Author: NARESH BHABLA

राजस्थान के इतिहास के साहित्यिक स्त्रोत राजस्थान में प्रारंभिक साहित्य की रचना संस्कृत और प्राकृत भाषा में की गई थी क्योंकि प्राचीन काल में व्यापक रूप से इन्हीं भाषाओं को मान्यता थी मध्ययुग के प्रारंभिक काल से अपभ्रंश और उससे जनित मरू भाषा और स्थानीय बोलियां से से मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, मेवाती, बागड़ी आदि में भी साहित्य लेखन हुआ इन प्रारंभिक संस्कृत साहित्य में हमें राजस्थान के इतिहास से संबंधित काफी सूचनाएं मिल जाती हैं ऐतिहासिक राजस्थानी साहित्य राजस्थानी साहित्य पृथ्वी राज रासो ( Prithvi Raj Raso ) – यह रासो ग्रंथ पृथ्वी राज चौहान के दरबारी कवि चन्दबरदाई द्रारा पिंगल (ब्रज हिन्दी)मे लिखा…

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पाषाण काल से राजपूतों की उत्पत्ति तक का इतिहास पुरातात्त्विक संस्कृतियां  Archaeological cultures इतिहास को प्रागैतिहासिक काल, आद्दंऐतिहास काल एवं ऐतिहासिक काल मे बांटा जाता हैं प्रागैतिहासिक काल से तात्पर्य हैं कि उस समय के मानव के इतिहास के बारे मे कोई लिखित सामग्री नहीं मिली बल्कि पुरातात्विक सामग्रियों के आधार पर ही उसके इतिहास (संस्कृति) के बारे मे अनुमान लगाया जाता हैं पाषाण काल से एसी सभ्यता एवं संस्कृतियों को पुरातात्विक सभ्यता/संस्कृति या प्रागैतिहासिक काल कहते हैं जब मानव लेखन कला से तो परिचित हो गया लेकिन उसे अभी तक पढा़ नही जा सका हैं, तो उसे आद्दंऐतिहासिक कालीन…

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मध्यकालीन राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था मध्यकाल में राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था से तात्पर्य मुगलों से संपर्क के बाद से लेकर 1818 ईसवी में अंग्रेजों के साथ हुई संधियों की काल अवधि के अध्ययन से है। इस काल अवधि में राजस्थान में 22 छोटी बड़ी रियासतें थी और अजमेर मुगल सूबा था। इन सभी रियासतों का अपना प्रशासनिक तंत्र था लेकिन, कुछ मौलिक विशेषताएं एकरूपता लिए हुए भी थी। रियासतें मुगल सूबे के अंतर्गत होने के कारण मुगल प्रभाव भी था। राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था के मूलत 3 आधार थे — सामान्य एवं सैनिक प्रशासन।न्याय प्रशासन।भू राजस्व प्रशासन। संपूर्ण शासन तंत्र राजा…

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मीरा बाई एवं दादू दयाल दादूदयाल जन्म 1544 ई.मृत्यु: 1603 ई.) दादूदयाल मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत थे. इनका जन्म विक्रम संवत् 1601 में फाल्गुन शुक्ला अष्टमी को अहमदाबाद में हुआ था. हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इन्होंने एक निर्गुणवादी संप्रदाय की स्थापना की, जो ‘दादू पंथ’ के नाम से ज्ञात है। दादू दयाल अहमदाबाद के एक धुनिया के पुत्र और मुग़ल सम्राट् अकबर के समकालीन थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन राजपूताना में व्यतीत किया एवं हिन्दू और इस्लाम धर्म में समन्वय स्थापित करने के लिए अनेक पदों की रचना की। उनके अनुयायी न तो…

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राजस्थान के इतिहास – सिक्के भारतीय इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता में सिक्कों का व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था। भारत में सर्वप्रथम सिक्कों का प्रचलन 2500 वर्ष पूर्व हुआ। यह मुद्राएं खुदाई के दौरान खंडित अवस्था में प्राप्त हुई है। अतः इन्हें आहत मुद्राएं कहा जाता है। इन पर विशेष चिन्ह बने हुए हैं। अतः इन्हें पंचमार्क_सिक्के भी कहते हैं। प्राचीन इतिहास लेखन में मुद्राओं या सिक्कों से बड़ी सहायता मिली है यह सोने चांदी तांबे और मिश्रित धातुओं के हैं इन पर अनेक प्रकार के चिन्ह-त्रिशूल हाथी, घोड़े, चँवर, वृष -देवी देवताओं की आकृति सूर्य चंद्र नक्षत्र आदि खुले रहते हैं तिथि-…

