बैंकिंग और लोक वित्त
1. बैंकिंग Banking
बैंक की परिभाषा ( Definition of Bank )-
बैंक_मुद्रा तथा साख का व्यवसाय करने वाली संस्था है। बैंक वह संस्था है जो मुद्रा व साख का व्यवसाय करती है, ‘ सेयर्स के अनुसार– “बैंक केवल मुद्रा-व्यापारी ही नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण अर्थ में मुद्रा निर्माता भी होते हैं।
बैंक_एक ऐसी संस्था है जो मुद्रा का व्यापार करती है। बैंक जनता से उनकी बचत की गई रकमों को जमा के रूप में एकत्रित करते हैं और जरूरतमन्द व्यापारियों एवं उद्यमियों को उधार देती है। किसी भी देश के आर्थिक विकास में व्यापारिक बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
व्यापारिक बैंकों का कार्य मुख्यतया जमा स्वीकार करना और अल्पकालीन ऋण देना होता है। प्रत्येक व्यापारिक बैंक को कोष मुख्यतया तीन स्रोतों से प्राप्त होता है:
- “शेयर पूंजी”,
- आरक्षित कोष और
- आम जनता से जमा राशि ।
विश्व में बैंकिग का विकास होने के साथ-साथ विभिन्न बैंकिग प्रणालियाँ प्रचलन में आयी ।
सर्वप्रथम इटली में “बैंक ऑफ वेनिस” की स्थापना सन 1157 ई. में हुई। यह विश्व का प्राचीनतम बैंक हैं। इंग्लैण्ड में पहले बैंक “बैंक ऑफ इंग्लैण्ड” की स्थापना सन 1664 ई. में हुई। संयुक्त पूंजी वाले आधुनिक व्यापारिक बैंकों का प्रारम्भ 1833 ई. में इंग्लैण्ड में बैंकिंग अधिनियम के निर्माण के बाद हुआ।
भारत में पहला आधुनिक बैंक सन 1688 में मद्रास में स्थापित किया गया था। 1921 में तीनों प्रेसिडेंसी बैंक–बैंक ऑफ कलकत्ता, बैंक ऑफ Mumbai एवं बैंक ऑफ मद्रास को मिलाकर “इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया” की स्थापना की गई। रिजर्व बैंक की स्थापना तक यही सरकार के बैंकर का कार्य करता था।
भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना , भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। रिज़र्व बैंक का केन्द्रीय कार्यालय प्रारम्भ में कलकत्ता में स्थापित किया गया था, जिसे 1937 में स्थायी रूप से बम्बई में स्थानान्तरित कर दिया गया। केन्द्रीय कार्यालय वह कार्यालय है जहाँ गवर्नर बैठते हैं और नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं।
1881 में स्थापित अवध कमर्शियल बैंक भारतीय द्वारा संचालित पहला बैंक था जबकि 1894 में स्थापित पंजाब नेशनल बैंक देश का पूर्ण रूप से पहला भारतीय बैंक था
भारतीय रिजर्व बैंक की 1935 में स्थापना से देश में वाणिज्यिक बैंकिंग को प्रोत्साहन मिला भारत सरकार ने बैंकिंग प्रणाली को मजबूती प्रदान करने के लिए 1949 में रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया
आजादी के पश्चात 1 जुलाई, 1955 को अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण समिति की सिफारिश पर इसका राष्ट्रीयकरण कर “स्टेट बैंक ऑफ इंडिया” की स्थापना की गई 1968 में 8 क्षेत्रीय बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक के सहायक का दर्जा दे दिया गया 6 सहायक बैंक है
- स्टेट_बैंक_ऑफ बीकानेर एंड जयपुर
- स्टेट_बैंक_ऑफ_पटियाला
- स्टेट_बैंक_ऑफ_सौराष्ट्र
- स्टेट_बैंक_ऑफ_हैदराबाद
- स्टेट_बैंक_ऑफ_मैसूर
- स्टेट_बैंक_ऑफ_त्रावणकोर
14 बडे बैंकों का राष्ट्रीयकरण
सरकार का बैंकिंग कंपनी के अंतर्गत 19 जुलाई 1969 को 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
- पंजाब नेशनल
- बैंक ओ्फ इंडिया
- केनरा बैंक
- इलाहाबाद बैंक
- सिंडिकेट बैंक
- यूनाइटेड_बैंक ऑफ इंडिया
- यूनाइटेड_कमर्शियल बैंक
- यूनाइटेड_यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
- इंडियन बैंक
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र
- देना बैंक
- इंडियन ओवरसीज बैंक
- Bank of Baroda.
