Currency मुद्रा की परिभाषा, मुद्रा का अर्थ एवं प्रकार अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसमे उपयोगिता ,उपभोग, उपभोक्ता का कार्यान्वयन होता हैं जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। ‘अर्थशास्त्र’ शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ‘धन का अध्ययन’। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया…
Author: NARESH BHABLA
मनोविज्ञान का परिचय मनोविज्ञान का_परिचय मनोविज्ञान_को शताब्दियों पूर्व ” दर्शन शास्त्र ” कि एक शाखा केरूप मे माना जाता था । मनोविज्ञान को स्वतंत्र विषय बनाने के लिए इसे परिभाषित करना शुरू किया । PSYCHOLOGY शब्द कि उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दो PSYCHE+LOGOS से मिलकर हुई हैं, PSYCHE का अर्थ होता है ” आत्मा का” तथा LOGOS का अर्थ होता हैं “अध्ययन करना ” इस शाब्दिक अर्थ के आधार पर सर्वप्रथम प्लेटो, अरस्तु और डेकार्ट के द्वारा मनोविज्ञान को ” आत्मा का विज्ञान ” माना गया । आत्मा शब्द की स्पष्ट व्याख्या नहीं होने के कारण 16वीं शताब्दी के अंत मे यह परिभाषा…
सरंचना एवं संसाधन संसाधन आर्थिक विकास में आधारभूत संरचना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है आधारभूत संरचना में जो क्षेत्र समृद्ध होते हैं उनका विकास तेज गति से होता है आधारभूत संरचना को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है पहला भाग आधारभूत ढांचागत संरचना है इस में परिवहन विद्युत संचार को सम्मिलित किया जाता है इसके अलावा सिंचाई भी आधारभूत ढांचागत संरचना का भाग है क्योंकि कृषि विकास सिंचाई पर निर्भर है आधारभूत संरचना का दूसरा भाग आधारभूत सामाजिक संरचना है इसमें प्रमुख रूप से मानव संसाधन विकास को सम्मिलित किया जाता है राजस्थान का विकास के मामले में अग्रणी राज्य नहीं…
Programs and schemes कमजोर वर्गों के लिए कार्यक्रम व योजनाएं ) 1. राजस्थान अन्नपूर्णा दूध योजना ( Rajasthan Annapoorna Milk Scheme ) Programs and schemes राजस्थान सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे उन छात्रों के नामांकन में वृद्धि, ड्रॉप-आउट को रोकने, और पौष्टिक स्तर को बढ़ाने के लिए मध्य-भोजन भोजन योजना के लिए राजस्थान अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की है। छात्रों का इसके लिए, मिड डे मील के आयुक्त प्रति छात्र एक लीटर दूध की मात्रा दी जाएगी और हर स्कूल में दूध के लिए डेयरी के अलावा जहां से भी हो निर्देश दिए जाएँगे। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के…
Development Plans प्रमुख विकास परियोजनाएं Development Plans क्षेत्रीय एवं जनजाति विकास कार्यक्रम ( Regional and tribal development program ) सूखा संभाव्य (सूखा प्रभावित) क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP)- यह कार्यक्रम 1974 -75 में केंद्र प्रवर्तित स्कीम के रूप में प्रारंभ किया गयाmइसकी वित्तीय व्यवस्था में केंद्र व राज्यों का 75: 25 रखा गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूखे की संभावना वाले क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार करना इसके लिए भूमि व जल के उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जाता है ताकि इन क्षेत्रों में अकाल व सूखे के प्रतिकूल प्रभाव कम किए जा सके निम्न कार्यक्रमों पर बल दिया जाता है मिट्टी में…
