भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन (प्रथम चरण) शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस आंदोलन की शुरुआत हुई, जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ 15 अगस्त, 1947 ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा। प्रमुख संगठन एवं पार्टी गरम दल, नरम दल, गदर पार्टी, आज़ाद हिंद फ़ौज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, इंडियन होमरूल लीग, मुस्लिम लीग अन्य प्रमुख आंदोलन असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, नमक सत्याग्रहपरिणाम भारत स्वतंत्र राष्ट्र घोषित हुआ भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को तीन भागों में बाँटा जा सकता है- प्रथम चरणद्वितीय चरणतृतीय चरण। 1. आन्दोलन का प्रथम चरण (1885-1905) भारतीय राष्ट्रीय…
Author: NARESH BHABLA
गांधीवादी युग गांधीवादी राष्ट्रपिता’ की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी भारतीय राजनीतिक मंच पर1919ई. से 1948 ई. तक छाए रहे। गाँधीजी के इस कार्यकाल को ‘भारतीय इतिहास’ में ‘गाँधी युग’ के नाम से जाना जाता है। गांधी जी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आए उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में सरकार के युद्ध प्रयासों में मदद की जिनके लिए सरकार ने उन्हें कैसर-ए-हिंद की उपाधि से सम्मानित किया। 1915 ईस्वी में गांधी जी ने अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की। गाँधी-गोखले भेंट: जनवरी 1915 ई. में गाँधी जी भारत आये और यहाँ पर उनका सम्पर्क गोपाल कृष्ण गोखले…
जवाहरलाल नेहरु जवाहरलाल नेहरु भारत की आज़ादी के लिए सबसे लम्बे समय तक चलने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय आन्दोलन था। शुरुआत 1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ ही इस आंदोलन की शुरुआत हुई जो कुछ उतार-चढ़ावों के साथ15 अगस्त,1947ई. तक अनवरत रूप से जारी रहा। प्रमुख संगठन एवं पार्टी गरम दल, नरम दल, गदर पार्टी, आज़ाद हिंद फ़ौज, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, इंडियन होम रूल लीग, मुस्लिम लीग जवाहरलाल नेहरू पद बहाल:-15 अगस्त 1947 – 27 मई 1964 राजा:-जॉर्ज षष्ठम् (26 जनवरी 1950 तक) गर्वनर जनरल बर्मा के पहले अर्ल माउंटबेटन चक्रवर्ती राज गोपालाचारी (26 जनवरी 1950 तक) जवाहरलाल…
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी राजगोपालाचारी चक्रवर्ती राजगोपालचारी का जन्म मद्रास के थोरपल्ली गांव में 10 दिसंबर 1878 को हुआ था। भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे रोजगोपालचारी ‘राजाजी’ के नाम से भी जाने जाते हैं। राजगोपालाचारी वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे राजगोपालचारी को कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के रूप में भी चुना गया था। अंतिम गवर्नर माउंटबेटन के बाद राजगोपालचारी स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर बने थे। (21 जून 1948 से 26 जनवरी 1950 तक) अपने अद्भुत और प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण ‘राजाजी’ के नाम से प्रसिद्ध महान् स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, गांधीवादी राजनीतिज्ञ चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को आधुनिक भारत के इतिहास का ‘चाणक्य’ माना जाता है…
muslim league मुस्लिम लीग मुस्लिम_लीग का मूल नाम ‘अखिल भारतीय मुस्लिम लीग‘( all-india muslim league ) था। यह एक राजनीतिक समूह था जिसने ब्रिटिश भारत के विभाजन (1947 ई.) से निर्मित एक अलग मुस्लिम राष्ट्र के लिए आन्दोलन चलाया। बंगाल विभाजन की घोषणा के बाद मुस्लिम लीग ( muslim league ) अलीगढ़ कॉलेज के प्राचार्य आर्चबोल्ड एवं तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो के निजी सचिव डनलप स्मिथ के प्रयास से आगा खां के नेतृत्व में 36 मुसलमानों का प्रतिनिधिमंडल 1 अक्टूबर 1906 को वायसराय लॉर्ड मिंटो से मिला । उन्होंने मांग की कि प्रतिनिधि संस्थाओं में मुस्लिमों के राजनीतिक महत्व और साम्राज्य की रक्षा में…
