Author: NARESH BHABLA

लोकतंत्र ( Democracy ) – सरकार को सारी शक्तियां जनता से प्राप्त होती हैं । शासकों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है । दूसरे रूप में कह सकते हैं कि लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए है । समाजवाद (Socialism ) – ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पादन और वितरण का स्वामित्व राज्य के नियंत्रण में रहता है । गणराज्य ( The republic )- इसका मतलब यह है कि राज्य का अध्यक्ष एक निर्वाचित व्यक्ति है जो एक निश्चित अवधि के लिए पद ग्रहण करता है । स्थगन प्रस्ताव ( Adjournment motion ) – स्थगन प्रस्ताव किसी लोक महत्व के मामले…

Read More

Rajasthan ki Sinchai Pariyojana Rajasthan ki Sinchai Pariyojana (राज्य की प्रमुख सिचाई) भाँखड़ा नाँगल परियोजनाव्यास परियोजनाचम्बल घाटी परियोजनामाही परियोजना ये परियोजनाए बहुउद्देश्य परियोजनाए भी है इनसे सिचाई पेयजल एंव विद्युत की पुर्ति करवायी जाती है 1. भांखड़ा नाँगल परियोजना (Bhankha Nagal Project) यह देश की सबसे बड़ी नदी घाटी बहुउद्देशीय परियोजना है जो कि राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की मिश्रित परियोजना है इस परियोजना के निर्माण का सर्वप्रथम विचार 1908 में लुईस डेने के दिमाग में आया स्वतंत्रता के बाद मार्च 1948 में इसके निर्माण का कार्य शुरू हुआ इस परियोजना का निर्माण दो चरणों में हुआ जिसमें दो बांध बनाए गए…

Read More

Mines of Raj Mines of Raj (राजस्थान की खान व खनिज) राजस्थान में भौतिक दृष्टि से तीन मरु, मेरु व माल भू- आकृतियों का विशेष महत्व है। राजस्थान में अरावली प्रदेश खनिज संसाधनों की दृष्टि से धनी है। पश्चिमी राजस्थान में अधात्विक खनिज व शक्ति के स्रोत पाए जाते हैं। Mines of Raj पूर्वी राजस्थान के खनिज की कमी पाई जाती हैं। खानो कि दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है। राजस्थान में सर्वाधिक कुल 79 प्रकार के खनिज पाये जाते है। जिनमें 44 प्रकार के बड़े खनिज व 23 प्रकार के लघु खनिज एवं 12 अन्य गौण खनिज पाए जाते…

Read More

मध्यप्रदेश की चित्रकला 1 बुंदेलखंड की लोक चित्रकला बुंदेलखंड में लोक चित्र परंपरा अपनी पृथक पहचान रखती है पर्व त्योहारों पर बुंदेली महिलाएं उनसे संबंधित चित्र रेखांकन बनाकर उनकी पूजा कथा कहती हैं वर्ष पर कोई ना कोई चित्र बनाने की परिपाटी समूचे बुंदेलखंड में मिलती है सुरैती :- सुरैती बुंदेलखंड का पारंपरिक भित्तिचित्र है दीपावली के आधार पर लक्ष्मी पूजा के समय सुरैती का रेखांकन महिलाओं द्वारा किया जाता है सुरेती जी का जालीनुमा अंकन बुंदेली महिलाओं की कल्पनाशीलता की कलात्मक परिणीति है इस चित्र में देव लक्ष्मी की आकृतियों करी जाती है वही भगवान विष्णु का आलेखन किया जाता…

Read More

राजस्थान की चित्रकला भारतीय चित्रकला के पितामह रवि वर्मा (केरल) हैं सर्वप्रथम आनंद कुमार स्वामी ने अपने ग्रंथ `राजपूत पेंटिंग’ में राजस्थान की चित्रकला का स्वरूप को 1916 ई.में उजागर किया राजस्थान में आधुनिक चित्रकला को प्रारंभ करने का श्रेय कुंदनलाल मिस्त्री को दिया जाता है राजस्थान की चित्रकला में अजंता व मुगल शैली का सम्मिश्रण पाया जाता है राजस्थानी चित्रकला को राजपुत्र चित्र शैली भी कहा जाता है राजस्थानी चित्रकला में चटकीले भड़कीले रंगों का प्रयोग किया गया हैं! विशेषत: पीले और लाल रंग का सर्वाधिक प्रयोग किया गया है राजस्थानी चित्रकला शैली का प्रारंभ 15वीं से 16वीं शताब्दी…

