भारत में आर्थिक सुधारों, भारत में आर्थिक सुधारों भारत में आर्थिक सुधारों का स्वरूप भारत ने 1980 के दशक में सुधारों को काफी मध्यम गति से लागू किया था, लेकिन 1991 के भुगतान संतुलन के संकट के बाद यह मुख्यधारा की नीति बन गई। इसी साल सोवियत संघ के पतन ने भारतीय राजनीतिज्ञों को इस बात का अहसास करा दिया कि समाजवाद पर ओर जोर भारत को संकट से नहीं उबार पाएगा। चीन में देंग शिया ओपिंग के कामयाब बाजारोन्मुख सुधारों ने बता दिया था कि आर्थिक उदारीकरण के बेशुमार फायदे हैं। भारत की सुधार प्रक्रिया उत्तरोत्तर और अनियमित थी,…
Author: NARESH BHABLA
मानव विकास सूचकांक किसी भी देश की जनता (मानवीय संसाधन) ही उस राष्ट्र के वास्तविक धन तथा सम्पति होते हैं| प्रत्येक देश अपने मानव संसाधनों का विकास तथा मानव कल्याण करना चाहता हैं| 1990 में पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ के एक निकाय संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन किया| इस रिपोर्ट ने आर्थिक विकास को मानव विकास के साथ स्पष्ट रूप से सबन्धित किया| इस रिपोर्ट में मानवीय विकास की अवधारणा की व्याख्या करते हुए बताया गया कि “यह वह प्रक्रिया है। जिसके द्वारा जनसामान्य के विकल्पों के विस्तार किया जाता है और इनके द्वारा उनके कल्याण के…
गरीबी एवं बेरोजगारी – अवधारणा, कारण, प्रकार और निदान निर्धनता या गरीबी को आमतौर पर न्यूनतम स्तर वाली आय में रहने वालों और कम उपभोग करने वालों के अर्थ में परिभाषित किया जाता है व्यक्तियों या परिवारों द्वारा जो स्वास्थ्य सक्रिय और सभ्य जीवन के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं को वहन नहीं कर पाते वह निर्धनता या गरीब कहा जाता है गरीबी_की अवधारणा (Concept of poverty) गरीबी_भूख है और उस अवस्था में जुड़ी हुई है निरन्तरता। यानी सतत् भूख की स्थिति का बने रहना। गरीबी है एक उचित रहवास का अभाव, गरीबी है बीमार होने पर स्वास्थ्य सुविधा का लाभ ले…
निर्धनता निवारण एवं रोजगार कार्यक्रम निर्धनता निवारण 1. सामुदायिक विकास- इसकी स्थापना 1952 में की गई थी इसका मुख्य उद्देश्य भारत देश का समग्र विकास करना 2. प्रधानमंत्री रोजगार योजना- इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 1993 को की गई थी इसका मुख्य उद्देश्यभारत में उद्योग तथा सेवा क्षेत्र में सात लाख लघुतर इकाइयां स्थापित करके 1000000 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाना 3. मिड डे मील योजना- इसकी शुरुआत 1995 से की गई थी इस योजना का उद्देश्य कक्षा आठ तक के बच्चों को उच्च पोषक तत्व युक्त दोपहर का भोजन उपलब्ध कराकर स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि करना 4. स्वर्ण…
बेरोजगारी बेरोजगारी – अवधारणा, कारण, प्रकार और निदान बेरोजगारी का आशय लोगों की उस स्थिति से है जिसमें वह प्रचलित मजदूरी दरों पर काम करने के इच्छुक तो होते हैं परंतु उन्हें काम नहीं प्राप्त होता है संपूर्ण विश्व अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी उत्पन्न होने के केवल दो कारण होते हैं। वस्तु की मांग में कमी के कारण उत्पन्न बेरोजगारी।पूंजी की कमी के कारण उत्पन्न में बेरोजगारी। भारत में बेरोजगारी- भारत में शहरों की तुलना में गांव में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में तथा अशिक्षित लोगों की अपेक्षा शिक्षित लोगों में बेरोजगारी अधिक है भारत में प्रमुख रूप से तीन तरह की…