भक्ति आन्दोलन भक्ति आन्दोलन वैसे तो श्वेताश्तर उपनिषद में पहली बार भक्ति का उल्लेख मिलता है। किंतु भक्ति का सर्वप्रथम विस्तृत उलेख श्रीमद् भागवत गीता में है। जहां इसे मोक्ष प्राप्ति का साधन बताया गया है। मध्य काल में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत सर्वप्रथम दक्षिण के अलवार भक्तों द्वारा की गई। दक्षिण भारत से उत्तर भारत में बारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में रामानन्द द्वारा यह आन्दोलन लाया गया। भक्ति आन्दोलन का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य था- हिन्दू धर्म एवं समाज में सुधार तथा इस्लाम एवं हिन्दू धर्म में समन्वय स्थापित करना। अपने उद्देश्यों में यह आन्दोलन काफ़ी सफल रहा। इन सन्तों ने भक्ति मार्ग को…
सूफी आंदोलन सूफी आंदोलन जिस प्रकार मध्यकालीन भारत में हिन्दुओं में भक्ति-आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, उसी प्रकार मुसलमानों में प्रेम-भक्ति के आधार पर सूफीवाद का उदय हुआ। सूफी शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई, इस विषय पर विद्वानों में विभिन्न मत है। कुछ विद्वानों का विचार है कि इस शब्द की उत्पत्ति सफा शब्द से हुई। सफा का अर्थ पवित्र है। मुसलमानों में जो सन्त पवित्रता और त्याग का जीवन बिताते थे, वे सूफी कहलाये। एक विचार यह भी है कि सूफी शब्द की उत्पत्ति सूफा से हुई, जिसका अर्थ है ऊन। मुहम्मद साहब के पश्चात् जो सन्त ऊनी कपड़े पहनकर…
उतर मुगलकालीन नये राजवंश अवध ( Awadh ) उत्तर मुगलकालीन अवध के स्वतंत्र राज्य के संस्थापक सआदत खां बुराहनुल्मुल्क था। 1722 ई. में मुग़ल बादशाह मुहमदशाह द्वारा फारस के शिया सआदत खां को अवध का सूबेदार बनाये जाने के बाद अवध सूबे को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया गया। सआदत खां ने सैय्यद बंधुओं को हटाने में सहयोग दिया। बादशाह ने सआदत खां को नादिरशाह के साथ वार्ता के लिए नियुक्त किया ताकि वह एक बड़ी रकम के भुगतान के एवज में अपने देश लौट जाये और शहर को तबाह करने से उसे रोका जा सके। लेकिन जब नादिरशाह को उस…
रेग्यूलेटिंग एक्ट (1773 ई.) – वैधानिक विकास 18 मई, 1773 ई. को लार्ड नार्थ ने कॉमन्स सभा में ईस्ट इंण्डिया कम्पनी रेग्यूलेटिंग बिल प्रस्तुत किया, जिसे कॉमन्स सभा ने 10 जून को और लार्ड सभा ने 19 जून को पास कर दिया। यह 1773 ई. के रेग्यूलेटिंग एक्ट के नाम से प्रसिद्ध है। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य कम्पनी के संविधान तथा उसके भारतीय प्रशासन में सुधार लाना था। बंगाल का शासन गवर्नर जनरल तथा चार सदस्यीय परिषद में निहित किया गया। इस परिषद में निर्णय बहुमत द्वारा लिए जाने की भी व्यवस्था की गयी। इस अधिनियम द्वारा प्रशासक मंडल में…
बंगाल में ब्रिटिश शक्ति की स्थापना बंगाल मुगलकालीन बंगाल में आधुनिक पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश, बिहार और उड़ीसा शामिल थे। बंगाल में डच, अंग्रेज व फ्रांसीसियों ने व्यापारिक कोठीयां स्थापित की थी जिनमें हुगली सर्वाधिक महत्वपूर्ण थी। 1651 ईस्वी में शाहशुजा से अनुमति लेकर इस इंडिया कंपनी ने बंगाल में हुगली में अपने प्रथम कारखाने की स्थापना की। 1670-17०० ईसवी के बीच बंगाल में अनधिकृत अंग्रेज व्यापारियों जिन्हें इंटरलाॅपर्स कहा जाता था,ने कंपनी नियंत्रण से मुक्त होकर व्यापार किया जो अंग्रेज और मुगलों के बीच संघर्ष का कारण बना। जॉब चारनाक नामक एक अंग्रेज ने कालिकाता, गोविंदपुर और सूतानाती को मिलाकर आधुनिक कलकत्ता की नींव…