2011 की जनगणना के अनुसार (According to the 2011 census ) राजस्थान में सर्वाधिक जनसंख्या वाले 5 जिले – राजस्थान में न्यूनतम जनसंख्या वाले 5 जिले – 9. राजस्थान में न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला- जैसलमेर (6,72,008) 10. सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला – जयपुर (598 व्यक्ति प्रति वर्गकिमी) 11. न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला जिला – जैसलमेर (17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) 12. सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला – डूंगरपुर (990) 13. न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला – धौलपुर (845) 14. सर्वाधिक दशकीय जनसंख्या वृद्धिदर वाला जिला- बाड़मेर (32.55) 15. न्यूनतम दशकीय जनसंख्या वृद्धिदर वालाजिला- श्रीगंगानगर (10.06) 16. सर्वाधिक कुल साक्षरता वालाजिला- कोटा (77.48%) 17. न्यूनतम कुल साक्षरता वाला जिला- जालौर (55.58%) 18. सर्वाधिक पुरुष साक्षरता वालाजिला- झुंझुनू (87.88%) 19. न्यूनतम पुरुष साक्षरता वाला जिला- प्रतापगढ़ (70.13%) 20. सर्वाधिक महिला साक्षरता वाला जिला- कोटा (66.32%) 21. न्यूनतम महिला साक्षरता वाला जिला- जालौर (38.73%) 22. राज्य का _जनसंख्या घनत्व – 200 व्यक्ति प्रति किमी (जबकि 2001 में 165) 23. राजस्थान की _जनसंख्या में वर्ष 2001 की तुलना में वृदि दर में प्रतिशत कमी- 6.97% कमी 24. राज्य की सर्वाधिक साक्षरता दर वाली तहसील- जयपुर तहसील (83.89 प्रतिशत) 25. राज्य की न्यूनतम साक्षरता दर वाली तहसील- कोटडा तहसील जिला-उदयपुर (27.10%) 26. दो जिले जिनका साक्षरता प्रतिशत दशक 2001-11में घटा है- चुरू…
Author: NARESH BHABLA
Agriculture of Rajasthan Agriculture of Rajasthan राजस्थान में कृषि राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 2 सौ 39 वर्ग कि.मी. है। जो की देश का 10.41 प्रतिशत है। राजस्थान में देश का 11 प्रतिशत क्षेत्र कृषि योग्य भूमि है और राज्य में 50 प्रतिशत सकल सिंचित क्षेत्र है जबकि 30 प्रतिशत शुद्ध सिंचित क्षेत्र है। राजस्थान का 60 प्रतिशत क्षेत्र मरूस्थल और 10 प्रतिशत क्षेत्र पर्वतीय है। अतः कृषि कार्य संपन्न नहीं हो पाता है और मरूस्थलीय भूमि सिंचाई के साधनों का अभाव पाया जाता है। अधिकांश खेती राज्य में वर्षा पर निर्भर होने के कारण राज्य में…
Industry of Rajasthan Industry of Rajasthan (राजस्थान में उद्योग) लघु एवं कुटीर उद्योग ( Small and cottage industries ) प्रदेश का पहला राईस क्लस्टर बूंदी में बनाया जा रहा है। हाथ से कोठा डोरिया उत्पाद बनाने वालो के लिए जी.आई.पेटेंट लागु किया गया है। राजस्थान लघु उद्योग निगम द्वारा राज्य की लुप्त हो रही फड़ चित्रकला के पुनरुत्थान के लिए शाहपुरा (भीलवाड़ा) में संचालित किया जा रहा है। Industry of Rajasthan राज्य में ग्रामीण अकृषि क्षेत्र – हैण्डलूम , हस्तशिल्प व कृषि / ऊन / खनिज आधारित उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन देने हेतु रुडा ( RUDA) एजेंसी का गठन किया। लकड़ी…
अजमेर के चौहान चौहानों की उत्पति के संबंध में विभिन्न मत हैं। पृथ्वीराज रासौ (चंद्र बरदाई) में इन्हें ‘अग्निकुण्ड’ से उत्पन्न बताया गया है, जो ऋषि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किये गये यज्ञ से उत्पन्न हुए चार राजपूत – प्रतिहार, परमार,चालुक्य एवं चौहानों (हार मार चाचो – क्रम) में से एक थे। मुहणोत नैणसी एवं सूर्यमल मिश्रण ने भी इस मत का समर्थन किया है। प. गौरीशंकर ओझा चौहानों को सूर्यवंशी मानते हैं। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार चौहानों की उत्पत्ति ब्राह्मण वंश से हुई है। अजमेर के चौहान चौहानों की उत्पति के विभिन्न मत:- अग्निकुल – पृथ्वीराज रासौ, नैणसी एवं सूर्यमल्ल मिश्रण।सूर्यवंशी – पृथ्वीराज…
