हरित गृह प्रभाव प्रभाव या ग्रीनहाउस हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करतीं हैं। इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं।
ग्रीन हाउस क्या है समझाइए?
हरितगृह या ग्रीनहाउस (ग्लासहाउस भी कहा जाता है) एक इमारत है, जहां पौधे उगाये जाते हैं। … हालांकि, प्रवाह के कारण उष्मा का कुछ नुकसान होता है, लेकिन इससे ग्रीन हाउस के अंदर ऊर्जा (और इस तरह तापमान) में विशुद्ध वृद्धि होती है। गर्म आंतरिक सतहों के ताप से गरम हुई हवा को छत और दीवार द्वारा ईमारत के अन्दर बरकरार रखा जाता है।
हरित गृह प्रभाव के लिए उत्तरदायी गैस कौन सी है?
ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है।
हरित ग्रह प्रभाव
हरित ग्रह प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें कुछ गैस से जिन्हें हरित गृह गैस से कहते हैं पृथ्वी से परावर्तित होने वाली उस्मा को अवशोषित कर लेती हैं
यह ऊष्मा पृथ्वी के तापमान मैं जीवित रहने लायक गर्मी बनाए रखती हैं अब यह प्रश्न है कि हरित गृह गैस क्या है इसे समझने के लिए हरित ग्रह के बारे में समझना होगा।
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हरित गृह प्रभाव क्या होता है
- हरितगृह कांच की बनी संरचना होती है ठंडे प्रदेशों में बहुत कम अवधि के लिए सूर्य का प्रकाश उपलब्ध होता है
- इस अवधि में सौर ऊर्जा प्रकाश के रूप में हरित ग्रह के कांच में होकर प्रवेश करती है
- तथा पेड़ पौधों के द्वारा होने वाले खाद्य श्रंखला में सहायक होती है
- प्रकृति के नियम अनुसार प्रकाश ऊर्जा ताप ऊर्जा में परिवर्तित होकर अवरक्त किरणों के रूप में हरितगृह के कांच से बाहर निकालने का प्रयास करती हैं
- लेकिन हरितगृह में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड के कारण इस तरह से बाहर निकलने में असमर्थ रहती हैं
- यह ताप ऊर्जा हरितगृह में गर्मी बनाए रखती है जो पेड़ पौधों के लिए ठंडे मौसम में आवश्यक है
- इससे सर्दी होने के फलस्वरूप भी वनस्पति वृद्धि करती है
इसी प्रकार सौर ऊर्जा वायुमंडल को भेदकर पृथ्वी पर आकर उसे गर्म करती है और साय काल में अवरक्त किरणों के रूप में वापस लौटती हैं
सामान्य परिस्थितियों में सूर्य के चारों ओर से घेरे हुए छोभ मंडल हरितगृह में स्थित कांच की तरह से कार्य करता है
- छोभ मंडल में एकत्रित इन अवरक्त किरणों को वापस नहीं जाने देता है
- तथा पृथ्वी पर तापीय ऊर्जा के संतुलन को बनाए रखता है
- मानवीय गतिविधियों एवं अति औद्योगिकीकरण के कारण कुछ जैसे-जैसे कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन नाइट्रस ऑक्साइड क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उत्सर्जन अधिक मात्रा में होने लगा है
- जिससे वायुमंडल में इनका जमाव बढ़ता जा रहा है यह जमाव एक ऐसे कांच के पर्दे की तरह कार्य कर रहा है जिससे होकर सौर ऊर्जा विकिरण पृथ्वी पर आ तो सकती हैं
- लेकिन परावर्तित होकर वापस नहीं जा सकती इस कारण पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है इसे ही हरित गृह प्रभाव कहते हैं
- इस प्रभाव का नामकरण सर्वप्रथम 1827 में जे फुरियार ने किया था
हरित गृह प्रभाव के द्वारा पृथ्वी पर कौन सा रेडिएशन होता है?
ग्रीन हाउस गैसें वायुमंडल में उपस्थित वह गैसें है, जो तापीय अवरक्त (Infrared) विकिरण की रेंज के अंतर्गत विकिरणों का अवशोषण एवं उत्सर्जन करती है।
ग्रीन हाउस कैसे बनाते हैं?
बाँस निर्मित पॉलीहाउस बनाने के लिए पॉलीहाउस का ढाँचा बाँसों से तैयार किया जाता है. बाँसों के इस्तेमाल से किसान भाई कम लागत में पॉलीहाउस का निर्माण कर सकते हैं. बाँस से बनाये गए पॉलीहाउस में काफी कम उपकरणों का इस्तेमाल होता है