सिकन्दर का भारत अभियान सिकन्दर का भारत अभियान सिकंदर का जन्म 356 ईस्वी पूर्व में मेसोडोनिया(मकदूनिया) के शासक फिलिप के घर हुआ था मेसोडोनिया(मकदूनिया) के क्षत्रप फिलिप द्वितीय का लड़का तथा अरस्तू का शिष्य सिकन्दर महान ने अपनी विश्व विजय के लिए रणनीति के तहत 20 वर्ष की अल्पायु में ईरान विजय के लिए 330 ईसा पूर्व में निकला और 327 ईसा पूर्व पूर्वी ईरान पर कब्जा कर लिया । पूर्वी ईरान को जीतने के बाद सिकन्दर ने अफगानिस्तान पर चढ़ाई की और उसे जीता तथा कंधार में सिकन्दरिया नामक नगर की स्थापना की । अगले वर्ष अपनी विशाल सेना लेकर काबुल की घाटी में…
Author: NARESH BHABLA
प्राचीन भारतीय संस्कृति के लक्षण प्राचीन भारतीय भारतीय संस्कृति विश्व के इतिहास में कई दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है। यह संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है। मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से यह मिस्र, मेसोपोटेमिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं के समकालीन समझी जाने लगी है।प्राचीनता के साथ इसकी दूसरी विशेषता अमरता है। चीनी संस्कृति के अतिरिक्त पुरानी दुनिया की अन्य सभी – मेसोपोटेमिया की सुमेरियन, असीरियन, बेबीलोनियन और खाल्दी प्रभृति तथा मिस्र ईरान, यूनान और रोम की-संस्कृतियाँ काल के कराल गाल में समा चुकी हैं, कुछ ध्वंसावशेष ही उनकी गौरव-गाथा गाने के लिए बचे हैं; किन्तु भारतीय संस्कृति कई हज़ार वर्ष तक काल के क्रूर…
पुराण सम्प्रदाय पुराण सम्प्रदाय पुराण सरल एवं व्यवहारिक भाषा में लिखे गए जनता के ग्रंथ है जिसमें प्राचीन ज्ञान -विज्ञान, पशु-पक्षी, वनस्पति विज्ञान, आयुर्वेद इत्यादि का विस्तृत वर्णन मिलता है। पुराण का शाब्दिक अर्थ है “प्राचीन आख्यान”, इसके अंतर्गत प्राचीन शासकों की वंशावलियाँ पाते हैं, जिसके संकलनकर्ता “महर्षि लोमहर्ष” अथवा उनके सुपुत्र “उग्रश्रवा” माने जाते हैं। पांचवीं से चौथी शताब्दी ई.पू. में पुराण ग्रंथ अस्तित्व में आ चुके थे। वर्तमान पुराण गुप्त काल के आसपास के है। मुख्य पुराणों की संख्या-18 है-1.मत्स्य पुराण2.मार्कण्डेय पुराण3.भविष्य पुराण4.भागवत पुराण5. ब्रह्मांड पुराण6.ब्रह्मावैवर्त पुराण7. ब्रह्मा पुराण8. वामन पुराण9. वाराह पुराण10.विष्णु पुराण11.वायु पुराण12.अग्नि पुराण13.नारद पुराण14.पदम पुराण15.लिंग पुराण16.गरुड़…
मिश्र की प्राचीन सभ्यता (Ancient civilization of Misra ) नील मिश्र की प्राचीन सभ्यता का उद्भव एवं विकास नील नदी की घाटी में हुआ था। मिश्र अफ्रीका महाद्विप के उत्तर-पश्चिम में नील नदी द्वारा सिंचित एक देश है।इसे “नील नदी का वरदान”कहते है। मिश्र में राजनितिक एकता का प्रादुर्भाव “मिनीज” नामक राजा ने किया था। मिश्र के समाज में शासक को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।यहाँ शासक को “फ़रोहा” कहा जाता था। मिश्र का समाज मुख्य रूप से तीन वर्गों में विभक्त था-: कुलीन वर्गमध्यम वर्गनिम्न वर्ग मिश्र के समाज की इकाई परिवार था,जिसमें माता-पिता,भाई-बहिन,पुत्र-पुत्री आदि एक साथ रहते थे। मिस्र की सभ्यता में स्त्रियों को…
राजनीति के विविध पक्षों के अस्तित्व एवं वैज्ञानिक अध्ययन को राजनीतिक सिद्धान्त कहा जाता है। … इस अर्थ में राजनीति नगर-राज्य तथा उसके प्रशासन का व्यवहारिक एवं दार्शनिक धरातल पर अध्ययन प्रस्तुत करती है। राजनीति को Polis नाम प्रसिद्ध ग्रीक विचारक अरस्तू द्वारा दिया गया है। अतः उन्हें ‘राजनीति विज्ञान का पिता’ कहा जाता है। Political theories ( Traditional and Modern ) राजनीतिक सिद्धान्त राजनीतिक सिद्धान्त के विविध पक्षों के अस्तित्व एवं वैज्ञानिक अध्ययन को राजनीतिक सिद्धान्त कहा जाता है। राजनीति के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द पॉलिटिक्स (politics) की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के तीन शब्दों ‘Polis'(नगर-राज्य), ‘Polity'(शासन) तथा ‘Politia'(संविधान) से हुई है।…