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राजस्थान राजनीतिक संगठन व समाचार पत्र स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संगठन मारवाड़ सेवा संघ 1920 )- इसकी स्थापना चांदमल सुराणा ने की थी मारवाड़ सेवा संघ को सन् 1924 में जयनारायण व्यास ने पुनः जीवित किया और एक नई संस्था की स्थापना की जिसे‘‘मारवाड़ हितकारणी सभा’’ के नाम से जाना गया मारवाड़ हितकारणी सभा की स्थापना 1929 में हुई। अखिल भारतीय देषी राज्य लोक परिषद (1927):- इसकी स्थापना में मुख्य भूमिका जवाहरलाल नेहरू ने निभाई थी इसका प्रथम अधिवेषन मुम्बई में हुआ थाजिसकी अध्यक्षता रामचन्द्र राव ने की थी इसका उद्देष्य देषी रियासतों में शान्तिपूर्वंक तरीके से उत्तरदायी शासन की स्थापना करना था। राजपुताना मध्य भारत सभा (1919):- इसकी स्थापना आमेर में जमनालाल बजाज ने की थी इसमें मुख्य भूमिका अर्जुनलाल सेठी एवं विजयसिंह पथिक ने निभाई थी। राजस्थान सेवा संघ (1919):- इस संस्था को 1920 में अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया राजस्थान सेवा संघ में प्रमुख भूमिका अर्जुनलाल सेठी, विजयसिंह पथिक, केसरीसिंह बारहठ एवं राम नारायण चैधरी ने निभाई थी। वनस्थली विद्यापीठ 1938 इसकी स्थापना हीरालाल शास्त्री द्वारा रतनलाल शास्त्री के साथ मिलकर की गई थी जीवन कुटीरयोजना को ही बाद में वनस्थली विद्यापीठ कहा गया था। सभ्य सभा की स्थापना:- इसकी स्थापना गुरू गोविन्द गिरी ने आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए की थी। वीर भारत समाज (1910):- इसकी स्थापना विजयसिंह पथिक ने की थी। वीर भारत सभा (1910):- इसकी स्थापना केसरीसिंह बारहठ़ एवं गोपालदास खरवा ने की थी। जैन वर्द्धमान विद्यालय (1907):- इसकी स्थापना अर्जुनलाल सेठी ने जयपुर में की थी। वागड़ सेवा मंदिर एवं हरिजन सेवा समिति (1935):- इसकी स्थापना भोगीलाल पाण्ड्या ने की थी। चरखा संघ (1927):- इसकी स्थापना जमनालाल बजाज ने जयपुर में की थी। सस्ता साहित्य मण्डल (1925):- इसकी स्थापना हरिभाऊ उपाध्याय ने अजमेर के हुडी में की थी। जीवन कुटीर (1927):- इसकी स्थापना हीरालाल शास्त्री द्वारा जयपुर में की गई थी। वर्तमान में यह निवाई (टोंक) में हैं। सर्वहितकारिणी सभा (1907):- इसके संस्थापक कन्हैयालाल ढुढँ थें। सन् 1914 में गोपालदास (बीकानेर) ने इसे पुर्नजिवित किया था। विद्या प्रचारिणी सभा (1914):- इसकी स्थापना विजयसिंह पथिक ने की थी। नागरी प्रचारणी सभा (1934):- इसकी स्थापना ज्वालाप्रसाद ने धौलपुर में की थी। नरेन्द्र मण्डल (1921):- देषी राज्यों के राजाओं द्वारा निर्मित मण्डल जिसके चांसलर बीकानरे के महाराजा गंगासिंह थे। सेवासंघ (1938):- इसकी स्थापना भागीलाल पाण्ड्या ने डुंगरपुर में की थी। स्वतन्त्रता आंदोलन के दौरान प्काषित होने वाले पत्र-पत्रिकाएँ व समाचार पत्र राजस्थान केसरी 1920 यह एक साप्ताहिक पत्रिका थी, जिसकी शुरूआत विजयसिंह पथिक ने वर्धा में की थी इसके संपादक रामनारायण चैधरी थे। इस पत्रिका के लिए वित्तीय सहायता जमनालाल बजाज ने दीथी। नवीन राजस्थान 1921 यह समाचार पत्र अजमेर से प्रकाषित होता थाइसकी शुरूआत विजयसिंह पथित ने की थी यही समाचार पत्र आगे चलकर तरूण राजस्थान समाचार पत्र के नाम से जाना गया  बिजौलिया किसान आंदोलन के समय पथिक ने नवीन राजस्थान और राजस्थान केसरी समाचारपत्रों का प्रयोग आंदोलन प्रचार के लिए किया था। नवज्योति 1936 यह अजमेर से प्रकाषित होने वाला साप्ताहिक पत्र थाइसकी स्थापना रामनारायण चैधरी ने की थी इसकी बागड़ोर दुर्गाप्रसाद चैधरी ने संभाली थी। राजस्थान समाचार 1889 यह अजमेर से प्रकाषित होता थाइसके संस्थापक मुंषी समर्थानन थें यह प्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र था। राजपूताना गजट समाचार पत्र राजपूताना गजट यह अजमेर से प्रकाषित होता था। इसके संस्थापक मौलवी मुराद अली थे। Akhand Bharat ( अखण्ड भारत ) – यह मुम्बई से प्राषित होता था। इसे संस्थाप जयनारायण व्यास थंे। Lokwani ( लोकवाणी )- यह जयपुर से प्रकाषित होता थाइसके संस्थापक पंडित देवीषंकर थे यह पत्र जमनालाल बजाज की स्मृति में प्रकाषित किया गया था सज्जन कीर्ति सुधाकर:- यह मेवाड़ से प्रकाषित होता था। राजस्थान टाइम्स:- यह जयपुर से अंग्रेजी में प्रकाषित समाचार पत्र था। प्रताप:- यह कानपुर से प्रकाषित होता था। इसके संस्थापक पथिकजी और गणेष शंकर विद्यार्थी थे। देरा हितैषी:- यह समाचार पत्र अजमेर से प्रकाषित होता था। आगी बाण (1932):- यह ब्यावर से प्रकाषित होता था। इसके संस्थापक जयनारायण व्यास थें। यदि आपको हमारे दुआर दिए गए…

