The major function of the respiratory system is to supply the body with oxygen and dispose of carbon dioxide. To accom-plish this function, at least four processes, collectively called respiration, must happen: Pulmonary ventilation: movement of air into and out of the lungs so that the gases there are continuously changed and refreshed (commonly called breathing).External respiration: movement of oxygen from the lungs to the blood and of carbon dioxide from the blood to the lungs.Transport of respiratory gases: transport of oxygen from the lungs to the tissue cells of the body, and of carbon dioxide from the tissue cells…
Author: NARESH BHABLA
भारतीय लोकतंत्र एवं चुनोतियाँ राजनीतिक व्यवस्था एक सामाजिक संस्था है जो किसी देश के शासन से संव्यवहार करती है और लोगों से इसका संबंध प्रकट करती है। राजनितिक कुछ मूलभूत सिद्धांतों का समुच्चय है जिसके इर्द-गिर्द राजनीति और राजनीतिक संस्थान विकसित होते हैं या देश को शासित करने हेतु संगठित होते हैं। राजनीतिक व्यवस्था में ऐसे तरीके भी शामिल होते हैं जिसके अंतर्गत शासक चुने या निर्वाचित होते हैं, सरकारों का निर्माण होता है तथा राजनीतिक निर्णय लिए जाते हैं। समाज में राजनीतिक पारस्परिक विमर्श तथा निर्णय-निर्माण की संरचना एवं प्रक्रिया सभी देशों की राजनीतिक व्यवस्था में समाहित होते हैं। व्यक्ति…
Civil rights नागरिक नागरिक अधिदेश अधिदेश देश में औषध क्षेत्र के विकास और साथ ही मूल्य निर्धारण एवं वहनीय मूल्यों पर दवाइयों की उपलब्धता, अनुसंधान एवं विकास, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की सुरक्षा और औषध क्षेत्र से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर अधिकाधिक ध्यान एवं बल देना। दृष्टिकोण और मिशन दृष्टिकोण भारत : वहनीय मूल्यों पर गुणवत्तायुक्त दवाइयों का सबसे बड़ा वैश्विक प्रदाता मिशन: औषध नीति के अनुसार वहनीय मूल्यों पर गुणवत्तायुक्त दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।औषध अवसंरचना का विकास तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से भी औषध क्षेत्र में नवीन प्रगति।फार्मा ब्रांड इंडिया का संवर्धनऔषध उद्योग के पर्यावरण धारणीय विकास को संवर्धित…
व्यवस्था एवं शासन- विधिक अधिकार विधिक अधिकार वे हैं जो किसी दत्त विधिक प्रणाली द्वारा किसी व्यक्ति को प्रदान किये जाते हैं अर्थात्, वे अधिकार जो मानवीय नियमों द्वारा परिवर्तित, निरसित और निरुद्ध किये जा सकते। विधिक सहायता का अधिकार ऐसे लोगों जो न्याय पाने के लिये वकीलों और अदालतों का खर्च वहन नहीं कर सकते, को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करता है। भारतीय संविधान में उल्लिखित राज्य के नीति-निदेशक तत्त्वों के अंतर्गत इसे अनुच्छेद 39- A के तहत जोड़ा गया है, जिसके अंतर्गत गरीब और वंचित वर्गों के लिये निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध करवाना राज्य का कर्त्तव्य होगा। विधिक सहायता का महत्त्व विधिक…
भारतीय संविधान में उल्लेखित अनुसूचियां संविधान 1. पहली अनुसूची_- (अनुच्छेद 1 तथा 4) – राज्य तथा संघ राज्य क्षेत्र का वर्णन। 2. दूसरी अनुसूची_- [अनुच्छेद 102(3), 65(3), 75(6),97, 125,148(3), 158(3),164(5),186 तथा 221] – मुख्य पदाधिकारियों के वेतन-भत्ते भाग क- राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों के बारे में उपबंधभाग ख- [ निरसित ]भाग ग-लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा राज्य सभा के सभापति और उप-सभापति के तथा राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के तथा विधानपरिषद् के सभापतिऔर उप-सभापति के बारे में उपबंधभाग घ-उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बारे में उपबंधभाग ड़-भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक…