राजस्थान की कुलदेवी राजस्थान के जनमानस में शक्ति की प्रतीक के रूप में लोक देवियों के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास और आस्था है । साधारण परिवारों की इन कन्याओं ने कल्याणकारी कार्य किए और अलौकिक चमत्कारो से जनसाधारण के दु:खो को दूर किया । इसी से जन सामान्य ने लोक देवियों के पद पर प्रतिष्ठित किया ।राजस्थान की प्रमुख लोक देवीयाँ निम्न है- करणी माता ( Karni Mata ) कुलदेवी करणी माता देशनोक(बीकानेर) बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी करणी जी “चूहों वाली देवी” के नाम से विख्यात है । इनके आशीर्वाद से ही राव बीका ने बीकानेर राज्य की…
राजस्थान लोक देवता 1. Pabuji ( पाबूजी ) पाबूजी राठौड़ राजवंश के पाबूजी राठौड़ का जन्म 13 वीं शताब्दी में फलोदी (जोधपुर) के निकट “कोलूमण्ड” में धाँधल एवं कमलादे के घर हुआ। पिता -धांधल , माता -कमलादेपत्नी – अमरकोट के सूरजमल लोढा की पुत्री सुप्यारदे राजस्थान के पंच पीर पाबु जी , हड़बूजी ,रामदेव जी ,गोगाजी एवं मांगलिया मेहा जी को कहा जाता है । ये राठौड़ो के मूल पुरुष सीहा वंसज थे । इनका विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढा की पुत्री सुप्यारदे से हो रहा था, कि ये चौथे फेरे के बीच से ही उठकर अपने बहनोई जायल के जीन्दराव खींची से देवल चारणी…
वैवाहिक रीति-रिवाज बरी -पड़ला : – वर पक्ष विवाह के अवसर पर वधू के लिए श्रृंगारिक सामान, गहने एवं कपड़ें लाता हैं, जिसे ‘ बरी-पड़ला’ कहते हैं।मोड़ बांधना:- विवाह के दिन वर के सिर पर सेहरा बांधा जाता हैं।टीका (तिलक):-विवाह के निशिचत होने पर वे उपहार जो लड़की के पिता की ओर.से लड़के के लिए भेजे जाते थे ‘ टीका ‘ कहलाता था।रीत:- विवाह निश्चित होने पर लड़के की तरफ से लड़की को भेजे उपहार ‘ रीत’ कहलाते है।सामेला (मधुपर्क):-जब वर वधू के घर जाता हैं तो वधू के पिता द्रारा संबधियों के साथ वर पक्ष स्वागत करना ‘ सामेला ‘ कहलाता था।बिंदोली:- विवाह…
राजस्थान के दुर्ग राजस्थान के राजपूतों के नगरों और प्रासदों का निर्माण पहाडि़यों में हुआ, क्योकि वहां शुत्रओं के विरूद्ध प्राकृतिक सुरक्षा के साधन थे शुक्रनीति में दुर्गो की नौ श्रेणियों का वर्णन किया गया। एरण दूर्ग- खाई, कांटों तथा कठोर पत्थरों से युक्त जहां पहुंचना कठिन हो जैसे – रणथम्भौर दुर्ग।पारिख दूर्ग- जिसके चारों ओर खाई हो जैसे -लोहगढ़/भरतपुर दुर्ग।पारिध दूर्ग- ईट, पत्थरों से निर्मित मजबूत परकोटा -युक्त जैसे -चित्तौड़गढ दुर्गवन/ओरण दूर्ग- चारों ओर वन से ढ़का हुआ जैसे- सिवाणा दुर्ग।धान्वन दूर्ग- जो चारों ओर रेत के ऊंचे टीलों से घिरा हो जैसे-जैसलमेर ।जल/ओदक- पानी से घिरा हुआ जैसे – गागरोन दुर्गगिरी दूर्ग- एकांत में पहाड़ी…
वाद्य यंत्र वाद्य यंत्र तत वाद्य ( tat instrument )सुषिर वाद्य ( sushir instrument )ताल वाद्य ( Rhythm instrument )घन वाद्य ( Ghan instrument ) तत वाद्य यंत्र ( tat instrument ) TRICK नकारा राज का भरतार गुस्सा में सुसु की दो नकारा – चिकारारा – रावणहत्थाज – जंतरका – कामायचाभ – भपंगर – रबाबता – तंदुरा/ तम्बूरा/ बेनी/चौतारा/र – रबाजगु – गुजरीसा- सारँगीसु – सुरमढ़लसु – सुरनाईदु – दुकाको Out of trick – इकतारा अवनद्ध वाद्य ( Avanaddh Instrument ) अवनद्ध (ताल) वाद्य:-चमड़े से मढ़े हुए लोक वाद्य ) मादल ( Madal ) मृदंग आकृति का क्षेत्र/वादक जाति/अवसर:- आदिवासी क्षेत्र – भील ,गरासिया,डांगिए द्वारा ।सरंचना- यह मृदंग…
राजस्थान के अभिलेख पुरातात्विक स्रोतों के अंतर्गत अभिलेख एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं इसका मुख्य कारण उनका तिथि युक्त एवं समसामयिक होना है जिन अभिलेखों में मात्र किसी शासक की उपलब्धियों का यशोगान होता है उसे प्रशस्ति कहते हैं अभिलेखों के अध्ययन को एपिग्राफी कहते हैं अभिलेखों में शिलालेख, स्तंभ लेख, गुहालेख, मूर्ति लेख इत्यादि आते हैं भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक मौर्य के हैं शक शासक रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख भारत में संस्कृत का पहला अभिलेख है राजस्थान के अभिलेखों की मुख्य भाषा संस्कृत एवं राजस्थानी है इनकी शैली गद्य-पद्य है तथा लिपि महाजनी एवं हर्ष कालीन है लेकिन नागरी लिपि को विशेष रूप से काम में लिया जाता है राजस्थान में प्राप्त हुए 162 शिलालेख की सँख्या है…