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सुभाष चंद बोस सन् 1933 से लेकर 1936 तक सुभाष यूरोप में रहे। यूरोप में सुभाष ने अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए अपना कार्य बदस्तूर जारी रखा। वहाँ वे इटली के नेता मुसोलिनी से मिले, जिन्होंने उन्हें भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में सहायता करने का वचन दिया। आयरलैंड के नेता डी वलेरा सुभाष के अच्छे दोस्त बन गये। जिन दिनों सुभाष यूरोप में थे सुभाष चंद बोस उन्हीं दिनों जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू का ऑस्ट्रिया में निधन हो गया। सुभाष ने वहाँ जाकर जवाहरलाल नेहरू को सान्त्वना दी।जर्मनी में प्रवास एवं हिटलर से मुलाकात बर्लिन में सुभाष सर्वप्रथम…

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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- मौलाना आजाद आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था.इनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन एक बंगाली मौलाना थे, जो बहुत बड़े विद्वान थे जबकि इनकी माता अरब की थी, जो शेख मोहम्मद ज़हर वात्री की बेटी थी मौलाना_आजाद जो मदीना में एक मौलवी थी, जिनका नाम अरब के अलावा बाहरी देशों में भी हुआ करता था मौलाना खैरुद्दीन अपने परिवार के साथ बंगाली राज्य में रहा करते थे लेकिन 1857 के समय हुई विद्रोह की लड़ाई में उन्हें भारत देश छोड़ कर अरब जाना पड़ा जहाँ मौलाना आजाद का जन्म हुआ मौलाना आजाद…

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सरदार वल्लभ भाई पटेल सरदार वल्लभ भाई जन्‍म 31 अक्टूबर1875 ई. मेंनाडियाड_गुजरात में हुआ था। इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल एवं माता का नाम लाड़बाई था । सरदार पटेल जी ने सन 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और उसके बाद लन्‍दन जाकर बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत का कार्य किया था। सरदार पटेल जी का विवाह सन 1893 में 16 वर्ष की अवस्‍था में झावेरबा के साथ हुुआ था। वास्तव में सरदार पटेल आधुनिक भारत के शिल्पी थे।  उनके कठोर व्यक्तित्व में विस्मार्क जैसी संगठन कुशलता,कौटिल्य जैसी…

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डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म कब और कहां हुआ? राजेन्द्र बाबू का जन्म 3 दिसम्बर 1884 को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे एवं उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं। डॉ राजेन्द्र प्रसाद का जन्म- 3 दिसम्बर, 1884,को जीरादेयू, (बिहार) में हुआ था। डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे जिन्होंने दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद DR.Rajendra Prasad बेहद प्रतिभाशाली और…

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