राज्य की उत्पत्ति के सिद्धान्त राज्य की उत्पत्ति के विषय में व्यक्त किए गए मुख्य सिद्धांत निम्न है ।देवी उत्पत्ति का सिद्धांत ?? इस सिद्धांत के अनुसार राज्य की उत्पत्ति ईश्वर के द्वारा की गई है राधा को ईश्वर द्वारा राज्य को संचालित करने के लिए भेजा गया है। प्रजा का कर्तव्य है कि राजा का विरोध ना करें क्योंकि वह ईश्वर का प्रतिनिधि है। मातृ एवं पितृ प्रधान सिद्धांत?? मातृ सत्तात्मक सिद्धांत राज्य की उत्पत्ति का कारण स्थाई वैवाहिक संबंधों के अभाव को मानता है परिवार का मुखिया पिता न होकर माता को मानता है संतानों को मां के नाम…
संप्रभुता का अर्थ होता एक देश के ऊपर शासन करने का पूरा अधिकार उसी देश की सरकार के पास होना और सरकार चुनने से लेकर देश को चलाने के सारे निर्णय लेने का पूरा अधिकार उसी देश की सरकार के पास होना और इस में किसी भी बाहरी तत्व का कोई हस्तक्षेप न होने देना । संप्रभुता संप्रभुता को अंग्रेजी में (sovereignty) कहते हैं soveregnty शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के superanus शब्द से हुई है । जिसका अर्थ है सर्वोच्च सत्ता। जैसा कि डॉ.गारनर मैं संप्रभुता को राज्य का महत्वपूर्ण तत्व माना है । संप्रभुता किसी राज्य की सर्वोच्च…
बहुलवाद वह सिद्धान्त है जिसके अनुसार समाज मे आज्ञापालन कराने की शक्ति एक ही जगह केंद्रित नही होती,बल्कि वह अनेक समूहों में बिखर जाती है। ये समूह मानव की भिन्न भिन्न आवश्यकताए पूरी करने का दावा करते हैं। Pluralism बहुलवाद 20 वी शताब्दी में बहुलवाद का उदय सम्प्रभुता के एकलवादी सिद्धान्त के विरूद्ध प्रतिक्रियास्वरूप हुआ। बहुलवाद एक प्रतिकियास्वरूप सिद्धान्त है। बहुलवाद वह सिद्धान्त है जिसके अनुसार समाज मे आज्ञापालन कराने की शक्ति एक ही जगह केंद्रित नही होती,बल्कि वह अनेक समूहों में बिखर जाती है।ये समूह मानव की भिन्न भिन्न आवश्यकताए पूरी करने का दावा करते हैं। बहुलवाद को विचारधारा…
Government’s Part Government’s Part (कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका) व्यवस्थापिका सरकार राज्य का एक अनिवार्य तत्व है।सरकार के रूप में ही राज्य एवं उसकी प्रभुत्व शक्ति को मूर्त रूप मिलता है। इसे राज्य की आत्मा कहा जाता है। सरकार राज्य का वह यन्त्र है जिसके ऊपर राज्य के कानून बनाने ,उन्हें क्रियान्वित करने तथा उसकी व्याख्या करने का दायित्व है। गार्नर का कथन है- “सरकार एक ऐसा संगठन है जिसके द्वारा राज्य अपनी इच्छा को प्रकट करता है, अपने आदेशो को जारी करता है तथा अपने कार्यो को करता है ।” कानून बनाना –व्यवस्थापिकाकानून को लागू करना–कार्यपालिकाकानून की व्याख्या करना–न्यायपालिका सरकार के…
Separation of powers Separation of powers (शक्ति पृथक्करण, नियंत्रण एवं संतुलन) शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का अर्थ सरकार के तीन अंग होते हैं व्यवस्थापिका जो कानून निर्माण का काम करती है कार्यपालिका दो विधियों को लागू करती हैं न्यायपालिका जो कानून की व्याख्या वह विवादों का निर्णय करती हैसरकार के तीनों अंगों में पारस्परिक संबंधों को निर्धारित करने के लिए मॉन्टेस्क्यू ने शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। शक्ति पृथक्करण की आवश्यकता विभिन्न राजनीतिक विद्वानों जैसे जॉन लॉक मॉन्टेस्क्यू Cf स्ट्रांग ला पांलोबरा आदि ने शक्ति पृथक्करण के महत्व को प्रतिपादित किया। इस सिद्धांत की उपयोगिता के निम्नलिखित तर्क दिए जा…