Author: NARESH BHABLA

राजस्थान के दर्शनीय स्थल दर्शनीय स्थल बूंदी के दर्शनीय स्थल चौरासी खम्भों की छतरी – बूंदी शहर से लगभग डेढ किलोमीटर दूर कोटा मार्ग पर यह भव्य छतरी स्थित हैं। राव राजा अनिरूद्व सिंह के भाई देवा द्वारा सन् 1683 में इस छतरी का निर्माण करवाया गया था। चौरासी स्तम्भों की यह विशाल छतरी नगर के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। तारागढ दुर्ग – बूंदी शहर का प्रसिद्व दुर्ग जो पीले पत्थरों का बना हुआ हैं, तारागढ के दुर्ग के नाम से प्रसिद्व हैं। इसका निर्माण राव राजा बरसिंह ने 1354 में बनवाया था।  रामेश्वर- बूंदी से 25 किलोमीटर…

Read More

Rajasthan Folk music लोक संगीत भारत संगीत गायन शैलियां 1. ध्रुपद गायन शैली ( Dhrupad singing style ) जनक – ग्वालियर के शासक मानसिंह तोमर को माना जाता है।महान संगीतज्ञ बैजू बावरा मानसिंह के दरबार में था।संगीत सामदेव का विषय है।कालान्तर में ध्रुपद गायन शैली चार खण्डों अथवा चार वाणियां विभक्त हुई। (अ) गोहरवाणी ( Gorawani ) उत्पत्ति- जयपुरजनक- तानसेन (ब) डागुर वाणी ( Dagur vani ) उत्पत्ति- जयपुरजनक – बृजनंद डागर (स) खण्डार वाणी ( Khandar Vani ) उत्पत्ति – उनियारा (टोंक)जनक- समोखन सिंह (द) नौहरवाणी जयपुर ( Navhwani Jaipur ) जनक- श्रीचंद नोहर 2. ख्याल गायन शैली ( Kayal singing style ) ख्याल फारसी भाषा का शब्द है…

Read More

Rajasthan Festival राजस्थान के पर्व पर्व हिंदुओं के त्योहार ( Festivals of Hindus ) 1 तीज राजस्थान की स्त्रियों का सर्व प्रिय त्यौहार है तीज प्रतिवर्ष 2 बार आती हैबड़ी तीज भाद्र कृष्ण तृतीयाछोटी तीज श्रवण शुक्ला तृतीया छोटी तीज ही अधिक प्रसिद्ध है तीज के 1 दिन पूर्व सिंजारा का पर्व मनाया जाता है ।2 नाग पंचमी सावन कृष्णा पंचमी को नाग पूजा की जाती है घर के दरवाजे के दोनों और गोबर से नाग का चित्र अंकित किया जाता है ।3 रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है बहन भाई को राखी बांधती है।4 उपछठ भाद्र कृष्ण षष्ठी में कुंवारी कन्याओं के लिए…

Read More

Rajasthan Folk drama राजस्थान के लोक नाट्य लोक नाट्यो में ‘तुर्रा कलंगी’ कम से कम 500 साल.पुराना हैं। मेवाड़ के दो पीर संतो ने जिनके नाम शाहअली और तुक्कनगीर थे ‘ तुर्राकलंगी ‘की रचना की। बीकानेर की ‘रम्मत’ की अपनी न्यारी ही विशेषता ह Rajasthan Folk drama 1. ख्याल:- नाटक मे जहाँ देखना और सुनना दोनों प्रधान होते है वहां ख्याल मे केवल सुनना प्रधान होता हैं। 18 वीं शताब्दी के प्रारम्भ से ही राजस्थान में लोक नाट्यों के नियमित रुप से सम्पन्न होने के प्रमाण मिलते हैं। इन्हें ख्याल कहा जाता था। इन ख्यालों की विषय-वस्तु पौराणिक या किसी पुराख्यान से…

Read More

राजस्थान के प्रमुख संगीतज्ञ संगीतज्ञ 1. सवाई प्रताप सिंह – जयपुर नरेश सवाई प्रताप सिंह संगीत एवं चित्रकला के प्रकांड विद्वान और आश्रयदाता थे इन्होंने संगीत का विशाल सम्मेलन करवाकर संगीत के प्रसिद्ध ग्रंथ राधा गोविंद संगीत सार की रचना करवाई जिसके लेखन में इनके राजकवि देवर्षि बृजपाल भट्ट का महत्वपूर्ण योगदान रहा इनके दरबार में 22 प्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं विद्वानों की मंडली गंधर्व बाईसी थी 2. महाराजा अनूप सिंह- बीकानेर के शासक जो स्वयं एक विद्या अनुरागी तथा विद्वान संगीतज्ञ थे प्रसिद्ध संगीतज्ञ भाव भट्ट इन्हीं के दरबार में था 3. पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर- यह महाराष्ट्र के थे इन्होंने संगीत पर…