निर्धनता उन्नमूलन की योजनाएं निर्धनता उन्नमूलन की योजनाएं 1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (Prime Minister Ujjwala scheme) 1 मई को श्रमिक दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की इस योजना का उद्देश्य अगले तीन वर्षो में गरीबी रेखा से नीचे के पांच करोड़ लाभार्थियों को रसोई गैस के कनेक्शन प्रदान करना है। इस योजना को तीन साल 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में पूरा किया जाएगा। इसका 8000 करोड़ रुपए बजट रखा गया है। 2016-17 में उज्ज्वला योजना के कार्यान्वन के लिए 2,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। तथा वर्तमान वित्त वर्ष…
सामाजिक न्याय व अधिकारिता, सामाजिक न्याय व अधिकारिता, सामाजिक न्याय व अधिकारिता सामाजिक न्याय व अधिकारिता – कमजोर वर्गों के लिए प्रावधान भारत में मध्यकाल से ही एक वर्ग विशेष आर्थिक रूप से पिछड़ा और पददलित रहा, संविधान की प्रस्तावना में न्याय और समता की स्थापना की बात कही गई सामाजिक और आर्थिक न्याय की स्थापना हेतु समाज के कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों तथा अल्पसंख्यकों के कल्याण हेतु संविधान में अनेक उपबंध किए गए हैं संविधान के भाग 3, 4 और 16 में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए किए गए प्रावधानों का वर्गीकरण निम्न…
भारत की आर्थिक स्थिती, भारत की आर्थिक स्थिती भारत की आर्थिक स्थिती अर्थशास्त्र शब्द संस्कृत शब्दों के अर्थ धन और शास्त्र की संधि से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है धन का अध्ययन अर्थशास्त्र का वर्तमान रूप में विकास पाश्चात्य देशों में ( विशेषकर इंग्लैंड ) में हुआ है 1776 में प्रकाशित एडम स्मिथ की पुस्तक द वेल्थ ऑफ नेशंस को अर्थव्यवस्था का उद्गम स्त्रोत माना जाता है एडम स्मिथ वर्तमान अर्थशास्त्र के जन्मदाता माने जाते हैं इस प्रकार अर्थशास्त्र एक विषय वस्तु है जो दुर्लभ संसाधनों के विवेकशील प्रयोग पर इस प्रकार केंद्रित है कि जिससे हमारा आर्थिक कल्याण अधिकतम ह अर्थशास्त्र सामाजिक…
Education Psychology Education Psychology शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा वा शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति शिक्षा के ही द्वारा मनुष्य प्राणी से इंसान या सामाजिक “प्राणी” बनता है। इससे मनुष्य का शारीरिक,संवेगात्मक, मानसिक तथा शारीरिक विकास होता है । मनोविज्ञान के इतिहास के प्रारंभिक काल में इसे आत्मा का ज्ञान अथवा विज्ञान माना जाता था इसके बाद इस अर्थ को पूर्ण रुप से त्याग कर मनोविज्ञान को मन के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाने लगा लेकिन कुछ समय बाद यह धारणा भी गलत सिद्ध हुई इसके विभिन्न कारण थे वास्तव में मान कोई मूर्त वस्तु नहीं…
सामाजिक अध्ययन (Social science) मानव समाज का अध्ययन करने वाली शैक्षिक विधा है। प्राकृतिक विज्ञानों के अतिरिक्त अन्य विषयों का एक सामूहिक नाम है ‘सामाजिक विज्ञान’। इसमें नृविज्ञान, पुरातत्व, अर्थशास्त्र, भूगोल, इतिहास, विधि, भाषाविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन और संचार आदि विषय सम्मिलित हैं। सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो के साथ संबंध सामाजिक_अध्ययन समस्त ज्ञान को क्रमिक रुप से निम्नलिखित तीन वर्गों मे विभक्त किया जा सकता हैं प्राकृतिक विज्ञानमानविकीसामाजिक विज्ञान ज्ञान जगत् के वे सभी विषय जिनका विकास व विस्तार मानव ने स्वंय अपनी गतिविधियों से किया है एवं इसमे प्रकृति का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कोई हस्तक्षेप नहीं…