शहरों में स्वरोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया
कार्यक्रम खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है
आरंभ से 31 मई 2004 तक 1 दशमलव 86 लाख परियोजनाओं के वित्तपोषण से 22.75 लाख नौकरी अवसर राजित किए जा चुके हैं
10वीं योजना में 25 लाख रोजगार सृजन का लक्ष्य है
इंदिरा आवास योजना
1999-2000 में शुरू की गई है योजना गरीबों के लिए मुफ्त में मकानों के निर्माण की प्रमुख योजना
वाल्मिकी अंबेडकर आवास योजना
दिसंबर 2001 में शुरू की गई है योजना गंदी बस्तियों में रहने वालों के लिए घरों के निर्माण और उन्नयन को शो साध्य बनाती है
31 दिसंबर 2004 तक भारत सरकार ने 753 करोड रुपए और इतनी ही राशि राज्य सरकारों द्वारा वह कर 3.5 लाख आवासों एवं 49.3 हजार टॉयलेट सीटों का निर्माण किया गया
रोजगार
अंत्योदय अन्न योजना
दिसंबर 2000 में शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत
गरीबी परिवार को ₹2 प्रति किलोग्राम गेहूं तथा ₹3 प्रति किलोग्राम दर पर चावल अत्यधिक सब्सिडी प्राप्त दर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है
खाद्यान्न की मात्रा जो प्रारंभ में 25 किलोग्राम प्रति महा थी उसे एक अप्रैल 2002 से बढ़ाकर 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह कर दिया है
आरंभ में यह योजना एक करोड़ बीपीएल परिवारों के लिए थी
जून 2003 में इसका विस्तार कर इसे 50 लाख बीपीएल परिवार और शामिल किए
1 अगस्त 2004 से 50 लाख बीपीएल परिवार और शामिल किए जाने से अब
यह योजना दो करोड़ बीपीएल परिवारों को लाभान्वित कर रही है
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (PMGY)
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक सुधारों के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर के लिए महत्वपूर्ण सामाजिक
- तथा आर्थिक आधारभूत ढांचे के पांच तत्वों की पहचान की गई है वह मुख्यतः हैं
- स्वास्थ्य
- शिक्षा
- पेयजल
- आवास
- सड़कें
इस योजना के तहत 1 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा
2 ग्रामीण आवास कार्यक्रम को शामिल किया गया है
ग्रामीण सड़कों द्वारा गांव को जोड़ने का उद्देश्य ने केवल देश के ग्रामीण विकास में सहायक है
बल्कि इसे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में एक प्रभावी घटक स्वीकार किया गया है
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 25 दिसंबर 2000 से प्रारंभ की गई