Structures and resources राजस्थान की आधारभूत-संरचना एवं संसाधन संसाधन ( Resources) :- हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये इस्तेमाल की जा सकती है जिसे बनाने के लिए हमारे पास प्रौद्योगिकी है और जिसका इस्तेमाल सांस्कृतिक रूप से मान्य है., उसे संसाधन कहते हैं। संसाधन के प्रकार ( Types of resources ):- संसाधन को विभिन्न आधारों पर विभिन्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है; जो नीचे दिये गये हैं A.उत्पत्ति के आधार पर ( On the basis of origin )-: जैव और अजैव संसाधन ( Bio and Abiotic Resources ) B.समाप्यता के आधार पर ( On the basis…
राजस्थान में राजपूत वंशों का उदय 7-12 वीं सदी राजपूत सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, यदुवंशी, अग्निवंशी। “राजपूत” शब्द की व्युत्पत्ति राजपूतों की उत्पत्ति के विभिन्न मत और उनकी समीक्षा अग्निवंशीय मतसूर्य तथा चंद्रवंशीय मतविदेशी वंश का मतगुर्जर वंश का मतब्राह्मणवंशीय मतवैदिक आर्य वंश का मत राजपूतों की विदेशी उत्पत्ति का सिद्धांत (1) विदेशी सिद्धान्त ( Foreign principle ) राजस्थान के इतिहास को लिखने का श्रेय कर्नल जेम्स टॉड को दिया जाता है, कर्नल टॉड को हम राजस्थान इतिहास का जनक व राजस्थान इतिहास के पितामह भी कहते हैं कर्नल टॉड ने अपने ग्रंथ ‘दे एनल्स एंड एंटिक्विटी ऑफ राजस्थान’ में राजपूत को विदेशी जातियों से उत्पन्न होना…
Administrative System मध्यकालीन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था प्रशासनिक मध्यकाल में राजस्थान की Administrative System से तात्पर्य मुगलों से संपर्क के बाद से लेकर 1818 ईसवी में अंग्रेजों के साथ हुई संधियों की काल अवधि के अध्ययन से है। इस काल अवधि में राजस्थान में 22 छोटी बड़ी रियासतें थी और अजमेर मुगल सूबा था। इन सभी रियासतों का अपना प्रशासनिक तंत्र था लेकिन, कुछ मौलिक विशेषताएं एकरूपता लिए हुए भी थी। रियासतें मुगल सूबे के अंतर्गत होने के कारण मुगल प्रभाव भी था। राजस्थान की मध्यकालीन Administrative System के मूलत 3 आधार थे — सामान्य एवं सैनिक प्रशासन।न्याय प्रशासन।भू राजस्व प्रशासन। संपूर्ण…
आधुनिक साहित्यकार एवं संग्रहालय Albert Hall Museum अल्बर्ट हॉल म्यूजियम यह राजस्थान का पहला संग्रहालय है, इसे महाराजा रामसिंह के शासनकाल में प्रिंस अलबर्ट ने 1876 में शुभारम्भ करवाया था उनके नाम पर ही इसका नाम रखा गया है। इसी राजस्थान का प्रथम संग्रहालय कहा जा सकता है वर्तमान में इसका आकर्षण केंद्र मिस्र से मंगवाई गई ममी है राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर ( Rajasthan Archeology and Museum Department ) राजस्थान पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग का गठन 1950 में हुआ, यह विभाग प्रदेश में बिखरी पुरासंपदा तथा सांस्कृतिक धरोहर की खोज सर्वेक्षण एवं प्रचार प्रसार में संलग्न है इस विभाग…
राजस्थान में जनजाति जनजाति भौगोलिक दृष्टि से राजस्थान में जनजातियों को 3 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है । पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी क्षेत्रदक्षिणी क्षेत्रउत्तर पश्चिम क्षेत्र 1. पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र ( Eastern and Southern Eastern Areas ) अलवर ,भरतपुर ,धौलपुर, जयपुर, दोसा, सवाई माधोपुर, करौली ,अजमेर ,भीलवाड़ा, टोंक, कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ इन क्षेत्रों में मीणा जाति का बाहुल्य है। अन्य जनजातियां भील, सहरिया, और सांसी पाई जाती है ,। 2. दक्षिणी क्षेत्र ( Southern Region ) सिरोही ,राजसमंद ,चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा ,डूंगरपुर ,उदयपुर क्षेत्र में भील, मीणा, गरासिया, डामोर मुख्य रूप से निवास करते हैं। भील जनजाति की बहुलता है। 70%…