द्वितीय चरण में 6 राष्ट्रीयकृत बैंकों का राष्ट्रीयकरण 15 अप्रैल 1980 को किया गया था
- आंध्र बैंक
- पंजाब एंड सिंध बैंक
- कारपोरेशन बैंक
- ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
- विजया बैंक
- न्यू बैंक ऑफ इंडिया
सरकार द्वारा 4 सितंबर 1993 को न्यू बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक में विलय हो गया वर्तमान भारत देश में राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या 20 से घटकर 19 रह गई है
भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रस्तावना में बैंक के मूल कार्य इस प्रकार वर्णित किए गए हैं:
“भारत में मौद्रिक स्थिरता प्राप्त करने की दृष्टि से बैंकनोटों के निर्गम को विनियमित करना तथा प्रारक्षित निधि को बनाएं रखना और सामान्य रूप से देश के हित में मुद्रा और ऋण प्रणाली संचालित करना, अत्यधिक जटिल अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के लिए आधुनिक मौद्रिक नीति फ्रेमवर्क रखना, वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।”
केंद्रीय बोर्ड
रिज़र्व बैंक का कामकाज केंद्रीय निदेशक बोर्ड द्वारा शासित होता है। भारत सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुसार इस बोर्ड को नियुक्त करती है। नियुक्ति/नामन चार वर्ष के लिए होता है
गठन
- सरकारी निदेशक
- पूर्ण-कालिक : गवर्नर और अधिकतम चार उप गवर्नर
- गैर- सरकारी निदेशक
- सरकार द्वारा नामित : विभिन्न क्षेत्रों से दस निदेशक और दो सरकारी अधिकारी
- अन्य : चार निदेशक – चार स्थानीय बोर्डों से प्रत्येक से एक
कार्य : बैंक के क्रियाकलापों की देख रेख और निदेशन
स्थानीय बोर्ड-
देश के चार क्षेत्रों – मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और नई दिल्ली से एक-एक
सदस्यता :-
प्रत्येक में पांच सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त, चार वर्ष की अवधि के लिए
रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य ( Main function of RBI )
स्थानीय मामलों पर केंद्रीय बोर्ड को सलाह देना और स्थानीय सहकारी तथा घरेलू बैंकों की प्रादेशिक और अर्थिक आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करना; केंद्रीय बोर्ड द्वारा समय-समय पर सौंपे गए ऐसे अन्य कार्यों का निष्पादन।
1. मौद्रिक प्रधिकारी
बैंकिंग
मौद्रिक नीति तैयार करता है,उसका कार्यान्वयन करता है और उसकी निगरानी करता है। विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना।
2. वित्तीय प्रणाली का विनियामक और पर्यवेक्षक
बैंकिंग परिचालन के लिए विस्तृत मानदंड निर्धारित करता है। जिसके अंतर्गत देश की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली काम करती है।
उद्देश्यः प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखना, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और आम जनता को किफायती बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना।
3. विदेशी मुद्रा प्रबंधक
विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 का प्रबंध करता है।
उद्देश्यः विदेश व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाना और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का क्रमिक विकास करना और उसे बनाए रखना।
4. मुद्रा जारीकर्ता
करेंसी जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचलन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है।