Read More

1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत ( Different views in reference to the revolt of 1857 ) डॉ रामविलास शर्मा- यह स्वतंत्रता संग्राम था डॉरामविलास शर्मा– यह जनक्रांति थीडिजरायली बेंजामिन डिजरैली– यह राष्ट्रीय विद्रोह थावी डी सावरकर- यह स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी (पुस्तक द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस)एस.एन. सेन- यह विद्रोह राष्ट्रीयता के अभाव में स्वतंत्रता संग्राम थासर जॉन लॉरेंस, के. मैलेसन, ट्रैविलियन,सीले- 1857 की क्रांति एक सिपाही विद्रोह था ( इस विचार से भारतीय समकालीन लेखक मुंशी जीवनलाल दुर्गादास बंदोपाध्याय सैयद अहमद खां भी सहमत है )जवाहरलाल नेहरु- यह विद्रोह मुख्यतः सामंतशाही विद्रोह थासर जेम्स आउट्रम और डब्लयू टेलर- यह विद्रोह हिंदू-मुस्लिम का परिणाम…

Read More

1. जयपुर प्रजामंडल जयपुर राज्य में सर्वप्रथम राजनैतिक चेतना की अलख अर्जुन लाल सेठी ने जगाई थी इसी कारण इन्हें राज जयपुर राज्य में जनजागृति का जनक कहते हैं। सन् 1960 में अर्जुन लाल सेठी द्वारा जयपुर में जैन वर्धमान विद्यालय की स्थापना होती है। वास्तव में यह विद्यालय क्रांतिकारियों का प्रशिक्षण केंद्र था। सन् 1921 में जमनालाल बजाज द्वारा रायबहादुर की उपाधि का त्याग किया जाता है। सन 1927 में जमनालाल बजाज द्वारा जयपुर में चरखा संघ की स्थापना होती है। सन् 1931 में कर्पूरचंद पाटनी के द्वारा जयपुर प्रजामंडल की स्थापना होती है। यह प्रजामंडल असफल रहता है इस प्रजा मंडल का अध्यक्ष कपूरचंद पाटनी को…

Read More

Mevad में गुहिल वंश की स्थापना उधर Mevad में गुहिल वंश की स्थापना 566 ई. में गुहिलादित्य ने की थी। गुहिलादित्य ने अपनी राजधानी नागदा (उदयपुर) को बनाया था। गुहिलादित्य के सिक्के सांभर संग्रहालय में स्थित हैं। गुहिलादित्य का वंशज महेन्द्र द्वितीय का पुत्र कालभोज/मालभोज था। कालभोज हारित ऋषि की गायें चराता था। हारित ऋषि ने कालभोज को आशिर्वाद व बप्पारावल की उपाधि दी और कहा जा रे जा बप्पा रावल मानमोरी को हरा डाल। हारित ऋषि एकलिंग जी की उपासना करते थे। एकलिंग को गुहिलवंश के शासक अपना कुलदेवता मानते हैं। मुहणौत नैणसी ने गुहिलों की 24 शाखाओं का…

Read More

आमेर का कच्छवाह वंश (ढूंढाड़ राज्य) आमेर के कच्छवाह स्वयं को श्रीराम के पुत्र कुश की सन्तान मानते है, आमेर से प्राप्त शिलालेख में भी इन्हें ‘रघुकुल तिलक‘ के नाम से जाना गया है। दूल्हेराय नामक व्यक्ति ने सर्वप्रथम कच्छवाह वंश की स्थापना की थी। 1137 ई. में बड़गूजरों को हराकर दूल्हेराय ने ढूंढाड राज्य को बसाया था, दूल्हेराय ने सर्वप्रथम दौसा को अपनी राजधानी बनाया जो इस राज्य की सबसे प्राचीन राजधानी थी, दूल्हेराय ने इस राजधानी को मीणाओं से प्राप्त किया था. दूल्हेराय ने रामगढ़ नामक स्थान पर जमुवामाता के मंदिर का निर्माण कराया जमूवा माता को कच्छवाह वंश की कुलदेवी के रूप में स्थापित भी किया था, ढूंढाड़ में प्राचीन रामगढ़ गुलाब…

Read More

Marwad के जानकारी के श्रोत उमा के अनुसार राठौड़ शब्द राष्ट्रकूट से बना है अतः यह राष्ट्रकूट कुटो वंशज थे गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने इनको बदायूं का राठौड़ों का वंशज बताया है राज रत्नाकर नामक ग्रंथ में राठौड़ों को हिरण्यकश्यप की संतान बताया है कर्नल जेम्स टॉड ने इनका संबंध कन्नौज के गढ़वाल वंश से बताया है जेमस टॉड ने राव सिया को जयचंद गढ़वाल का पोत्र बताया है जोधपुर राज्य की ख्यात के अनुसार इनको विश्वत मान के पुत्र बृहद वल की संतान माना गया है रास्ट्रोड वंश महाकाव्य के अनुसार शेत राम का पुत्र और बरदाई सेन का…

Read More