Read More

राजस्थान की हस्तशिल्प हस्तशिल्प मीनाकारी मीनाकारी का कार्य सोने से निर्मित हल्के आभूषणों पर किया जाता है । मीनाकारी जयपुर के महाराजा मानसिंह प्रथम लाहौर से अपने साथ लाए । लाहौर में यह काम सिक्खों द्वारा किया जाता था । जहां फारस से मुगलों द्वारा लाया गया । मीनाकारी के कार्य की सर्वोत्तम कृतिया जयपुर में तैयार की जाती है । जयपुर में मीना का कार्य सोना चांदी और तांबे पर किया जाता है । लाल रंग बनाने में जयपुर के मीना कार कुशल है । प्रतापगढ़ की मीनाकारी थेवा कला कहलाती है । प्रतापगढ़ में कांच पर थेवा कला का कार्य किया जाता है। मीना…

Read More

डॉ एल.पी.टेसीटोरी का वर्गीकरण इटली के निवासी टेसीटोरी की कार्यस्थली बीकानेर रही । उनकी मृत्यु (1919 ई. ) भी बीकानेर में ही हुई । बीकानेर महाराजा गंगासिंह ने उन्हें ‘राजस्थान के चारण साहित्य’ के सर्वेक्षण एंव संग्रह का कार्य सौंपा था । डॉ. टेसीटोरी ने चरणों और ऐतिहासिक हस्तलिखित ग्रन्थों की एक विवरणात्मक सूची तैयार की । उन्होंने अपना कार्य पूरा कर राजस्थानी साहित्य पर दो ग्रंथ लिखे । राजस्थानी चारण साहित्य एंव ऐतिहासिक सर्वे ।पश्चमी राजस्थान का व्याकरण । टेसीटोरी की प्रसिद्ध पुस्तक “ए डिस्क्रिप्टिव केटलॉग ऑफ द बार्डिक एन्ड हिस्टोरिकल क्रोनिकल्स ‘ है । डॉ एल.पी.टेसीटोरी के अनुसार…

Read More

राजस्थान के क्षेत्रीय लोक नृत्य, राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य, राजस्थानी लोक नृत्य, राजस्थान के लोक नृत्य आदि के बारे में हम इस लेख में बात करेंगे हम उम्मीद करते है की राजस्थान के लोक नृत्य के बारे में पढ़ने में मजा आयेगा और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरूर करेंगे। राजस्थान के लोक नृत्य उमंग में भरकर सामूहिक रूप से ग्रामीणों द्वारा किए जाने वाले नृत्य जिनमें केवल लय के साथ क्रमशः तीव्र गति से अंगो का संचालन होता है, “”उन्हें देशी नृत्य”” अथवा “”लोक नृत्य”” कहा जाता है। क्षेत्रीय लोक नृत्य (Regional folk dance)– क्षेत्र विशेष में प्रचलित…

Read More

राजस्थानी संस्कृति परंपरा और विरासत राजस्थान की सांस्कृतिक दृष्टि से भारत के समृध्द प्रदेशो में गिना जाता है संस्कृति एक विशाल सागर है इसके अंतर्गत गांव-गांव, ढाणी- ढाणी, चौपाल, चबूतरे महल – प्रसादों एवं घर – घर जन-जन में समाई हुई है राजस्थान की संस्कृति का स्वरूप राजवाड़ा और सामंती व्यवस्था में देखा जा सकता है तथा संस्कृति में साहित्य और संगीत की अतिरिक्त कला- कोशल, शिल्प, महल, मंदिर, किले, झोपड़ियां को भी अध्ययन किया जाता है जो हमारी संस्कृति के दर्पण हैं संस्कृति के अंदर पोशाक, त्यौहार, रहन-सहन, खान-पान, तहजीब- तमीज सभी संस्कृतिक के अंतर्गत आते हैं सांस्कृतिक दृष्टि…

Read More

Constitutional development of india भारत का संवैधानिक विकास Constitutional development of india ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम 1858 का अधिनियम मुख्य लेख :- भारत सरकार अधिनियम- 1858 इस अधिनियम के पारित होने के कुछ महत्त्वपूर्ण कारण थे। भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम, जो 1857 ई. में हुआ था, ने भारत में कम्पनी शासन के दोषों के प्रति ब्रिटिश जनमानस का ध्यान आकृष्ट किया। इसी समय ब्रिटेन में सम्पन्न हुए आम चुनावों के बाद पामस्टर्न प्रधानमंत्री बने, इन्होंने तत्काल कम्पनी के भारत पर शासन करने के अधिकार को लेकर ब्रिटिश क्राउन के अधीन करने का निर्णय लिया। उस कम्पनी के अध्यक्ष…

Read More