उद्देश्य : आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोटों और सिक्कों की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराना।★
5. विकासात्मक भूमिका
राष्ट्रीय उद्देश्यों की सहायता के लिए व्यापक स्तर पर प्रोत्साहनात्मक कार्य करना।
संबंधित कार्य
- सरकार का बैंकर : केंद्र और राज्य सरकारों के लिए व्यापारी बैंक की भूमिका अदा करता है; उनके बैंकर का कार्य भी करता है।
- बैंकों के लिए बैंकर : सभी अनुसूचित बैंकों के बैंक खाते रखता
वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks )
भारतीय में वाणिज्यिक बैंक
भारत में वाणिज्यिक बैंकों से तात्पर्य उन बैंकों से हैं जिनका “भारतीय बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949” के अंतर्गत गठन हुआ है। इन बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक का प्रभावी नियंत्रण रहता है। सामान्य रूप से व्यापारिक बैंक सभी प्रकार के बैंकिंग कार्य करते हैं।
व्यापारिक बैंक ऐसी संस्थाएं हैं जो सामान्य जनता से जमा के रूप में मुद्रा स्वीकार करते हैं और बदले में ब्याज देती है, तथा इस मुद्रा को ऋण देकर या अन्य किसी रूप में विनियोग कर आय प्राप्त करती है। इनका उद्देश्य सामाजिक हित के साथ अपने लाभ को अधिकतम करना होता है।
भारत में व्यापारिक बैंकों को दो श्रेणियों में बांट सकते हैं
- अनुसूचित बैंक
- गैर अनुसूचित बैंक
1. अनुसूचित बैंक – अनुसूचित व्यापारिक बैंक इसलिए अनुसूचित कहलाते हैं कि वे “भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934” की द्वितीय अनुसूची में शामिल किए गए हैं। यह तीन शर्तें पूरी करते हैं–
- इनकी प्रदत्त पूंजी व रिजर्व की राशि कम से कम ₹500000 होनी चाहिए।
- यह जमाकर्ताओं के हितों के विरुद्ध काम न करें तथा इस संबंध में रिजर्व बैंक की आज्ञा का पालन करें।
- यह निगम अथवा कंपनी के रूप में संगठित हो, न की साझेदारी या व्यक्तिगत फर्म के रूप में।
2. गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक- वाणिज्यिक बैंक “रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम 1934” की द्वितीय अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है, गैर अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक कहलाते हैं।
इन बैंकों को रिजर्व बैंक की तरफ विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है।
वाणिज्यिक बैंकों के कार्य ( Works of commercial banks )
किसी भी देश के आर्थिक विकास में व्यापारिक बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये देश की अर्थव्यवस्था में अपने महत्वपूर्ण कार्यों द्वारा अति महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। आधुनिक बैंक अनेक प्रकार के कार्य करते हैं। उनके प्रमुख कार्यों को दो श्रेणियों में बांट सकते हैं।
1⃣ प्राथमिक कार्य
2⃣ गौण कार्य
1⃣ बैंकों के प्राथमिक कार्य –
1. जमाए स्वीकार करना–
- बैंकों द्वारा जनता से धन मुख्यतः दो प्रकार से प्राप्त होता है—अपने शेयर बेचकर, तथा जनता से जमा स्वीकार करके।
- ये जमाए, बचत खाते, चालू खाते, सावधि जमा खाते एवं आवर्ती जमा खाते में स्वीकार करते हैं।
2. सावधि जमाएं
- जब कोई ग्राहक किसी बैंक के पास एक निश्चित अवधि के लिए एक निर्दिष्ट राशि जमा करता है तो इसे सावधि जमा कहते हैं।
- सावधि जमा करने वाले को उस अवधि के लिए ब्याज मिलता है।
3. बचत खाता जमाएं
