Aristotle’s Ethics अरस्तु का नीतिशास्त्र
अरस्तु
पाश्चात्य नीतिशास्त्र का प्रथम लिखित ग्रंथ अरस्तु रचना निकोमेकियन एथिक्स है
अरस्तु द्वारा सद्गुणों का विभाजन :-
- बौद्धिक :- विवेक
- नैतिक :- मैत्री, साहस, संयम, न्याय, दया, सहानुभूति, ममता
अरस्तु_के अनुसार विवेक एकमात्र बोद्धिक सदगुण है जबकि साहस संयम न्याय नैतिक सद्गुण के अंतर्गत आते हैं मैत्री (मित्रता) एक नैतिक सद्गुण है इसके अतिरिक्त सहानुभूति, दया, ममता इत्यादि बोद्धिक सदगुण के अंतर्गत माने जाते हैं अरस्तु_का सद्गुण विषय सिद्धांत मध्यम मार्ग (गोल्डन मीन) कहलाता है
जिसके अनुसार प्रत्येक नैतिक सद्गुण एकांतिक मतों की मध्य की अवस्था है अर्थात ना तो पूर्णतः अपना सर्वस्व त्याग करना अथवा वैरागी होना, ना ही पूर्णतः भोग इत्यादी मैं लिप्त रहना उक्त दोनों के मध्य की अवस्था संयम कहलाता है
अरस्तु_न्याय को समान वितरणात्मक प्रणाली के रूप में स्वीकार करता है जिसके अनुसार समाज का जो वर्ग जितना असहाय और कमजोर है उसे उन्नति और विकास के उतने ही अधिक अवसर प्राप्त होने चाहिए यही कारण है_अरस्तु दंड को निषेधात्मक पुरस्कार के रुप में स्वीकार करता है
प्लेटो_व अरस्तु के नीति शास्त्र में अंतर
- प्लेटो_ने मुख्य सद्गुण का सिद्धांत दिया जबकि अरस्तू ने मध्यमार्ग का सिद्धांत दिया
- प्लेटो_ने सद्गुणों का विभाजन बौद्धिक और अबौद्धिक आधार पर किया जबकि अरस्तू ने सद्गुण का विभाजन बौद्धिक और नैतिक आधार पर किया
- प्लेटो_न्याय को हस्तक्षेप की नीति के रुप में दर्शाता है जबकि_अरस्तु का न्याय समान वितरणात्मक प्रणाली है
- प्लेटो_के अनुसार सद्गुण केवल चार होते हैं विवेक, साहस, संयम और न्याय जबकि अरस्तु ने मैत्री, सहानुभूति, दया, ममता आदि नैतिक सद्गुण भी माने हैं
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