भारतीय शासन अधिनियम,1935 से प्रावधान संघीय व्यवस्था (Federal System)राज्यपाल का कार्यालय (Governor’s Office)न्यायपालिका का ढाँचा (Structure of the Judiciary)आपातकालीन उपबंध (Emergency Provisions)लोक सेवा आयोग (Public Service Commission)शक्तियों के वितरण की तीन सूचियाँ (Three lists of distribution of powers) 1. ब्रिटेन के संविधान से संसदीय व्यवस्था (Parliamentary System)मंत्रिमंडल प्रणाली (Cabinet System)विधायी प्रक्रिया (Legislative Process )राज्याध्यक्ष का प्रतीकात्मक या नाममात्र का महत्त्व (Symbolic or nominal importance of the Head of State)एकल नागरिकता (Single Citizenship)परमाधिकार रिटें (Prerogative Writs)द्विसदनवाद (Bicameralism)संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privileges) 2. अमेरिका के संविधान से मूल अधिकार (Fundamental Rights)न्यायपालिका की स्वतंत्रता (Independence of Judiciary)न्यायिक पुनर्विलोकन का सिद्धांत (The Principle of Judicial Review)सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के…
Constituent Assembly भारत में संविधान सभा के गठन का विचार 1934 में पहली बार एन.एम.राॅय ने रखा। 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की। 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से नेहरू ने घोषणा की, कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने गए संविधान सभा द्वारा किया जाए और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। नेहरू की इस मांग को ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया इसे 1940 के अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। 1942 में…
भारतीय संविधान की विशेषताएँ भारत के संविधान निर्माताओं ने इस देश की ऐतिहासिक सामाजिक धार्मिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों को दृष्टिगत रखकर संविधान का निर्माण किया भारत के संविधान की अपनी विशेषताएं हैं जो हमसे विश्व के अन्य सुविधाओं से अलग करती है यदि इसमें विश्व के महत्वपूर्ण संविधान के सर्वश्रेष्ठ गुणों को समाहित किया गया है तथा भी इसमें भारतीय परिस्थितियों के अनुसार आवश्यक परिवर्तन के साथ ही अन्य सभी धानों के लक्षणों का समावेश भी किया गया भारत के संविधान निर्माता अंबेडकर ने कहा था कि भारतीय संविधान व्यवहारी के इस में परिवर्तन की क्षमता है और इसमें शांति…
Indian Gov Act 1935 Indian Gov Act 1935 (भारतीय शासन अधिनियम) 1920 में भारत के राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन और 1920-30 की अवधि में स्वराज्य दल का उदय। भारत में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के दूसरे चरण का उदय, साइमन कमीशन का आगमन, नेहरू कमेटी, जिन्ना की 14 सूत्री योजना, 3 गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन। 1935 में श्वेत पत्र का प्रकाशन लॉर्ड लिनलिथगो की अध्यक्षता में एक समिति का गठन जिनके सुझाव पर 1935 का भारत शासन अधिनियम आधारित है। यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ जिसमें 310 धाराएं और 10 अनुसूचियां थी।…
Indian Gov. Act 1919 Indian Gov. Act 1919 (भारतीय शासन अधिनियम 1919) 20 अगस्त 1917 को ब्रिटिश सरकार ने पहली बार घोषित किया कि उसका उद्देश्य भारत में क्रमिक रूप से उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। पहली बार भारतीय प्रशासन में उत्तरदायी शब्द का समावेश किया गया। यह अधिनियम 1921 में लागू हुआ। इस अधिनियम को मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार कहा जाता है। मांटेग्यू भारत के राज्य सचिव थे। जबकि चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे। शासन से संबंधित विषयों को दो भागों में बांट दिया गया। 1 केंद्रीय2 प्रांतीय प्रांतीय विषयों को दो भागों में बांटा जाने के कारण इस व्यवस्था को द्वैध शासन कहा गया। प्रांतीय विषयों को…