- बचत खाता थोड़ी सी राशि से खोला जा सकता है, हालांकि बचत खाते से जब चाहे राशि निकाल सकते हैं फिर भी प्रति सप्ताह कितनी बार राशि निकाल सकते हैं, इस पर कुछ पाबंदिया होती हैं।
- इस प्रकार की जमा पर ब्याज की दर चालू जमा पर ब्याज की दर से अधिक होती हैं।
- लेकिन सावधि जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज की दर से कम होती है ।
- बचत खाते के जरिए छोटी-छोटी राशियां एकत्रित करके बैंक सामान्यतया बहुत बड़ा कोष एकत्रित कर लेते हैं
4. चालू खाता जमाएं-
- इसे “मांग जमा” भी कहते हैं। चालू खाते में कितनी ही बार राशि जमा कराई जा सकती हैं और जमा की जाने वाली राशि बैंक से कितनी ही बार निकाली जा सकती हैं।
- इन पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। सामान्यतया चालू जमाओं पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता है।
5. आवर्ती जमा-
- आवर्ती जमा में जमाकर्ता को निश्चित वर्षों तक प्रतिमाह एक निश्चित राशि जमा करानी होती है।
- उस निश्चित अवधि की समाप्ति पर जमा करता को मूल धन के साथ ब्याज दिया जाता है।
- इन जमाओं पर दी जाने वाली ब्याज की दर साधारणतया वही होती है जो सावधि जमाओं पर होती है।
ऋण देना ( loan out )
आधुनिक बैंकों का दूसरा महत्वपूर्ण कारण ऋण देना है। जमाकर्ताओं की रकम बैंक के पास फालतू रखी नहीं रहती। कुछ नकद-कोष रखने के पश्चात बैंक बाकी रकम जरूरतमंद व्यक्तियों व्यवस्थाओं को ऋण के रूप में दे देता है। बैंक जमा पर दी जाने वाली ब्याज की अपेक्षा ऋणों पर अधिक ब्याज लेता है और इन दोनों की दरों के अंतर से बैंक को लाभ होता है।
बैंकों को ऋण देने का कार्य काफी सतर्कता से करना होता है, क्योंकि असावधानी का परिणाम बैंक के लिए हानिकारक हो सकता है। आधुनिक बैंक प्रायः उत्पादन कार्यों के लिए ही ऋण देते हैं, तथा उचित जमानत या धरोहर की मांग करते हैं। अधिकांश बैंक एसी धरोहर पर ऋण देते हैं जिसे आसानी से बाजार में बेचा जा सके।
ऋण की रकम प्रायः धरोहर के मूल्य से कम होती है, क्योंकि मूल्य में परिवर्तन की संभावना के कारण कुछ अंतर रखना आवश्यक होता है।कभी-कभी बैंक द्वारा व्यक्तिगत जमानत पर दो या दो से अधिक व्यक्तियों की सम्मिलित जमानत पर या चल एवं अचल संपत्ति की गिरवी ऋण दिया जाता है।
बैंक सामान्यतः निम्नलिखित चार प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं:-
- ऋण तथा अग्रिम धन
- नकद साख
- अधिविकर्ष
- विनिमय-बिलों की खरीद या कटौती द्वारा
बैंकों के गौण कार्य
एक व्यापारिक बैंक के उपयुक्त महत्वपूर्ण प्राथमिक कार्यों के अलावा आधुनिक वाणिज्यिक युग में अनेक सहायक(गौण) कार्य भी हैं। जिनका व्यापार, उद्योग एवं अर्थव्यवस्था के लिए कम महत्व नहीं है। व्यापारिक बैंक के गौण कार्य निम्न दो प्रकार के हैं
- 1⃣ अभीकर्ता कार्य
- 2⃣ अन्य उपयोगी कार्य
1⃣ अभिकर्ता संबंधी कार्य–
बैंक अपने ग्राहकों के लिए एजेंट अथवा प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करते हैं । ऐसे कार्यों के लिए ग्राहक स्वयं अपने बैंक को लिखित या मौखिक अनुमति देते हैं। इनमें से कुछ कार्य निशुल्क किए जाते हैं तथा कुछ के लिए ग्राहक से निश्चित शुल्क वसूल किया जाता है।
बैंक के प्रमुख एजेंसी कार्य निम्न है
1⃣ उगाही
बैंक अपने ग्राहकों की ओर से एजेंटों के रूप में प्रतिज्ञा पत्रों, चेकों, विनिमय पत्रों, लाभांश, अभिदान, किराये,आदि की उगाही करते हैं। बैंक ग्राहकों से इन सेवाओं के लिए सेवा शुल्क लेते हैं।
2⃣ भुगतान
बैंक समय-समय पर अपने ग्राहकों की ओर से बीमा प्रीमियम, किराया, कर, बिजली के बिलों आदि के भुगतान करने की जिम्मेवारी भी लेते हैं।इसके लिए वह कमीशन लेते हैं।
3⃣ प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय-
ग्राहक कभी-कभी बैंकों को अपनी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करने के लिए भी कहते हैं। इन सेवाओं के लिए भी बैंक कमीशन लेते हैं।
4⃣ ट्रस्टी और अर्टानी के कार्य:
बैंक अपने ग्राहकों की ओर से ट्रस्टी, निष्पादक और अर्टानीके रूप में भी कार्य करते हैं।
5⃣ संपर्ककर्ता-
बैंक अपने ग्राहकों को उनके प्रतिनिधि, एजेंट या संपर्ककर्ता के रूप में सेवा प्रदान करते हैं।यह उनके लिए पासपोर्ट, यात्रा टिकट, आदि प्राप्त करते है।
विविध उपयोगी सेवाएं ( Miscellaneous utility services )
एजेंसी सेवाओं के अलावा व्यापारिक बैंक अपने ग्राहकों को विभिन्न अन्य सेवाएं प्रदान करते हैं। जो ग्राहकों के लिए उपयोगी होती है इन सेवाओं में साख पत्र, ड्राफ्ट सुविधाएं, अभिगोपन, आस्थगित भुगतानों के लिए गारंटी, लॉकर सुविधाएं, प्रमाण, व्यवसायिक, व सांख्यिकीय सूचना और विदेशी विनिमय के लेन-देन शामिल हैं।
ऊपर बताए गए अनेक कार्यों के अतिरिक्त आधुनिक बैंक कुछ सामान्य उपयोगी कार्य भी करते हैं, जैसे—
- 1⃣ बैंक अपने ग्राहकों की बहुमूल्य वस्तुओं जैसे-जेवर कानूनी पत्र दस्तावेज आदि को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार की अलमारियां, लॉकर सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।
- 2⃣ बैंक अपने ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की सूचना अन्य व्यापारियों को देते हैं और पूछे जाने पर अन्य व्यापारियों की आर्थिक स्थिति की जांच पड़ताल करके अपने ग्राहकों को सूचित करते हैं।
- 3⃣ बैंक कंपनियों के शेयर्स तथा ऋण पत्रों के अभिगोपन का कार्य करते हैं जिससे कंपनियों को पूंजी प्राप्त करने में सुविधा होती है। यह शेयर्स जनता द्वारा न खरीदे जाने पर बचे हुए शेयर्स बैंक स्वयं खरीद लेता है।
- 4⃣ एक विशेषज्ञ के समान अपने ग्राहकों को उनके धन तथा विनियोग संबंधित मामलों में सलाह देते हैं।
- 5⃣ बैंक अपने ग्राहकों के लिए यात्री चेक तथा साख-प्रमाण पत्र जारी करते हैं, जिससे उन्हें यात्रा करते समय नकद-मुद्रा साथ नहीं ले जाना पड़ता। साख पत्र के आधार पर व्यापारियों को विदेशी बाजार में माल क्रय करने में सुविधा रहती है।
- 6⃣ कुछ बड़े बैंक देश के व्यापार तथा उद्योग से संबंधित आंकड़े एकत्र करते हैं तथा सूचनाएं प्रकाशित करते हैं।
- 7⃣ सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी प्रतिभूतियों एवं बांडों की बिक्री की व्यवस्था बैंकों द्वारा की जाती है।
- 8⃣ बाढ़-पीड़ितों का कोष, सुरक्षा-कोष, आदि राष्ट्रीय चन्दे संग्रह करने का कार्य भी बैंकों द्वारा किया जाता हैं।
- 9⃣ देश के प्रमुख बैंक स्टॉक एक्सचेंज में समाशोधन गृह का कार्य भी करते हैं तथा शब्दों के भुगतान में सहायक होते है।
- 1⃣0⃣ धन स्थानांतरण के लिए ड्राफ्ट व अन्य सुविधाएं:—– बैंक ग्राहकों को ड्राफ्ट भी देते हैं और इस प्रकार वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर कोषों का हस्तांतरण सुविधापूर्वक कर सकते हैं।
- 1⃣1⃣ प्रमाणक:– बैंक अपने ग्राहकों की वित्तीय स्थिति व्यावसायिक साख और जिम्मेवारी के प्रमाण के रूप में भी सेवा प्रदान करते हैं
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